रविवार, 29 जनवरी 2012

क्रिकेट में भी कम नहीं बाढ़ाणा,तराशे जा रहे हैं खिलाड़ी


क्रिकेट में भी कम नहीं बाढ़ाणा,तराशे जा रहे हैं खिलाड़ी


बाड़मेर जिले में विकास की बयार बहने के साथ-साथ अब खेल प्रतिभाओं को भी उचित मंच मिलने लगा है। सदियों से मूलभूत सुविधाओं को तरसते जिलेवासियों का हुनर परंपरागत खेलों के साथ अब राष्ट्रीय खेलों में भी देखने को मिल रहा है। बात करें क्रिकेट की तो लंबे अर्से बाद बाड़मेर के खिलाडिय़ों ने बेहतरीन प्रदर्शन के बूते राजस्थान में जिले की पहचान बनाई है। हालांकि जिले से अभी भी रणजी के लिए एकमात्र भवेंद्र जाखड़ ही खेल पाए हैं लेकिन अन्य कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बाड़मेर के खिलाड़ी अपना खेल कौशल दिखा रहे हैं। संसाधनों और ट्रेनिंग की कमी के बावजूद बाड़मेर की क्रिकेट टीम ने कॉल्विन शील्ड के एलिट ग्रुप में जगह बनाई है। साथ ही 26 जनवरी को खेले गए महत्वपूर्ण मैच में हनुमानगढ़ जैसी मजबूत टीम को परास्त कर सेमीफाइनल में जगह बनाई। इस प्रतियोगिता में खिलाडिय़ों ने कोटा, अजमेर, भरतपुर और जोधपुर जैसी मजबूत टीमों को पछाड़ कर सीमावर्ती बाड़मेर जिले का नाम रोशन किया है। राज्य की अन्य टीमों में प्रत्येक टीम में तीन-तीन खिलाड़ी प्रोफेशनल क्रिकेटर है लेकिन बाड़मेर की टीम में ऐसा नहीं है। एकमात्र कप्तान भवेंद्र जाखड़ बड़ी प्रतियोगिताओं में खेल चुके है। बाकी पूरी टीम युवा है। टीम के इस प्रदर्शन में कप्तान जाखड़ का भी बड़ा योगदान है। बाड़मेर की जीत पर जाने बाड़मेर की ही प्रतिभाओं से बाड़मेर में क्रिकेट संभावनाओं को। पेश है एक रिपोर्ट...

॥1999 के बाद बाड़मेर 11 साल बाद सेमीफाइनल में पहुंचा है। इससे पहले केवल 1996 और 1997 में तत्कालीन कलेक्टर संजय दीक्षित के नेतृत्व में बाड़मेर कॉल्विन ट्रॉफी जीती थी। अब टीम में सारे नए खिलाड़ी है। हालांकि बड़े खिलाड़ी तो नहीं हैं लेकिन बड़ी पारी जरूर खेल सकते हैं। इसी का परिणाम है कि बाड़मेर सेमीफाइनल में पहुंचा। यही प्रदर्शन जारी रहा तो बाड़मेर एक बार फिर विजेता बनेगा। भवेंद्र जाखड़, कप्तान और पूर्व रणजी खिलाड़ी

॥बाड़मेर में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण खिलाडिय़ों को उचित मंच नहीं मिल पाता। क्रिकेट जैसे महंगे खेल के लिए किट के साथ-साथ रेगुलर ट्रेनिंग भी जरूरी है। तभी आप अपनी स्ट्रेंथ के साथ नई तकनीक से खेल पाएंगे। अभी टीम अच्छी है और उचित मार्गदर्शन भी मिल रहा है। राजेंद्र जांगिड़, बाड़मेर कॉल्विन टीम के सदस्य

॥ क्रिकेट के बढ़ते क्रेज के साथ ही बाड़मेर में भी परिस्थितियां बदल रही है। अब क्रिकेट की प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए जिला क्रिकेट एसोसिएशन की ओर से नियमित प्रतियोगिताओं के साथ कैंप आयोजित हो रहे है। पहले शहर के खिलाड़ी ही बड़ी प्रतियोगिताओं में भाग ले पाते थे। अब सभी क्रिकेटर, कैंप में अपनी प्रतिभा दिखाते हैं और उसी के अनुरूप सलेक्शन भी हो रहा है।
जितेंद्रसिंह, अंडर 15 व 19 के राष्ट्रीय खिलाड़ी


॥अगर बात करें दस साल पहले की तो बाड़मेर की टीम पहले ही राउंड में हार जाती थी। यहां लोकल टूर्नामेंट की भी बहुत कम होते थे। अब समय बदल गया है। जिला मुख्यालय पर लगातार प्रतियोगिताएं हो रही है। इसके अलावा बालोतरा, सिवाना सहित सीमावर्ती गांवों में भी कॉर्क और लेदर बॉल से प्रतियोगिता आयोजित हो रही है, जो क्रिकेट के लिहाज से अच्छा संकेत है।
बाबूलाल जाखड़, आरसीए स्कोरर

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