झालावाड़ बीबी रसेल ने सराही झालावाड़ जिले की बुनकर कला
झालावाड़ 7 मार्च। बांगलादेश से आईं अंतर्राष्ट्रीय फैशन डिजाइनर बीबी रसैल ने झालावाड़ जिले की बुनकर कला की सराहना की है।
बीबी रसैल 7 मार्च को एक दिन की यात्रा पर झालावाड़ आईं। उन्होंने जिला कलक्ट्रेट सभागार में जिले की बुनकर महिलाओं, रेडिमेड कपड़े सिलने वाले तथा कशीदाकारी करने वाले महिला स्वयं सहायता समूहों से बात की एवं असनावर गांव में जाकर महिला बुनकरों को करघे पर काम करते हुए देखा। उन्होंने झालावाड़ जिले की असनावर, रायपुर तथा निकटवर्ती गांवों में लगभग 200 महिलाओं द्वारा बड़े स्तर पर कपड़ा बुने जाने को महिला सशक्तीकरण का बड़ा माध्यम बताया तथा कहा कि यहां हर महिला आत्मविश्वास से अपना स्वयं का कार्य घर में बैठकर कर रही है तथा यह अच्छी बात है कि प्रत्येक महिला प्रतिमाह 5 से 6 हजार रुपये कमा लेती है। उन्होंने कहा कि यह गांधीजी द्वारा देखे गये सपने को पूरा करने जैसा है। आज से लगभग 6 साल पहले जब वे मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की सलाह पर झालावाड़ आईं थीं तब यहां के बुनकरों की कला इतनी विकसित नहीं थीं किंतु उस समय दिये गये प्रशिक्षण के बाद उनकी कला में सुखद सुधार आया है। बीबी रसैल ने कहा कि मैैं झालावाड़ की इन महिला बुनकरों को देखकर अभिभूत हूं तथा अप्रेल माह के प्रथम सप्ताह में पुनः झालावाड़ आकर इन महिला बुनकरों को प्रशिक्षित करूंगी कि अपने माल को वे कैसे प्रस्तुत करें कि उन्हें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अच्छा दाम मिल सके।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निकल सकती है अच्छी मांग
बीबी रसैल ने कहा कि झालावाड़ के महिला बुनकर समूहों द्वारा पक्के रंगों का प्रयोग किया जा रहा है, अच्छी डिजाइनें काम में ली जा रही हैं तथा अच्छी गुणवत्ता का धागा प्रयुक्त हो रहा है। इस कारण इनके द्वारा उत्पादित साड़ियों, खेसों, तौलियों, दरियों, गलीचों तथा सफेद खादी की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी मांग निकलने की संभावनाएं मौजूद हैं। बीबी रसैल ने असनावर में तैयार किये जा रहे चौड़े पाट के सफेद कपड़े की गुणवत्ता को देखकर सुखद आश्चर्य व्यक्त किया और कहा कि यह बहुत अच्छा और बहुत सस्ता है। गांव में ही इस कपड़े पर ब्लॉक प्रिंटिंग भी की जा रही है। गांव में 1 किलो भार की अच्छी किस्म की रजाइयों को देखकर उन्होंने कहा कि इसकी राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी मांग हो सकती है।
अंतर्राष्ट्रीय फैशन डिजाइनर ने खरीदी असनावर की खादी
बीबी रसैल ने स्वयं भी अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में प्रदर्शित करने के लिये इन महिलाओं को आगामी 7 दिन में 7-7 मीटर लम्बे खेसों के दो थान, दरियां तौलिये एवं चद्दरें तैयार करने के आदेश दिये। उन्होंने असनावर गांव में तैयार सफेद खादी भी खरीदी।
तैयार माल बेचने महिलाएं जाती हैं प्रदर्शनियों एवं मेलों में
महिला बुनकरों ने बीबी रसैल को बताया कि वे जिला उद्योग केन्द्र के नेतृत्व में अपने उत्पादनों के साथ दिल्ली, अजमेर, जयपुर, भोपाल एवं जोधपुर आदि शहरों में लगने वाली प्रदर्शनियों एवं मेलों में जाती हैं तथा वहां उनकी अच्छी बिक्री होती है। वहां महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा उनके ठहरने की व्यवस्था की जाती है। दिल्ली में 10 दिन में लगभग 5 से 6 लाख रुपये तक का माल बिक जाता है।
जिला स्तर पर बनाई जायेगी वैबसाइट
इस अवसर पर जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने कहा कि असंगठित रूप से काम करने के कारण इन महिलाओं को उनके उत्पादों की अभी कम कीमत मिल रही है। यदि इन्हें राजस्थली आदि संगठित विपणन व्यवस्था से जोड़ दिया जाये तो इनकी आय में अच्छी वृद्धि हो सकती है। जिला कलक्टर ने कहा कि शीघ्र ही जिला मुख्यालय पर जिले के समस्त आर्टीजन्स की एक वैबसाइट बनाई जायेगी जिस पर, तैयार उत्पादों के नमूने, आर्टीजन्स के नाम एवं सम्पर्क आदि जानकारी दी जायेगी ताकि क्रेता सीधे ही इन कारीगरों से काम करके माल खरीद सकें तथा बिचौलियों की भूमिका को समाप्त किया जा सके।
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