बुधवार, 29 जून 2011

अब आपकी चव्वनी नहीं चलेगी

अब आपकी चव्वनी नहीं चलेगी 


मुम्बई। गुरुवार यानी 30 जून के बाद बाजार में 25 पैसे का सिक्का 'चवन्नी' नहीं दिखेगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक-दो महीने पहले एक वक्तव्य जारी कर लोगों को सूचना दी थी कि 30 जून के बाद 25 पैसे और उससे कम मूल्य के सिक्कों का बाजार में प्रचलन कानूनी रूप से प्रतिबंधित होगा।
आरबीआई ने एक वक्तव्य में कहा है कि 30 जून के बाद 25 पैसे और उससे कम मूल्य के सिक्के वैध निविदा नहीं रहेंगे। एक जुलाई 2011 और इसके बाद से बैंकों में इन्हें देकर इनके स्थान पर अधिक मूल्य के सिक्के नहीं लिए जा सकेंगे। केंद्र सरकार ने सिक्का अधिनियम, 1906 की धारा 15ए का इस्तेमाल करते हुए 25 पैसे और उससे कम मूल्य के सिक्कों को बाजार से वापस लेने का निर्णय लिया है।
लंबे समय पहले ही सरकार ने 25 पैसे से कम मूल्य के सिक्कों को बाजार से वापस ले लिया था। इसकी वजह यह थी कि उनकी ढलाई में उन पर अंकित मूल्य से कहीं अधिक का खर्चा आता था। वैसे चवन्नी के इतने बुरे दिन कभी नहीं आए। बल्कि एक जमाने में तो जब चार आने हुआ करते थे तब चवन्नी की बाजार में बड़ी ताकत होती थी।
देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की तो सदस्यता भी मिल जाया करती थी। चवन्नी पर एक जमाने में अंग्रेजी हुकूमत की छाप हुआ करती थी। चवन्नी चांदी से बनती थी। अंग्रेजों के जाने के बाद भी बरसों तक ये छाप बनी रही। 1957 में 'इंडियन क्वाइंज एक्ट-1906' में बदलाव के बाद चवन्नी का देसीकरण हुआ। 25 पैसे के सिक्के ने चार आने की जगह ले ली। 1982 में एशियाड गेम्स हुए तो चवन्नी को उसका प्रतीक भी बनाया गया।

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