रविवार, 29 जनवरी 2012

जिस्‍मफरोशी में पकड़ी गईं टीवी सीरियल की तीन अभिनेत्रियां



बेंगलुरू. कर्नाटक में बेंगलुरू पुलिस ने छोटे परदे के तीन कलाकारों को गिरफ्तार किया है। इन्हें एक मकान पर छापा मारकर गिरफ्तार किया गया। इन पर देह व्यापार में लिप्त होने का आरोप है।

पुलिस ने शनिवार को बताया कि इन कलाकारों की पहचान सुषमा, दीक्षिता और अनीता के रूप में हुई है। ये कई टेलीविजन धारावाहिकों में काम कर चुकी हैं। सुषमा के पति कृष्णमूर्ति को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया है। यह दंपती देह व्यापार के लिए अभिनेत्रियों को झांसा देता था।

क्रिकेट में भी कम नहीं बाढ़ाणा,तराशे जा रहे हैं खिलाड़ी


क्रिकेट में भी कम नहीं बाढ़ाणा,तराशे जा रहे हैं खिलाड़ी


बाड़मेर जिले में विकास की बयार बहने के साथ-साथ अब खेल प्रतिभाओं को भी उचित मंच मिलने लगा है। सदियों से मूलभूत सुविधाओं को तरसते जिलेवासियों का हुनर परंपरागत खेलों के साथ अब राष्ट्रीय खेलों में भी देखने को मिल रहा है। बात करें क्रिकेट की तो लंबे अर्से बाद बाड़मेर के खिलाडिय़ों ने बेहतरीन प्रदर्शन के बूते राजस्थान में जिले की पहचान बनाई है। हालांकि जिले से अभी भी रणजी के लिए एकमात्र भवेंद्र जाखड़ ही खेल पाए हैं लेकिन अन्य कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बाड़मेर के खिलाड़ी अपना खेल कौशल दिखा रहे हैं। संसाधनों और ट्रेनिंग की कमी के बावजूद बाड़मेर की क्रिकेट टीम ने कॉल्विन शील्ड के एलिट ग्रुप में जगह बनाई है। साथ ही 26 जनवरी को खेले गए महत्वपूर्ण मैच में हनुमानगढ़ जैसी मजबूत टीम को परास्त कर सेमीफाइनल में जगह बनाई। इस प्रतियोगिता में खिलाडिय़ों ने कोटा, अजमेर, भरतपुर और जोधपुर जैसी मजबूत टीमों को पछाड़ कर सीमावर्ती बाड़मेर जिले का नाम रोशन किया है। राज्य की अन्य टीमों में प्रत्येक टीम में तीन-तीन खिलाड़ी प्रोफेशनल क्रिकेटर है लेकिन बाड़मेर की टीम में ऐसा नहीं है। एकमात्र कप्तान भवेंद्र जाखड़ बड़ी प्रतियोगिताओं में खेल चुके है। बाकी पूरी टीम युवा है। टीम के इस प्रदर्शन में कप्तान जाखड़ का भी बड़ा योगदान है। बाड़मेर की जीत पर जाने बाड़मेर की ही प्रतिभाओं से बाड़मेर में क्रिकेट संभावनाओं को। पेश है एक रिपोर्ट...

॥1999 के बाद बाड़मेर 11 साल बाद सेमीफाइनल में पहुंचा है। इससे पहले केवल 1996 और 1997 में तत्कालीन कलेक्टर संजय दीक्षित के नेतृत्व में बाड़मेर कॉल्विन ट्रॉफी जीती थी। अब टीम में सारे नए खिलाड़ी है। हालांकि बड़े खिलाड़ी तो नहीं हैं लेकिन बड़ी पारी जरूर खेल सकते हैं। इसी का परिणाम है कि बाड़मेर सेमीफाइनल में पहुंचा। यही प्रदर्शन जारी रहा तो बाड़मेर एक बार फिर विजेता बनेगा। भवेंद्र जाखड़, कप्तान और पूर्व रणजी खिलाड़ी

॥बाड़मेर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण खिलाडिय़ों को उचित मंच नहीं मिल पाता। क्रिकेट जैसे महंगे खेल के लिए किट के साथ-साथ रेगुलर ट्रेनिंग भी जरूरी है। तभी आप अपनी स्ट्रेंथ के साथ नई तकनीक से खेल पाएंगे। अभी टीम अच्छी है और उचित मार्गदर्शन भी मिल रहा है। राजेंद्र जांगिड़, बाड़मेर कॉल्विन टीम के सदस्य

॥ क्रिकेट के बढ़ते क्रेज के साथ ही बाड़मेर में भी परिस्थितियां बदल रही है। अब क्रिकेट की प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए जिला क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से नियमित प्रतियोगिताओं के साथ कैंप आयोजित हो रहे है। पहले शहर के खिलाड़ी ही बड़ी प्रतियोगिताओं में भाग ले पाते थे। अब सभी क्रिकेटर, कैंप में अपनी प्रतिभा दिखाते हैं और उसी के अनुरूप सलेक्शन भी हो रहा है।
जितेंद्रसिंह, अंडर 15 व 19 के राष्ट्रीय खिलाड़ी


॥अगर बात करें दस साल पहले की तो बाड़मेर की टीम पहले ही राउंड में हार जाती थी। यहां लोकल टूर्नामेंट की भी बहुत कम होते थे। अब समय बदल गया है। जिला मुख्यालय पर लगातार प्रतियोगिताएं हो रही है। इसके अलावा बालोतरा, सिवाना सहित सीमावर्ती गांवों में भी कॉर्क और लेदर बॉल से प्रतियोगिता आयोजित हो रही है, जो क्रिकेट के लिहाज से अच्छा संकेत है।
बाबूलाल जाखड़, आरसीए स्कोरर

20 घंटे बाद उठाया शव


20 घंटे बाद उठाया शव

एएनएम एपीओ, गांव में ही स्थित तीन अन्य क्लिनिक सीज, दिनभर पुलिस छावनी बना रहा बडऩावा जागीर, गिरफ्त में नहीं आया आरोपी

पाटोदी (बालोतरा)

उपखंड के बडऩावा जागीर में शुक्रवार को कथित नीम हकीम के इंजेक्शन से अधेड़ की मौत के बाद गर्माया माहौल शनिवार दोपहर तक ऐसा ही बना रहा। ग्रामीण आरोपी नीम हकीम को शीघ्र गिरफ्तार करने व अन्य मांगों को लेकर शव नहीं उठाने की बात पर अड़े रहे। आखिर बालोतरा एसडीएम ओपी विश्नोई व बाड़मेर डिप्टी नाजिम अली ने समझाइश की और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया, इसके बाद ग्रामीणों ने शव उठाया। इस दरम्यिान शुक्रवार शाम साढ़े चार बजे से शनिवार दोपहर 12.30 बजे तक शव नीम हकीम की क्लिनिक के बाहर ही रखा रहा। इधर इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बाड़मेर सीएमएचओ ने बडऩावा जागीर की एएनएम को एपीओ किया है, वहीं शनिवार को गांव में कार्रवाई कर चिकित्सा विभाग ने तीन अन्य अवैध क्लिनिक सीज किए। इस दौरान बडऩावा जागीर का पूरा बाजार बंद रहा। शनिवार सुबह से ही बडऩावा जागीर गांव पुलिस छावनी सा नजर आ रहा था। मंडली एसएचओ रेवंतसिंह भाटी, पचपदरा एसएसओ उगमराज सोनी, एसएसओ गिड़ा मनोज मूढ़, एसएसओ बायतु, भू-निरीक्षक गुमानसिंह, पटवारी खंगारराम, पाटोदी चौकी प्रभारी जेठाराम सहित पुलिस बल दिनभर गांव में तैनात रहा। सुबह तो स्थिति यह हो गई कि ग्रामीणों की भीड़ को बढ़ते देख प्रशासन को आरएसी तैनात करनी पड़ी। इसके अलावा परिजनों को साथ लेकर पुलिस की तीन टीमें बनाकर आरोपी के छिपने के संभावित ठिकानों पर दबिश भी दिलवाई गई। समझाइश की मशक्कत करीब 2 घंटे चली।

पूरे क्षेत्र में नीम हकीमों का डेरा: बडऩावा जागीर के अलावा पाटोदी क्षेत्र के कई गांवों में नीम हकीमों का डेरा है। चिकित्सा विभाग के कारिंदे कभी कभार आने के कारण यहां के लोगों को झोला छाप नीम हकीमों के पास जाना पड़ता है। बडऩावा जागीर में सरकारी चिकित्सा नहीं है, एक मात्र एएनएम ही है, ग्रामीण बताते हैं वह सिर्फ खानापूर्ति में ही लगी रहती है। बडऩावा के मुस्लिम इस्लामिया कमेटी के सदर सागर खां ने बताया कि ग्रामीण अनपढ़ होने के कारण तथा इस क्षेत्र में सरकारी युनानी डॉक्टर का पद रिक्त होने और नीम हकीम द्वारा सस्ता इलाज के प्रलोभन में मरीज इनके पास इलाज करवाने के लिए मजबूर हो जाते है।

ग्रामीणों ने खरी-खोटी सुनाई : पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाते हुए ग्रामीणों ने कहा कि इस मामले में प्रशासन का ढीला रवैया कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इससे पूर्व भी स्कूल में बालक के होद में गिर कर हुई मौत के बाद कार्रवाई करने की बजाय उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

॥पूर्व में हुई घटना की पुनरावृति न हो, इसके लिए प्रशासन इन नीम हकीमों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें तथा मामले की जांच कार्रवाई को जल्द ही अमलीजामा पहनाकर पीडि़त परिवार को न्याय दिलाए।ञ्जञ्ज युसुफ खां, सरपंच बडऩावा

रावल मल्लिनाथ री जोड़ायत राणी रूपांदे


राणी रूपांदे

रूपांदे रावल मल्लिनाथ री जोड़ायत हा। मालाणी रा संस्थापक मल्लिनाथ राव सलखा रा बडा बेटा हा। रूपांदे सूं इणां रौ ब्याव हुवण बाबत अैड़ौ कैयौ जावै कै अेकर मल्लिनाथ नै देवी साख्यात दरसण दिया। तद अै देवी सूं वचन मांग्यौ कै आपनै म्हारै घरां आवणौ पड़सी। देवी केयौ के म्हैं थारै ेदस मांय अवतार लेस्यूं, जे थूं म्हनै पिछाण लेसी तो म्हैं थारै घरै आय जासूं। तद मल्लिनाथ बोल्यौ कै म्हैं थांनै किण तरियां पिछाण सकसूं? तद देवी कैयौ के म्हैं करामात दिखावस्यूं, जे उणसूं पिछाण लेसी तौ म्हैं आ जासूं अर की दिनां बाद देवी वाल्हा राजपूत रै घरां अवतार लियौ। जद वै दस बरस री उमर रा हुया, तद मल्लिनाथ आपरै सैनिकां रै साथै वाल्हां राजपूत रै गाम कानी जाय निकल्या। घोड़ां रै दाणा-पाणी सारू सैनिक संजोग सूं वाल्हा राजपूत रै इज खलिहान मांय जाय पूगा। उण बगत उठै वा कन्या ई बैठी ही। सैनिक जाय'र उणसूं बोल्या के बाई, थोड़ौक दान दिरावौ तो घोड़ां नै देवां। तद वा कैयौ के थारा ठाकर आय'र पाहुरौ मांडै तौ सगलां रा पाहुरा भर दिया जासी। तद सैनिक जाय'र मल्लिनाथ नै कैयौ के अेक कन्या खलिहान में बैठी है, उणसूं म्हैं धान रै वास्तै कैयौ तौ वा बोली के थांरा ठाकर आय'र पाहूरौ मांडै तो सगलां रा पाहुरा भर दिया जासी, सो आप पधारौ। तद मल्लिनाथ पाहूरौ लेय'र गया। वा सगला पाहुरा भर दिया। तद मल्लिनाथ नै मालूम हुयौ के आ वा इज शक्ति है। मल्लिनाथ उणरै पिता कनै जाय'र कैयौ के आप म्हनै आ कन्या परणावौ। सेवट घमौ हठ कर'र उणसूं ब्याव कर्यौ अर आपरै घरां लेय आया।
बात करै परब्रह्म री, पैंड देय इक नाय।
रूपां कहै रे भाइयां, किण विध स्याम मिलाय।।
सुख में ब्रह्मज्ञानी रहै, दुख में रैवै रोय।
बाई रूपां यूं कहै, भलौ कदैई न होय।।
अै दूहा कैयोड़ा है रूपांदे रा। राणी हुवती थकी ई रूपांदे आपरी भगती रै प्राम जिकौ जस कमायौ, वौ आज पण आथूणै राजस्थान मांय फैल्योड़ौ है।
रूपांदे रै परणीज्यां सूं पैला अेकर उणरै गाम जैसलमेर रावल रा पुत्र ऊगमसी भाटी पैदल आय रैय हा। वै तिरसा हा अर उणां रै साथै कांबड़िया ई हा। जद उणां रूपांदे नै देख'र उण कनै आया अर पूछ्यौ के बाई, पाणी है कांई? रूपांदे कैयौ के है। तद ऊगमसी बोल्या के आवौ साधुवां, पाणी पीवौ। उण बगत रूपांदे कनै जित्तौ ई पाणी हौ वौ सब रौ सब वै पीयग्या। उण बगत रूपांदे रौ मूंडौ उतरग्यौ। बाप-भाई आवैला तौ कांई पीवैला? आ चिंता उणनै सतावण लागी। तद रूपांदे री अंतस तणौ भाव जाण'र ऊगमसी पाणी पी लेवण रै बाद घड़ा माथै हाथ मेल'र बोल्या के हे साहिब! इणनै पूरौ भरदौ। तद घड़ौ भरग्यौ। औ चमत्कार देख'र रूपांदे ऊगमसी रै पगां पड़गी। ऊगमसी कैयौ के बाई, थूं कंवारी है के परणी? तद वा बोली के कंवारी। तद ऊगमसी रूपांदे रै हाथ मांय तांबै रौ अेक कड़ौ डाल दियौ अर कैयौ के आई दूज नै सात घरां सूं मांग'र जिकी भिक्षा मिलै, वा आं कांबड़िया साधुवां में बांट दीजौ। इम तरै कैय'र अर उणरै मस्तक हाथ राख'र ऊगमसी तो धकै रवानै हुयग्या। रूपांदे ज्यूं कैयौ, त्यूं ई करती रैयी। जद वा राणी ई हुयगी तद ई वा दूज रै दिन सात घर सूं भिक्षा मांग'र, उणरौ खीच बणाय'र कांबड़िया में बांटती।

केई दिनां बाद ऊगमसी मेहवै आया। कांबड़िया पण अेकठ हुया। इत्तै में ऊगमसी कांबड़िया सूं पूछ्यौ के अठै वाल्है री बेटी रूपांदे है, वा कठै? तद वै जबाब दियौ के वा तौ मल्लिनाथ री राणी हुयगी है, पण फेर ई वा कांबड़ियां नै घणौ मानै। तद ऊगमसी कैयौ के जाय'र उणनै खबर करौ के ऊगमसी आयौ है। तद अेक कांबड़ियौ जाय'र खबर दीवी अर कैयौ के बाई, ऊगमसी आया है। रूपांदे कैयौ के सिंझ्या रा किणी तरियां आवूंला। रूपांदे री सौतां मल्लिनाथ रा कान भर दिया। कैयौ के आ ढेढां रै अठै जावै अर आभड़ोछोत फैलावै। तद मल्लिनाथ कैयौ के म्हैं खुद देखूंला तौ साच मानूंला। रात हुई जद रूपांदे कांबल अर लोवड़ी लेय'र ऊगमसी रै कनै जाय'र पगां लागी। तद सौतां मल्लिनाथ सूं कैयौ के उठै जाय'र देखौ, वा ढेढां रै अठै गई परी है। त मल्लिनाथ तरवार लेय'र लारै गया। उठै जाय'र देख्यौ के ऊगमसी बैठ्या है। सामी रूपांदे बैठी है अर कांबड़िया गाय रैया है। मल्लिनाथ औ देख'र आपरै अेक चाकर सूं रूपांदे री जूतियां चुरवाय लीवी। इत्तै में अेक कांबड़ियौ कैयौ कै बाई नै अबै रवानै कर देवणौ चाइजै। बाई रौ इण जगै ठैरणौ ज्यादा अच्छौ नीं है। तद थन रै आगै जिकौ चढ़ावौ हौ, वौ थाली मांय लेय'र रूपांदे नै दियौ अर कैयौ के जा बाई, थारौ भलौ हुवै। रूपांदे आगै जाय'र देखै तौ जूतियां नीं। तद सगला कांबड़िया उठ्या। अठी-उठी जोवण लागा, पण जूतियां मिली कोनी। त ऊगमसी कैयौ के साधुवां! साहिब सूं प्रार्थना करौ के हे साहिब, इणी तरै री जूतियां आय जावै। तद वैड़ी री वैड़ी जूतियां आकास सूं आयगी। रूपांदे पैर'र आपरै घर कानी रवानै हुई।

बीच मांय मल्लिनाथ उणरौ मारग रोक दियौ अर आडा फिरता बोल्या कै कुण है? वा जबाब दियौ कके जी, म्हैं तौ आपरी दासी हूं। मल्लिनाथ कैयौ के कठै गई ही? तद रूपांदे बोली के फूलां सारू गई ही। मल्लिनाथ कैयौ के म्हारी स्त्री हुय'र फूलां सारू जावै, आ कैड़़ी बात है? तद रूपांदे बोली के म्हारी सौतां रै चौ चाकर है जिका लेय आवै, पण म्हारै सारू लावण वाला कोई है नीं। औ जबाब सुण'र मल्लिनाथ कैयौ के देखूं तौ फूल। रूपांदे बोली के फूलां रौ कांई देखणौ! पण मल्लिनाथ कपड़ौ आगौ कर लियौ अर थाली लेयली। थाली मांय देखै तौ भांत-भांत रा फू. वै देख'र इचरज में पड़ग्या क्यूं के उण मांय फूल-फल देख'र मल्लिनाथ उणरै चमत्कार सूं प्रभावित हुया। वै रूपांदे रै पगां पड़ग लागा, पण उणां रा हाथ पकड़ लिया। मल्लिनाथ कैवण लागा के रूपांदे! थूं जिण पंथ में है, उण मांय म्हनै ई दीक्षित करा। रूपांदे बोली के राज, औ पंथ घणौ कठण है। मल्लिनाथ कैयौ के म्हैं अनुसरण करूंला। तद वै दोनूं ऊगमसी कनै गया। रूपांदे कैयौ के राज नै ई पंथ मांय दीक्षित करावौ। तद मल्लिनाथ रै हाथां मांय वैड़ौ ई तांबै रौ कड़ौ घाल'र अेक छड़ी दीवी। पछै कैयौ के दूज रै दिन सात घरां सूं अन्न री भिक्षा मांग'र कांबड़ियां नै बांटजौ। इण भांत रावल मल्लिनाथ ई कांबड़िया बणाईज्या। दूजै दिन सुबै मल्लिनाथ उणां नै आपरै घरां लेयग्या। भोजन-प्रसाद कर्यौ। ऊगमसी नै वै अेक महीनौ राखिया अर सगली ई विद्यावां प्राप्त कर'र उणां नै विदा कर्यौ। इण भांत रावल मल्लिनाथ आपरी जोड़ायत रूपांदे रै पाण नवौ पंथ अपणायौ। तिलवाड़ै रै मल्लिनाथ रै मिंदर री तरै मालाजाल में रूपांदे रौ मिंदर है।

शनिवार, 28 जनवरी 2012

कुम्भलगढ़ महोत्सव का रंगारंग आगाज

कुम्भलगढ़ महोत्सव का रंगारंग आगाज

कुंभलगढ़। राजस्थान के अभेद्य दुर्ग "कुम्भलगढ़" में तीन दिवसीय कुम्भलगढ़ महोत्सव का शनिवार को रंगारंग आगाज हुआ। जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में इस महोत्सव की शुरूआत रणभेरी की विशेष धुन और महाराणा कुंभा की शौर्य गाथा के बीच हुई।

उद्घाटन समारोह में राजस्थानी लोक कला की अनुठी प्रस्तुतियों में बाड़मेर की लाल आंगी गेर के अलावा बारां का चकरी नृत्य और जोधपुर की कलाकारों ने कालबेलिया नृत्य प्रस्तुतियां आकष्ाüण का केन्द्र रहीं। इस अवसर पर विशेष खेल प्रतियोगिताओं में देशी-विदेशी सैलानियों की सक्रिय भागीदारी रही।