शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

बाड़मेर,नगर परिषद से अधिकारियांे से मांगा स्पष्टीकरण



बाड़मेर,नगर परिषद से अधिकारियांे से मांगा स्पष्टीकरण
बाड़मेर, 01 सितंबर। कांजी हाउस से जानवरांे को सरहदी इलाकांे मंे छोड़ने के मामले मंे जिला कलक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते ने नगर परिषद के अधिकारियांे से स्पष्टीकरण मांगा है।

जिला कलक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते ने बताया कि ग्रामीणांे की ओर से प्रस्तुत की गई शिकायत मंे पशुआंे के लिए किसी तरह के चारे-पानी के इंतजाम नहीं करने के बारे मंे अवगत कराया गया था। इसको गंभीरता से लेते हुए नगर परिषद के अधिकारियांे से स्पष्टीकरण के साथ विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी गई है।

श्रीनगर में पुलिस के जवानों की बस पर आतंकी हमला, 1 जवान शहीद, 8 घायल, लश्कर ने ली जिम्मेदारी

श्रीनगर में पुलिस के जवानों की बस पर आतंकी हमला, 1 जवान शहीद, 8 घायल, लश्कर ने ली जिम्मेदारी


श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में श्रीनगर के पंथाचौक पर आज शाम पुलिस के जवानों की बस पर आतंकी हमला किया गया है। इस हमले में 8 पुलिसकर्मियों के घायल होने और 1 जवान के शहीद होने की खबर है। हमले की सूचना मिलते ही पंथा चौक इलाके में ट्रैफिक को रोक दिया गया है। आतंकी हमले के बाद इलाके में अफरा तफरी का माहौल है। पंथा चौक इलाके में पूरी तरह से घेर लिया गया है। फिलहाल सर्च ऑपरेशन जारी है। शुरूआती खबरों के मुताबिक हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर—ए—तैयबा ने ली है।




जानकारी के अनुसार, श्रीनगर के पंथाचौक पर पुलिस के जवानों की बस किया गया ये आतंकी हमला आतंकियों ने पुलिस की पेट्रोलिंग पार्टी को निशाना बनाकर किया है। पुलिसकर्मियों को लेकर जा रही इस बस पर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी। इस हमले में 8 पुलिसकर्मियों के घायल होने और 1 जवान के शहीद होने की खबर है। दो पुलिसकर्मियो की हालत गंभीर है। हमले की जिम्मेदारी लश्कर ने ली है।




यह हमला उस वक्त किया गया, जब दिन भर की ड्यूटी के बाद पुलिसकर्मी जम्मू कश्मीर आर्म्ड पुलिस के मुख्यालय की तरफ लौट रहे थे। हमले में गंभीर रूप से घायल पुलिसकर्मियों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। वहीं हमले के बाद से ही इलाके में पूरी तरह से घेर लिया गया है। फिलहाल सर्च ऑपरेशन जारी है, जिसके चलते मुठभेड़ अभी जारी है।

राम रहीम की मुंह बोली बेटी हनीप्रीत समेत दो के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी, कभी भी हो सकती है गिरफ्तारी

राम रहीम की मुंह बोली बेटी हनीप्रीत समेत दो के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी, कभी भी हो सकती है गिरफ्तारी

पंचकुला। हरियाणा के पंचकुला जिले के सेक्टर पांच पुलिस स्टेशन ने दो साध्वियों के साथ रेप केस में जेल की हवा खा रहे गुरमीत राम रहीम की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया है। हरियाणा पुलिस ने हनीप्रीत समेत राम रहीम सिंह के दो निकट सहयोगियों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है। लुकआउट नोटिस जारी किए जाने के बाद हनीप्रीत अपने पासपोर्ट के साथ देश की सीमा से बाहर नहीं जा पाएंगी और हरियाणा पुलिस उन्हें तलाश भी कर रही है।




आपको बता दें कि हनीप्रीत को करीब—करीब हर मौके पर राम रहीम के साथ देखा गया है, वहीं राम रहीम की फिल्मों में भी शूटिंग के दौरान हनीप्रीत राम रहीम के इर्दगिर्द ही देखी गई है। गौरतलब है​ कि हनीप्रीत वही लड़की है, जिसे राम रहीम की गिरफ्तारी के वक्त उसके साथ देखा गया था। हनीप्रीत इंसान को गुरमीत राम रहीम के साथ उस सरकारी हेलिकॉप्टर में भी देखा गया था, जिससे राम रहीम को रोहतक जेल ले जाया गया था।




राम रहीम के दो निकट सहयोगियों के खिलाफ जारी किए गए लुकआउट नोटिस में हनीप्रीत के अतिरिक्त डेरा प्रवक्ता आदित्य इन्सां का भी नाम शामिल है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इन दोनों सहयोगियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। पुलिस ने उन्हें देश छोड़कर फरार होने से






हनीप्रीत पर यौन शोषण मामले में राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद राम रहीम को कोर्ट से भगाने की साजिश बताई जा रही है। 25 अगस्त यानी शुक्रवार को डेरा प्रमुख राम रहीम को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने साध्वियों से यौन शोषण मामले में उन्हें दोषी ठहराया था दोषी ठहराए जाने के बाद राम रहीम का भगाने का प्लान बनाया था। लेकिन हरियाणा पुलिस और सैना की तैनात मौजूदगी को देखकर इनके प्लान पर पानी फिर गया।

गोरखपुर के बाद अब बांसवाड़ा में 51 दिनों मे 81 नवजात शिशुओं की मौत, 4 की हालत अब भी नाजुक

गोरखपुर के बाद अब बांसवाड़ा में 51 दिनों मे 81 नवजात शिशुओं की मौत, 4 की हालत अब भी नाजुक


बांसवाड़ा। राजस्थान के आदिवासी बाहुल क्षेत्र बांसवाडा में प्राय गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था में समुचित पोषाहार नहीं मिलने से उनके बच्चे अत्यधिक कमजोर पैदा हो रहे हैं ओर इसके बाद इनमें से कई नवजात बच्चे मौत का शिकार हो रहे हैं। बांसवाडा जिले के राजकीय महात्मा गांधी चिकित्सालय मे बीते 53 दिनों मे ऐसे 81 नवजात बच्चों की दुनिया मे कदम रखने के चन्द दिनों बाद ही मौत हो गई। इनमें 50 बच्चे जुलाई माह में और 31 बच्चे 22 अगस्त तक मौत के मुंह मे जा चुके हैं।




ये मृतक नवताज शिशु 1 से 20 दिनों की अवधि उम्र के थे। पिछले आठ माह के आंकडों की बात कि जाए तो यहां पर जुलाई माह मे एकाएक मौतों का आंकडा काफी हद तक ऊपर बढ़ गया। यही क्रम अगस्त 2017 तक दिखाई दिया है। इससे पहले 6 माह मे जनवरी में सबसे ज्यादा 33 व जून में 21 बच्चों की सबसे कम मौतें हुई।




शिशु रोग विशेषज्ञ डाक्टर रंजना चरपोटा ने बताया कि मौतों के पीछे प्रमुख कारण बच्चोें का कमजोर पैदा होना, प्रसव से पहले गर्भवती को उचित मात्रा में पोषक नहीं मिलना तथा अधिकांश बच्चे जो अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड मे इलाज के लिए पहुुंचते हैं, उनका वजन डेढ़ किलो से भी काफी हद तक कम पाया गया है। प्रसव के पूर्व प्रसुताओं मे हिमोग्लोबिन भी कम होता है और प्रसव पूर्व देखभाल सही नहीं होने के कारण प्रसव भी समय से पूर्व हो रहे हैं। इस स्थिति मे बच्चे के बचने की गुजाईश कम हो जाती है।




देखभाल में लापरवाही :

ग्रामीण अंचलों मे आशा सहयोगिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और एएनएम के माध्यम ये गर्भवती के स्वास्थ्य की उचित देख भाल नहीं होना भी मौत का एक कारण है। इससे प्रसुताओं मे कम हिमोग्लोबिन का पता नहीं चल पाता। प्रसव पूर्व आयरन फॉलिक एसीड की गाोलियां नहीं दिए जाने के कारण रक्त मे कमी पाई जा रही है।




ये भी है कारण :

जून तक मृत्यु दर जिला अस्पताल में आंकी जा रही थी, लेकिन इसके बाद मिशन पुकार के कारण सक्रियता बढ़ी, निगरानी जागरूगता बढ़ी तो गंभीर प्रसुताएं रैफर होकर ज्यादा आने लगी। इससे भी आंकडा बढ़ा है।




मिट्टी खाती हैं गर्भवती महिलाएं :

ग्रामीण क्षेत्रों मे ज्यादातर गर्भवती महिलाएं केल्शियम की गोलियां भी समुचित मात्रा मे नहीं ले पाती है। ऐसे मे केल्शियम की कमी होने पर वे घर के लेपे हुए आंगन की मिटटी कुरेद कर सेवन कर केल्शियम की कमी को पुरा करने का प्रयास करती है। इससे जन्म लेने वाले नवताज शिशु में कीड़े पड़ जाते हैं। ऐसे में बच्चे प्राय बीमार हो जाते हैं और कई बार कमजोरी के कारण मौत के मुं​ह में समा जाते हैं।









चार बच्चों की है हालत खराब :

नवजात शिशु के परिजन रामलाल ने बताया कि हमारे बच्चे को सांस नहीं ली जा रही है। इसलिए डॉक्टर ने बाहर ले जाने के लिए बोला है, लेकिन हमारे पास पैसे की व्यवस्था नहीं होने के कारण हम ऐसा नहीं कर सकते। भगवान जो करें वो सही। इसी तरह अभी अस्पताल मे चार नवजात शिशु और मौत के मुंह मे जाने लिए खड़े हैं। वहीं डाक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। बाहर ले जाओ, यहां पर कोई इलाज नहीं हो रहा है।




परिजनों से पहले ही लिखवाकर ले लेते हैं डॉक्टर :

खास बात तो ये देखने मिलती है कि अस्पताल मे प्रसुताओं को भर्ती करने वाले टिकिट पर उनके परीजनों के हाथ से डाक्टर 'नवजात शिशु को इलाज कराने बाहर ले जाना चाहते हैं' ये लिखवा देते हैं और इलाज करते हैं, ताकि इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो जाए तो परीजनों की जिम्मेदारी बता दी जाती है। हालांकि लिखने के लिए परिजन मजबूर रहते हैं, क्योकि डॉक्टर दवा नहीं करेगा, ऐसा मानकर ये आदिवासी लोग लिख देते हैं।

ओझल 'सरस्वती' की खोज में अब तेजी की उम्मीद, जैसलमेर पहुंची हरियाणा-राजस्थान की संयुक्त टीम

ओझल 'सरस्वती' की खोज में अब तेजी की उम्मीद, जैसलमेर पहुंची हरियाणा-राजस्थान की संयुक्त टीम


जैसलमेर। काल के प्रवाह को दौरान लुप्त हुई वैदिक काल की सरस्वती नदी की पुनः खोज के लिए केंद्र सरकार के अंतर्गत अध्ययन दल ने जैसलमेर के सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा किया। जैसलमेर हरियाणा सरस्वती हेरिटेज डवलपमेंट बोर्ड की टीम और राजस्थान सरकार के भूजल टीम ने जैसलमेर जिले के सीमावर्ती गांवों में सरस्वती नदी की विजिबिलिटी सहित अन्य संभावनाएं तलाशी। गौरतलब है कि किसी जमाने में सरस्वती नदी जैसलमेर जिले से बहती थी और पूर्व में इस नदी की खोज के लिए कई सर्वे हो चुके हैं। केन्द्र सरकार ने भी इसका एक प्रोजेक्ट तैयार किया था। फिलहाल हरियाणा सरकार का एक प्रोजेक्ट युद्धस्तर पर चल रहा है।




हरियाणा बोर्ड के डिप्टी प्रेसिडेंट प्रशांत भारद्वाज के नेतृत्व में टीम ने सीमावर्ती रणाऊ, तनोट, किशनगढ़, कुरिया बेरी व धरमी कुआ क्षेत्र में सर्वे कर डाटा कलेक्शन किया। टीम ने यहां सरस्वती नदी की विजिबिलिटी भी जांची। अब इस टीम द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की जाकर हरियाणा सरकार को सौंपी जाएगी। इस टीम में भूजल विभाग राजस्थान सरकार के मुख्य अभियंता सूरजभानसिंह, हरियाणा सिंचाई विभाग के एसई अरविंद कोशिक, तकनीकी कंसलटेंट आदित्य व जैसलमेर के वरिष्ठ भूजल वैज्ञानिक एन.डी इणखिया भी शामिल थे।




प्रशांत भारद्वाज ने बताया कि हरियाणा सरकार ने 2014 में यह प्रोजेक्ट शुरू किया था। 21 अप्रैल 2015 को हमने सारे रिकार्ड व डाटा कलेक्शन कर सरस्वती नदी की खोज शुरू कर दी। हमारे पास इसरो, ओएनजीसी, राजस्थान व हरियाणा के भूजल विभाग के साथ जियोलॉजिकल स्टडी और वैज्ञानिक सबूत भी है। उन्होंने बताया कि यह नदी हरियाणा के साथ साथ राजस्थान व गुजरात भी में बहती थी। ऐसे में अब यहां की सरकारों को भी इस प्रोजेक्ट में साथ जुड़ने की जरूरत है। केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने भी यही कहा था।




भारद्वाज ने बताया कि यह बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है और हमारी संस्कृति, सभ्यता व धरोहर से जुड़ा हुआ है। वर्तमान में हमारे पास 5 हजार से 18 से 20 हजार साल पुराने फॉसिल्स उपलब्ध है। यह प्रोजेक्ट का भविष्य जल प्रबंधन व हेरिटेज टूरिज्म के तौर पर देखा जा सकता है।




उल्लेखनीय है कि सरस्वती नदी के प्रोजेक्ट को लेकर राजस्थान सरकार कम रूचि दिखा रही है, जबकि हरियाणा सरकार ने इसका बोर्ड गठित कर सर्वे शुरू कर दिया है। जून 2015 में तत्कालीन पीएचईडी मंत्री किरण माहेश्वरी ने कहा था कि सरस्वती नदी राजस्थान सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। उस दौरान डीपीआर भी तैयार हो गई थी और पहला फेज 80 करोड़ था। उन्होंने कहा था कि यदि साल के अंत तक केन्द्र से बजट नहीं मिला तो राजस्थान सरकार बजट देगी और प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।




राजस्थान सरकार के भूजल विभाग के मुख्य अभियनता सूरजभानसिंह ने बताया की सरस्वती नदी का परवाह क्षेत्र में हनुमानगढ़, बीकानेर और जैसलमेर होते हुए गुजरात कच्छ के रास्ते तक पहुंचता है। उन्होंने बताया कि अध्ययन दल ने पुराने अध्यनों के निष्कर्षों को शामिल करते मौजूद समय में जो खोजबीन की है, उससे इतना साफ़ है कि सरस्वती के चैनल्स के पुनःजीवित होने से संबंधित क्षेत्रों में आगामी 20 साल से 30 साल तक पीने के पानी का बंदोबस्त हो जाएगा।




आपको बता दें कि जैसलमेर जिले से सरस्वती नदी के जुड़ाव को लेकर साक्ष्य मिल चुके हैं तथा उन पर आगे समग्र अनुसंधान से इस जिले के कायाकल्प होने की भी आशाएं संजोई गई थी। जानकारों की मानें तो जैसलमेर के लाठी क्षेत्र में भूगर्भीय मीठा पानी सरस्वती नदी के चैनल की वजह से ही प्राप्त होता रहा है। केंद्र सरकार के पास जैसलमेर जिले में सरस्वती नदी के बहाव क्षेत्र का पूरा नक्शा तैयार है। यदि जिले के मौजूदा नक्शे को उस चैनल के नक्शे पर रखकर देखा जाए तो भावी संभावनाओं की तस्वीर काफी हद तक साफ हो सकती है।