जेसलमेर नशे का बढ़ता कारोबार,किशोर फंसे चायनीज ई हुक्को में*
*पर्यटको की आड में अवैध हुक्का बार का संचालन*
*चाइनीज ई हुक्को का बढ़ता बाज़ार युवाओ की जिन्दगि से खेल रहा*
जैसलमेर सरहदी जिला जैसलमेर मादक पदार्थो की तस्करी के लिए कुख्यात रहा है।अस्सी और नब्बे के दशक में मादक और नशीले पदार्थो की तस्करी चरम पर थी।यह वह समय था जब जेसलमेर पर्यटन के क्षेत्र में अपना मुकाम बना रहा था।।विदेशी पर्यटकों के आगमन के साथ जैसलमेर की आबोहवा बदलने लगी।।पर्यटको से जुड़े व्यवसाय में लगातार बढ़ोतरी हुई।बाहर से लोग व्यवसाय करने इस शहर में पहुंचने लगे। होटलों और रेस्तरांओं की भरमार हो गई।।आज साढ़े आठ सौ से अधिक वेध अवैध होटले संचालित की जा रही है। करोड़ो रूपये निवेश कर इनका संचालन हो रहा है।।पैसा कमाने की धुन में अवैध व्यापार भी लगातार बढ़ता रहा। देह व्यापार से लेकर नशीले पदार्थ पर्यटको को उपलब्ध कराए जाते है ।आधुनिक युवा पीढ़ी देशी विदेशी हुक्को के कस मारने की शौकीन है।।मेट्रो शहरों की तर्ज पर जेसलमेर के छोटे बड़े होटलोंऔर रेस्तरांओं में अवैध रूप से हुक्का बार का संचालन होता है। चूंकि हुक्का बार पर कोई प्रतिबंध नही है।मगर निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत लाइसेंस लेना आवश्यक है।।प्रशासनिक सूत्रों की माने तो जेसलमेर में एक भी अधिकृत लाइसेंस हुक्का बार का निहि है।इसके बावजूद होटलों और रेस्तरांओं में हुक्का बार संचालित किया जा रहा है।विभिन फ्लेवर के हुक्के उपलब्ध है।।एक बार एक हुक्के की कीमत पांच सौ से आठ सौ रुपये है।।सामान्य हुक्के धूम्रपान का प्रतीक है मगर जो हुक्के फ्लेवर की आड़ में चल रहे है उनमें नशीले पदार्थो का समावेश होता है।।आधी रात के बाद हुक्का बार का कारोबार शुरू होता है। इस हुक्का बार के संचालन का विपरीत प्रभाव शहरी क्षेत्र के किशोर उम्र के युवाओ पर सर्वाधिक पड़ा है। शहर में छोटे छोटे स्थानों पर पेंसिल नुमा हुक्को का प्रचलन सर्वाधिक हो रहा है। इस यरह का अवैध व्यापार करने वाले संगठित गिरोह चला रहे है। यह गिरोह स्कूली बच्चों को इसके आदि करने की मुहिम चलाये है।होली के फिन पुलिस ने ऐसा एक मामला पकड़ा भी।।इसके बाद अभिभावक भी जागे है।।ये संगठित गिरोह जिसमे अधिकांस किशोर व्यय लड़के है स्कूली बच्चों को घरों से पैसे लाने को मजबूर कर रहे है। ऐसी कई शिकायतें आने पर कुछ अभिभावक संबंधित स्कूल भी पहुंच गए।।स्कूली छात्रों को पेंसिल हुक्का के आदि किये जा रहे है।।इन छात्रों से दस मिनट हुक्का पीने के सौ रुपये से दो सौ रुपये वसूले जा रहे है। जजेसलमेर में हुक्के का रोग बढ़ता जा रहा है।अभिभावक परेशान है।उनके बच्चे हुक्को के चक्कर मे घरों से पैसे चोरी करके ले जा रहे।।यह संगठित गैंग छात्रों को मजबूर कर रहे है पैसे लाने के लिए।।
जेसलमेर की आबोहवा में मादक और नशीले पदार्थो का जहर घोला जा रहा है।।पुलिस विभाग को इस अवैध कारोबार को यही रोकने के व्यापक उपास्य ईमानदारी से करने होंगे ताकि युवा पीढ़ी नशे की लत से बच सके। इसके लिए जरूरी है इस कारोबार से जुड़े असली मुजरिमो तक पहुंचे।।
*आखिर क्या है ई हुक्का*
ई हुक्का खुलेआम मार्केट में 30 फ्लेवर्स में बिक रहा है। इसे खरीदने के लिए कक्षा नौ से लेकर इंटरमीडिएट व स्नातक तक के छात्र-छात्राओं में होड़ लगी हुई है। कुछ शौकिया हुक्का खरीद रहे हैं तो कुछ का दावा है कि वो इसे सिगरेट की लत छुड़ाने के लिए पी रहे हैं। स्थिति यह है कि जिनके माता पिता पॉकेट मनी कम दे रहे हैं, उनके बच्चे चार से पांच के समूह में ई हुक्का खरीदकर इस शौक को पूरा कर रहे हैं। धीरे-धीरे यह शौक इन छात्र छात्राओं को सिगरेट और स्मैक के नशे की ओर ले जा रहा है।
मोटी स्केच या पेन की की तरह होता है। जिसमें लगी एक तरफ की क्लिप से जेब में पेन की तरह रख लिया जाता है। इसके अंदर बैट्री होती है, जिसको एक किनारे में यूएसबी पोर्ट लगाकर लैपटॉप या बिजली से करीब 20 से 30 मिनट में चार्ज किया जा सकता है। इसी बैट्री के बराबर में फ्लेवर और तंबाकू मिली एक टिक्की या रिफिल लगी होती है। ऑन कर दूसरी ओर से कश लगाने पर सिगरेट से ढाई गुना तेजी से और अधिक धुंआ निक लता है। जिसे सिगरेट से अधिक हानिकारक बताया जा रहा है। पेन या मोटी स्केच की शक्ल में होने के कारण इसे आसानी से पकड़ा नहीं जा सकता।
750 से लेकर एक हजार रुपये की कीमत वाला हुक्का एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकता है। जबकि दो हजार रुपये तक के हुक्के में फ्लेवर और तंबाकू का 100 से 150 रुपये में अलग-अलग फ्लेवर में लिक्वड रिफिल करके करीब 20 बार चार्ज करने की व्यवस्था है। एक रिफिल या टिक्की में करीब 500 कश लगाने की क्षमता है। इन ई हुक्का को बेचने वालों का दावा है कि ये पूरी तरह तंबाकू फ्री है। इसमें नशा नहीं है, लेकिन यह बहुत जल्द बच्चों को नशे का लती बना देता है।
*शारीरिक नुकसान ई हुक्के से*
‘ई हुक्के का धुआं और बैट्री से मिलने वाली गर्मी युवाओं के फेफड़ों, चेस्ट और गुर्दे पर सीधे असर डालती है। जिसकी वजह से सांस की बीमारी, हार्ट अटैक और निमोनिया की चपेट में वे आ जाते हैं। आगे चलकर किडनी डेमेज होने का खतरा बना रहता है।’