दहेज देने वालों पर जुर्म दर्ज
भिलाई। दहेज लेने के आरोप में वर पक्ष पर आए दिन एफआईआर होती रहती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में दहेज देने के आरोप में वधू पक्ष पर मुकदमा कायम किया गया है। दुर्ग कोर्ट के आदेश पर छावनी पुलिस ने वधू संगीता गुप्ता और उनके माता-पिता के खिलाफ दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है। राज्य में अपनी तरह का यह पहला मामला है।
खुर्सीपार निवासी संगीता ने पति देवेन्द्र गुप्ता और उनके परिजनों के खिलाफ छावनी थाना में 18 मार्च 2009 को दहेज प्रताड़ना की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद मामला कोर्ट में भेज दिया। इसी दौरान देवेन्द्र ने अधिवक्ता सरोज सिंह के माध्यम से कोर्ट में वधू पक्ष के खिलाफ परिवाद प्रस्तुत कर दहेज प्रतिषेध अधिनियम धारा 3 के तहत मामला दर्ज करने की अपील की।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने परिवाद को सुनने के बाद छावनी थाने में वधू पक्ष पर मामला दर्ज करने के आदेश दिया। कोर्ट के आदेश पर 13 जून को छावनी थाने में संगीता गुप्ता, पिता महेश्वर प्रसाद एवं कौलेश्वरी देवी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
छत्तीसगढ़ में पहला मामला
अधिवक्ता सरोज सिंह ने बताया कि दहेज देने के मामले में यह राज्य में पहला मामला है। दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 498 ए की धारा 4 का दुरूपयोग धड़ल्ले से हो रहा है। छोटे-छोटे मामले में महिलाएं ससुराल वालों पर झूठे आरोप लगा रही हैं। इस तरह न्यायालय से वधू पक्ष पर मामला दर्ज करने के आदेश के बाद लोगों की न्यायालय के प्रति आस्था बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि इससे पहले सूचना के अधिकार के तहत राज्य के सभी थानों से जानकारी इकटा की थी कि धारा 3 के तहत कितने मामले दर्ज किए गए है, लेकिन एक भी मामला सामने नहीं आया।
99 फीसदी दोषमुक्त
दुर्ग जिले में वर्ष 2000 से 2009 तक दहेज लेने के आरोप में वर पक्ष पर 1061 मामले दर्ज हुए। इनमें से 201 प्रकरण में उन्हें दोषमुक्त पाया गया। सिर्फ 17 मामलों में सजा हुई, जबकि 843 मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं। अगर दोषमुक्त परिवार और सजायाफ्ता परिवार के अनुपात को देखें तो 99.2 प्रतिशत मामले फर्जी थे।
भिलाई। दहेज लेने के आरोप में वर पक्ष पर आए दिन एफआईआर होती रहती है, लेकिन छत्तीसगढ़ में दहेज देने के आरोप में वधू पक्ष पर मुकदमा कायम किया गया है। दुर्ग कोर्ट के आदेश पर छावनी पुलिस ने वधू संगीता गुप्ता और उनके माता-पिता के खिलाफ दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है। राज्य में अपनी तरह का यह पहला मामला है।
खुर्सीपार निवासी संगीता ने पति देवेन्द्र गुप्ता और उनके परिजनों के खिलाफ छावनी थाना में 18 मार्च 2009 को दहेज प्रताड़ना की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने जांच पूरी करने के बाद मामला कोर्ट में भेज दिया। इसी दौरान देवेन्द्र ने अधिवक्ता सरोज सिंह के माध्यम से कोर्ट में वधू पक्ष के खिलाफ परिवाद प्रस्तुत कर दहेज प्रतिषेध अधिनियम धारा 3 के तहत मामला दर्ज करने की अपील की।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने परिवाद को सुनने के बाद छावनी थाने में वधू पक्ष पर मामला दर्ज करने के आदेश दिया। कोर्ट के आदेश पर 13 जून को छावनी थाने में संगीता गुप्ता, पिता महेश्वर प्रसाद एवं कौलेश्वरी देवी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
छत्तीसगढ़ में पहला मामला
अधिवक्ता सरोज सिंह ने बताया कि दहेज देने के मामले में यह राज्य में पहला मामला है। दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 498 ए की धारा 4 का दुरूपयोग धड़ल्ले से हो रहा है। छोटे-छोटे मामले में महिलाएं ससुराल वालों पर झूठे आरोप लगा रही हैं। इस तरह न्यायालय से वधू पक्ष पर मामला दर्ज करने के आदेश के बाद लोगों की न्यायालय के प्रति आस्था बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि इससे पहले सूचना के अधिकार के तहत राज्य के सभी थानों से जानकारी इकटा की थी कि धारा 3 के तहत कितने मामले दर्ज किए गए है, लेकिन एक भी मामला सामने नहीं आया।
99 फीसदी दोषमुक्त
दुर्ग जिले में वर्ष 2000 से 2009 तक दहेज लेने के आरोप में वर पक्ष पर 1061 मामले दर्ज हुए। इनमें से 201 प्रकरण में उन्हें दोषमुक्त पाया गया। सिर्फ 17 मामलों में सजा हुई, जबकि 843 मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं। अगर दोषमुक्त परिवार और सजायाफ्ता परिवार के अनुपात को देखें तो 99.2 प्रतिशत मामले फर्जी थे।
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