सोमवार, 13 जुलाई 2015

रहस्य: इसलिए पूजा जाता है भगवान शिव का लिंग



शिव ब्रह्मरूप होने के कारण निष्कल अर्थात निराकार हैं । उनका न कोई स्वरूप है और न ही आकार वे निराकार हैं । आदि और अंत न होने से लिंग को शिव का निराकार रूप माना जाता है । जबकि उनके साकार रूप में उन्हे भगवान शंकर मानकर पूजा जाता है । केवल शिव ही निराकार लिंग के रूप में पूजे जाते हैं । लिंग रूप में समस्त ब्रह्मांड का पूजन हो जाता है क्योंकि वे ही समस्त जगत के मूल कारण माने गए हैं । इसलिए शिव मूर्ति और लिंग दोनों रूपों में पूजे जाते हैं ।



यह संपूर्ण सृष्टि बिंदु-नाद स्वरूप है । बिंदु शक्ति है और नाद शिव । यही सबका आधार है । बिंदु एवं नाद अर्थात शक्ति और शिव का संयुक्त रूप ही तो शिवलिंग में अवस्थित है । बिंदु अर्थात ऊर्जा और नाद अर्थात ध्वनि । यही दो संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है ।'शिव' का अर्थ है - 'परम कल्याणकारी' और 'लिंग' का अर्थ है - 'सृजन' । शिव के वास्तविक स्वरूप से अवगत होकर जाग्रत शिवलिंग का अर्थ होता है प्रमाण । वेदों और वेदान्त में लिंग शब्द सूक्ष्म शरीर के लिए आता है ।




यह सूक्ष्म शरीर 17 तत्वों से बना होता है । मन ,बुद्धि ,पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां व पांच वायु । आमतौर पर शिवलिंग को गलत अर्थों में लिया जाता है, जो कि अनुचित है या उचित यह हम नहीं जानते । वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है उसे लिंग कहते हैं । इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है ।




पौराणिक दृष्टि से लिंग के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और ऊपर प्रणवाख्य महादेव स्थित हैं । केवल लिंग की पूजा करने मात्र से समस्त देवी देवताओं की पूजा हो जाती है । लिंग पूजन परमात्मा के प्रमाण स्वरूप सूक्ष्म शरीर का पूजन है । शिव और शक्ति का पूर्ण स्वरूप है शिवलिंग । शिव के निराकार स्वरूप में ध्यान-मग्न आत्मा सद्गति को प्राप्त होती है, उसे परब्रह्म की प्राप्ति होती है तात्पर्य यह है कि हमारी आत्मा का मिलन परमात्मा के साथ कराने का माध्यम-स्वरूप है,शिवलिंग ।




शिवलिंग साकार एवं निराकार ईश्वर का 'प्रतीक' मात्र है, जो परमात्मा- आत्म-लिंग का द्योतक है । शिवलिंग का अर्थ है शिव का आदि-अनादी स्वरूप । शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड व निराकार परमपुरुष का प्रतीक । स्कन्दपुराण अनुसार आकाश स्वयं लिंग है । धरती उसका आधार है व सब अनन्त शून्य से पैदा हो उसी में लय होने के कारण इसे लिंग कहा है ।




शिवलिंग हमें बताता है कि संसार मात्र पौरुष व प्रकृति का वर्चस्व है तथा दोनों एक दूसरे के पूरक हैं । शिव पुराण अनुसार शिवलिंग की पूजा करके जो भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं उन्हें प्रातः काल से लेकर दोपहर से पहले ही इनकी पूजा कर लेनी चाहिए । इसकी पूजा से मनुष्य को भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है ।

वैष्णों देवी गुफा की बोलती तस्वीरों के संग जानें कुछ राज की बातें



सम्पूर्ण भारत में देवी मां के बहुत से मंंदिर कई स्थानों पर हैं लेकिन वैष्णो देवी भारत देश के सबसे पसंदीदा तीर्थस्थलों में से एक है। जम्मू के पास स्थित है माता वैष्णो देवी का दरबार। यहां महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली तीन भव्य पिण्डियों के रूप में विराजमान हैं।
सम्पूर्ण भारत में देवी मां के बहुत से मंंदिर कई स्थानों पर हैं लेकिन वैष्णो देवी भारत देश के सबसे पसंदीदा तीर्थस्थलों में से एक है। जम्मू के पास स्थित है माता वैष्णो देवी का दरबार। यहां महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली तीन भव्य पिण्डियों के रूप में विराजमान हैं।
 

 

त्रिकुट पर्वत पर स्थित मां का भवन समुद्रतल से लगभग 4800 फीट ऊंचाई पर है।  दरबार से ढ़ाई किलोमीटर दूर भैरव जी का मंदिर है। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 6583 फीट है। गुफा का पुराना प्रवेश द्वार जो कि काफी संकरा (तंग) है। लगभग दो गज तक लेटकर या काफी झुककर आगे बढ़ना पड़ता है तत्पश्चात लगभग बीस गज लम्बी गुफा है। गुफा के अन्दर टखनों की ऊंचाई तक शुद्ध जल प्रवाहित होता है। जिसे चरण गंगा कहते हैं। 
 
आज से कुछ वर्ष पूर्व प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण दर्शनार्थियों को आने-जाने में काफी समय लगता था और अन्य यात्रियों को बहुत देर तक प्रतीक्षा करनी पड़ती थी, जिस कारण सीमित संख्या में लोग दर्शन कर पाते थे। सन् 1977 में दो नई गुफाएं बनाई गई। इनमें से एक गुफा में से लोग दर्शन करने अन्दर आते हैं और दूसरी गुफा से बाहर निकल जाते हैं।
 
मान्यतानुसार विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ ‘ऋग्वेद’ में भी इस त्रिकुटा पर्वतमाला के बारे में धार्मिक पक्ष का वर्णन किया गया है। इतना ही नहीं, पौराणिक काल में भी इसका वर्णन मिलता है। जब कुरुक्षेत्र के युद्ध से पहले भगवान श्री कृृष्ण ने पांडव पक्ष के प्रमुख योद्धा अर्जुन को आदिशक्ति मां भगवती से आशीर्वाद प्राप्त करने का आदेश दिया, तो अर्जुन ने अपनी प्रार्थना में देवी को जम्बू (वर्तमान जम्मू) के समीप पर्वतों की ढलानों पर निवास करने वाली शक्ति के रूप में संबोधित किया। इससे स्पष्ट होता है कि पांडवों को उस समय भी त्रिकुटा पर्वतमाला में मां शक्ति की मौजूदगी का आभास था। 
 
एक मान्य कथा के अनुसार देवी का जन्म त्रेता युग में दक्षिण भारत के ‘रामेश्वरम’ अथवा श्री रामापुरम क्षेत्र में एक राजकन्या के रूप में हुआ। वह एक अत्यंत गंभीर, सूझवान तथा आध्यात्मिक कन्या थीं और बड़ी होकर उन्होंने घोर तपस्या हेतु त्रिकुटा पर्वतमाला की ओर प्रस्थान किया जो हिमालय पर्वत की पवित्र तथा सौम्य पर्वतमाला मानी जाती थी। यहां देवी ने इतनी गंभीर तपस्या की कि युगों के युग बदल गए। ‘कलियुग’ के समय में आदिशक्ति ने त्रिकुटा पर्वत माला की ढलानों पर स्थित इसी गुफा में स्वयं को ‘पिंडी’ रूप में प्रकट किया। इस गुफा में देवी के चरणों में गंगा रूपी जल प्रवाहित हो गुफा में जाता रहा तथा यहां भगवान शिव का शिवलिंग, श्री गणेश, सूर्यदेव, कामधेनु के अलावा कई देवी-देवताओं के चिन्ह भी विद्यमान हैं।
 
मान्यतानुसार मां पार्वती के आशीष का तेज इस गुफा पर पड़ता है जिसकी आराधना में 33 करोड़ देवता सदा लगे रहते हैं। 750 वर्ष प्राचीन मान्य कथानुसार कटड़ा के समीप ‘भूमिका’ नामक स्थान पर देवी माता के भंडारे का आयोजन किया गया। इस भंडारे में भक्त, साधुजन तथा आसपास के गांवों के लोग शामिल थे। उस भंडारे का आयोजन जिस सात-आठ वर्ष की एक दिव्य कन्या की प्रेरणा से किया गया था, वह किसी कारण भंडारे के ही दौरान वहां से चली गई। इस हादसे से भक्त श्रीधर त्रस्त हो उठे, वह कई दिनों तक उस बालिका की तलाश में इधर-उधर इतना भटके कि उन्हें भूख-प्यास किसी भी चीज की सुध न रही। आखिर उनकी अगाध श्रद्धा तथा अविचलित भक्ति देखकर मां भगवती ने उन्हें स्वप्न में दर्शन देकर अपनी गुफा का मार्ग दिखाया तथा भक्त श्रीधर अपने स्वप्न में दिखे कुछ स्थानों को पहचानते हुए देवी माता की गुफा तक पहुंचे। 


त्रिकुट पर्वत पर स्थित मां का भवन समुद्रतल से लगभग 4800 फीट ऊंचाई पर है। दरबार से ढ़ाई किलोमीटर दूर भैरव जी का मंदिर है। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 6583 फीट है। गुफा का पुराना प्रवेश द्वार जो कि काफी संकरा (तंग) है। लगभग दो गज तक लेटकर या काफी झुककर आगे बढ़ना पड़ता है तत्पश्चात लगभग बीस गज लम्बी गुफा है। गुफा के अन्दर टखनों की ऊंचाई तक शुद्ध जल प्रवाहित होता है। जिसे चरण गंगा कहते हैं।



आज से कुछ वर्ष पूर्व प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण दर्शनार्थियों को आने-जाने में काफी समय लगता था और अन्य यात्रियों को बहुत देर तक प्रतीक्षा करनी पड़ती थी, जिस कारण सीमित संख्या में लोग दर्शन कर पाते थे। सन् 1977 में दो नई गुफाएं बनाई गई। इनमें से एक गुफा में से लोग दर्शन करने अन्दर आते हैं और दूसरी गुफा से बाहर निकल जाते हैं।



मान्यतानुसार विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ ‘ऋग्वेद’ में भी इस त्रिकुटा पर्वतमाला के बारे में धार्मिक पक्ष का वर्णन किया गया है। इतना ही नहीं, पौराणिक काल में भी इसका वर्णन मिलता है। जब कुरुक्षेत्र के युद्ध से पहले भगवान श्री कृृष्ण ने पांडव पक्ष के प्रमुख योद्धा अर्जुन को आदिशक्ति मां भगवती से आशीर्वाद प्राप्त करने का आदेश दिया, तो अर्जुन ने अपनी प्रार्थना में देवी को जम्बू (वर्तमान जम्मू) के समीप पर्वतों की ढलानों पर निवास करने वाली शक्ति के रूप में संबोधित किया। इससे स्पष्ट होता है कि पांडवों को उस समय भी त्रिकुटा पर्वतमाला में मां शक्ति की मौजूदगी का आभास था।



एक मान्य कथा के अनुसार देवी का जन्म त्रेता युग में दक्षिण भारत के ‘रामेश्वरम’ अथवा श्री रामापुरम क्षेत्र में एक राजकन्या के रूप में हुआ। वह एक अत्यंत गंभीर, सूझवान तथा आध्यात्मिक कन्या थीं और बड़ी होकर उन्होंने घोर तपस्या हेतु त्रिकुटा पर्वतमाला की ओर प्रस्थान किया जो हिमालय पर्वत की पवित्र तथा सौम्य पर्वतमाला मानी जाती थी। यहां देवी ने इतनी गंभीर तपस्या की कि युगों के युग बदल गए। ‘कलियुग’ के समय में आदिशक्ति ने त्रिकुटा पर्वत माला की ढलानों पर स्थित इसी गुफा में स्वयं को ‘पिंडी’ रूप में प्रकट किया। इस गुफा में देवी के चरणों में गंगा रूपी जल प्रवाहित हो गुफा में जाता रहा तथा यहां भगवान शिव का शिवलिंग, श्री गणेश, सूर्यदेव, कामधेनु के अलावा कई देवी-देवताओं के चिन्ह भी विद्यमान हैं।



मान्यतानुसार मां पार्वती के आशीष का तेज इस गुफा पर पड़ता है जिसकी आराधना में 33 करोड़ देवता सदा लगे रहते हैं। 750 वर्ष प्राचीन मान्य कथानुसार कटड़ा के समीप ‘भूमिका’ नामक स्थान पर देवी माता के भंडारे का आयोजन किया गया। इस भंडारे में भक्त, साधुजन तथा आसपास के गांवों के लोग शामिल थे। उस भंडारे का आयोजन जिस सात-आठ वर्ष की एक दिव्य कन्या की प्रेरणा से किया गया था, वह किसी कारण भंडारे के ही दौरान वहां से चली गई। इस हादसे से भक्त श्रीधर त्रस्त हो उठे, वह कई दिनों तक उस बालिका की तलाश में इधर-उधर इतना भटके कि उन्हें भूख-प्यास किसी भी चीज की सुध न रही। आखिर उनकी अगाध श्रद्धा तथा अविचलित भक्ति देखकर मां भगवती ने उन्हें स्वप्न में दर्शन देकर अपनी गुफा का मार्ग दिखाया तथा भक्त श्रीधर अपने स्वप्न में दिखे कुछ स्थानों को पहचानते हुए देवी माता की गुफा तक पहुंचे।

रविवार, 12 जुलाई 2015

जयपुर शिक्षा विभाग के तबादला कैम्प में मारपीट,कर्मचारियो ने किया कार्यबहिष्कार



जयपुर   शिक्षा विभाग के तबादला कैम्प में मारपीट,कर्मचारियो ने किया कार्यबहिष्कार
शिक्षा विभाग में चल रहा तबादलों आैर समानीकरण का कार्य में आैर देरी हो सकती है। पिछले करीब दो माह से इस काम में लगे कर्मचारियों ने शिक्षा राज्य मंत्री के स्टाफ के दो लोगों पर दुव्यर्वहार आैर मारपीट का आरोप लगाते हुए रविवार को कार्य बहिष्कार कर दिया।नाराज निदेशालय कार्मिकों ने शहर के झालाना डूंगरी स्थित पाठ्य पुस्तक मण्डल भवन में शिक्षा राज्यमंत्री और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। नाराज कर्मिकों ने शिक्षा राज्यमंत्री के निजी स्टाफ के कर्मचारी राजीव जैन और नंदलाल सैनी पर गाली-गलौच और मारपीट करने का आरोप लगाया है।


बाडाबंदी का भी लगाया आरोप

इस घटना के विरोध में कर्मचारी पाठ्य पुस्तक मण्डल भवन से बाहर निकल आए और जमकर नाराजगी जतार्इ। साथ ही इन्होनें आरोप लगाया कि पिछले 60 दिनों से तबादला प्रक्रिया के चलते इनकी बाड़ाबंदी की गई है। इन्हे सिर्फ दो बार घर जाने दिया गया है। यहां उनके परिवार से किसी के भी मिलने आऩे पर मिलने नहीं दिया जाता साथ ही कर्मचारियों को फोन रखने की अनुमति नहीं होने से वे किसी तरह से अपने परिजनों से सम्पर्क में भी नहीं कर सकते।

निलम्बन की मांग

साथ ही पाठ्यपुस्तक मण्डल में सुविधाओं को कमी को लेकर भी कर्मचारियो ने रोष जताया। नाराज कर्मचारियो ने घटना के विरोध में धरना देने का एेलान करते हुए राजीव जैन और नंदलाल सैनी के निलम्बन की मांग की है। और मांगे नंही माने जाने तक कार्यबहिष्कार की घोषणा की है। गौरतलब है कि शिक्षा विभाग में तबादलों के लिए लगाए इस कैम्प में सभी मण्डलों और निदेशालयों से आए हुए कर्मिक आए हुए है।

फिल्मी स्टाइल में पुलिस और एटीस ने किया पीछा, तब पकड़ा गया फरार आरोपी

फिल्मी स्टाइल में पुलिस और एटीस ने किया पीछा, तब पकड़ा गया फरार आरोपी

श्रीगंगानगर. कोतवाली और जवाहरनगर पुलिस टीम ने जयपुर की एसओजी की मदद से 12 साल से फरार चल रहे आरोपी को फिल्मी स्टाइल में पिछा कर पकड़ा। आरोपी को गिरफ्तार कर श्रीगंगानगर स्थित अदालत में पेश किया गया। उसे जेल भेजने के आदेश हुए। कोतवाली थाना से कांस्टेबल कंवरपालसिंह और जवाहरनगर थाना से सतवीरसिंह की टीम को 12 सालों से फरार चल रहे आरोपी 44 एलएलडब्ल्यू निवासी 40 वर्षीय श्योपतराम पुत्र दुलीचंद जाट को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी दी गई। आरोपी जी ब्लॉक में साइबर कैफे चलाता था। उस दौरान लाखों रुपए की धोखाधड़ी के मामले दर्ज हुए। आरोपी इसके बाद से फरार था। उसके परिवार के सदस्यों के मोबाइल से किए गए कॉल से पता चला कि आरोपी जयपुर स्थित वैशालीनगर इलाके में रहता है। उसको गिरफ्तार करने के लिए टीम जयपुर वैशालीनगर थाने पहुंची तब आरोपी को इस बात का पता चल गया। वह अपनी कार पर फरार हो गया। पुलिस की एंटी टेरेरिस्ट स्कॉड (एटीएस) टीम के साथ गंगानगर पुलिस ने उसका पीछा किया। आरोपी को आेवरटेक कर रुकने का इशारा किया। उसकी कार के आगे पुलिस ने अपनी गाड़ी लगा दी तब आरोपी को सरेंडर करना पड़ा।

जयपुर में चलाता है कोचिंग इस्टीटयूट

आरोपी यहां से फरार होने के बाद जयपुर के वैशालीनगर इलाके में आर्यभट कोचिंग इस्टीटयूट के नाम से आईएएस और आईपीएस की कोचिंग कलासें लगाने लगा। वह जयपुर में सेवानिवृत कर्नल की कोठी में पांच हजार रुपए मासिक के किराए पर रह रहा था।

बीकानेर तीन ग्रामसेवक निलम्बित

बीकानेर तीन ग्रामसेवक निलम्बित


बीकानेर लूणकरनसर ग्राम पंचायत में नियम विरूद्ध पट्टे जारी करने के आरोप में तीन

ग्राम सेवकों को निलम्बित कर दिया गया है।

जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.एल. मेहरड़ा ने बताया कि ग्राम पंचायत लूणकरनसर में नियम विरूद्ध पट्टे जारी करने के प्रकरण की जांच उप खण्ड अधिकारी एवं विकास अधिकारी लूणकरनसर द्वारा करवाई गई।

रिपोर्ट में गम्भीर अनियमितताएं प्रमाणित होने पर लूणकरनसर के तत्कालीन ग्राम सेवक मुखराम महिया, विश्वनाथ सिद्ध एवं उदयभान यादव को निलम्बित किया और निवर्तमान सरपंच पृथ्वीराज वर्मा के विरुद्ध पंचायतीराज अधिनियम 1994 की धारा 38 के तहत कार्यवाई के लिए सम्भागीय आयुक्त बीकानेर को आरोप पत्र भिजवाया गया है।

मेहरडा ने बताया कि पट्टों में गड़बड़ी के मामले का प्रकरण भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में दर्ज करवाने के निर्देश विकास अधिकारी को देते हुए उक्त अवधि में जारी अनियमित पट्टों को निरस्त करने की कार्रवाई के लिए आदेश दिए गए हैं।

दो विकास अधिकारियों को 17 सीसीए में

आरोप पत्र

महात्मा गांधी नरेगा योजना में ग्रेवल सड़कों पर से मिट्टी हटाए जाने के मामले में गड़बड़ी पाये जाने पर पंचायत समिति नोखा के दो विकास अधिकारियों को 17 सीसीए नियमों के तहत आरोप पत्र जारी किए गए है।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद, बीकानेर बी.एल. मेहरडा ने बताया कि नोखा पंचायत समिति की सात ग्राम पंचायतों में ग्रेवल सडक से मिट्टी हटाने के कार्य में गड़बड़ी की जांच राज्य स्तरीय जांच दल द्वारा की गई थी, जिसकी सुनवाई अति. कलक्टर प्रशासन द्वारा की जा रही है।

नोखा के पूर्व विकास अधिकारी रामचन्द्र जाट एवं वर्तमान विकास अधिकारी साजिया तबस्सुम की सुनवाई में उपस्थित न होने एवं बार बार नोटिस दिए जाने के बावजूद विभागीय पक्ष नहीं रखने के आरोप में मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.एल. मेहरड़ा ने आरोप पत्र जारी किए है।