अजमेर।बोर्ड कॉपियों पर होगा बार कोड, नहीं मालूम होगा रोल नंबर
परीक्षाओं में अच्छे नंबर लाने अथवा मेरिट में आने के लिए अब परीक्षकों से मिलीभगत काम नहीं आएगी। निजी स्कूल संचालकों द्वारा विद्यार्थियों को मनचाहे अंक दिलाने के लिए परीक्षकों से मेलजोल के मामले सामने आने के बाद अब माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान ने उत्तर पुस्तिकाओं की पहचान छिपाने के लिए फुलप्रूफ बार कोडिंग की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है।
इस साल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की बारहवीं परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं जांचने के मामले में बड़ा खुलासा सामने आया था। एक निजी स्कूल संचालक सुरेश जाट ने उदयपुर सराड़ा के परीक्षक अमरचंद कुम्हार से संपर्क कर अपने स्कूल के विद्यार्थियों को अधिक अंक देने के लिए प्रलोभन दिया। बात नहीं बनी तो धमकी तक दे दी।
कुम्हार की शिकायत पर पुलिस में मामला दर्ज हुआ और शिक्षा बोर्ड की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में मिलीभगत का बड़ा मामला सामने आया।
बार कोडिंग से आशंका खत्म
शिक्षा बोर्ड ने परीक्षकों से मिलीभगत की आशंका खत्म करने के लिए अब उत्तर पुस्तिकाओं को बार कोडिंग के हिसाब से डिजाइन कराने के निर्देश दिए हैं। उत्तर पुस्तिका के मुख पृष्ठ पर विद्यार्थी का रोल नंबर, उत्तर पुस्तिका क्रमांक, विषय, परीक्षा दिनांक के कॉलम होते हैं। उत्तर पुस्तिका इस तरीके से बनाई जाएगी कि उसका यह सिरा परीक्षा के बाद हटा दिया जाएगा और उसकी जगह सांकेतिक भाषा में गोपनीय रोल नंबर का स्टीकर (बार कोडिंग) लग जाएगा। बार कोङ्क्षडग के बाद बोर्ड कार्मिकों सहित परीक्षक को भी जानकारी नहीं होगी कि उस कॉपी पर कौन सा रोल नंबर है। यह रोल नंबर सिर्फ विशेष मशीन (बार कोड स्केनर) की मदद से देखा जा सकेगा, जो बोर्ड अधिकारियों के पास होगी।
यह है बार कोडिंग
बड़ी कम्पनियों के उत्पाद सहित अब डिपार्टमेंटल स्टोर में सामान खरीदने के बाद कैश काउंटर पर भुगतान करते समय कर्मचारी बार कोड स्केनर से उस उत्पाद की कीमत स्केन करते हैं। यही बार कोडिंग व्यवस्था है। किसी ग्राहक द्वारा उस उत्पाद पर लगे मूल्य का टैग हटाने अथवा बदलने के बावजूद उत्पाद का सही मूल्य सामने आ जाता है। उत्तर पुस्तिकाओं में अब रोल नंबर छुपाने के लिए इसी सांकेतिक गोपनीय भाषा बार कोडिंग का उपयोग किया जाएगा।
नए साल से उत्तर पुस्तिकाओं में बार कोडिंग की सुरक्षात्मक व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसकी तैयारी चल रही है। इसके बाद स्कूल संचालक, परीक्षक और बोर्ड के कार्मिक भी उत्तर पुस्तिका की पहचान नहीं कर पाएंगे।
प्रो. बी.एल. चौधरी, अध्यक्ष, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान।
परीक्षाओं में अच्छे नंबर लाने अथवा मेरिट में आने के लिए अब परीक्षकों से मिलीभगत काम नहीं आएगी। निजी स्कूल संचालकों द्वारा विद्यार्थियों को मनचाहे अंक दिलाने के लिए परीक्षकों से मेलजोल के मामले सामने आने के बाद अब माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान ने उत्तर पुस्तिकाओं की पहचान छिपाने के लिए फुलप्रूफ बार कोडिंग की नई व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है।
इस साल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की बारहवीं परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं जांचने के मामले में बड़ा खुलासा सामने आया था। एक निजी स्कूल संचालक सुरेश जाट ने उदयपुर सराड़ा के परीक्षक अमरचंद कुम्हार से संपर्क कर अपने स्कूल के विद्यार्थियों को अधिक अंक देने के लिए प्रलोभन दिया। बात नहीं बनी तो धमकी तक दे दी।
कुम्हार की शिकायत पर पुलिस में मामला दर्ज हुआ और शिक्षा बोर्ड की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में मिलीभगत का बड़ा मामला सामने आया।
बार कोडिंग से आशंका खत्म
शिक्षा बोर्ड ने परीक्षकों से मिलीभगत की आशंका खत्म करने के लिए अब उत्तर पुस्तिकाओं को बार कोडिंग के हिसाब से डिजाइन कराने के निर्देश दिए हैं। उत्तर पुस्तिका के मुख पृष्ठ पर विद्यार्थी का रोल नंबर, उत्तर पुस्तिका क्रमांक, विषय, परीक्षा दिनांक के कॉलम होते हैं। उत्तर पुस्तिका इस तरीके से बनाई जाएगी कि उसका यह सिरा परीक्षा के बाद हटा दिया जाएगा और उसकी जगह सांकेतिक भाषा में गोपनीय रोल नंबर का स्टीकर (बार कोडिंग) लग जाएगा। बार कोङ्क्षडग के बाद बोर्ड कार्मिकों सहित परीक्षक को भी जानकारी नहीं होगी कि उस कॉपी पर कौन सा रोल नंबर है। यह रोल नंबर सिर्फ विशेष मशीन (बार कोड स्केनर) की मदद से देखा जा सकेगा, जो बोर्ड अधिकारियों के पास होगी।
यह है बार कोडिंग
बड़ी कम्पनियों के उत्पाद सहित अब डिपार्टमेंटल स्टोर में सामान खरीदने के बाद कैश काउंटर पर भुगतान करते समय कर्मचारी बार कोड स्केनर से उस उत्पाद की कीमत स्केन करते हैं। यही बार कोडिंग व्यवस्था है। किसी ग्राहक द्वारा उस उत्पाद पर लगे मूल्य का टैग हटाने अथवा बदलने के बावजूद उत्पाद का सही मूल्य सामने आ जाता है। उत्तर पुस्तिकाओं में अब रोल नंबर छुपाने के लिए इसी सांकेतिक गोपनीय भाषा बार कोडिंग का उपयोग किया जाएगा।
नए साल से उत्तर पुस्तिकाओं में बार कोडिंग की सुरक्षात्मक व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसकी तैयारी चल रही है। इसके बाद स्कूल संचालक, परीक्षक और बोर्ड के कार्मिक भी उत्तर पुस्तिका की पहचान नहीं कर पाएंगे।
प्रो. बी.एल. चौधरी, अध्यक्ष, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान।