शुक्रवार, 31 अगस्त 2012

हबीब खां लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष बने

रिटायर्ड आईपीएस हबीब खां इससे पहले आयोग के सदस्य थे
जयपुर। भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हबीब खां गोराण को अब राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है।वे अभी राज्य लोक सेवा आयोग में सदस्य हैं। कार्मिक विभाग ने शुक्रवार को उनकी नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए।

कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव सुदर्शन सेठी ने बताया कि हबीब खां गोराण की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति कार्यभार संभालने की तिथि से प्रभावी मानी जाएगी। गोराण आयोग के अध्यक्ष बी.एम. शर्मा का स्थान लेंगे। शर्मा का कार्यकाल 31 अगस्त को ही पूरा हुआ है।

मुस्लिम वर्ग को तीसरी बार प्रतिनिधित्व: राज्य लोक सेवा आयोग में तीसरी बार मुस्लिम वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलेगा। इनसे पहले मोहम्मद याकूब (27 जून, 1975 से 30 जून, 1979) और जे.एम.खान 8 नवंबर, 1985 से 27 नवंबर, 1989 तक लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं।

दोस्तों को जिस्म न परोसने पर पत्नी को सिगरेट से दागा

जयपुर. दोस्तों के साथ अनैतिक संबंध नहीं बनाने से नाराज होकर एक अधेड़ ने पत्नी को प्रताड़ित कर सिगरेटों से दाग डाला। पीड़िता ने श्याम नगर थाने में केस दर्ज कराया। इस पर पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया। 

गिरफ्तार आरोपी डालचंद (57) महेंद्र कॉलोनी, कटेवा नगर निवासी है। वह टैक्सी चालक है। कुछ साल पहले डालचंद के एक साथी की मौत हो गई थी, जिसकी पत्नी को बाद में वह खुद के साथ रखने लगा।


डालचंद की पहली पत्नी व दोनों बच्चे सोढ़ाला में रहते हैं। आरोप है कि आर्थिक तंगी के चलते डालचंद शराब पीने लगा। वह पीड़िता से मारपीट करने लगा। साथ ही, उसे दोस्तों से अनैतिक संबंध बनाने पर मजबूर करने लगा। इनकार करने पर उसे पेट व जांघों पर सिगरेटों से दागा।

हाईकोर्ट में जीते केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी, नाथद्वारा विधान सभा चुनाव रद्द



जोधपुर। केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री सीपी जोशी को आज राजस्थान हाईकोर्ट में बड़ी जीत हासिल हुई है। विधानसभा चुनावों में नाथद्वारा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी कल्याण सिंह चौहान से 1 वोट से हारने पर हाईकोर्ट में उन्होंने याचिका दायर की थी, जिसका फैसला उनके पक्ष में सुनाया गया है और चुनाव रद्द कर दिया गया है। हालांकि कोर्ट ने भाजपा के चौहान को एक माह का समय दिया है, इस दौरान वे इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।
 

चौहान को चुनाव में गलत तरीके से चुनाव जीतने के आरोप में उनकी पत्नी कल्पना कंवर सहित चार के खिलाफ पुलिस केस करने तथा याचिका की सुनवाई में 51 हजार की कॉस्ट भी लगाई है। यह आदेश शुक्रवार को न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी ने प्रार्थी नाथद्वारा के पराजित उम्‍मीदवार तथा केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री सीपी जोशी की ओर से दायर चुनाव याचिका को मंजूर करते हुए दिए।
न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी ने शुक्रवार को जोशी के पक्ष में फैसला सुनाया है। मजेदार बात है कि इस दौरान वहां कोई वकील मौजूद नहीं था। आज माह का अंतिम कार्यदिवस होने के कारण जोधपुर मुख्य पीठ के वकील न्यायिक कार्यों का बहिष्कार करते हैं।

वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में नाथद्वारा विधान सभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी सीपी जोशी भाजपा प्रत्याशी कल्याणसिंह से मात्र 1 वोट से हार गए थे। इसके खिलाफ उन्होंने 16 जनवरी 2009 को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर की।

याचिका की सुनवाई न्यायाधीश पीसी टाटिया ने शुरू की जो बाद में झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद पर आसीन हो गए। उनके बाद में वरिष्ठ न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी ने सुनवाई जारी रखी। करीब दो वर्ष तक जारी रही सुनवाई के दौरान जोशी और कल्याणसिंह दोनों पक्षों की ओर से करीब पंद्रह गवाहों को पेश किया गया।

जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेन्द्र सिंह सिंघवी और कल्याणसिंह की ओर से लेखराज मेहता व उनके सहयोगियों ने मुकदमे की पैरवी की। न्यायाधीश माहेश्वरी ने 26 मार्च 2012 को मामले की अंतिम सुनवाई करते हुए फैसले के लिए सुरक्षित रख लिया था।

दगाबाज, झूठी और लुटेरी निकलीं दुल्हनें

दगाबाज, झूठी और लुटेरी निकलीं दुल्हनें

मंदसौर। मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के सीतामऊ के एक जैन परिवार के साथ विवाह के नाम पर करीब 2.50 लाख रूपए की धोखाधड़ी करने वाली इंदौर निवासी दुल्हन और उसकी सहेली को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि मंदसौर में रहने वाले रजनीश जैन का पिछली मई में इंदौर निवासी पूजा से विवाह हुआ था। विवाह के कुछ माह बाद पूजा ससुराल से 2.50 रूपए मूल्य के सोने-चांदी के जेवरात और नकदी लेकर गायब हो गई।

पूजा के जाने के बाद ससुराल के लोगों को पता चला कि वह जेवरात और नकदी लेकर गई है। उन्होंने उसके वापस नहीं आने पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने रजनीश की रिपोर्ट पर पूजा, सोनू उर्फ कृति, मंगल तैली, राजेश शर्मा, गजानंद चतुर्वेदी और सुरेश दर्जी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया। पुलिस गुरूवार को इंदौर से पूजा और उसकी सहेली सोनू को गिरफ्तार करके सीतामऊ ले आई और शेष आरोपियों के बारे में पूछताछ कर रही है।

शादी का झूठा झांसा, दूल्हा लौटा बैंरंग

बाडमेर। राजस्थान के बाडमेर में शादी के नाम पर ठगी के शिकार हुए दूल्हे को दो दिन तक दुल्हन का इंतजार करने के बाद बैंरंग लौटना पड़ा है। पुलिस के अनुसार जोधपुर जिले में भोपालगढ के हरीदेसर गांव के अर्जुन राम से शादी का झूंठा झांसा देकर लगभग डेढ़ लाख रूपए ऎंठने तथा तय समय पर दुल्हन के नहीं मिलने का मामला दर्ज कराया गया हैं। बाडमेर के वीर सिंह तथा जेठाराम ने अर्जुनराम की शादी कराने के लिए तीन लाख 60 हजार रूपए में सौदा तय किया था। अर्जुनराम बुधवार को बारात लेकर बाडमेर पहुंचा तो न तो दुल्हन मिली और न ही शादी कराने वाले लोग। दो दिन तक दुल्हन एवं इन बिचौलियों का इंतजार करने के बाद दूल्हे को बैरंग लौटना पड़ा।

लुटेरी दुल्हन सहित छह गिरफ्तार

झुंझुनूं । शादी के दूसरे ही दिन ससुराल से नकदी एवं गहने लूटकर फरार हुई एक दुल्हन तथा अन्य पांच लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया हैं। पुलिस के अनुसार राजस्थान में झुंझुनूं जिले के कुहाडवास गांव से शादी के दूसरे दिन गत 25 अगस्त को फरार हुई अन्नू को फोन कॉल डिटेल के आधार पर गुरूवार को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया।

दिल्ली की अन्नू के अलावा दिल्ली के ही विनोद कुमार एवं उसकी पत्नी पायल तथा हरियाणा के चांदवास के कुलदीप एवं उसकी पत्नी सोनू तथा इनके सहयोगी पप्पू को गिरफ्तार किया हैं। अन्नू के पास से कुछ गहने भी बरामद किए गए हैं।

पुलिस ने बताया कि पायल एवं सोनू सगी बहने हैं और कुलदीप एवं उसकी पत्नी सोनू ने कुहाडवास निवासी चन्द्रभान के बेटे ओमप्रकाश की शादी अन्नू से कराने की बात 70 हजार रूपए में तय की थी। अन्नू ने 25 अगस्त की रात चन्द्रभान एवं उसकी पत्नी एवं बेटे ओमप्रकाश को शिमला मिर्च की सब्जी में नशीली दवा मिलाकर खिला दिया जिससे वे बेहोश हो गए और अन्नू नकदी एवं गहने लेकर फरार हो गई थी।

माया को 28 साल,बजरंगी को उम्र कैद

माया को 28 साल,बजरंगी को उम्र कैद

अहमदाबाद। गुजरात की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को वर्ष 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान नरोदा पाटिया में एक सम्प्रदाय विशेष के 97 लोगों को जिंदा जलाने के मामले में राज्य की पूर्व मंत्री व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विधायक माया कोडनानी को 28 साल कैद की सजा सुनाई है। इस मामले में बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी को भी दोषी ठहराया गया है। उन्हें मरते दम तक कारावास में रहने की सजा सुनाई गई है तथा 30 अन्य को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

गुजरात के नरोदा पाटिया में 28 फरवरी, 2002 को हुए नरसंहार को 10 साल से भी अधिक वक्त बीत जाने के बाद विशेष अदालत ने इस मामले में कोडनानी तथा बजरंगी सहित 32 लोगों को बुधवार को दोषी करार दिया था।

सुनाई गई सजा का ब्योरा पेश करते हुए विशेष सरकारी वकील अखिल देसाई ने कहा कि बजरंगी को छोड़करकोडनानी तथा अन्य दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इन सभी पर भारतीय दंड संहिता के तहत विभिन्न धाराएं लगाई गई हैं।

सजा सुनाए जाने के बाद देसाई ने मीडियाकर्मियों से कहा कि कोडनानी को भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत 10 साल और धारा 302 (हत्या के लिए दंड) के तहत18 साल कैद की सजा सुनाई गई है।

उन्होंने कहा कि देश में किसी को यदि उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है तो उसे 14 वर्ष जेल में बिताने के बाद रिहा होने का हकदार माना जाता है। कोडनानी की रिहाई हालांकि 28 साल बाद होगी, जबकि बजरंगी को मौत होने तक जेल में रहना होगा।

दोषी करार दिए गए अन्य 30 में से सात को 10 के अलावा 21 वर्ष की उम्रकैद, जबकि शेष दोषियों को 10 के अलावा 14 वर्ष कैद की सजा दी गई है। देसाई ने कहा कि वह मृत्युदंड नहीं देने के अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं। अदालत ने आखिरकार पीडितों की पीड़ा को संज्ञान में लिया।

उल्लेखनीय है कि नरोदा पाटिया में 28 फरवरी 2002 को एक भीड़ पर हमला कर सम्प्रदाय विशेष के 97 लोगों को जिंदा जला दिया गया था। विशेष अदालत ने बुधवार को इस जनसंहार के लिए कोडनानी और बजरंगी सहित 32 लोगों को दोषी करार दिया था। अहमदाबाद में विशेष अदालत ने इस मामले में 29 लोगों को बरी भी कर दिया था।

वर्ष 2009 में सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात दंगों से संबंधित इस मामले तथा ऎसे ही कई अन्य मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था। इन दंगों में 1,000 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश एक जाति विशेष के लोग थे।

इस मामले में 64 लोगों को आरोपी बनाया गया था जिनमें से तीन की मौत हो चुकी है। बाकी बचे 61 लोगों पर हत्या, आगजनी और दंगा भड़काने के आरोप थे। इनमें से अधिकांश को जमानत मिल गई थी। इस मामले में अदालत में कुल 327 गवाह और 2,500 दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए थे।