रविवार, 25 अप्रैल 2010

hrराजस्‍थान: थारवासियों के रिकॉर्ड तैयार कर रही है पुलिस



बाड़मेर: राजस्‍थान के थार रेगिस्‍तान क्षेत्र में स्थित बाड़मेर जिले में औद्योगिकरण के साथ बढ़ती आपराधिक घटनाओं की रोकथाम को लेकर पुलिस प्रशासन ने संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान करने और अवांछित गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए शहर में ‘डोर-टु-डोर सर्वे’ शुरू किया है। इसके तहत शहर में निवास कर रहे बाहरी लोगों के साथ यहां के मूल निवासियों का रिकार्ड भी संधारित किया जाएगा ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना व अपराध की स्थिति में पीडि़त और आरोपी व्यक्तियों का आसानी से पता लगाया जा सके।

शहर में आमजनों की सुरक्षा के बेहतर इंतजाम और कानून-व्यवस्था बनाए रखने को लेकर पुलिस प्रशासन ने पहली बार ‘डोर-टु-डोर सर्वे’ का काम शुरू किया है। इसके लिए बाड़मेर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संतोष चालके ने बीट कांस्टेबलों को घर-घर जाकर बाड़मेर शहर के मूल निवासियों सहित यहां किराए पर रह रहे लोगों के विषय में समुचित जानकारी लेकर इसका रिकॉर्ड संधारित करने की जिम्मेदारी सौंपी है। इस सर्वे के तहत मकान मालिक व उसके पिता का नाम, व्यवसाय, पूरा पता, मोबाइल नंबर, वाहनों की संख्या (नंबर सहित) और नौकरों की जानकारी ली जा रही है। साथ ही, किराए पर रह रहे लोगों के विषय में भी इसी तरह की जानकारियां एकत्रित की जा रही हैं।

इसलिए पड़ी सर्वे की जरूरत

बाड़मेर जिले मे तेल व लिग्नाइट आधारित विद्युत उत्पादन इकाइयों की स्थापना से बड़ी संख्या में बाहरी लोग आकर बस गए हैं। नागाणा स्थित तेल उत्पादन इकाई व भादरेस स्थित विद्युत उत्पादन इकाई में कार्यरत करीब 15 हजार श्रमिकों का अभी तक चरित्र सत्यापन नहीं हुआ है। पुलिस ने कई मर्तबा इन कंपनियों को श्रमिकों का रिकॉर्ड उपलब्ध करवाने की हिदायत दी है, लेकिन इन कंपनियों ने अभी तक जानकारी नहीं दी है। गत वर्ष सितंबर माह में बाड़मेर शहर से 25 किलोमीटर दूर भादरेस स्थित पॉवर प्लांट में आतंकवादी घूमकर चला गया।

साथ ही, जिले से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा (पाकिस्‍तान) से हथियारों व मादक पदार्थों की तस्करी के मामले प्रकाश में आए। जिले में चोरी, हत्या व लूट की भी कई वारदातें हुई हैं। इनको ध्यान में रखते हुए बाड़मेर में निवास कर रहे स्थानीय व बाहरी लोगों का समुचित रिकॉर्ड संधारित किया जा रहा है ताकि अपराध की स्थिति में पीडि़त व अपराधी की पहचान की जा सके।

‘डोर-टु-डोर सर्वे’ से निश्चित ही संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान हो सकेगी। यह रिकॉर्ड आपराधिक गुत्थियों को सुलझाने में सहायक साबित होगा।

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शनिवार, 24 अप्रैल 2010

Rajasthan: to be governor of the border, villagers and soldiers joy - sadness

: राजस्थान बार्डर की राज्यपाल होने के लिए, ग्रामीणों और सैनिकों को खुशी - दुख
      



 पाकिस्तान सीमा से सटे राजस्थान के बाड़मेर जिले के नवनियुक्त जिला पाकिस्तान की सीमा पर कलेक्टर गौरव गोयल बैठनेवाला Grmeeonoan के बारे में पता करने के लिए सीमावर्ती गांवों में पहुंचे. आदेश दिया है लोग - दर्द पीड़ित और अधीनस्थ अधिकारियों की समस्याओं के त्वरित निवारण सुना. जिला कलेक्टर अधिकारियों को चेतावनी दी हार्ड जन समस्याओं को अच्छी तरह से नहीं तो समस्या निवारण के लिए बाध्य किया गया. लंबे समय के बाद सीमा पर ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने के लिए एक शासक था. ग्रामीणों की समस्याओं के संबंध में जिला कलेक्टर गौरव गोयल, सीमा के दर्जनों गांवों सुलभ पानी, चारा, रोजगार और विकास के काम सुना है.

जिला कलेक्टर ने कहा, सीमा के गांवों और ग्रामीणों को सुविधाएं उपलब्ध बुनियादी सुविधाओं को पूरा करने की पुष्टि के सीमावर्ती गांवों में थे. उन्होंने समस्याओं के त्वरित समाधान किया जाएगा. किसी भी अधिकारी और कर्मचारी की लापरवाही बख्शा नहीं जाएगा. आमतौर पर किसी भी अधिकारी सीमा पर नहीं पहुँचती. गौरव गोयल से अधिक दो दिनों संभाल पहुंचे ग्रामीणों के बीच पैदा अपेक्षाओं के बाहरी इलाके में.

नरेगा Sojana गांव में Neadi Ssnau चल रहे उत्खनन कार्य में कलेक्टर का निरीक्षण किया. अनियमितता पाऐ Metoan पर दो कार्यों के मौके पर हटा दिया. लेकिन मापन कार्य नहीं करते हैं, स्थान स्वास्थ्य सुविधाओं और जिला कलेक्टर संबंधित अधिकारियों पर नाराजगी जताई Ahrkaaya श्रमिकों की अनुपस्थिति नहीं. जल आपूर्ति और गरीबों के घर में अधिकारियों ने सीमा को देखा है प्रणाली Honia Haedento Nalkaoopoan प्वाइंट तुरंत ठीक से पकड़ का आदेश दिया.

Goarv गोयल सैनिकों को भारतीय सीमा चौकी अंतिम Kaellnoar चौंका पहुँचे. युवा पुरुषों में उनके Shudh ले गया है किसी भी प्रशासनिक अधिकारी कभी नहीं था. अपनी पहली पुरुषों अच्छा व्यक्त किया जा करने के लिए युवा कलेक्टर बीच में. कलेक्टर सैनिकों, उनकी खुशी - दुख साझा मिलने के लिए. Kushalkshaema पूछा. बीएसएफ के सैनिकों कलेक्टर उनकी समस्याओं से अवगत कराया. वे लोगों की समस्याओं को सुनने और उनके निराकरण के लिए आदेश दिया था.

पाकिस्तान की सीमा चौकियों के मोर्चे पर कलेक्टर वह भी पूछा Durben देखा है और पाक गतिविधियों जाएगा. वह सीमा चौकियों का निरीक्षण किया. युवा और पहली बार ग्रामीण जिला अधिकारी अपने बीच पाकर उत्साहित लग रहा था. Kaellnoar Jetmalsinah बुजुर्ग निवासी ने कहा कि प्रशासन अंतिम नहीं है कोशिश भी नहीं गाँव तक पहुँचने कभी नहीं. युवा जिला कलेक्टर ग्रामीणों के बीच तक पहुँचने के लिए समस्याओं का सुना है, यह हमारे लिए एक राहत है. युवा कलेक्टर उम्मीदों उठा रहे हैं. पानी के बीएसएफ के जवानों है कि सीमा क्षेत्र और प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं. पहली बार युवा पुरुषों के सुख - दुख आने के लिए जिला कलेक्टर, ऐसा पूछने के लिए.


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मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

BARMER NEWS TRACK_pak aarmy exersize


Sunday's exercises were meant to replicate a counter offensive against an invading ground force. They included 21 bombing runs by various Pakistani jets, displays of anti-aircraft weaponry, tanks moving in formation and round after round of heavy artillery.

''It is meant to signal internally that we are back to where we belong,'' said Moeed Yusuf, from the Washington DC-based thinktank, United States Institute of Peace. ''For the world, it signals that India remains the principal threat.''
There was no immediate comment from New Delhi. India generally refrains from commenting on such scheduled exercises.

Those watching - including the prime minister, the country's military leaders and politicians - clapped as targets were hit some 2,000 meters away across the shimmering, dusty Cholistan Desert. The loudest round of applause was for when an unmanned drone was shot out of the sky by a barrage of anti-aircraft fire.

After watching a display, Prime Minister Yousuf Raza Gilani several times mentioned the successes in the northwest.

''The world sees Pakistan as a bulwark against extremism and militancy. It is in this struggle the nation has pledged to support the armed forces. Pakistan is fully committed to the struggle in the west,'' he said.


Military launches biggest-ever war games



KARACHI: Pakistan’s military forces launched the country’s biggest military war games on Saturday.
The exercises, code named ‘Azm-e-Nau,’ will deploy 50,000 soldiers from the artillery, infantry and armoured corps units for one month.
Azm-e-Nau is said to be Pakistan’s biggest war-games in more than 20 years, and will be carried out near Pakistan’s eastern border with India
Earlier his month, Pakistan Air Force held a demonstration for invited guests, including foreign defence officials, in Punjab to show its capacity to contribute to the fight against militants.
The military says all available surveillance and reconnaissance assets will be utilised in the exercise to validate their efficiency.
Pakistan’s Chief of Army Staff General Ashfaq Parvez Kayani declared the years 2009-2010 as the ‘year of training’ based on the current security situation.

s Army training aircraft crashes near Peshawar



PESHAWAR: An army training aircraft crashed on the outskirts of Peshawar, killing the pilot on Thursday.
According to the police, Pakistan Army's Mushaq aircraft was on a routine training mission when it crashed in Nelavi area in the open fields.
The wreckage of the aircraft has been found and the body of pilot has been shifted to Combined Military Hospital Peshawar.
Police said the aircraft may have crashed because of technical fault, however, the ISP is still investigating the reason of the crash.




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BARMER NEWS TRACK



बाडमेर। जिला कलक्टर गौरव गोयल ने जिले में पेयजल की आपूर्ति को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए निर्देश दिए है कि पेयजल के मामले में कोई समझौता नहीं किया जाएगा तथा इसमें लापरवाही बरतने पर कडी कार्यवाही की जाएगी। वे सोमवार प्रात: साप्ताहिक समीक्षा बैठक को सम्बोधत कर रहे थे। इस अवसर पर जिला कलक्टर गोयल ने बताया कि जिले में पेयजल की समस्या प्रमुख है तथा इस निवारण में तत्परता की आवश्यकता है।
उन्होंने पेयजल से संबंघित स्वीकृत कार्य हर हाल में पूर्ण करने के निर्देश दिए। उन्होंने अवैध नल कनेक्शन हटाने के निर्देश देते हुए बताया कि दुबारा अवैध कनेक्शन करने पर संबंघित व्यक्ति के विरूद्ध पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया जाकर न्यायालय में चालान पेश करवाए जाए। उन्होने कन्टीजेन्सी के फेस द्वितीय के कार्यों की विस्तृत समीक्षा की तथा बकाया हैण्डपम्पों व नलकूपो की खुदाई को शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए।
गोयल ने बाडमेर शहर में दोपहर में बिजली की कटौती नहीं करने को कहा। उन्होंने गेंहंू रोड पर अधूरे ट्यूबवेल की खुदाई पूर्ण करने की भी हिदायत दी। उन्होंने नलकूपों की खुदाई के मामले में भू जल विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र देने पर ठेकेदार से कार्य करवाने को कहा। पाबूसरी में कन्टीजेन्सी के कार्य पर बिजली विभाग को अण्डर टेकिंग लेकर विद्युतीकरण का कार्य शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए। असफल हैण्ड पम्पों का दुबारा भौतिक सत्यापन करवाकर संशोघित स्वीकृति आदेश जारी करने की भी हिदायत दी।

जिला कलक्टर ने जलदाय विभाग के अघिकारियों से कहा कि उनका सर्वोपरि कार्य लोगों को पेयजल पहुंचाना होना चाहिए तथा इसके लिए वे व्यक्तिगत स्तर पर सक्रिय रहकर कार्य करें तथा स्वीकृत कार्य शीघ्र चालू करवाने के साथ ही ठेकेदारों की समस्याओं का भी समाधान करें। बैठक में अतिरिक्ति जिला कलक्टर एच.एस.मीणा, उपखण्ड अघिकारी मीठूसिंह, सहायक प्रभारी अघिकारी चूनाराम पूनड व अधीक्षण अभियन्ता डी.सी.विश्नोई तथा जलदाय विभाग के अघिशाषी अभियन्ता उपस्थित थे।



आंधी का कहर जारी


बाडमेर।थार में दूसरे दिन भी रेतीली आंघियों ने जनजीवन को अस्त व्यस्त रखा। सुबह से ही धूल के गुब्बार उडने शुरू हो गए जो देर शाम तक जारी रहे। सीमावर्ती क्षेत्रों पर सडकों पर रेत जमा हो जाने से वाहनों के आवागमन को लेकर परेशानी शुरू हो गई है। सोमवार को सुबह से ही तेज गति से हवाओं के चलने का दौर शुरू हो गया। दोपहर को तापमान बढने के साथ लू व आंधी शुरू हो गई। राष्ट्रीय राजमार्ग पंद्रह और मेगा स्टेट हाईवे पर चलने वाले वाहनों के लिए धूल में उडते गुब्बार मुश्किल बन गए और आगे आते हुए वाहन नहीं सूझ रहे थे। दिन में वाहनों की आवाजाही इसी कारण कमजोर हो गई। चौहटन, सिवाना, शिव, गुडामालानी, धोरीमन्ना सहित जिले भर में आंघियों का दौर चला।


सरपंच पर पांच-पांच हजार रूपए जुर्माना (कोस्ट) लगा दिया।

जोधपुर। राज्य में नरेगा योजना के तहत जनहित कार्यो के लिए जिला कलेक्टरों द्वारा निविदाएं मांगे जाने को विभिन्न ग्र्राम पंचायतों के सरपंचों की ओर से चुनौती दिए जाने को गंभीरता से लेते हुए राजस्थान उ"ा न्यायालय न केवल याचिकाओं को खारिज कर दिया बल्कि सरपंचों के इस कृत्य के लिए उनके विरूद्ध प्रतिकूल टिप्पणियां की और प्रत्येक सरपंच पर पांच-पांच हजार रूपए जुर्माना (कोस्ट) लगा दिया।
न्यायाधीश डॉ. विनित कोठारी ने राजस्थान प्रदेश सरपंच एसोसिएशन तथा विभिन्न ग्र्राम पंचायतों के सरपंचों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एम.आर. सिंघवी व अन्य द्वारा दायर इन याचिकाओं पर कडे शब्दों में कहा कि सरपंचों को ग्राम पंचायतों में जनहित की योजनाएं लागू करने की जिम्मेदारी के साथ ही कई कानूनी अधिकार दिए गए हैं, जिनका उन्हें जनहित में उपयोग करना चाहिए न कि स्वयं हित के लिए। न्यायाधीश ने कहा कि नरेगा योजना ग्रामीणजन के लिए चलाई जा रही है।
जिला कलक्टर के पास विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की देखरेख और समन्वय का जिम्मा है, ऎसे में जिला कलेक्टर द्वारा निविदाएं आमंत्रित कर ली गई तो इसमें गलत क्या हैक् निविदाएं आमंत्रित करने को सरपंच जो कि जन प्रतिनिधि हैं, के द्वारा चुनौती दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं बल्कि संदेहास्पद कदम है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता सिंघवी ने कहा कि नरेगा अधिनियम में योजना के तहत किए जाने वाले कार्यो में मशीनरी उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध है और सिर्फ मानव संसाधन ही लगाए जा सकते हैं, लेकिन जिला कलक्ेटरों द्वारा जारी निविदाओं में मशीनें उपयोग लेने की छूट दे दी गई है, जो अधिनियम के प्रावधानों व योजना के उद्देश्य के विरूद्ध है। अन्य याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता पी.एस. भाटी ने कहा कि योजना के तहत निविदा सरपंच ही आमंत्रित कर सकते हैं।
राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता आनन्द पुरोहित का कहना था कि सरपंचों की याचिकाएं अनुचित है अधिनियम में मशीनरी के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है। जिला कलक्टरों से निविदाएं योजनाओं में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर अंकुश के उद्देश्य से जारी करवाई गई है। राज्य सरकार ने सरपंचों को कई अधिकार दिए हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि सरकार जनहित में स्वयं कार्य ही नहीं कर सकती। सभी पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने कहा कि ये याचिकाएं अनुचित है। उ"ा न्यायालय ने कई सरपंचों द्वारा मिलकर याचिकाएं दायर किए जाने पर आश्चर्य जताते हुए सरपंचों पर व्यक्तिगत रूप से पांच-पांच हजार रूपए कोस्ट लगाते हुए याचिकाएं खारिज कर दी।





'मिलावट करनेवालों के खिलाफ होगी कार्रवाई'



बाडमेर । राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि सरकार आम जन को मिलावट रहित तथा शुद्ध खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने के लिए तत्पर है तथा मिलावट करने वालों के विरूद्ध कडी कार्यवाही की जाएगी। वह सोमवार को शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत जिला स्तर पर चल प्रयोगशाला के उदघाटन कार्यक्रम को सम्बोघित कर रहे थे।इस अवसर पर राजस्व मंत्री ने बताया कि मनुष्य के लिए स्वास्थ्य सर्वोपरि है तथा शुद्धता उसका मूल अघिकार है।
आम आदमी को शुद्ध चीजें उपलब्ध हों इसके लिए राज्य सरकार कृत संकल्प है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के अनुरूप आज सभी जिला मुख्यालयों पर चल प्रयोगशालाओं को आरम्भ किया जा रहा है। इसमें कोई भी उपभोक्ता अथवा दुकानदार किसी भी प्रकार की खाद्य सामग्री की जांच करवा सकता है।
उन्होंने बताया कि उपभोक्ता के बुलावे पर चल प्रयोगशाला उपलब्ध होगी। इस मौके पर जिला प्रमुख श्रीमती मदन कौर ने कहा कि इस चल प्रयोगशाला का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाए ताकि आम जन व आम उपभोक्ता इससे लाभान्वित हो सके।
उन्होंने इसे उपभोक्ता के अघिकारों के संरक्षण के लिए मील का पत्थर बताया। इस अवसर पर जिला कलक्टर गौरव गोयल ने बताया कि इससे आम उपभोक्ता लाभान्वित होंगे।
इससे पूर्व जिला रसद अघिकारी ललित जैन ने चल प्रयोगशाला पर प्रकाश डाला। उद्घाटन के अवसर पर पुलिस अधीक्षक संतोष चालके, अपर कलक्टर एच.एस.मीणा, मुख्य कार्यकारी अघिकारी रामावतार मीणा, विधायक पदमाराम मेघवाल, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती उषा जैन, एडवोकेट सुनीता चौधरी समेत जनप्रतिनिघि तथा अघिकारी उपस्थित थे।









'काम नहीं करना है तो इस्तीफा दो'

जैसलमेर। 'पीएमओ साहब, काम नहीं करना है तो सरकार को इस्तीफा दे दो। गर्मी कितनी तेज है, मरीज पंखे व कूलर नहीं होने से बेहाल हैं। भगवान से डरो। ऎसी व्यवस्थाएं क्या आप अपने घर मे रखतेक् क्या घर मे कूलर या पंखा खराब होने पर आप उसे ठीक कराने के लिए इतना इंतजार करते'क् सोमवार को राजकीय जवाहर चिकित्सालय के दौरे के दौरान जिला प्रमुख अब्दुला फकीर ने जब अव्यवस्थाओ का आलम देखा तो प्रमुख चिकित्सा अघिकारी पर अपना गुस्सा जाहिर करने से खुद को नहीं रोक पाए।
उन्होने चिकित्सालय मे जब अव्यवस्थाओ का आलम देखा तो नाराजगी जताई और पीएमओ को लताड भी लगाई। जिला प्रमुख फकीर के साथ प्रधान मूलाराम चौधरी के साथ ही उपखण्ड अघिकारी रमेशचन्द्र अग्रवाल भी थे। उन्होंने वार्डो में निरीक्षण के दौरान भीषण गर्मी को देखते हुए पर्याप्त मात्रा में मरीजों की सुविधा के लिए पंखे व कूलर नहीं होने पर इसे गंभीरता से लेते हुए प्रमुख चिकित्सा अघिकारी डॉ. बीएल गुप्ता को सभी वार्डो में पर्याप्त संख्या में कूलर लगाने की व्यवस्था करने को कहा।
उन्होंने प्रसूति कक्ष में खराब पडे एसी के बारे में भी प्रमुख चिकित्सा अघिकारी से जानकारी ली।
प्रमुख चिकित्सा अघिकारी ने बताया कि यह एसी काफी लम्बे समय से बंद पडा है। इस पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए निर्देश देकर मौके पर ही मिस्त्री को बुलाकर खराब एसी चालू करवाया। जिला प्रमुख फकीर ने ओपीडी कक्ष, प्रसूति कक्ष, मेल एवं फीमेल वार्ड, सर्जिकल वार्ड और शिशु वार्ड का भी दौरा किया और मरीजो को दी जा रही चिकित्सा सेवाओ की भी जानकारी ली। उन्होंने वार्डो में शौचालयों में सफाई व्यवस्था पर भी असंतोष जताया। उन्होंने इसके साथ ही जैनरिक दवाइयों के काउंटर का भी निरीक्षण किया।
खुद ही कर दी घोषणा
जिला प्रमुख ने जवाहर चिकित्सालय के निरीक्षण के दौरान वार्डो में गर्मी को देखते हुए मरीजों की सुविधा के लिए पर्याप्त मात्रा में कूलर की व्यवस्था नहीं पाए जाने पर अपनी ओर से नए पांच कूलर देने की घोषणा की। उन्होंने सीएमएचओ डॉ. बीपी सिंह को कहा कि वे आज ही नए कूलर खरीद कर प्रसूति वार्ड के साथ ही अन्य अघिक आवश्यकता वाले वार्डो में लगाने की व्यवस्था करें। जैसलमेर प्रधान मूलाराम चौधरी ने भी पांच छत पंखे भेंट करने की घोषणा की।
तीन हत्याओं से दहशत




लूणकरनसर। रविवार रात्रि को हुई दो अलग-अलग वारदात में तीन हत्याओं के कारण इलाके के लोगों में भय व दहशत फैल गई है। इलाके में अपराधों का ग्राफ बढने के पीछे पुलिस की निष्क्रियता को मूल वजह माना जा रहा है। गौरतलब है कि कालू में हुई हत्या के मामले में पहले भी मृतक व आरोपियों के बीच झगडे हुए थे। लेकिन पुलिस ने मामले को सख्ती से नहीं लेने से हत्या की वारदात हुई। कालू में हुई हत्या के मामले में आरोपी नामजद होने के बावजूद पुलिस की पकड से दूर है।
पुलिस देरी से पहुंची घटना स्थल
राजमार्ग-15 पर स्थित पेट्रोल पम्प पर रविवार रात्रि को हुई लूट व हत्या के मामले की जानकारी मिलने पर करीब सुबह साढे 10 बजे पुलिस घटना स्थल पर पहुंची तथा रात को हुई वारदात सुबह तक पुलिस की जानकारी में नहीं होना नाकामी साबित कर रहा है। वहीं सुबह धूप निकलने तक इधर-उधर कोई भी व्यक्ति घटना स्थल पर नहीं आया। हालांकि लोकेशन को देखते हुए पम्प ऊंचे टिले पर होना भी किसी के नहीं पहुंचने की वजह हो सकती है।


सरकार की जेब में आए सौ करोड



जोधपुर। बाडमेर में खनिज तेल का वाणिज्यिक दोहन शुरू होने के बाद से जहां इस फील्ड की ऑपरेटर कम्पनी केयर्न इण्डिया की बल्ले-बल्ले हो गई है, वहीं सरकारी खजाने में भी सौ करोड से ज्यादा की राशि पहुंची है। गत फरवरी माह तक राज्य सरकार को तेल दोहन से 101.44 करोड रूपए की राजस्व आय प्राप्त हुई है।
इसमें से रॉयल्टी के रूप में 84.75 करोड रूपए एवं केन्द्रीय बिक्री कर के 16.69 करोड रूपए शामिल हैं। तेल दोहन की रफ्तार बढने के साथ इसमें और इजाफा होगा। उल्लेखनीय है कि बाडमेर में 29 अगस्त 2009 को खनिज तेल का व्यावसायिक दोहन शुरू हुआ था। इसके बाद से ही तेल दोहन में क्रमिक बढोतरी का सिलसिला जारी है।
जून में बढेगा दोहन
बाडमेर स्थित तेल क्षेत्र से केयर्न इण्डिया जून माह में उत्पादन बढाने की तैयारी में है। जानकारों के मुताबिक फिलहाल यहां 30-35 हजार बैरल तेल रोजाना निकाला जा रहा है। जून माह में तकरीबन सवा लाख बैरल तेल का उत्पादन शुरू हो जाएगा। ऎसे में तेल से मिलने वाले नॉन-टैक्स एवं टैक्स राजस्व दोनों में भी इजाफा होगा।
जारी है विवाद
इधर, केयर्न इण्डिया और राज्य सरकार के बीच वैट और केन्द्रीय बिक्री कर (सीएसटी) को लेकर भी विवाद अभी थमा नहीं है। केयर्न फिलहाल इस तेल पर सीएसटी ही चुका रही है, जबकि सरकार 'राजस्थानी' तेल पर चार प्रतिशत की दर से वैट मांग रही है। तेल का डिलीवरी पॉइन्ट गुजरात में होने के कारण इसमें कुछ तकनीकी पेंच भी है।
इस मामले को जोधपुर निवासी एक व्यक्ति ने जनहित याचिका के माध्यम से राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है। याचिका में बताया गया है कि वैट नहीं मिलने से आगामी पांच साल में राज्य सरकार को तकरीबन 2400 करोड रूपए की राजस्व हानि होगी।

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सोमवार, 19 अप्रैल 2010

barmer news track



बाडमेर।जिला कलक्टर गौरव गोयल ने जिले में पेयजल की आपूर्ति में लापरवाही बरतने पर कडी कार्यवाही करने तथा अपने कर्तव्य के प्रति कौताही बरतने वाले कार्मिकों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की सख्त हिदायत दी है। वे शनिवार शाम जिले में पेयजल आपूर्ति की समीक्षा कर रहे थे।
उन्होंने निर्देश दिए कि टैंकरो से स्वीकृत पेयजल परिवहन वाले स्थानों पर शत प्रतिशत जलापूर्ति आरम्भ हो जानी चाहिए। उन्होंने पेयजल परिवहन में लापरवाही बरतने वाले ठेकेदारों के विरूद्ध कडी कार्यवाही के निर्देश दिए तथा पेयजल परिवहन आरम्भ नहीं करने वाले ठेकेदारों के विरूद्ध जुर्माना लगाने तथा उन्हें प्रतिबंघित करने की हिदायत दी ताकि पानी की आपूर्ति प्रभावित नहीं हो।
गोयल ने जिले में जलदाय विभाग को क्षेत्रीय योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की तथा उन्होंने जल स्त्रोतो, पानी की गुणवता तथा इसकी जांच की व्यवस्था की भी जानकारी ली। समय समय पर पानी की गुणवता की जांच के लिए इसके नमूने लेकर प्रयोगशाला में भेजने व अवैध जल कनेक्शन हटाने के निर्देश दिए। उन्होंने कन्टीजेन्सी प्लान के प्रथम चरण के कार्यो की समीक्षा की तथा द्वितीय चरण में ट्यूब वेल खुदाई के कार्य की प्रगति की समीक्षा की। जलदाय विभाग के अघिकारियों से जलापूर्ति योजनाओं के अन्तिम छोर तक पानी पहुंचाना सुनिश्चित करने को भी कहा।
जिला कलक्टर ने धरातल स्तर पर लापरवाह फीटर, हेल्पर, बेलदार व अन्य कार्मिकों द्वारा अपने कर्तव्य के प्रति कौताही बरतने पर उनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही के निर्देश दिए। जलापूर्ति से संबंघित जलदाय विभाग अघिकारियों तथा तहसीलदार तथा नायब तहसीलदारों को बिना सक्षम अनुमति के अपना मुख्यालय नहीं छोडने के लिए पाबन्द किया।





कांगे्रस सरकार अल्पसंख्यक विरोधी: धोलिया



बाडमेर। राज्य की कांग्रेस सरकार अल्पसंख्यक विरोधी है। कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है। कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों के लिए कुछ नहीं किया। कांग्रेस को समर्थन देने का ही नतीजा है कि मुसलमान गरीब, अशिक्षित, बीमार और बेरोजगार है। यह आरोप मदरसा बोर्ड के पूर्व चेयरमैन हिदायत खां धोलिया ने शनिवार को बाडमेर में संवाददाताओं से बातचीत में लगाए।
धोलिया ने कहा कि पिछले शैक्षिक सत्र में पचासी हजार मदरसा विद्यार्थी शिक्षकों के अभाव में परीक्षा नहीं दे पाए। आज भी यह स्थिति है कि राज्य के एक हजार मदरसों में एकल शिक्षक तक नहीं है। राज्य में कांग्रेस के सत्ता में आते ही उन्होंने नैतिकता के आधार इस्तीफा दे दिया, लेकिन कांग्रेस अभी तक मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष पद किसी को नियुक्त नहीं किया है। यही स्थिति अल्पसंख्यक आयोग, हज बोर्ड, मेवात विकास बोर्ड की भी है। इन पदों पर किसी को दायित्व नहीं सौंपे जाने से अल्पसंख्यकों के हितों पर कुठाराघात हो रहा है।
धोलिया ने बताया कि सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घोषणा की थी कि अल्पसंख्यक मंत्रालय का गठन होगा, लेकिन अभी तक यह घोषणा भी अधूरी ही है। उन्होंने सवाल किया कि कांग्रेस के दस अल्पसंख्यक विधायकों में कोई इस योग्य नहीं है कि अल्पसंख्यक मंत्रालय का कार्यभार संभाल सके। पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि हकीकत यह है कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों को पिछडा ही रखना चाहती है ताकि वे वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किए जाते रहे।
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को यह बात समझनी चाहिए कि वास्तव में उनका हितैषी कौन है। धोलिया ने दावा किया कि राज्य में वसुंधरा राजे के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों के हित में कार्य हुआ। इस अवसर पर मुस्लिम इंतेजामिया कमेटी के सदर अशरफ अली ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं ने समाज की ओर कभी ध्यान नहीं दिया।
भाजपा के मुस्लिम नेताओं ने पिछले पांच वर्ष में जो कार्य करवाए, वह कांग्रेस के मुस्लिम नेता साठ वर्ष में भी नहीं करवा सके। उन्होंने बताया कि भाजपानीत पालिका बोर्ड के समय में समाज के लिए करीब सवा करोड रूपए के कार्य हुए।



खेजडी से झूलकर आत्महत्या की



चौहटन। चौहटन थानान्तर्गत धनाऊ गांव में एक व्यक्ति ने खेजडी के पेड से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। थानाघिकारी कैलाशदान ने बताया कि मोडाराम पुत्र ताजाराम निवासी धनाऊ ने रिपोर्ट पेश की कि उसका चचेरा भाई हरखाराम पुत्र अन्नाराम मानसिक रूप से अस्वस्थ था।
इसने शुक्रवार आधी रात को खेजडी के पेड से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। थानाघिकारी ने बाया कि पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पेड से नीचे उतरवाया तथा पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सुपुर्द किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर अनुसंधान प्रारम्भ किया है।

आपदा प्रबंधन कार्य नौ दिन चले अढ़ाई कोस
बाड़मेर

जिले में आपदा प्रबंधन के इंतजाम ऊंट के मुंह में जीरे के समान साबित हो रहे हैं। अकाल प्रभावित गांवों में से अभी तक एक केवल चौथाई में ही पशु शिविर स्वीकृत हो पाए हैं। इनमें से भी करीब 40 फीसदी शिविर तो स्वीकृति के चालू ही नहीं हुए। वहीं कमीशंड व नॉन कमीशंड गांवों व ढाणियों में टैंकरों से जलापूर्ति विफल साबित हो रही है। आधे से अधिक स्थानों पर स्वीकृति के बावजूद टैंकरों से जलापूर्ति शुरू नहीं हो पाई है। ऐसे में गांवों व ढाणियों में चारा-पानी के हालात और अधिक विकट हो गए हैं। अकाल की विकट घड़ी में आपदा प्रबंधन के इंतजाम विफल साबित हो रहे हैं।

जिले में भीषण अकाल की मार झेल रहे अकाल पीडि़तों केलिए सरकारी सहायता दूर की कौड़ी साबित हो रही है। प्रशासन ने अकाल प्रभावित गांवों में कुल 347 पशु शिविर स्वीकृत कर रखे हैं। इनमें से 119 पशु शिविर तो स्वीकृति के बाद भी शुरू नहीं हो पाए। दुखद पहलू यह है कि अभी तक सभी पंचायत मुख्यालयों पर शिविर मंजूर ही नहीं हो पाए हैं। गांवों व ढाणियों में चारे का संकट खड़ा हो गया है, हालात यह है कि महंगे दामों पर भी पशुपालकों को चारा नहीं मिल रहा। दूसरी तरफ गर्मी के मौसम में कमीशंड व नॉन कमीशंड गांवों व ढाणियों में टैंकरों से जलापूर्ति के टेंडर तो मार्च 2010 में ही जारी हो गए थे, लेकिन संबंधित ठेकेदार गांवों व ढाणियों में नियमित जलापूर्ति करने में विफल साबित हो रहे हैं। अभी तक 296 कमीशंड व 236 नॉन कमीशंड गांवों-ढाणियों में एक भी टैंकर नहीं पहुंचा। पचपदरा तहसील क्षेत्र में नॉन कमीशंड 106 स्थान स्वीकृत हैं। इनमें से एक भी स्थान पर टैंकरों से जलापूर्ति शुरू नहीं हो पाई है। करीब पचास फीसदी स्थानों पर जलापूर्ति शुरू नहीं होने से गर्मी के मौसम में पेयजल की भीषण समस्या खड़ी हो गई है।

चारा-पानी खरीदें या परिवार पालें

अकालग्रस्त गांवों में चारा-पानी की समस्या ग्रामीणों के लिए चुनौती बनी हुई है। गांवों में कुतर व ग्वारटी 400 रुपए प्रति मण के भाव बिक रहा है। वहीं पानी के लिए एक टैंकर के चार सौ से पांच सौ रुपए देने पड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में अकाल की घड़ी में परिवार का पालन पोषण करें या पशुओं के लिए चारा-पानी का इंतजाम।


जिले के 2175 गांव अकाल की चपेट में हैं, लेकिन अभी तक महज ३४७ गांवों में ही पशु शिविर स्वीकृत हुए हैं। शेष 1८२८ गांवों में शिविरों की स्वीकृति मिलने का इंतजार है। गौवंश संरक्षण का दावा महज दिखावा साबित हो रहा है। हकीकत यह है कि अभी तक तो कई पंचायत मुख्यालयों पर ही पशु शिविर स्वीकृत नहीं हो पाए हंै।

'सरपंच शुरू नहीं कर रहे पशु शिविर

ञ्च ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर पशु शिविर स्वीकृत कर दिए गए हैं, लेकिन सरपंच शिविर शुरू नहीं कर रहे हैं। इस संबंध में उपखंड अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि ग्राम सेवकों से पशु शिविर शुरू करवाएं। कमीशंड व नॉन कमीशंड गांवों व ढाणियों में टैंकरों से जलापूर्ति में लेटलतीफी करने वाले ठेकेदारों को नोटिस जारी कर दिए हैं। शीघ्र ही दूसरे ठेकेदारों को जलापूर्ति की जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी।

हनुमानसहाय मीणा, अतिरिक्त जिला कलेक्टर, बाड़मेर

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राजस्थान जल माफिया बेचते है करोड़ों का अवैध पानी

रेगिस्तान में पानी का करोड़ो का कारोबार अवियवसनीय जरुर लगता है, किन्तु सत्य है. पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर मे जिले में पेयजल संकट से जूझते आम जन के लिए पीने का पानी जहां एक बड़ा संकट है, वहीं इन जल माफियों के लिए आमदनी का जरिया बना हुआ है. एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि सभी गांवों में पानी पहुंचाया जा रहा है, दूसरी तरफ हकीकत में ग्रामीणों को पेयजल की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. गांवों में पेयजल योजनाएं ठप्प पड़ी है. ट्रैक्टर के पहियों पर पानी के करोड़ों रुपयों के अवैध कारोबार का धन्धा सरकारी कर्मचारियों की मेहरबानी से निर्बाध चल रहा है.
लगातार छः सालों से पड़ रहे अकाल ने कोढ में खाज का काम किया है. मानसून मेहरबान होता है, तो साल के चार महीनों में पानी के लिए मारामारी खत्म हो है जाती. लेकिन, आठ माह में पेयजल संकट से ग्रस्त गांवों में रहने वाले लोगों को पानी खरीद कर ही पीना पड़ता है शेष. इस बार बरसात के अभाव में निरन्तर पेयजल संकट रहा है. सर्दी के मौसम में भी ट्रैक्टर से पानी विपणन का कार्य चरम पर रहा. अमूमन गर्मियों में एक टैंकर पानी की कीमत चार सौ रुपए होती है, इस बार सर्दियों में भी एक ट्रैक्टर पानी की कीमत 550-600 रुपये है. जल माफिया इतने दुस्साहसी है कि अपने व्यवसाय में तेजी लाने के लिए सरकारी कारिन्दों से मिलीभगत कर सरकारी योजनाओं को ठप्प करवा देते है.
ऐसे में ग्रामीणों को मजबूरीवश मुंहमांगी कीमतों पर पेयजल टैंकर मंगवाने पड़ते है. माफिया स्थानीय कर्मचारियों के साथ मिलकर तकनीकी गड़बडि़यां कराते है, लेकिन जल विभाग के आला अधिकारी भी कुछ नहीं कर पाते. ऐसा ही एक माजरा नया मलवा में सामने आया. इस गांव की पाइप लाइन पिछले छह माह से बाधित है. ग्रामीण लम्बे समय से जिला कलेक्टर, विधायक तथा अधिशासी अभियंता तक को कई मर्तबा शिकायतें करने के बावजूद पाइप लाइन दुरुस्त नहीं पाई हो. ग्रामीण आज भी 600 रुपये देकर पानी के टैंकर मंगवा रहे है. पाक सीमा से सटे सैकड़ों गांवों में इस तरह पाइप लाइनें बाधित पड़ी है. गांवों में पेयजल संकट के कारण ग्रामीणों की हालात खराब है. ग्रामीणों को पानी के उपभोग में कंजूसी करने के बावजूद भी सामान्यतः - पांच छः सदस्यों एवं एक - दो पशु रखने वाले वाले परिवार को प्रति माह एक टैंकर खरीदना ही पड़ता है.
पीरे का पार गांव निवासी श्रीमती शहदाद ने बताया कि बरसात के समय टांकों में - तीन चार माह का पानी आ है जाता, जिसके चलते पेयजल संकट से कुछ राहत मिलती है. मगर, बार बरसात के अभाव में टांके सूखे पड़े हैं इस. भेड़ पालन का काम होने के कारण एक माह में लगभग तीन टैंकर पानी डलवाना ही पड़ता है. एक टैंकर पानी की कीमत 550-600 रुपये अदा करनी पड़ती है. साल भर मे लगभग तीस हजार रुपये का पानी खरीदना पड़ता है. जिले में सतही पारम्परिक जल स्रोतों, जैसे - तालाब, बेरी, कुएं, टांकों से उपलब्ध होता है. इन स्रोतों में बरसात का पानी संग्रह कर रखा जाता है. - भू जल के रुप में कुछ स्थानों पर कुओं, ट्यूबवेलों से गुणवतायुक्त पीने का पानी उपलब्ध होता है. पीने योग्य भूजल वाले क्षेत्रों में अधिकतर किसानों के निजी ट्यूबवेल तथा कुएं हैं.
किसान इस पानी को कृषि सिंचाई के लिए उपयोग करने के अतिरिक्त - ट्रैक्टर टैंकर वालों को बेच देते हैं. किसान एक - टैंकर ट्रैक्टर की भराई कीमत 100-150 रुपए में करवाते हैं. इस प्रकार निजी ट्यूबवेल व कुओं के मालिक भूजल दोहन कर लाखों रुपये की कमाई करते हैं. वहीं, ट्रैक्टर - टैंकर मालिक उसी पानी का गांवों तक परिवहन 350-700 रुपए तक वसुलते हैं कर. जल माफिया आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक रूप में इतने प्रभावी हैं कि उन्हें सार्वजनिक पेयजल स्रोतों से टैंकर भरने से रोकने का साहस कोई नहीं पाता कर. जिले में लगभग 15 हजार टैंकर है.
बाड़मेर जिले में विभिन्न सरकारी योजनाओं में लगभग आठ लाख टांके बने हुए हैं, इसके बावजूद पेयजल संकट यथावत है. जिला परिषद सदस्य रिड़मलसिंह दांता के अनुसार जन स्वास्थ्य विभाग को पेयजल योजनाओं पर खर्चा बन्द कर देना चाहिये. जिले में अरबों रुपये इन पेयजल योजनाओं पर व्यय किए गए हैं, मगर आहतों को आज तक राहत नहीं मिल पाई है. उनके अनुसार पेयजल आपूर्ति का कार्य ठेके पर दे देना चाहिये. ग्रामीणों को पानी खरीद कर ही पीना है, तो विभाग पर अनावश्यक खर्चा क्यों?
इधर, सम्बन्ध में अतिरिक्त जिला कलेक्टर हनुमान सहाय मीणा ने बताया कि प्रशासन अपने स्तर पर जल माफियों पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रहा है इस. प्रशासन ने आपदाग्रस्त गांवों में टैंकरों से पानी उपलब्ध करवा रहा है. विभागीय हाईडेंट प्वाईंटों पर निजी टैंकरों की भराई पर प्रतिबन्ध लगा रखा है. अधिशासी अभियंता डी.सी. विश्नोई ने बताया कि विभाग पूरा प्रयास कर रहा है कि ग्रामीण पेयजल योजनाएं तंदुरुस्त हो. इस सम्बन्ध में विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को सख्त हिदायत दे रखी है. सरकारी योजना के पेयजल स्रोतों से निजी टैंकरों को पानी भरने पर प्रतिबन्ध लगा रखा है.

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