रविवार, 13 फ़रवरी 2011

थार की प्रेम कहानी कोटड़ा के किले से निकली बाघा भारमली प्रेम कहानी






थार की प्रेम कहानी


कोटड़ा के किले से निकली बाघा भारमली प्रेम कहानी


बाडमेर प्रेम की कथा अकथ है, अनिवर्चनीय है। फिर भी प्रेम कथा विविध प्रकार से कही जाती है, कही जाती थी और की जाएगी। मरुप्रदो की प्रेम गांथाएं मूमल महेन्द्रा, ढोला मारु तथा बाघा भारमली प्रेम का जीवंत उदाहरण है॥ प्रेम भावत और जीवन नियन्तता है। प्रेम एक व्यवस्थित एवं स्थिर मनोदा है। जब एक व्यक्ति का आकशर्ण दूसरे व्यक्ति पर इतना प्रबल हो कि उसकी प्राप्ति, उसका सानिध्य, उसकी रक्षा और उसकी प्रसन्नता में ही सुख की अनुभूति होने लगे तब उस मनोवृति को प्रेम का नाम दिया जाता है। मानव मन की सबसे सुन्दर दुर्बलता प्रेम है।


थार के इस समुन्द्र में कई प्रेम गाथाओं ने जन्म लिया होगा। मगर बाघा भारमली की प्रेम कथा राजस्थान के लोक साहित्यिक के अन्तर्गत अपना विश्ट स्थान रखती है। समाज और परम्पराओं के विपरित बाघा भारमली की प्रेम कथा बाड़मेर के कणकण में समाई है। इस प्रेम कथा को रुठी रानी में अवय विस्तार मिला है। मगर स्थानीय तौर पर यह प्रेम कथा साहित्यकारो द्वारा अपेक्षित हुई है। किन्तु चारण कवियों ने अपने ग्रन्थो में इस प्रेम कथा का उल्लेख अवय किया है। कोटड़ा के किले से जो प्रेम कहानी निकली वह बाघा भारमली के नाम से अमर हुई।


मारवाड़ के पिचमी अंचल बाड़मेरजैसलमेर से सम्बन्धित यह प्रणय वृतान्त आज भी यहां की सांस्कृतिक परम्परा एवं लोकमानस में जीवन्त है।


उपर्युक्त प्रेमगाथा का नायक बाघजी राठौड़ बाड़मेर जिलान्तर्गत कोटड़ा ग्राम का था। उसका व्यक्तित्व शूरवीरता तथा दानाशीलता से विशेश सम्पन्न था। जैसलमेर के भाटियों के साथ उसके कुल का वैवाहिक संबंध होने के कारण वह उनका समधी (गनायत) था।


कथानायिक भारमली जैसलमेर के रावल लूणकरण की पुत्री उमादे की दासी थी। 1536 ई में उमा दे का जोधपुर के राव मालदेव (153162ई) से विवाह होने पर भारमली उमा दे के साथ ही जोधपुर आ गई। वह रुपलावण्य तथा भारीरिकसौश्ठव में अप्सरावत अद्वितीय थी।


विवाहोपरान्त मधुयामिनी के अवसर पर राव मालदेव को उमा दे रंगमहल में पधारने का अर्ज करने हेतु गई दासी भारमली के अप्रतीत सौंदर्य पर मुग्ध होकर मदस्त राव जी रंगमहल में जाना बिसरा भारमली के यौवन में ही रम गये। इससे राव मालदेव और रानी उमा दे में ॔॔रार॔॔ ठन गई, रानी रावजी से रुठ गई। यह रुठनरार जीवनपर्यन्त रही, जिससे उमा दे ॔॔रुठी रानी॔॔ के नाम से प्रसिद्व हुई।


राव मालदेव के भारमली में रत होकर रानी उमा दे के साथ हुए विवासघात से रुश्ट उसके पीहर वालो ने अपनी राजकुमारी का वैवाहिक जीवन निर्द्वन्द्व बनाने हेतु अपने यौद्वा ॔॔गनायत॔॔ बाघजी को भारमली का अपहरण करने के लिए उकसाया। बाघजी भारमली के अनुपम रुपयौवन से माहित हो उसे अपहरण कर कोटड़ा ले आया एवं उसके प्रति स्वंय को हार बैठा। भारमली भी उसके बल पौरुश हार्द्विक अनुसार के प्रति समर्पित हो गई। जिससे दोनो की प्रणयवल्लरी प्रीतिरस से नियप्रति सिंचित होकर प्रफुल्ल और कुसुमितसुरभित होने लगी। इस घटना से क्षुब्ध राव मालदेव द्वारा कविराज आसानन्द को बाघाजी को समझा बुझा कर भारमली को लौटा लाने हेतु भेजा गया। आसानन्द के कोटड़ा पहुॅचने पर बाघ जी तथा भारमली ने उनका इतना आदरसत्कार किया कि वे अपने आगमन का उद्देय भूल अत्यंत होकर वही रहने लगे। उसकी सेवासुश्रूशा एवं हार्दिक विनयभाव से अभिभूत आसाजी का मन लौटने की सोचता ही नही था। उनके भाव विभोर चित्त से प्रेमीयुगल की हृदयकांक्षा कुछ इस प्रकार मुखरित हो उठी


जहं तरवर मोरिया, जहं सरवर तहं हंस।


जहं बाघो तहं भारमली, जहं दारु तहं मंस॥


तत्पचात आसान्नद बाघजी के पास ही रहे। इस प्रकार बाघभारमली का प्रेम वृतान्त प्रणय प्रवाह से आप्यायित होता रहा। बाघजी के निधन पर कवि ने अपना प्रेम तथा भाौक ऐसे अभिव्यक्त किया


ठौड़ ठौड़ पग दौड़, करसां पेट ज कारणै।


रातदिवस राठौड़, बिसरसी नही बाघनै॥

fakira khan...traditional folk manganiyar singer

BARMER NEWS TRACK: barmer news

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मांजू हत्याकांड: एक और आरोपी गिरफ्तार

मांजू हत्याकांड: एक और आरोपी गिरफ्तार


बाड़मेर. बाड़मेर में गत 31 दिसंबर की रात जोधपुर निवासी दिनेश मांजू की हत्या के मामले में पुलिस ने शुक्रवार को एक और आरोपी को गिरफ्तार किया है। इस बहुचर्चित हत्याकांड की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया यह आरोपी जैसलमेर जेल में पहले से ही हत्या के पुराने प्रकरण में सजा काट रहा था।



शुक्रवार को पुलिस उसे जैसलमेर से प्रोडक्शन वारंट पर लेकर बाड़मेर पहुंची। उल्लेखनीय है कि मांजू हत्याकांड में वांछित आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए बाड़मेर पुलिस ने सूचना देने वाले को इनाम देने की घोषणा की है। पुलिस उप अधीक्षक नाजिम अली ने बताया कि जोधपुर के सूंथला निवासी दिनेश मांजू की हत्या की साजिश रचने में शामिल आरोपी जैसलमेर के ऊजला निवासी इन्द्रदान उर्फ इन्द्रजीत को गिरफ्तार कर बाड़मेर लाया गया है।

इस प्रकरण में वारदात को अंजाम देने से पहले रची गई साजिश में इन्द्रजीत भी शामिल था। उसने ही हत्या के आरोपियों को हथियार उपलब्ध करवाए थे। शनिवार को उसे न्यायालय में पेश किया जाएगा। पुलिस इस प्रकरण में अब तक सात में से एक नामजद आरोपी कालूपुरी को ही गिरफ्तार कर पाई है। वहीं, बाद में पुलिस जांच में जोड़े गए आरोपियों में गोविंदसिंह गिरफ्तार हो चुका है।

जेल से बाहर आकर रची थी साजिश: दिनेश मांजू की हत्या करने की साजिश जैसलमेर में रची गई थी। इसके लिए जैसलमेर की खुली जेल में सजा काट रहे आरोपी इन्द्रजीत ने जेल से बाहर आकर आरोपियों के साथ पार्टी मनाई। इसी पार्टी में दिनेश मांजू को पकड़ने और उसे ठिकाने लगाने की साजिश रची गई। इतना ही नहीं, इन्द्रजीत ने आरोपियों के लिए हथियारांे का बंदोबस्त भी करवाया। इसके बाद ही आरोपी जैसलमेर से बाड़मेर पहुंचे और वारदात को अंजाम दिया।

पुलिस हारी तो आई इनाम की बारी: मांजू की हत्या के लगभग डेढ़ माह बाद भी पुलिस मुख्य आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई है। हर तरफ हाथ-पांव मारने के बाद भी पुलिस को कोई खास सफलता नहीं मिली। जोधपुर रेंज के कई थानों में वांछित तस्कर श्रवण बाबल लगातार पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहा है। पूरी रेंज के हजारों पुलिसकर्मी व अधिकारियों की फौज चंद आरोपियों को पकड़ नहीं पा रही है। संभवत: यही वजह है कि इतने दिनों बाद पुलिस ने आरोपियों को पकड़वाने में मदद करने वाले को दो हजार रुपए इनाम देने की घोषणा की है।

अमीन खां के खिलाफ परिवाद दाखिल


बाड़मेर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील पर अशोभनीय टिप्पणी के मामले में शिव विधायक एवं पूर्व मंत्री अमीन खां की मुश्किलें फिलहाल कम नहीं हो रही। उनके खिलाफ अब जोधपुर की एक अदालत में परिवाद दायर हो गया है। पूर्व पार्षद त्रिभुवनसिंह भाटी की ओर से दाखिल परिवाद में अमीन खां पर राष्ट्रपति सरीखे सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान करने और लोकतांत्रिक व्यवस्था को आघात पहुंचाने का आरोप है।


उनके खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 124, 153-बी, 500, 501, 503 व 509 के अन्तर्गत परिवाद पेश किया गया है। इसमें राष्ट्रपति के महिला होने के कारण भारतीय दण्ड संहिता की धारा 509 (महिलाओं के अनादर से सम्बन्घित धारा) का इस्तेमाल हुआ है। अपर न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-3 महानगर की अदालत में दाखिल किए गए परिवाद पर 17 फरवरी को प्रारंभिक सुनवाई होगी।


पत्नी व प्रेमी के खिलाफ युवक की हत्या का मामला


बाड़मेर तेलवाड़ा गांव मे एक युवक की संदिग्ध अवस्था मे मौत के मामले को लेकर उसके पिता ने पुत्रवधु व उसके प्रेमी के खिलाफ सिवाना थाने में हत्या का मामला दर्ज करवाया है। मृतक के गले पर चोट के निशान तथा परिजनों के संदेह को देखते हुए पुलिस ने मेडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम करवाया।




सिवाना थाना प्रभारी रामवीरसिंह जाखड़ के अनुसार वगताराम पुत्र जोगाराम निवासी पाणवा जालोर ने रिपोर्ट पेश कर बताया कि उसके पुत्र सुजाराम (22) को उसकी पत्नी हवली ने अपने प्रेमी दूदिया पुत्र भीमाराम निवासी तेलवाड़ा के साथ मिलकर गला घोटकर हत्या कर दी है। पुलिस ने भादंसं की धारा 302 के तहत मामला दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया। उधर इस मामले को लेकर शुक्रवार दोपहर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामसिंह मीणा, पुलिस उप अधीक्षक बालोतरा रामेश्वरलाल मेघवाल ने भी घटना स्थल का मौका मुआयना किया।





जैसलमेरपाकिस्तानी नागरिक को उसके पिता की मृत्यु का प्रमाण पत्र


पाकिस्तानी नागरिक को उसके पिता की मृत्यु का प्रमाण पत्र
जैसलमेर भारत में बसने के लिए पत्नी के साथ यहां आए पाकिस्तानी नागरिक को उसके पिता की मृत्यु का प्रमाण पत्र तक दे दिया गया। यह मेहरबानी जैसलमेर में प्रशासन गांवों के संग शिविर के दौरान उसके पिता की मृत्यु के तीस साल बाद हुई है। ग्राम पंचायत ने भी प्रमाणित दस्तावेजों के बगैर ही प्रमाण पत्र जारी कर दिया। इसका खुलासा सीआईडी (इंटलिजेन्स) की गुप्त जांच रिपोर्ट में हुआ है।
 पाकिस्तान में सिंध प्रांत के जिला गोटकी स्थित धारकी निवासी अली अकबर मेहर ने अपने स्थाई आवास के आवेदन के साथ उसके पिता राणे खां की मृत्यु का प्रमाण पत्र भी पेश किया। इसमें राणे खां की मृत्यु जून 1980 में होना दर्शाया गया। यह मृत्यु प्रमाण-पत्र गत 13 दिसम्बर 10 को प्रशासन गांवों के संग अभियान के दौरानजैसलमेर  की पंचायत समिति सम के कुण्डा पंचायत की ओर से जारी किया गया।
प्रमाणित दस्तावेज नहीं
मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए नियमानुसार मतदाता सूची, वोटर कार्ड, जमाबंदी, राशन कार्ड, मूल निवास प्रमाण पत्र, विवाह प्रमाण-पत्र होना जरूरी है। प्रमाण-पत्र बनाने के आवेदन के साथ इनमें से एक भी दस्तावेज नहीं पेश किया गया। इससे खुफिया एजेन्सी को प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया पर संदेह हो रहा है।
सिर्फ शपथ पत्र ही आधार
शिविर में पेश किया गया आवेदन भी जन्म प्रमाण पत्र प्रारूप में पेश किया गया। इसमें उसने बताया कि उसके पुत्र राणे खां की 5 जून 1980 को मृत्यु हो गई थी। एक अघिवक्ता ने इसे प्रमाणित किया। तहसीलदार जब्बरसिंह के आदेश पर ग्राम सेवक ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया। जबकि खुफिया जांच में कहीं भी राणे खां की भारत में मृत्यु होना प्रमाणित नहीं हो रहा है।