जैसलमेर, गायों में करोंवाल रोग के लिए बचाव ही उपचार है
पषुपालन विभाग ने रोग के लक्षण व सावधानी की दी जानकारी
जैसलमेर, 19 जनवरी/संयुक्त निदेषक पषुपालन डाॅ. मलखान मीणा ने गायों में होने वाले करोंवाल रोग (बोटयूलिजम) के संबंध में एक पेम्पलेट प्रकाषित कर बताया कि इस रोग के लिए बचाव ही मुख्य उपचार है। उन्होंने बताया कि इस रोग का मुख्य लक्षण यह होगा कि पषु जमीन पर बैठ जाते हैं तथा जीभ बाहर निकाल देते हैं एवं मुंह में लार गिरनी शुरु हो जाती है व पषुचारा पानी व खाना - पीना बन्द कर देता है एवं उसकी दो - तीन दिन में मृत्यु हो जाती है।
उन्होंने बताया कि करों वाला रोग (बोटयूलिजम) आहारमें फोस्फोरस तत्व की कमी से पाईका रोग होने से होता है। इसमें पषु फासफोरस की पुर्ती के लिए मृत पषुओं हडडियां, पत्थर, पोलीथिन व अन्य कचरा खाना शुरु कर देते है गायों व भैसों द्वारा मृत पषुओं की हड्डियां खाने से हस रोग का प्रकोप हेता हे। मृत पषुओं की हडडियों में लगे सडे हुए मांस में क्लोस्टिडियम बोटुलीनम नामक बैक्ट्रिया टोक्सिन पैदा करते है एवं हडडियों में लगे हुए मांस की एक से दो ग्राम मात्रा स्वस्थ पषु की मृत्यु के लिए काफी है।
उन्होंने बताया कि इस रोग से अच्छे दुधारु पषु व ब्याने वाली गायें ज्यादा प्रभावित होती है क्योंकि दुग्ध उत्पादन के लिए व पेट में बछडे की हडियों के बनने के लिए फास्फोरस की आवष्यकता होती है। इस रोग का पुर्व में कोई टीका (वैक्सीन) उपलब्ध नहीं है व बीमार होने पर औष्धियां भी असर नहीं करती है।
उन्होंने बताया कि इस रोग से बचाव के लिए पषुओं को आहार में फास्फोरस तत्व की मात्रा देनी चाहिए। फास्फोरस की पूर्ति के लिए पषुओं को नियमित रुप से मिनरल मिक्सचर पाउडर 25-25 ग्राम व पावडर सोडियम ऐसिड फाॅस्फेट 25 - 25 ग्राम सुबह - शाम आहार में देना चाहिए व वर्ष में तीन बार पेट के कीडों की दवाई पिलानी चाहिए।
रोग से बचाव के लिए पषुओं को मृत पषुओं की हड्डीयां खाने से रोकना चाहिए। इस के लिए मृत पषुओं को गांव से बाहर चार दिवारी या तारबंदी में डालना चाहिए।
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