गुरुवार, 30 जून 2011

ॐ सांई राम……… … साईबाबा की दिव्यशक्ति से महातीर्थ बनी शिरडी~~~ ……


ॐ सांई राम………
… साईबाबा की दिव्यशक्ति से महातीर्थ बनी शिरडी~~~


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शिरडी के साईबाबा आज असंख्य लोगों के आराध्यदेव बन चुके है। उनकी कीर्ति दिन दोगुनी-रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। यद्यपि बाबा के द्वारा नश्वर शरीर को त्यागे हुए अनेक वर्ष बीत चुके है, परंतु वे अपने भक्तों का मार्गदर्शन करने के लिए आज भी सूक्ष्म रूप से विद्यमान है। शिरडी में बाबा की समाधि से भक्तों को अपनी शंका और समस्या का समाधान मिलता है। बाबा की दिव्य शक्ति के प्रताप से शिरडी अब महातीर्थ बन गई है। 

कहा जाता है कि सन् 1854 ई.में पहली बार बाबा जब शिरडी में देखे गए, तब वे लगभग सोलह वर्ष के थे। शिरडी के नाना चोपदार की वृद्ध माता ने उनका वर्णन इस प्रकार किया है- एक तरुण, स्वस्थ, फुर्तीला तथा अति सुंदर बालक सर्वप्रथम नीम के वृक्ष के नीचे समाधि में लीन दिखाई पड़ा। उसे सर्दी-गर्मी की जरा भी चिंता नहीं थी। इतनी कम उम्र में उस बालयोगी को अति कठिन तपस्या करते देखकर लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। दिन में वह साधक किसी से भेंट नहीं करता था और रात में निर्भय होकर एकांत में घूमता था। गांव के लोग जिज्ञासावश उससे पूछते थे कि वह कौन है और उसका कहां से आगमन हुआ है? उस नवयुवक के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर लोग उसकी तरफ सहज ही आकर्षित हो जाते थे। वह सदा नीम के पेड़ के नीचे बैठा रहता था और किसी के भी घर नहीं जाता था। यद्यपि वह देखने में नवयुवक लगता था तथापि उसका आचरण महात्माओं के सदृश था। वह त्याग और वैराग्य का साक्षात् मूर्तिमान स्वरूप था। 

कुछ समय शिरडी में रहकर वह तरुण योगी किसी से कुछ कहे बिना वहां से चला गया। कई वर्ष बाद चांद पाटिल की बारात के साथ वह योगी पुन: शिरडी पहुंचा। खंडोबा के मंदिर के पुजारी म्हालसापति ने उस फकीर का जब 'आओ साई' कहकर स्वागत किया, तब से उनका नाम 'साईबाबा' पड़ गया। शादी हो जाने के बाद वे चांद पाटिल की बारात के साथ वापस नहीं लौटे और सदा-सदा के लिए शिरडी में बस गये। वे कौन थे? उनका जन्म कहां हुआ था? उनके माता-पिता का नाम क्या था? ये सब प्रश्न अनुत्तरित ही है। बाबा ने अपना परिचय कभी दिया नहीं। अपने चमत्कारों से उनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैल गई और वे कहलाने लगे 'शिरडी के साईबाबा'। 

साईबाबा ने अनगिनत लोगों के कष्टों का निवारण किया। जो भी उनके पास आया, वह कभी निराश होकर नहीं लौटा। वे सबके प्रति समभाव रखते थे। उनके यहां अमीर-गरीब, ऊंच-नीच, जाति-पाति, धर्म-मजहब का कोई भेदभाव नहीं था। समाज के सभी वर्ग के लोग उनके पास आते थे। बाबा ने एक हिंदू द्वारा बनवाई गई पुरानी मसजिद को अपना ठिकाना बनाया और उसको नाम दिया 'द्वारकामाई'। बाबा नित्य भिक्षा लेने जाते थे और बड़ी सादगी के साथ रहते थे। भक्तों को उनमें सब देवताओं के दर्शन होते थे। कुछ दुष्ट लोग बाबा की ख्याति के कारण उनसे ईष्र्या-द्वेष रखते थे और उन्होंने कई षड्यंत्र भी रचे। बाबा सत्य, प्रेम, दया, करुणा की प्रतिमूर्ति थे। साईबाबा के बारे में अधिकांश जानकारी श्रीगोविंदराव रघुनाथ दाभोलकर द्वारा लिखित 'श्री साई सच्चरित्र' से मिलती है। मराठी में लिखित इस मूल ग्रंथ का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। साईनाथ के भक्त इस ग्रंथ का पाठ अनुष्ठान के रूप में करके मनोवांछित फल प्राप्त करते है। 

साईबाबा के निर्वाण के कुछ समय पूर्व एक विशेष शकुन हुआ, जो उनके महासमाधि लेने की पूर्व सूचना थी। साईबाबा के पास एक ईट थी, जिसे वे हमेशा अपने साथ रखते थे। बाबा उस पर हाथ टिकाकर बैठते थे और रात में सोते समय उस ईट को तकिये की तरह अपने सिर के नीचे रखते थे। सन् 1918 ई.के सितंबर माह में दशहरे से कुछ दिन पूर्व मसजिद की सफाई करते समय एक भक्त के हाथ से गिरकर वह ईट टूट गई। द्वारकामाई में उपस्थित भक्तगण स्तब्ध रह गए। साईबाबा ने भिक्षा से लौटकर जब उस टूटी हुई ईट को देखा तो वे मुस्कुराकर बोले- 'यह ईट मेरी जीवनसंगिनी थी। अब यह टूट गई है तो समझ लो कि मेरा समय भी पूरा हो गया।' बाबा तब से अपनी महासमाधि की तैयारी करने लगे। 

नागपुर के प्रसिद्ध धनी बाबू साहिब बूटी साईबाबा के बड़े भक्त थे। उनके मन में बाबा के आराम से निवास करने हेतु शिरडी में एक अच्छा भवन बनाने की इच्छा उत्पन्न हुई। बाबा ने बूटी साहिब को स्वप्न में एक मंदिर सहित वाड़ा बनाने का आदेश दिया तो उन्होंने तत्काल उसे बनवाना शुरू कर दिया। मंदिर में द्वारकाधीश श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करने की योजना थी। 

15 अक्टूबर सन् 1918 ई. को विजयादशमी महापर्व के दिन जब बाबा ने सीमोल्लंघन करने की घोषणा की तब भी लोग समझ नहीं पाए कि वे अपने महाप्रयाण का संकेत कर रहे है। महासमाधि के पूर्व साईबाबा ने अपनी अनन्य भक्त श्रीमती लक्ष्मीबाई शिंदे को आशीर्वाद के साथ 9 सिक्के देने के पश्चात कहा- 'मुझे मसजिद में अब अच्छा नहीं लगता है, इसलिए तुम लोग मुझे बूटी के पत्थर वाड़े में ले चलो, जहां मैं आगे सुखपूर्वक रहूंगा।' बाबा ने महानिर्वाण से पूर्व अपने अनन्य भक्त शामा से भी कहा था- 'मैं द्वारकामाई और चावड़ी में रहते-रहते उकता गया हूं। मैं बूटी के वाड़े में जाऊंगा जहां ऊंचे लोग मेरी देखभाल करेगे।' विक्रम संवत् 1975 की विजयादशमी के दिन अपराह्न 2.30 बजे साईबाबा ने महासमाधि ले ली और तब बूटी साहिब द्वारा बनवाया गया वाड़ा (भवन) बन गया उनका समाधि-स्थल। मुरलीधर श्रीकृष्ण के विग्रह की जगह कालांतर में साईबाबा की मूर्ति स्थापित हुई। 

महासमाधि लेने से पूर्व साईबाबा ने अपने भक्तों को यह आश्वासन दिया था कि पंचतत्वों से निर्मित उनका शरीर जब इस धरती पर नहीं रहेगा, तब उनकी समाधि भक्तों को संरक्षण प्रदान करेगी। आज तक सभी भक्तजन बाबा के इस कथन की सत्यता का निरंतर अनुभव करते चले आ रहे है। साईबाबा ने प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अपने भक्तों को सदा अपनी उपस्थिति का बोध कराया है। उनकी समाधि अत्यन्त जागृत शक्ति-स्थल है। 

साईबाबा सदा यह कहते थे- 'सबका मालिक एक'। उन्होंने साम्प्रदायिक सद्भावना का संदेश देकर सबको प्रेम के साथ मिल-जुल कर रहने को कहा। बाबा ने अपने भक्तों को श्रद्धा और सबूरी (संयम) का पाठ सिखाया। जो भी उनकी शरण में गया उसको उन्होंने अवश्य अपनाया। विजयादशमी उनकी पुण्यतिथि बनकर हमें अपनी बुराइयों (दुर्गुणों) पर विजय पाने के लिए प्रेरित करती है। नित्यलीलालीन साईबाबा आज भी सद्गुरु के रूप में भक्तों को सही राह दिखाते है और उनके कष्टों को दूर करते है। साईनाथ के उपदेशों में संसार के सी धर्मो का सार है। अध्यात्म की ऐसी महान विभूति के बारे में जितना भी लिखा जाए, कम ही होगा। उनकी यश-पताका आज चारों तरफ फहरा रही है। बाबा का 'साई' नाम मुक्ति का महामंत्र बन गया है और शिरडी महातीर्थ~~


बुधवार, 29 जून 2011

सात आतंककारियों के मामले में फैसला 11 को

सात आतंककारियों के मामले में फैसला 11 को 
 

जोधपुर। जम्मू कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ करते हुए पकडे गए 11 आतंककारियों में से सात अफगानिस्तान नागरिकों के मामले में फैसला आगामी 11 जुलाई को सुनाया जाएगा। अनुसूचित जाति एवं जनजाति मामलात की विशिष्टि न्यायालय के न्यायाधीश अनूप कुमार सक्सेना ने बुधवार को सुरक्षा दृष्टि को ध्यान में रखते हुए इन आतंककारियों की सुनवाई केन्द्रीय कारागृह परिसर में बनी अदालत में की।

सात आतंककारियों के मामले की अंतिम बहस पूरी हो जाने पर अदालत ने फैसला 11 जुलाई तक सुरक्षित रख लिया। अदालत ने पाकिस्तानी आतंककारियों के मामले में करीब एक दर्जन गवाहों को बार-.बार तलब करने पर भी न्यायालय नहीं आने पर सभी को जमानती वारंट से तलब करने के आदेश दिए हैं।

इनके मामले में सुनवाई की अगली तारीख 26 जुलाई तय की गई है। उ“तम न्यायालय के आदेश से एक अफगानिस्तान नागरिक को पहले ही रिहा किया जा चुका है और सात के संबंध में 11 जुलाई को निर्णय सुनाया जाएगा। इसके अलावा चार आतंकी पाकिस्तान एवं पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर के हैं और इनकी सुनवाई न्यायालय में लंबित है। 

दुनिया ने माना बापू के सत्याग्रह का लोहा

दुनिया ने माना बापू के सत्याग्रह का लोहा 
 

न्यूयॉर्क। एक तरफ भारत सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शनों को कुचलने में लगी है वहीं आजादी की लड़ाई के दौरान महात्मा गांधी की ओर से चलाए गए नमक सत्याग्रह को दुनिया सलाम कर रही है। मशहूर पत्रिका टाइम ने बापू के नमक सत्याग्रह को दुनिया को बदलने वाले 10 प्रभावी आंदोलनों की सूची में दूसरे स्थान पर रखा है।

मार्च 1930 में बापू ने अहमदाबाद के नजदीक साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिन का मार्च निकाला था। बापू के इस मार्च से लाखों लोग जुड़ गए थे। बापू ने यह मार्च नमक पर ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ निकाला था। टाइम मैगजीन ने लिखा है कि ब्रिटिश राज चाय, कपड़ा और नमक पर एकाधिकार करने में लगी थी। औपनेविशक हुकूमत के तहत भारतीय न तो नमक का उत्पादन कर सकते थे और न ही बेच सकते थे। भारतीयों को ब्रिटेन में बना नमक ऊंचे दामों पर खरीदना पड़ता था। इसके खिलाफ बापू ने दांडी मार्च निकाला। 

लड़की की हत्या कर मांस नोचकर खाया और पी डाला खून



फ्रैंकफर्ट. एक 26 वर्षीय युवक को दो किशोरों की हत्या करने, उनके शरीर के अंगों को चबाने और उनका खून पीने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई है.
जन ओ नामक इस व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है जिससे कि यह फिर कभी खुला न घूम सके. कोर्ट ने उसे मनोवैज्ञानिक की देख-रेख में रखने का आदेश दिया है.

इस व्यक्ति ने कोर्ट में स्वीकार किया कि उसने 14 साल की एक लड़की की गला दबाकर हत्या की थी, उसके गले के मांस को नोच कर खाया था और उसका खून भी पीया था. घटना के ठीक तीन दिन बाद उसने एक 13 साल के लड़के की भी हत्या कर दी. उसने कहा चूँकि उसके बाल लबे थे इसलिए उसे लगा कि वह भी लड़की है. इसी भ्रम में उसने उसकी हत्या कर दी.

 
कोर्ट ने कहा कि यह अपने आप में बेहद जघन्य और असामान्य मामला है और यह व्यक्ति समाज ले लिए खतरा है. ऐसे में इसे फिर से समाज में जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

दूध पिलाने वाली महिला




वाशिंगटन. यहाँ एक महिला को बेहद अजीब अपराध के लिए गिरफ्तार किया गया है. इस महिला को पुलिसवालों पर ब्रेस्ट मिल्क फेकने के आरोप में पकड़ा गया है.

30 वर्षीय स्टेफनी रोबिनेटी पर घरेलू हिंसा, मारपीट, अपमानजनक व्यवहार और पुलिस के साथ बदसलूकी करने का भी आरोप है. डेलावेयर काउंटी कोर्ट में पुलिस ने बताया कि यह महिला एक पार्टी में गई हुई थी जहाँ इसने एक व्यक्ति के साथ अभद्रता की. जब उसने विरोध किया तो रोबिनेटी ने उसे भला-बुरा कहना शुरू कर दिया. मामला बिगड़ता देख उस व्यक्ति ने पुलिस को सूचित किया.

पुलिस में आने पर उसका व्यवहार और भी बिगड़ गया. उसने धमकी दी कि वह दूध पिलाने वाली महिला है और इतना कहते ही उसने अपना दाहिना ब्रेस्ट निकाला और पुलिस वालों पर दूध छिड़कने लगी. मामला बिगड़ता देख पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

जिसने भी यह मातृप्रेम देखा, उसकी आंखें भर आईं




वढवाण। गुजरात में सुरेंद्रनगर जिले के वढवाण शहर में एक बंदर के बच्चे को बीते रविवार को कुत्तों ने मार दिया। इसी बात से गुस्साए बंदरों के झुंड ने पूरे इलाके में जमकर उत्पात मचा दिया और सैकड़ों बंदर सड़क पर उतर आए, जिससे इलाके में घंटों जाम की स्थिति बनी रही। इसके साथ ही बच्चे की मां उसे दो दिनों से सीने से लगाए घूम रही है। इस घटना की शहर भर में चर्चा है और जिसने भी यह मातृप्रेम देखा, उसकी आंखें भर आईं।

वढवाण शहर में दीवान साहब की दहली क्षेत्र में रविवार को छत पर से खेलते-खेलते यह बंदर का बच्चा नीचे गिर गया और इसी बीच वहां उपस्थित कुत्तों के झुंड ने उस पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया।

कुछ ही देर में बंदरों का झुंड भी यहां आ गया और उसने यह दृश्य देखकर उत्पात मचा दिया। बताया जाता है कि बच्चे की मौत से सारे बंदर इतने गुस्से में आ गए कि वे घंटों तक सड़क से हटे ही नहीं और इलाके में जाम की स्थिति बन गई।

इसी बीच मृत बच्चे की मां उसे सीने से लगाकर एक मकान की छत पर चढ़ गई। लोग बताते हैं कि वह पूरे समय बच्चे को सीने से लगाए रखती है और जहां भी जाती है बच्चे को साथ लेकर जाती है और अब वह बच्चे को अपने से अलग नहीं होने देना चाहती। बताते हैं कि शहर में जिसने भी यह दृश्य देखा, वह दुखी हुए बिना नहीं रह सका।

इलाके के लोग बताते हैं कि बच्चे की मौत के बाद से ही मां भूखी-प्यासी घूम रही है। उसे खाने की कई चीजें दी गईं लेकिन उसने कुछ भी नहीं खाया, बस हर थोड़ी-थोड़ी देर में वह अपने मृत बच्चे को निहारती रहती है।

प्रेमी संग मिलकर की बहन की हत्या

टीकमगढ़ ।। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में प्रेमी के साथ संदिग्धावस्था में पकड़ी गई एक युवती ने अपनी बहन की हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी युवती और उसके प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस के अनुसार ओरछा थाने की राजघाट कॉलोनी में रहने वाली अमृता नाम की किशोरी की 27-28 जून की मध्यरात्रि में हत्या कर दी गई थी। पुलिस को संदिग्ध हालात में हुई इस हत्या का शक परिवार के ही किसी सदस्य पर था।

ओरछा थाने के प्रभारी संजीव नयन शर्मा के मुताबिक पुलिस को पूछताछ करने पर पता चला कि अमृता की हत्या उसकी विवाहित बहन अर्चना ने की है। अर्चना ने पुलिस को दिए बयान में बताया है कि अमृता ने उसे (अर्चना) प्रेमी प्रदीप के साथ संदिग्ध हालत में देख लिया था और वह परिजनों से इसकी शिकायत करने की बात कह रही थी। इसी के चलते उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर सोते समय अमृता के सिर पर हथौड़ा मारकर उसकी हत्या कर दी। ओरछा पुलिस ने दोनों आरोपियों अर्चना व उसके प्रेमी प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया है।

अब आपकी चव्वनी नहीं चलेगी

अब आपकी चव्वनी नहीं चलेगी 


मुम्बई। गुरुवार यानी 30 जून के बाद बाजार में 25 पैसे का सिक्का 'चवन्नी' नहीं दिखेगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक-दो महीने पहले एक वक्तव्य जारी कर लोगों को सूचना दी थी कि 30 जून के बाद 25 पैसे और उससे कम मूल्य के सिक्कों का बाजार में प्रचलन कानूनी रूप से प्रतिबंधित होगा।
आरबीआई ने एक वक्तव्य में कहा है कि 30 जून के बाद 25 पैसे और उससे कम मूल्य के सिक्के वैध निविदा नहीं रहेंगे। एक जुलाई 2011 और इसके बाद से बैंकों में इन्हें देकर इनके स्थान पर अधिक मूल्य के सिक्के नहीं लिए जा सकेंगे। केंद्र सरकार ने सिक्का अधिनियम, 1906 की धारा 15ए का इस्तेमाल करते हुए 25 पैसे और उससे कम मूल्य के सिक्कों को बाजार से वापस लेने का निर्णय लिया है।
लंबे समय पहले ही सरकार ने 25 पैसे से कम मूल्य के सिक्कों को बाजार से वापस ले लिया था। इसकी वजह यह थी कि उनकी ढलाई में उन पर अंकित मूल्य से कहीं अधिक का खर्चा आता था। वैसे चवन्नी के इतने बुरे दिन कभी नहीं आए। बल्कि एक जमाने में तो जब चार आने हुआ करते थे तब चवन्नी की बाजार में बड़ी ताकत होती थी।
देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की तो सदस्यता भी मिल जाया करती थी। चवन्नी पर एक जमाने में अंग्रेजी हुकूमत की छाप हुआ करती थी। चवन्नी चांदी से बनती थी। अंग्रेजों के जाने के बाद भी बरसों तक ये छाप बनी रही। 1957 में 'इंडियन क्वाइंज एक्ट-1906' में बदलाव के बाद चवन्नी का देसीकरण हुआ। 25 पैसे के सिक्के ने चार आने की जगह ले ली। 1982 में एशियाड गेम्स हुए तो चवन्नी को उसका प्रतीक भी बनाया गया।

दारा सिंह के पोते पर रेप का आरोप,गिरफ्तार

दारा सिंह के पोते पर रेप का आरोप,गिरफ्तार 
 

मेरठ। मशहूर पहलवान रहे फिल्म अभिनेता दारा सिंह के पौत्र विजय सिंह रंधावा और उसके साथियों को उत्तर प्रदेश के मेरठ के एक होटल में मंगलवार रात एक युवती से दुष्कर्म का प्रयास करने के आरोप में गिरफतार किया गया। पुलिस के अनुसार होटल क्रिस्टल पैलेस के बेसमेंट में रात को सेना के एक मेजर की बेटी का विवाह समारोह था।

होटल में विजय और उसके तीन साथी शराब पी रहे थे। इस बीच मेजर की एक भांजी बाथरूम में गई तो उसके पीछे-पीछे विजय और उसके साथी भी चले गए। उन्होंने युवती को बाथरूम में दबोच कर बाथरूम की कुंडी बंद कर दी और दुष्कर्म का प्रयास किया जिसके बाद युवती ने शोर मचा दिया। पुलिस ने बताया कि शोर सुनकर बारात में आये लोगों ने किसी तरह बाथरूम का गेट खुलवाकर युवती को बाहर निकाला और तीनों युवकों की जमकर पिटाई भी की।बाद में पुलिस को बुलाकर तीनों को उसके हवाले कर दिया गया। 

मैं लोकपाल के दायरे में आने को तैयार: मनमोहन

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नई दिल्ली।। मनमोहन सिंह ने खुद को कमजोर प्रधानमंत्री करार दिए जाने को विपक्ष का चालाकी भरा दुष्प्रचार करार दिया है। प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे इसमें कोई एतराज नहीं है, लेकिन मंत्रिमंडल में मतभेद हैं। हालांकि जजों को लोकपाल के दायरे में लाए जाने के सवाल पर उन्होंने साफ-साफ कहा कि ऐसा करना संविधान की मूल भावना के खिलाफ होगा।

प्रिंट मीडिया के कुछ चुनिंदा संपादकों के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ब्लैक मनी, टैक्स चोरी और भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सभी संभव उपाय करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन यह सब एक बार में ही नहीं हो सकता। उन्होंने रामदेव के समर्थकों पर रामलीला मैदान में हुई पुलिस कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण बताया लेकिन कहा कि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था।

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के ऑफिस में जासूसी पर किए गए सवाल के जवाब में मनमोहन ने कहा कि उन्होंने ऑफिस में संदिग्ध जासूसी की शिकायत की थी और मैंने इंटेलिजेंस ब्यूरो को जांच के आदेश दे दिए थे। अब यह अध्याय बंद हो चुका है।

उन्होंने कहा, हमें एक मजबूत लोकपाल की जरूरत है, लेकिन यह रामबाण नहीं है। हमने लोकपाल के मामले में एक रास्ता ढूंढ निकाला है और आम सहमति बनाने का प्रयास करेंगे। मुझे अपने आप को लोकपाल विधेयक के दायरे में लाने में कोई हिचक नहीं है लेकिन मेरे मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य महसूस करते हैं कि प्रधानमंत्री के पद को लोकपाल के दायरे में लाने से अस्थिरता पैदा होगी। हालांकि प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाने को तैयार मनमोहन सिंह जजों के सवाल पर अड़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में नहीं लाया जा सकता। इससे बहुत सारी जटिलताएं पैदा हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि यह संविधान की भावना के खिलाफ होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सिविल सोसायटी के लोगों से बात करेगी लेकिन कोई भी समूह इस बात पर जोर नहीं दे सकता कि उनके विचार अंतिम हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल में फेरबदल पर चर्चा जारी है लेकिन उन्होंने इस बात का खुलासा करने से इंकार कर दिया यह कब तक होगा।

उन्होंने मीडिया की आलोचना करते हुए कहा कि यह आरोप लगाने वाला, अभियोजक और जज' बन गया है। मनमोहन ने यह भी कहा कि मुझे सोनिया गांधी से भरपूर सहयोग मिला, वह कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में बेहतरीन ढंगसे काम कर रही है।

पितृदोष मिटाने का मुआवजा 11 लाख देकर भरा

पितृदोष मिटाने का मुआवजा 11 लाख देकर भरा 
 

जयपुर। दो ठगों ने एक ज्वेलर को पितृ दोष्ा का भय दिखाकर करीब 11 लाख रूपए ठग लिए और चलते बने। दोनों के जाने के बाद जब ज्वेलर ने घर संभाला तो पूरा माजरा समझ में आया। मामला मोती डूंगरी थाना इलाके का है। पुलिस के अनुसार भाभा मार्ग मोती डूंगरी इलाके में रहने वाले रामगोपाल की जौहरी बाजार में ज्वेलरी की दुकान है।

रामगोपाल को उसके किसी परिचित ने घर में पितृदोष्ा होने की जानकारी दी। बाद में उसने ही जानकार दो पंडितों को पूजा करने के लिए घर बुलाया। दोनों पंडितों ने रामगोपाल को उनके पुरखों के नाम से खूब डराया-धमकाया। दोनों ने रामगोपाल को बताया कि घर के पुरखे नाराज है, इसी कारण घर में बरकत नहीं
है। पैसा आता तो है लेकिन रूकता नहीं है।

पंडितों की बातें सुनकर रामगोपाल बुरी तरह से डर गया। बाद में उसने दोनों पंडितों को पूजा कराने के लिए कहा। पूजा कराने के लिए पंडितों ने करीब पंद्रह लाख रूपए का खर्चा बताया।

रामगोपाल ने पंडितों के बताए अनुसार तैयारी की और पीएनबी बैंक में अपने खाते से ग्यारह लाख रूपए निकाले और घर लाकर पूजा शुरू की। सोमवार दोपहर दोनों पंडित पूजा के दौरान ही नजर बजाकर आलमारी के पास पहुंचे और अलमारी में रखे 11 लाख रूपए निकाल कर चलते बने। रामगोपाल ने देवीलाल और फूलचंद्र के खिलाफ दर्ज कराया है। 

पच्चीस दिन में बुना गया हत्या का ताना-बाना

पच्चीस दिन में बुना गया हत्या का ताना-बाना 
 

जयपुर। प्रेमियों के साथ रोज की मुलाकात में बाधा बने अपने माता-पिता को ठिकाने के लगाने के लिए दोनों युवतियों और उनके प्रेमियों ने करीब 25 दिन पहले ही प्लान बना लिया था। दिल्ली में ठेकेदारी करने वाले पिता का यह तय करना कि बेटियों को विदा करने के बाद ही वह दोबारा दिल्ली जाएगा, इतना नागवार लगा कि दोनों ने प्रेमियों से मिल 17 जून की रात माता-पिता को निर्ममता से मौत के घाट उतार दिया।

कोटपूतली थाना पुलिस ने मंगलवार को करवास दंपती हत्याकांड का पर्दाफाश करते हुए करवास गांव निवासी भावना, उसकी छोटी बहन पपीता सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया है। सातों अभियुक्तों से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विनीत बंसल की अगुवाई में गठित टीम पूछताछ कर रही है। 

दिल्ली से आते ही पाबंदी लगा दी थी: सूत्रों ने बताया कि करवास गांव निवासी पप्पूराम जाट को अपने पत्नी से बेटियों के गलत रास्ते पर जाने की जानकारी मिली तो वह 25 दिन पहले दिल्ली से गांव लौट आए। घर आते ही उसने भावना और पपीता को उनके प्रेमप्रसंग के मामले को लेकर जमकर डांटा था और दोनों बेटियों के घर से निकलने पर पाबंदी भी लगा दी थी। भावना और पपीता ने अपने प्रेमियों के साथ मिलकर मां-बाप को ही ठिकाने लगाने का प्लान बना डाला।

एक सप्ताह पहले दिल्ली से आया था ऑफर: पुलिस ने बताया कि घटना के करीब एक सप्ताह पहले पप्पू राम को दिल्ली में ठेकेदारी का एक और काम मिला था लेकिन बेटियों की करतूत पूरे गांव में फैल जाने के कारण पप्पू ने उनकी शादी करने के बाद ही दिल्ली जाने की ठान ली और उसने विराठ नगर में अपनी बेटियों सगाई भी कर दी थी। पिता यही फैसला बेटियों को इतना अखर गया कि दोनों ने माता-पिता की हत्या करने मेें संकोच नहीं किया। 

बाबा और अन्ना भाजपा के मुखौटे

अन्ना, बाबा और भाजपा निशाने पर  बाबा और अन्ना भाजपा के मुखौटे
 




जयपुर। कांग्रेस की जनजागरण रैली में पार्टी नेताओं ने जहां केन्द्र की यूपीए सरकार व प्रदेश सरकार की नीतियों की जमकर तारीफ की वहीं सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे, योग गुरू बाबा रामदेव पर जमकर निशाना साधा। रैली में कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि बाबा और अन्ना भाजपा के मुखौटे हैं। काले धन, महंगाई समेत तमाम मुद्दों पर विपक्ष के आरोपों को सिरे से नकारते हुए कांग्रेसी नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार की सफलता विपक्ष को पच नहीं रही है इसलिए वह तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है।

रैली को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, केन्द्रीय मंत्री सीपी जोशी, केन्द्रीय मंत्री सचिन पायलट, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ चन्द्रभान सहित कई अन्य नेताओं ने संबोधित किया। प्रदेश कांग्रेस प्रभारी मूकुल वासनिक और प्रभारी सचिव विवेक बंसल और दिल्ली से आए शकील अहमद ने भी रैली को संबोधित किया। इस अवसर पर लोकसभा में उपनेता शीशराम ओला, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बी डी कल्ला, डॉ. गिरिजा व्यास तथा कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। रैली में करीब प्रदेश भर से 15 हजार लोग शामिल हुए।

कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि भाजपा नेताओं के पास कोई मुददा नहीं है इसलिए वे बाबा और अन्ना जैसे लोगों का सहारा लेकर यूपीए सरकार को बदनाम करने की कोशिशों में लगे रहते हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से भाजपा के दुष्प्रचार का मुंहतोड़ जवाब देने का आह्वान किया। कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि भाजपा जब सत्ता में रहती है तो अपने भ्रष्ट मंत्रियों, नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती तथा जब बाहर आती है तो उसे भ्रष्टाचार याद आता है। केन्द्र सरकार कालेधन को वापस लाना चाहती है लेकिन प्रधानमंत्री उसे जादू की तरह नहीं ला सकते।

केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री डा. सी पी जोशी ने कहा कि भाजपा ने राममंदिर, धारा 370 जैसे मुद्दे उठाए लेकिन उनसे देश नहीं चलता। देश चलाने के लिए नीति बनानी पड़ती है तथा कांग्रेस नीतियों के बल पर ही इस देश को खड़ा करना चाहती है। राज्य सरकार ने कर कम करके लोगों की कमर पर महंगाई का बोझ उतारने का प्रयास किया हैं। केन्द्रीय मंत्री एवं कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने अन्ना हजारे के आंदोलन के पीछे भाजपा को बताते हुए चेतावनी दी कि प्रधानमंत्री या कांग्रेस नेताओं के खिलाफ गलतबयानी करने वालों बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अन्ना हजारे जो कहेंगे वह ही सच होगा और दूसरा कहे वह गलत होगा। ऎसा नहीं चलने देंगे। 

दहेज देने वालों पर जुर्म दर्ज

दहेज देने वालों पर जुर्म दर्ज 
 

भिलाई। दहेज लेने के आरोप में वर पक्ष पर आए दिन एफआईआर होती रहती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में दहेज देने के आरोप में वधू पक्ष पर मुकदमा कायम किया गया है। दुर्ग कोर्ट के आदेश पर छावनी पुलिस ने वधू संगीता गुप्ता और उनके माता-पिता के खिलाफ दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है। राज्य में अपनी तरह का यह पहला मामला है।
खुर्सीपार निवासी संगीता ने पति देवेन्द्र गुप्ता और उनके परिजनों के खिलाफ छावनी थाना में 18 मार्च 2009 को दहेज प्रताड़ना की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद मामला कोर्ट में भेज दिया। इसी दौरान देवेन्द्र ने अधिवक्ता सरोज सिंह के माध्यम से कोर्ट में वधू पक्ष के खिलाफ परिवाद प्रस्तुत कर दहेज प्रतिषेध अधिनियम धारा 3 के तहत मामला दर्ज करने की अपील की।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने परिवाद को सुनने के बाद छावनी थाने में वधू पक्ष पर मामला दर्ज करने के आदेश दिया। कोर्ट के आदेश पर 13 जून को छावनी थाने में संगीता गुप्ता, पिता महेश्वर प्रसाद एवं कौलेश्वरी देवी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।

छत्तीसगढ़ में पहला मामला


अधिवक्ता सरोज सिंह ने बताया कि दहेज देने के मामले में यह राज्य में पहला मामला है। दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 498 ए की धारा 4 का दुरूपयोग धड़ल्ले से हो रहा है। छोटे-छोटे मामले में महिलाएं ससुराल वालों पर झूठे आरोप लगा रही हैं। इस तरह न्यायालय से वधू पक्ष पर मामला दर्ज करने के आदेश के बाद लोगों की न्यायालय के प्रति आस्था बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि इससे पहले सूचना के अधिकार के तहत राज्य के सभी थानों से जानकारी इकटा की थी कि धारा 3 के तहत कितने मामले दर्ज किए गए है, लेकिन एक भी मामला सामने नहीं आया।

99 फीसदी दोषमुक्त
दुर्ग जिले में वर्ष 2000 से 2009 तक दहेज लेने के आरोप में वर पक्ष पर 1061 मामले दर्ज हुए। इनमें से 201 प्रकरण में उन्हें दोषमुक्त पाया गया। सिर्फ 17 मामलों में सजा हुई, जबकि 843 मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं। अगर दोषमुक्त परिवार और सजायाफ्ता परिवार के अनुपात को देखें तो 99.2 प्रतिशत मामले फर्जी थे।

यूथ हॉस्टल एसोसिएशन ऑफ यूनिट राठौड़ को उपाध्यक्ष बनाया

भीलवाड़ा में मंगलवार को यूथ हॉस्टल एसोसिएशन ऑफ यूनिट के चुनाव संपन्न हुए। इसमें आजाद सिंह राठौड़ को उपाध्यक्ष बनाया गया। बाड़मेर यूनिट के चेयरमैन आजाद सिंह के निर्विरोध उपाध्यक्ष निर्वाचित होने पर यूनिट के सचिव देवाराम चौधरी, कोषाध्यक्ष लालसिंह व उपाध्यक्ष गेमर सिंह, किसन सिंह, अनुप सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया। वाईएचएआई राज्य का स्थापना दिवस 26 अगस्त को मनाया जाएगा इसमें डेजर्ट -ट्रेकिंग, गोवा ट्रेकिंग, हिमालयन ट्रेकिंग व फैमिली कैंपिंग के बारे में चर्चा की जाएगी।