फिर कोई माहि होगी शिकार इन ओपन वेल की
बाड़मेर जिले के कई स्थानों पर कुएं खुले पड़े हैं, जिनमें बच्चों के गिरने की संभावना अक्सर बनी रहती है। खुले बोरवेल और मेनहोल की तरह आवासीय बस्तियों के आसपास खुले कुएं से भी बराबर खतरा बना हुआ है। ऐसा नहीं है कि इस तरह के कुओं की उपयोगिता है, बल्कि वे वर्षों से सूने पड़े है। गुडग़ांव में छह दिन पूर्व बोरवेल में गिरी मासूम बालिका माही पांच दिन बाद जिंदगी की जंग हार गई। इस घटना के बाद भास्कर टीम ने गांवों का दौरा किया तो कई स्थानों पर इस तरह की लापरवाही के कई नमूने देखने को मिले।
बाड़मेर जिले के क्षेत्र के अनेक गांवों में आज भी वर्षों पुराने कुएं पानी के अभाव में पूरी तरह सूख चुके हैं, मगर इन कुओं पर किसी तरह की सुरक्षा नहीं है। हर वक्त खुले रहने वाले इन कुओं से हादसे की आशंका लगी रहती है। इसकी जानकारी स्थानीय ग्राम पंचायत व प्रशासन को होने के बावजूद आज तक इन हादसेनुमा कुओं पर सुरक्षा कवच नहीं लगाया गया है। इस कारण आम लोगों के साथ पशुओं की जान भी खतरे में रहती है।
बालोतरा क्षेत्र की ग्राम पंचायत मंडली के विभिन्न गांव के मुख्य बस स्टैंड व सार्वजनिक भवन के पास वर्षों पुराना कुआं पानी के अभाव में पूरी तरह सूख चुका है। इस कुएं पर आज तक सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। लोगों ने इसकी जानकारी कई बार ग्राम पंचायत को दी, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। नीमतलाई गांव के लोग बताते हैं कि इस खुले पड़े कुएं से कुछ दूरी पर सरकारी स्कूल है। स्कूल की छुट्टी के समय बच्चे इस कुएं में नीचे झांकने लगते हैं। गांव के लोगों को बच्चों को दूर भगाना पड़ता है। इसी तरहबायतु ,चौहटन ,शिव ,गडरा ,धोरीमन्ना .सिंधारी .क्षेत्रो के गांव में भी कई सार्वजनिक कुँए पानी के अभाव में पूरी तरह से सूख चुके है, मगर उस पर भी आज तक सुरक्षा कवच नहीं लगाया गए है। वहीं कस्बे में नाला नंबर पांच के पास भी दो कुएं पूरी तरह जर्जर अवस्था में हैं और उन पर भी सुरक्षा कवच नहीं होने के कारण हर वक्त हादसे को न्योता दे रहे हैं।
होना यह चाहिए
जानकारों का मानना है कि जिन कुओं की उपयोगिता अब नहीं रही अथवा जिनमें पीने योग्य पानी नहीं है, ऐसे कुओं को पहले तो बंद करवा दिए जाने चाहिए और ऐसा नहीं हो पाता है तो कुएं के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाई जानी चाहिए। इससे जाने-अनजाने में भी लोग उधर से गुजरें तो हादसे का शिकार होने से बच सकें। नगर परिषद, नगर पालिका तथा ग्राम पंचायत प्रशासन आवासीय मोहल्ले में बिना उपयोगिता वाले खुदे कुओं को बंद कराए अथवा उसके चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाए, ताकि किसी तरह की अनहोनी नहीं हो। साथ ही खुद कुआं मालिक को भी इसके लिए पहल करनी चाहिए।
जिले में सरकारी योजनाओ में हज़ारो की तादाद में खुले कुओ का निर्माण किया गया कई कुँए खुदाई के बाद असफल रहने पर यूँही खुले छोड़ दिए गए .इन्हें ना तो बंद किया गया हें न ही ढक्कन लगाया गया .प्रशासन की लापरवाही से माही जेसे काण्ड इस क्षेत्र में भी हो सकते हें .जिले में भी पहले ऐसी घटाने हो चुकी हें .इसके बावजूद प्रशासन चेता नहीं
बाड़मेर जिले के कई स्थानों पर कुएं खुले पड़े हैं, जिनमें बच्चों के गिरने की संभावना अक्सर बनी रहती है। खुले बोरवेल और मेनहोल की तरह आवासीय बस्तियों के आसपास खुले कुएं से भी बराबर खतरा बना हुआ है। ऐसा नहीं है कि इस तरह के कुओं की उपयोगिता है, बल्कि वे वर्षों से सूने पड़े है। गुडग़ांव में छह दिन पूर्व बोरवेल में गिरी मासूम बालिका माही पांच दिन बाद जिंदगी की जंग हार गई। इस घटना के बाद भास्कर टीम ने गांवों का दौरा किया तो कई स्थानों पर इस तरह की लापरवाही के कई नमूने देखने को मिले।
बाड़मेर जिले के क्षेत्र के अनेक गांवों में आज भी वर्षों पुराने कुएं पानी के अभाव में पूरी तरह सूख चुके हैं, मगर इन कुओं पर किसी तरह की सुरक्षा नहीं है। हर वक्त खुले रहने वाले इन कुओं से हादसे की आशंका लगी रहती है। इसकी जानकारी स्थानीय ग्राम पंचायत व प्रशासन को होने के बावजूद आज तक इन हादसेनुमा कुओं पर सुरक्षा कवच नहीं लगाया गया है। इस कारण आम लोगों के साथ पशुओं की जान भी खतरे में रहती है।
बालोतरा क्षेत्र की ग्राम पंचायत मंडली के विभिन्न गांव के मुख्य बस स्टैंड व सार्वजनिक भवन के पास वर्षों पुराना कुआं पानी के अभाव में पूरी तरह सूख चुका है। इस कुएं पर आज तक सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। लोगों ने इसकी जानकारी कई बार ग्राम पंचायत को दी, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। नीमतलाई गांव के लोग बताते हैं कि इस खुले पड़े कुएं से कुछ दूरी पर सरकारी स्कूल है। स्कूल की छुट्टी के समय बच्चे इस कुएं में नीचे झांकने लगते हैं। गांव के लोगों को बच्चों को दूर भगाना पड़ता है। इसी तरहबायतु ,चौहटन ,शिव ,गडरा ,धोरीमन्ना .सिंधारी .क्षेत्रो के गांव में भी कई सार्वजनिक कुँए पानी के अभाव में पूरी तरह से सूख चुके है, मगर उस पर भी आज तक सुरक्षा कवच नहीं लगाया गए है। वहीं कस्बे में नाला नंबर पांच के पास भी दो कुएं पूरी तरह जर्जर अवस्था में हैं और उन पर भी सुरक्षा कवच नहीं होने के कारण हर वक्त हादसे को न्योता दे रहे हैं।
होना यह चाहिए
जानकारों का मानना है कि जिन कुओं की उपयोगिता अब नहीं रही अथवा जिनमें पीने योग्य पानी नहीं है, ऐसे कुओं को पहले तो बंद करवा दिए जाने चाहिए और ऐसा नहीं हो पाता है तो कुएं के चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाई जानी चाहिए। इससे जाने-अनजाने में भी लोग उधर से गुजरें तो हादसे का शिकार होने से बच सकें। नगर परिषद, नगर पालिका तथा ग्राम पंचायत प्रशासन आवासीय मोहल्ले में बिना उपयोगिता वाले खुदे कुओं को बंद कराए अथवा उसके चारों ओर सुरक्षा दीवार बनाए, ताकि किसी तरह की अनहोनी नहीं हो। साथ ही खुद कुआं मालिक को भी इसके लिए पहल करनी चाहिए।
जिले में सरकारी योजनाओ में हज़ारो की तादाद में खुले कुओ का निर्माण किया गया कई कुँए खुदाई के बाद असफल रहने पर यूँही खुले छोड़ दिए गए .इन्हें ना तो बंद किया गया हें न ही ढक्कन लगाया गया .प्रशासन की लापरवाही से माही जेसे काण्ड इस क्षेत्र में भी हो सकते हें .जिले में भी पहले ऐसी घटाने हो चुकी हें .इसके बावजूद प्रशासन चेता नहीं
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