बुधवार, 28 नवंबर 2012

गुजिश्ता जमाने की हरदिल अजीज शमशाद बेगम

गुजिश्ता जमाने की हरदिल अजीज शमशाद बेगम
गुजिश्ता जमाने की हरदिल अजीज पा‌र्श्व गायिका शमशाद बेगम को कभी इस बात का मलाल नहीं रहा कि जिन संगीतकारों के करियर को बनाने में उनका हाथ रहा। उन्होंने कामयाबी की मंजिलें तय करने के बाद उनसे किनारा कर लिया। गायकी के उच्चतम शिखर पर पहुंचकर लगभग चालीस साल पहले फिल्मी दुनिया को अलविदा कहने के बाद खामोशी के साथ जिंदगी बिता रहीं सुरों की मलिका शमशाद बेगम को अब जाकर गणतंत्र दिवस पर पद्म भूषण पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।

पा‌र्श्व गायन में उल्लेखनीय योगदान के लिए नब्बे वर्षीय शमशाद बेगम को प्रतष्ठित ओ. पी. नैयर पुरस्कार प्रदान किए जाने की घोषणा भी हुई है, जो उन्हें मुंबई के पोवई में उनके घर पर 29 जनवरी को प्रदान किया जाएगा, लेकिन उन्होंने पुरस्कार की पच्चीस हजार रुपये की राशि लेने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इस राशि को धर्मार्थ कार्यो में लगा दिया जाए। पंजाब के अमृतसर में 1919 में जन्मी शमशाद बेगम 1937 में लाहौर रेडियो से अपनी गायकी का सफर शुरू करने के बाद निर्माता-निर्देशक महबूब खान के अनुरोध पर 1944 में मुंबई पहुंचीं और संगीत की विधिवत् तालीम नहीं लेने के बावजूद शीशे जैसी साफ, सुरीली और खनकती आवाज के दम पर सभी संगीतकारों की पहली पसंद बन गई। खेमचंद प्रकाश, श्याम सुंदर, ओ.पी.नैयर, राम गांगुली, मदन मोहन, सचिन देव बर्मन, नौशाद, सी.रामचंद्र आदि सभी संगीतकारों की स्वर-रचनाओं पर गाए उनके गीत बेहद मकबूल रहे। उन्होंने पांच भाषाओं में पांच हजार से अधिक गीतों को अपने स्वरों से सजाया। इनमें लगभग सभी गीत सुपर हिट रहे और बालीवुड के पा‌र्श्व गायन के सिंहासन पर उन्होंने लगभग छब्बीस साल तक एकछत्र राज किया।
शमशाद बेगम के लिए चित्र परिणाम
शमशाद बेगम के गाए गीत आज भी उतने ही मकबूल हैं जितने उनके जमाने में थे। उनके कई गीत रीमिक्स होकर लोगों की जुबां पर आज भी चढे़ हुए हैं, लेकिन उन्हें इस बात पर कोई एतराज नहीं है बल्कि उनका मानना है कि इसी बहाने लोग उन्हें याद तो करते हैं। वर्षो की खामोशी के बाद हाल में दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि निर्माता-निर्देशक राजकपूर और संगीतकार मदनमोहन के करियर के शानदार आगाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी, लेकिन मदन मोहन ने अपनी पहली फिल्म आंखें में उनके गाए गीतों से कामयाबी के कदम चूमने के बाद उनसे आंखें चुराना शुरू कर दिया। इसी तरह राजकपूर की निर्माता-निर्देशक के रूप में पहली फिल्म आग की कामयाबी में भी उनके गाए गीतों का योगदान रहा, लेकिन इस फिल्म के बाद उन्होंने अपनी कुछ ही फिल्मों में उन्हें गायन का मौका दिया। अलबत्ता शमशाद बेगम को इस बात का कोअी रंज नहीं है। उनका कहना था कि उन्होंने मेरे साथ ऐसा कोई करार तो किया नहीं था कि मकबूल होने और दौलतमंद बन जाने के बाद वह उन्हें साइन करेंगे।
शमशाद बेगम के लिए चित्र परिणाम
हालांकि शमशाद बेगम ने यह भी बताया कि राजकपूर ने सार्वजनिक तौर पर माना था कि वह जो कुछ हैं उन्हीं बदौलत हैं और उन्होंने अफसोस जताया था कि वह उनके लिए कुछ नहीं कर सके क्योंकि संगीत निर्देशक शंकर-जयकिशन उन्हें पसंद नहीं करते थे। शमशाद बेगम बताती हैं कि वह कभी महत्वाकांक्षी नहीं रहीं। यहां तक कि फिल्म इंडस्ट्री की रस्म के मुताबिक उन्हें निर्माता से अपने काम के लिए अधिक धनराशि की मांग करते हुए भी शर्म आती थी। इस सिलसिले में एक दिलचस्प वाकया है कि उन्होंने एक बार निर्माता दलसुख पंचोली से झिझकते हुए अपने हर गाने के लिए पांच सौ रुपये की मांग की थी। इस पर तुरंत राजी होते हुए उन्होंने कहा था कि यदि वह दो हजार रुपये भी मांगतीं तो उन्हें मिल जाते। शमशाद बेगम से जुड़ा एक और दिलचस्प वाकया है। वह देखती थीं कि एक युवक छड़ी लिए हुए दोस्ताना अंदाज में घूमता रहता है। बाद में उन्हें पता चला कि वह अभिनेता अशोक कुमार का भाई किशोर कुमार है। एक दिन किशोर कुमार ने उनसे कहा कि मेरे भाइयों को देखो वे कितने प्रसिद्ध हैं और मैं अभी तक संघर्ष कर रहा हूं। इस पर शमशाद बेगम ने कहा कि हो सकता है कि किसी दिन वह अपने दोनों भाइयों को भी पीछे छोड़ दें। किशोर कुमार ने उनकी बात हंसी में उड़ा दी, लेकिन जल्दी ही उन्हें शमशाद बेगम के साथ गाने का मौका मिला और उनकी बात सही साबित होने पर वह उनके पैरों पर गिर पडे़।
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उन्होंने एक और रोचक किस्सा बयान किया था कि लाहौर में उन्होंने एक ग्रामोफोन रिकार्ड कंपनी के लिए संगीतकार मास्टर जी, गुलाम हैदर के निर्देशन में एक गैर फिल्मी भक्ति रचना तेरे पूजन को भगवान..का गायन इस शर्त पर किया था कि वह गायिका के रूप में उनके नाम का उल्लेख नहीं करेगी। कंपनी ने उनकी बात मानते हुए रिकार्ड पर गायिका का नाम राधारानी और गीतकार का नाम मिस शांति दिया। गीत बेहद लोकप्रिय हुआ, लेकिन उनके अंकल यह बात नहीं जानते थे। उन्होंने गायिका की तारीफें करते हुए शमशाद बेगम से कहा कि वह इस गीत की गायिका से मिलने के लिए बेताब हैं और सलाह भी दी कि उन्हें रिकार्ड को सुनकर उसकी तरह गीत गाना चाहिए। शमशाद बेगम के नाम से कुछ खास उपलब्धियां जुड़ी हुई हैं। वह फिल्म इंडस्ट्री की उन कुछ गायिकाओं में हैं जिन्होंने फिल्मों की पा‌र्श्व गायन की परम्परा की शुरूआत की। उनसे पहले अपनी फिल्मों में नायिकाएं खुद ही गीत गाती थीं। पाश्चात्य असर वाले कुछ प्रारंभिक गीतों में एक गीत आना मेरी जान.., मेरी जान संडे के संडे.. संगीतकार सी रामचंद्र की धुन पर उन्होंने ही गाया था। इसी तरह परदे पर अभिनेत्री नर्गिस की पहली फिल्म तकदीर के लिए पहला गीत शमशाद बेगम ने ही गाया। गीतों के सुरीले सफर में संगीतकार नौशाद और ओ.पी. नैयर से उनका अधिक जुड़ाव रहा। नौशाद के लिए उन्होंने मेला, दुलारी, अंदाज, बाबुल, दीदार, बैजू बावरा, आन, शबाब आदि फिल्मों में गीत गाए, जबकि ओ. पी. नैयर के लिए 23 फिल्मों में लगभग चालीस गीतों को अपना सुरीला स्वर दिया। शमशाद बेगम के कुछ यादगार गीतों में प्रमुख हैं मेरा जीवन पल..(पल जाए रे), काहे कोयल शोर मचाए रे..(आग), काहे जादू किया मुझको इतना बता..(जादूगर बालमा), नगमा. चमन में रहके वीराना मेरा दिल होता जाता है.(दीदार), मेरे घूंघर वाले बाल हो राजा.(परदेस), एक दो तीन आजा मौसम है रंगीन..(आवारा), मेरी नींदों में तुम.., मेरे ख्वाबों में तुम..(नया अंदाज). मिलते ही आंखें दिल हुआ दीवाना किसी का..(बाबुल), जब रात है ऐसी मतवाली फिर सुबह का आलम क्या होगा..(मुगले आजम), मैंने देखी जग की रीत मीत सब झूठे पड़ गए..(सुनहरे दिन), कजरा मोहब्बत वाला अंखियों में ऐसा डाला..(किस्मत) आदि। शमशाद बेगम ने अपने गायन काल के दौरान अपना फोटो कभी नहीं खिंचवाया। लगभग पचास साल पहले तक लोग उन्हें उनकी सुरीली आवाज के जरिए ही पहचानते रहे थे।

शमशाद बेगम को लगता था कि उनका चेहरा सुंदर नहीं है, इसलिए वह फोटो खिंचवाने से हमेशा बचती रहीं। उनका संभवत: केवल एक फोटो है, जो उनके गीतों के कैसटों पर दिखाई देता है। अपने जमाने के चर्चित गायक, अभिनेता के.एल. सहगल की दीवानी इस गायिका की आवाज के बारे में संगीतकार ओ.पी. नैयर ने एक बार कहा था कि उनके स्वर बिलकुल स्पष्ट होते हैं और मंदिर की घंटियों की तरह सुनाई देते हैं। आज के संगीत के बारे में शमशाद बेगम का विचार है कि उसमें सुरीलापन कम है और शोर ज्यादा है। इस गायिका के बारे में कुछ साल पहले इस तरह की भ्रामक खबरें प्रकाशित, प्रसारित हो गई थीं कि उनका इंतकाल हो गया है। बाद में पता लगा कि जिन शमशाद बेगम का निधन हुआ है। वह गुजरे जमाने की प्रसिद्ध अभिनेत्री नसीम बानो की मां और अभिनेता दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो की नानी थीं।

राज के खिलाफ कमेंट पर लड़का अरेस्ट

राज के खिलाफ कमेंट पर लड़का अरेस्ट
मुंबई। महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार के खिलाफ कुछ भी कमेंट करने वालों को गिरफ्तार किया जा रहा है। शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे के निधन के बाद मुंबई बंद को लेकर फेसबुक पर कमेंट करने वाली दो लड़कियों को गिरफ्तार किया गया। अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष और ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे के खिलाफ फेसबुक पर आपत्तिजनक कमेंट करने पर एक लड़के को गिरफ्तार किया गया है।

एक समाचार पत्र के मुताबिक 19 साल के सुनील विश्वकर्मा को बुधवार सुबह गिरफ्तार किया गया। उसने अपने फेसबुक पेज पर कुछ ऎसा लिखा था जो राज ठाकरे के समर्थकों को रास नहीं आया। सुनील पालघर का रहने वाला है। पहले जिन लड़कियों को गिरफ्तार किया गया था वे भी पालघर की ही रहने वाली थी। सुनील के पोस्ट से गुस्साए मनसे कार्यकर्ताओं ने उसके घर को घेर लिया। वे उस पकड़कर पालघर पुलिस स्टेशन ले गए। सुनील पर अभी तक कोई आरोप नहीं लगाया गया है।

पुलिस किसी भी तरह की कार्रवाई से पहले कानूनी सलाह लेना चाहती है। इससे पहले 17 नवंबर को मुंबई बंद को लेकर फेसबुक पर कमेंट को लेकर दो लड़कियों को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि बाद में दोनों को रिहा कर दिया गया था। दोनों को बेल देने वाले जज का ट्रांसफर कर दिया गया।

जेल में मुंबई हमले का आरोपी कैसे बना बाप?

जेल में मुंबई हमले का आरोपी कैसे बना बाप?
इस्लामाबाद। भारत ने पाकिस्तान से पूछा है कि मुंबई हमले का आरोपी और लश्कर ए तैयबा का आतंकी जकी उर रहमान लखवी जेल में कैसे पिता बन गया? भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने यह सवाल सऊदी अरब से गिरफ्तार किए गए अबु जुंदाल के इकबालिया बयान के बाद किया है। पाकिस्तान ने सवाल का अभी तक जवाब नहीं दिया है। पाकिस्तान की एक वेबसाइट यह जानकारी दी है।

पाकिस्तान को लिखे पत्र में भारत ने आरोप लगाया है कि लखवी को जेल में वीवीआईपी की तरह रखा जा रहा है। उसे मोबाइल की भी सुविधा दी गई है ताकि वह आतंकियों के संपर्क में रह सके। लखवी फिलहाल रावलपिंडी की उच्च सुरक्षा वाली अडियाला जेल में कैद है। उसे पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार किया गया था। जुंदाल ने पूछताछ के दौरान बताया है कि वह पाकिस्तान गया था। उसने अजमल आमिर कसाब और लश्कर के अन्य आतंकियों को कराची से मुंबई भेजने के लिए पाक का दौरा किया था।

जुंदाल ने बताया कि 2010 में लखवी ने उसे फोन पर जानकारी दी थी कि अडियाला जेल में रहते हुए वह बाप बन गया। लखवी ने बताया था कि जेल में उसे अपनी अपनी सबसे छोटी पत्नी से मिलने की इजाजत है और वह विशेष इंतजाम के तहत उससे संबंध बना लेता है।

वाहन पिलर से टकराया एक की मौत

वाहन पिलर से टकराया एक की मौत




बाड़मेर जिले के सिंघोदिया गाँव के समीप एक वाहन सड़क किनारे लगे पिलरो से टकरा गया जिससे एक की मौत हो गई .इस आशय का मामला गिडा ठाणे में दर्ज कराया गया हें .पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट के अनुसार श्री चेतनराम पुत्र चौखाराम जाट नि. सिघोडीया ने मुलजिम प्रभूराम पुत्र चेतनराम जाट नि. सिघोडीया के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिम द्वारा अपनी स्वयं की मोटर साईकल को तेजगति व लापरवाही पूर्वक चलाने से रोड़ के साईड में लगे पीलर से टकराने से लगी चोटो से मृत्यु होना वगेरा पर मुलजिम के विरूद्व पुलिस थाना गिड़ा पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।

बाड़मेर दो विवाहितो को दहेज़ के लिए किया प्रताड़ित











बाड़मेर दो विवाहितो को दहेज़ के लिए किया प्रताड़ित 

अब पुलिस का डंडा आरोपियों पर

बाड़मेर जिले में दो अलग अलग मामलो में दो विवाहितो को दहेज़ के कारन प्रताड़ित करने के मामले दर्ज हुए .पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट ने बताया की श्रीमति संगीता पुत्री जोराराम भील नि. बालोतरा ने मुलजिम गोविन्दराम पुत्र थानाराम भील नि. सिवाना वगेरा 3 के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमान द्वारा मुस्तगीसा को दहेज की मांग को लेकर मारपीट करना वगेरा पर मुलजिमान के विरूद्व पुलिस थाना बालोतरा पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।इसी तरह श्रीमति पदमोदेवी पत्नि पूर्णाराम जटीया नि. दिनग ने मुलजिम पूर्णाराम पुत्र प्रभुराम जटीया नि. सिणधरी वगेरा 3 के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमान द्वारा मुस्तगीसा को दहेज की मांग को लेकर तंग परेशान कर मारपीट करना वगेरा पर मुलजिमान के विरूद्व पुलिस थाना चौहटन पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।