रविवार, 1 जुलाई 2012

मुसलमानों की गलत छवि पेश करने के आरोप में 'गैंग्‍स ऑफ वासेपुर' बैन



मुंबई। अनुराग कश्‍यप की चर्चित फिल्‍म 'गैंग्‍स ऑफ वासेपुर' को कुछेक अरब देशों में प्रतिबंधित कर दिया गया है। फिल्‍म को दुबई में रिलीज किय गया है लेकिन कुवैत और कतर जैसे देशों में इस बैन किया गया है। इन देशों की ऑथिरिटी का आरोप है कि इसमें मुसलमानों की छवि गलत ढंग से पेश की गई है। इस फिल्‍म को मिडिल ईस्‍ट और फ्रांस में रिलीज किया गया है। मिडिल ईस्‍ट में यह फिल्‍म 28 जून को और फ्रांस में 25 जुलाई को रिलीज हुई।
 
बैन पर दुख जताते हुए अनुराग ने ट्वीट किया है कुवैत के बाद 'गैंग्‍स ऑफ वासेपुर' को कतर में भी बैन कर देना दुखदायक है।


बदले की थीम पर आधारित इस फिल्‍म का पहला भाग सरदार खान पर केंद्रित है इस किरदार को मनोज बाजपेयी ने निभाया है जबकि फिल्‍म का दूसरा हिस्‍सा सरदार के बेटे फजलू खान पर कें‍द्रित है। फजलू का किरदार नवाजउद्दीन सिद्दीकी ने निभाया है।


फिल्‍म को लेकर झारखंड के धनबाद में भी काफी बवाल हो चुका है। वासेपुर के स्‍थानीय नागरिकों का कहना है कि इस फिल्‍म में अनुराग ने इलाके के साथ मुसलमानों को भी बदनाम किया है। 'गैंग्‍स ऑफ वासेपुर' का शहर वासेपुर झारखंड के धनबाद जिले का एक छोटा सा कस्‍बा है। कहा जाता है कि वहां रात में आठ बजे के बाद निकलना खतरे से खाली नहीं है। जब धनबाद से वासेपुर के लिए निकलते हैं तो आपको पहले ही बता दिया जाता है आठ बजे के बाद वहां मत जाइएगा।


वासेपुर कोयले की खानों और इसके लिए होने वाले वहशी जुर्म के लिए बदनाम बताया जाता है। मुस्लिम बहुल्‍य वासेपुर को अनुराग कश्‍यप ने इंटरनेशनल लेवल पर एक पहचान दे दी है। लेकिन कुछ लोग इससे नाराज भी हैं। इनका कहना है कि अनुराग यहां के मुसलमानों को बदनाम करने पर तुले हैं। फिल्‍म के लेखक जीशान कादरी को धमकी भी मिल चुकी है। फोन पर एक शख्‍स ने उन्‍हें धमकाते हुए कहा था कि अनुराग ने फिल्म के माध्यम से वासेपुर को बदनाम किया है। यह यहां की सच्चाई नहीं है। कादरी ने जो किया, ठीक नहीं किया। अब इसके लिए उन्‍हें पछताना पड़ेगा। कादरी को धनबाद में घुसने नहीं दिया जाएगा। जीशान अभी मुंबई में हैं। उनका पूरा परिवार फिलहाल वासेपुर में ही रहता है


गुस्‍से में है वासेपुर


वासेपुर के लोगों ने फिल्‍म को बैन लगाने की मांग की है। इस संबंध में सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी, केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, राज्यपाल डॉ सैयद अहमद और झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी को ज्ञापन सौंपा गया है। सामाजिक कार्यकर्ता परवेज अख्तर ने बताया कि मुस्लिम बहुल क्षेत्र वासेपुर की आबादी लगभग दो लाख है। यहां के कई लोगों प्रशासनिक पदों पर कार्यरत हैं। फिल्म में कई आपत्तिजनक डॉयलाग बोले गए हैं। यहां के लोगों को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। कश्यप ने भी वासेपुर के बारे में कई आपत्तिजनक बात कही है।


काला इतिहास


झारखंड की कोयले की खदानें काले हीरे के बदले खून मांगती हैं। यहां कोयले के साथ आग और मौत का खेल चलता रहता है। तीन दशक में यहां 23 से भी अधिक व्यवसायियों और माफियाओं की हत्या हो चुकी है। यह कई जेनरेशन से चली आ रही गैंगवार का नतीजा है। वासेपुर स्थित आएशा मस्जिद के इमाम मुबारक हुसैन की माने तो वासेपुर मुसलमानों के इलाके के तौर पर मशहूर है। ऐसे में अनुराग कश्‍यप ने वासेपुर के नाम से फिल्म बनाकर, मुसलमान चरित्रों के माध्‍यम से शहर को बदनाम किया है। वासेपुर एकता मंच के अध्यक्ष और फिल्म के विरोध में रांची हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर चुके जावेद खान कहते हैं कि गैंग्‍स ऑफ वासेपुर के माध्‍यम से पूरे वासेपुर समाज और कौम को बदनाम किया जा रहा है।


क्यों है विवाद


यह फिल्म धनबाद के वासेपुर में चल रहे गैंगवार व धनबाद के कोल माफियाओं पर आधारित है। फिल्म में दिखाया गया है कि किस प्रकार यहां माफिया पनपे और गैंगवार हुआ। फिल्म की कहानी उस समय से शुरू होती है जब भारत में ब्रिटिश सरकार अपनी आखिरी सांसे गिन रही थीं। शाहिद खान लुटेरा है जो ब्रिटिश ट्रेनों को लूटता है। बाद में, वह रामधीर सिंह के कोयला खान में मजदूरी करने लगता है। जिन लोगों से उसकी पुश्तैनी दुश्मनी चल रही होती है, उनसे वह बदला लेना चाहता है। शाहिद का बेटा सरदार खान अपने बाप के अपमान का बदला लेने की कसम खाता है और वासेपुर का दबंग अपराधी बन जाता है, जिससे सभी डरते हैं और वह अपने दुश्मनों से बदला लेता है। यह कहानी सच्ची घटनाओं से प्रेरित है।

पत्रकार बालमुकुन्द जोशी को पश्चिम रेलवे की मुम्बई डिवीजनल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति का सदस्य मनोनीत

 पत्रकार बालमुकुन्द जोशी को पश्चिम रेलवे की मुम्बई डिवीजनल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति का सदस्य मनोनीत 
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सीकर के पत्रकार बालमुकुन्द जोशी को पश्चिम रेलवे की मुम्बई डिवीजनल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति का सदस्य मनोनीत किया गया है।


जोशी को पश्चिम रेलवे मुम्बई क्षेत्र में आने वाले रेलवे स्टेशनों की ड्यूटी पर मौजूद स्टेशन मास्टर के साथ जांच करने के लिए अधिकृत किया गया हैै। इसके अलावा जोशी ठेकेदारों अथवा विभागीय तौर से चलने वाले दोनों प्रकार के खान-पान एवं वैनिन्डंग संस्थापनों और गाडिय़ों में लगे रेतरां भोजन बर्फयानों का निरीक्षण करने के लिए भी अधिकृत किये गये हैं। श्री जोशी पूर्व में उार पश्चिम रेलवे की क्षेत्रिय एवं उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समिति (जेडआरयूसीसी) के सदस्य भी रह चुके हैं।

शोभायात्रा में फायरिंग,महिला की मौत

शोभायात्रा में फायरिंग,महिला की मौत
भरतपुर। गांव जघीना में शनिवार सुबह करीब नौ बजे मूर्ति स्थापना के लिए निकाली जा रही शोभायात्रा के दौरान छींटाकशी करने से दो पक्ष आपस में भिड़ गए। इस दौरान फायरिंग व पथराव के बाद मची भगदड़ में महिला कमला पत्नी राजेन्द्र फौजी की ंमौत हो गई। तनाव को देखते हुए जघीना में पुलिस बल तैनात किया है।

पुलिस ने बताया कि गांव जघीना में सुबह कुंवरजीत के परिवार की ओर से ट्रैक्टर-ट्रॉली से शिव परिवार व हनुमानजी की मूर्ति स्थापना के लिए शोभायात्रा निकाली जा रही थी। शोभायात्रा दूसरे पक्ष बाबूलाल के घर के सामने से निकल रही थी, उस दौरान यहां किसी ने छींटाकशी कर दी। इस पर दोनों पक्षों में झगड़ा हो गया। देखते ही देखते वहां पथराव हुआ। इसी बीच, एक पक्ष ने फायरिंग कर दी। इससे भगदड़ मच गई। भगदड़ की चपेट में आने से महिला कमला बेसुध होकर गिर गई। बाद में अस्पताल में चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। प्रथम दृष्टया कमला की मौत का कारण हार्ट अटैक माना जा रहा है।

12 जने गिरफ्तार
पुलिस ने जघीना व आसपास के गांवों में दबिश देकर 12 जनों को गिरफ्तार कर लिया। घायल केशव पुत्र तेजा के पर्चा बयान पर 8-10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया। घटना के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण यहां थाने पहुंचे और ट्रैक्टर सहित मूर्तियों को भी ले आए। पुलिस के अनुसार गांव के कंुवरजीत व बाबूलाल के परिवार में रंजिश बनी हुई है। करीब दो वर्ष पूर्व बाबूलाल के भतीजे की हत्या हो गई, जिसमें कुंवरजीत को गिरफ्तार किया था। इसी कारण दोनों पक्षों के बीच शनिवार को घटना घटी।

साधु बनने की चाह में बन बैठा नपुंसक

साधु बनने की चाह में बन बैठा नपुंसक
अजमेर। पत्नी की मौत के बाद वियोग में डूबा राजस्थान के एक शख्स पर साधु बनने की धुन इस कदर सवार हुई कि वह इस जुनून में नपुंसक बन बैठा। नागौर के इस युवक ने शुक्रवार को अपना लिंग काट लिया, जिसके बाद उसे गंभीर हालत में अजमेर के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।

जानकारी के अनुसार पीडित युवक कैलाश नागौर बडू निवासी है। करीब 8 साल पहले कैलाश की पत्नी की मौत हो गई थी। तभी से वह मानसिक रूप से परेशान रहता था। पिछले कई दिनों से उसपर साधु बनने की धुन सवार थी। इसी चक्कर में वह अपना लिंग काट बैठा।

कैलााश के छोटे भाई राधेश्याम के अनुसार कई दिनों से उसका भाई मानसिक हालत रूप से परेशान था। वह हमेशा घर पर आध्यात्म और संयासी बनने की बात करता था। शुक्रवार को उसने लिंग काट लिया और जब उसकी हालत बिगड़ती देखी तो अस्पताल में भर्ती कराया।

फिर कोई माहि होगी शिकार इन ओपन वेल की

फिर कोई माहि होगी शिकार इन ओपन वेल की
बाड़मेर जिले के कई स्थानों पर कुएं खुले पड़े हैं, जिनमें बच्चों के गिरने की संभावना अक्सर बनी रहती है। खुले बोरवेल और मेनहोल की तरह आवासीय बस्तियों के आसपास खुले कुएं से भी बराबर खतरा बना हुआ है। ऐसा नहीं है कि इस तरह के कुओं की उपयोगिता है, बल्कि वे वर्षों से सूने पड़े है। गुडग़ांव में छह दिन पूर्व बोरवेल में गिरी मासूम बालिका माही पांच दिन बाद जिंदगी की जंग हार गई। इस घटना के बाद भास्कर टीम ने गांवों का दौरा किया तो कई स्थानों पर इस तरह की लापरवाही के कई नमूने देखने को मिले।

बाड़मेर जिले के क्षेत्र के अनेक गांवों में आज भी वर्षों पुराने कुएं पानी के अभाव में पूरी तरह सूख चुके हैं, मगर इन कुओं पर किसी तरह की सुरक्षा नहीं है। हर वक्त खुले रहने वाले इन कुओं से हादसे की आशंका लगी रहती है। इसकी जानकारी स्थानीय ग्राम पंचायत व प्रशासन को होने के बावजूद आज तक इन हादसेनुमा कुओं पर सुरक्षा कवच नहीं लगाया गया है। इस कारण आम लोगों के साथ पशुओं की जान भी खतरे में रहती है।

बालोतरा क्षेत्र की ग्राम पंचायत मंडली के विभिन्न गांव के मुख्य बस स्टैंड व सार्वजनिक भवन के पास वर्षों पुराना कुआं पानी के अभाव में पूरी तरह सूख चुका है। इस कुएं पर आज तक सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। लोगों ने इसकी जानकारी कई बार ग्राम पंचायत को दी, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। नीमतलाई गांव के लोग बताते हैं कि इस खुले पड़े कुएं से कुछ दूरी पर सरकारी स्कूल है। स्कूल की छुट्टी के समय बच्चे इस कुएं में नीचे झांकने लगते हैं। गांव के लोगों को बच्चों को दूर भगाना पड़ता है। इसी तरहबायतु ,चौहटन ,शिव ,गडरा ,धोरीमन्ना .सिंधारी .क्षेत्रो के गांव में भी कई सार्वजनिक कुँए पानी के अभाव में पूरी तरह से सूख चुके है, मगर उस पर भी आज तक सुरक्षा कवच नहीं लगाया गए है। वहीं कस्बे में नाला नंबर पांच के पास भी दो कुएं पूरी तरह जर्जर अवस्था में हैं और उन पर भी सुरक्षा कवच नहीं होने के कारण हर वक्त हादसे को न्योता दे रहे हैं।
होना यह चाहिए

जानकारों का मानना है कि जिन कुओं की उपयोगिता अब नहीं रही अथवा जिनमें पीने योग्य पानी नहीं है, ऐसे कुओं को पहले तो बंद करवा दिए जाने चाहिए और ऐसा नहीं हो पाता है तो कुएं के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाई जानी चाहिए। इससे जाने-अनजाने में भी लोग उधर से गुजरें तो हादसे का शिकार होने से बच सकें। नगर परिषद, नगर पालिका तथा ग्राम पंचायत प्रशासन आवासीय मोहल्ले में बिना उपयोगिता वाले खुदे कुओं को बंद कराए अथवा उसके चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाए, ताकि किसी तरह की अनहोनी नहीं हो। साथ ही खुद कुआं मालिक को भी इसके लिए पहल करनी चाहिए।

जिले में सरकारी योजनाओ में हज़ारो की तादाद में खुले कुओ का निर्माण किया गया कई कुँए खुदाई के बाद असफल रहने पर यूँही खुले छोड़ दिए गए .इन्हें ना तो बंद किया गया हें न ही ढक्कन लगाया गया .प्रशासन की लापरवाही से माही जेसे काण्ड इस क्षेत्र में भी हो सकते हें .जिले में भी पहले ऐसी घटाने हो चुकी हें .इसके बावजूद प्रशासन चेता नहीं