गुरुवार, 9 जुलाई 2015

अजमेर दो बांग्लादेशी घुसपैठियों को दबोचा

अजमेर दो बांग्लादेशी घुसपैठियों को दबोचा

दरगाह थाने की स्पेशल टीम ने बुधवार दोपहर बड़ी दरगाह क्षेत्र के अंदरकोट से दो बांग्लादेशी घुसपैठियों को दबोच कर उनमें से एक के कब्जे से साढ़े 5 किलो गांजा जब्त किया। तस्करों की तस्दीक में सुरक्षा एजेंसी के सामने कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए।

जिस घुसपैठिए से गांजा मिला उसके परिवार की सालों से अंदरकोट क्षेत्र में नशे के गोरखधंधे में लिप्तता का पता चला है। जबकि दूसरा आरोपित अवैध तरीके से पाकिस्तान जाकर आ चुका है।

खुफिया पुलिस ने घुसपैठिया तस्कर के परिवार को भी हिरासत में ले लिया है। पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने बताया कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ चलाए गए विशेष अभियान में दरगाह थाने की स्पेशल टीम ने अंदरकोट स्थित गरीब नवाज कॉलोनी करीम चाचा की गली निवासी जहांगीर हुसैन पुत्र अख्तर उर्फ बप्पी व अब्दुल करीम पुत्र याकूब को गिरफ्तार किया। जहांगीर से पुलिस ने साढ़े 5 किलो गांजा जब्त किया। जहांगीर ने पूछताछ में गांजे की खेप उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से लाना और अंदरकोट इलाके में पुडिय़ा बनाकर नशेडिय़ों को बेचना कबूला।

जहांगीर के नाम-पते की तस्दीक में उसके पूरे परिवार के सालों से अंदरकोट जालियान कब्रिस्तान इलाके में रहने का पता चला। यह भी मालूम हुआ कि उसका परिवार मादक पदार्थ की तस्करी में वर्षों से लिप्त है। जहांगीर के खिलाफ पूर्व में वर्ष-2009 व 13 में मादक पदार्थ पाए जाने पर दरगाह थाने में एनडीपीएस एक्ट में प्रकरण दर्ज है। पुलिस ने गांजा जब्त कर जहांगीर के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट में मामला दर्ज किया। पुलिस पड़ताल में पता चला कि जहांगीर का पिता अख्तर उर्फ बप्पी मदाक पदार्थ की तस्करी के मामले में जेल में है।

जबकि उसकी दादी तुलसी मजूमदार (70) को गत 16 जून को गांजा समेत गिरफ्तार किया गया था। कार्रवाई में एसएचओ दरगाह भूपेन्द्र सिंह, एएसआई विजयसिंह, हैडकांस्टेबल सतपाल सिंह, हरि मोहम्मद, सिपाही महेन्द्र सिंह व फारूख मोहम्मद शामिल थे। प्रकरण की पड़ताल गंज थानाप्रभारी करण सिंह कर रहे हैं।

सुरक्षा एजेंसी हुई सक्रिय

पुलिस कार्रवाई में बांग्लादेशी घुसपैठिए के गिरफ्त में आते ही खुफिया पुलिस सक्रिय हो गई। खुफिया पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि जहांगीर और उसका परिवार बांग्लादेश चटगांव नूरपुर तथा अब्दुल करीम पुत्र याकूब विलपुर का रहने वाला है। करीम ने पूछताछ में बांग्लादेश का होना कबूलते हुए भारत से अवैध तरीके से पाकिस्तान जाने और लौटने की बात कबूली है। सुरक्षा एजेंसी उससे पूछताछ में जुटी है।

मां-दादी भी पुलिस अभिरक्षा में

पुलिस ने जहांगीर की मां शहनाज और सौतेली मां साबिया पत्नी अख्तर हुसैन, दादी तुलसी मजूमदार को पुलिस अभिरक्षा में ले लिया है। प्रारंभिक पड़ताल में सामने आया कि तुलसी सालों पहले अपने परिवार के साथ अजमेर आई थी। वह अंदर कोट इलाके में नदीम के मकान में किराए पर रह रही है। मामले में खुफिया पुलिस ने तीनों से पूछताछ में जुटी है।

जालियान कब्रिस्तान ट्रांजिट पॉइंट

शहर में मादक पदार्थ की तस्करी व बांग्लादेशी घुसपैठियो के लिए अंदरकोट इलाके में जालियान कब्रिस्तान ट्रांजिट पॉइंट है। यहां न केवल आदतन नशेडिय़ों बल्कि दरगाह आने वाले जायरीन को नशा परोसा जाता है। यह अपराधियों की पनाहगाह है। खानाबदोशी की आड़ में सैकड़ों लोग ढाई दिन का झोपड़ा, आमाबाव क्षेत्र में चोरी-छुपे रह रहे हैं। दरगाह सम्पर्क सड़क, नागफणी और आसपास के पहाडिय़ों पर बसे अवैध मकानों में बांग्लादेशी घुसपैठियों ने डेरा जमा रखा है।

माता पीतांबरा देवी के दरबार में नेता भी टेकते हैं मत्था, ये वरदान है खास वजह



मां भगवती के नाम में ममता, त्याग, बलिदान और शक्ति जैसे अद्भुत गुण समाए हैं। वे अपने भक्त की पुकार पर उसके कष्टों का निवारण कर देती हैं। राजा हो या प्रजा, उसके दरबार में सब बराबर हैं।



भगवती का एक चमत्कारी मंदिर मध्यप्रदेश में झांसी के दतिया जिले में स्थित है। यहां माता पीतांबरा देवी के रूप में विराजमान हैं। यह एक सिद्ध शक्तिपीठ है जिसकी स्थापना ब्रिटिश शासन के दौरान की गई थी।



श्रद्धालुओं के अनुसार, यह शक्तिपीठ 1935 में स्थापित किया गया। मां पीतांबरा के कुल, जन्म और इससे जुड़ी बातें आज तक रहस्य ही हैं लेकिन इसके चमत्कारों के साक्षी अनेक भक्त हैं।



कहा जाता है कि मां के दरबार में सच्चे मन से की गई अरदास जरूर पूरी होती है। हर साल यहां दिग्गज राजनेताओं से लेकर सामान्य नागरिक तक आते हैं। सबके शीश मां के दरबार में झुकते हैं और यहां उनके कष्टों का निवारण होता है।



मां पीतांबरा चतुर्भुज रूप में विराजमान हैं। उनके हाथों में गदा, वज्र, पाश और राक्षस की जिह्वा है। मां दुष्ट प्रवृत्तियों और बाधाओं का निवारण करती हैं और उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं। उल्लेखनीय है कि यहां माता के दर्शन के लिए भी कुछ विशेष नियम हैं। इस मंदिर में माता के दर्शन एक छोटी खिड़की के जरिए ही किए जा सकते हैं। प्रतिमा को स्पर्श करना वर्जित है।



मां पीतांबरा मुख्यतः कष्ट व बाधा निवारण करने वाली देवी हैं। इन्हें राजसत्ता की देवी भी कहा जाता है। इसलिए यहां राजनेता भी मां का आशीर्वाद लेने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि मां बगुलामुखी ही पीतांबरा देवी हैं। इन्हें पीले रंग की वस्तुएं अतिप्रिय हैं।



इनमें पीले प्रसाद से लेकर वस्त्र आदि शामिल हैं। इस मंदिर में माता के साथ खंडेश्वर महादेव भी विराजमान हैं। साथ ही यहां धूमावती देवी के दर्शन भी कर सकते हैं।



खंडेश्वर महादेव का तांत्रिक अनुष्ठानों में विशेष पूजन किया जाता है। मां धूमावती देवी के दर्शन हर समय नहीं किए जा सकते। क्योंकि आरती के अलावा इनके मंदिर के पट सदा बंद रहते हैं।



मां पीतांबरा मात्र सुख-समृद्धि देने वाली देवी ही नहीं हैं, ये अपने भक्त को राजनीति में भी शीर्ष पर पहुंचा देती हैं। यही वजह है कि चुनावों से पहले यहां अनेक राजनेता पूजन करने आते हैं।

गोवर्द्धन पर्वत उठाकर कृष्ण ने दिया था ये अमर संदेश



मौसम प्रकृति की निरंतरता की अभिव्यक्ति है। प्रकृति की यह निरंतरता मनुष्य से संवेदनशीलता की आशा रखती है। बरसात का मौसम तो मनुष्य और प्रकृति के संवेदनशील संबंधों का चरम है। यह ऋतु मनुष्य को सामंजस्य सिखाती है।

अपने परिवेश के प्रति जागरूक करती है। सामंजस्य के लिए जिस सहजता की आवश्यकता है, वह धीरज रखने से ही संभव है। परिवेश का अपना विधान है। मनुष्य के धैर्य खो देने से प्रकृति का सामंजस्य डगमगा गया है। यह मौसम बरसात का है जो चौमासा कहलाता है।

यही समय हमारे इम्तहान का है। वर्षाकाल में धीरज का अभ्यास किया जा सकता है। चातुर्मास का यह समय स्वाध्याय और अभ्यास का समय है। धैर्य का अभ्यास सृष्टि में विश्वास जगाता है।

जो खोता है धीरज

जो धैर्य खोता है उसे ईश्वर की योजना में विश्वास नहीं है। वह प्रकृति के विरुद्ध जाता है। यह अनुकरणीय नहीं है। रमजान का अवसर भी इसी सब्र और इबादत की और इशारा करता है। सामूहिक प्रार्थनाएं हमारे दायित्वबोध और दायित्व निर्वहन की प्रतीक हैं।

धैर्य मन में साहस भरता है सभ्यता के विकास क्रम में मनुष्य आज मशीनी युग में पहुंच गया है। इस युग की चुनौतियां दिन-ब-दिन विकट होती जा रही हैं और इंसान का सब्र जवाब देने लग गया है। इस दौर में सहनशीलता की मिसाल मिलना मुश्किल है लेकिन सामंजस्य और सहनशीलता हमारे सामूहिक दायित्वबोध के लिए अनिवार्य है।


कठिन परिस्थितियों से मुकाबला करने के लिए जिस साहस की आवश्यकता होती है वह धैर्य से ही उत्पन्न होता है। धीरज रखने से परिस्थितियों से सामंजस्य ही राह दिखाई देने लगती है। उतावलापन समय का अपमान है। मौसम का अपमान है और स्वयं की सहनशीलता का भी अपमान है।

इनसे लें शिक्षा

हमारे धर्मग्रंथों में भी धैर्य और सामंजस्य के अनेक उदाहरण मिलते हैं। हमारे कथानायकों का जीवनवृत धैर्य की प्रतिमूर्ति है। सीताहरण के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम वर्षाकाल की अवधि बीतने तक प्रतीक्षा करते हैं।

तब जाकर सीता की खोज का अभियान शुरू होता है। कौशल्या ने 14 वर्ष तक धैर्यपूर्वक श्रीराम की प्रतीक्षा की। देवी अहिल्या ने श्रीराम की प्रतीक्षा की, उनकी आंखें पथरा गईं। शबरी भी राम की प्रतीक्षा करती रही, असीम धैर्य के साथ।

महाभारत में कुंती बारह बरस के वनवास और एक बरस के अज्ञातवास तक अपने पुत्रों की प्रतीक्षा करती हैं। कितना महान धैर्य रहा होगा इनके हृदय में! कंस ने देवकी के आठवें पुत्र की प्रतीक्षा नहीं कि सभी संतानों के संहार का निर्णय लिया। इंद्र ने वर्षा की तो कृष्ण ने गोवर्द्धन पर्वत उठाकर लोगों को शरण दी और धैर्य धारण करने का अमर संदेश दिया।

सुभद्रा ने चक्रव्यूह भेदने का रहस्य धैर्यपूर्वक नहीं सुना। यदि वह सब्र रखती तो कुरुक्षेत्र की कहानी कितनी बदल गई होती, लेकिन उसने धीरज खोया और नींद को चुना। गंगापुत्र भीष्म ने मृत्युशैया पर असहनीय कष्ट सहते हुए सूर्य के उत्तरायण गमन की प्रतीक्षा की।

महानायकों का यह धैर्य हमें प्रेरणा देता है। ये पौराणिक कथासूत्र हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। उनका गुणकथन हमारे अभ्यास को बल देता है। इससे स्वाध्याय की दिशा प्राप्त होती है। विराम और विश्राम में अंतर अपनी मर्जी से ठहराव और परिस्थितिवश रुकने को समझें।

जिंदगी में बढ़ती बेताबी

तेज बारिश के नहीं रुकने पर बढ़ती बेताबी को हमने महसूस किया है। सड़कों पर बारिश की बूंदों की रफ्तार के साथ अपने वाहन की रफ्तार बढ़ाकर जल्दबाजी भी की है। इंतजार के समय धीरज खोना वक्त के साथ निरर्थक संघर्ष में उलझना है।

विश्राम और विराम के अंतर को समझना जरुरी है। अपनी सुविधा के साथ हम ठहरते हैं तो यह समय विश्राम का लगता है। हम सहज होते हैं। यूं ठहरना सुखदायक होता है। हमारी मर्जी का होता है। परिस्थितिवश हमें ठहरना पड़े तो बहुत बुरा लगता है। अनचाहा ठहराव सहनशीलता को बहुत अखरता है।

बारिश यही अनचाहा ठहराव लाती है। हमारे रोज के आचार-व्यवहार और दिनचर्या में बदलाव लाती है। हमारी रुटीन को बाधित करती है। समय की इकाइयों से हमने अपने जीवन को इतना जकड़ दिया है कि हम जीवन के विस्तार के प्रति उपेक्षा से भर गए हैं।

इसने जीवन के व्यापक फलक को असंतोष से भर दिया है। यह ठहराव हमें बाधा लगती है। यह मौसम बरसात का है जो चौमासा कहलाता है। वर्षाकाल में धीरज का अभ्यास किया जा सकता है।

धैर्य का अभ्यास

चातुर्मास का यह समय स्वाध्याय और अभ्यास का समय है। धैर्य का अभ्यास सृष्टि में विश्वास जगाता है। जो धैर्य खोता है, उसे ईश्वर की योजना में विश्वास नजर नहीं आता। वर्षा और संस्कार वर्षाकाल हमारी सहनशीलता को संस्कारित करने आया है। संतोष और शील का सबक सिखाने आया है।

धरती की कोख में करोड़ों बीज वर्षा का रास्ता देखते हैं। चातक स्वाति नक्षत्र की प्रतीक्षा करता है। तुलसीदासजी ने धैर्य की परीक्षा लेने की बात कही है। आपत्तिकाल में धीरज को परखना चाहिए। बरसात के मौसम की विपत्तियां प्राकृतिक हैं। यह प्रकृति की कसौटी है और हमें अपने धीरज की परीक्षा लेनी है। न केवल परीक्षा लेनी है अपितु संकल्पपूर्वक उसे इस परीक्षा में सफल भी करवाना है।

जिसका धैर्य सफल होता है उसका धर्म भी सफल होता है। वर्षा सब्र सिखाती है, सब्र परिग्रह से रोकता है। अपरिग्रह की ओर अग्रसर करता है। अपरिग्रह की भावना ही हमारी सामूहिक चेतना का आधार है। बारिश का मौसम प्रकृति का विश्राम है। इसे अनचाहा विराम समझ लेने से मन का संघर्ष बढ़ेगा।

यह प्रकृति का साथ निभाने का समय है। सब्र रखेंगे तो सारा असंतोष, नफरत और अशांति समाप्त हो जाएगी। शांति में ही सुख है, आनंद है। धैर्य के अतिरिक्त समय-प्रबंधन की कोई और पहेली नहीं है। जब अनुकूल समय हो तो उसका सामंजस्य तो बहुत आसान है।

मानवीय सामथ्र्य की परीक्षा विपरीत समय में ही होती है और विकट स्थितियों में सब्र करना ही सामंजस्य की कुंजी है। सामंजस्य में ही सफलता निहित है।

साभार -डॉ. राजकुमार व्यास

बुधवार, 8 जुलाई 2015

पाकिस्तान गांव में कई लड़कों से कुकर्म और लड़कियों से बलात्कार!



लाहौर। पाकिस्तान में भारत की सीमा से लगते एक गांव में बड़ी संख्या में लड़के और लड़कियों के साथ कथित तौर पर एक ‘गिरोह’ ने बलात्कार किया है। पंजाब के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ ने इस कांड की जांच के आदेश दिए हैं।
गांव में कई लड़कों से कुकर्म और लड़कियों से बलात्कार!
पुलिस ने एक ‘गिरोह’ के 15 संदिग्धों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए हैं और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के कसूर जिले के गंडा सिंह गांव से उनमें से तीन को गिरफ्तार कर लिया है।बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने कल संदिग्धों के घरों को घेर लिया और उनके घरों को आग लगाने की धमकी देने लगे, जिसके बाद पुलिस ने तीन और प्राथमिकियां दर्ज की। क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी साहेबज़ादा शाहज़ाद सुल्तान ने कहा कि हम जल्दी ही अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लेंगे। हमने कुछ सबूत बरामद किए हैं। पूरी तस्वीर जांच पूरी होने के बाद ही साफ होगी।

प्राथमिकी के मुताबिक, प्रभावशाली संदिग्ध, लड़कों के साथ अप्राकृतिक यौनाचार और लड़कियों के साथ बलात्कार करने के दौरान वीडियो रिकॉर्ड कर लिया करते थे। वे ग्रामीणों से लाखों रुपये के साथ ही सोने के जेवरों की भी उगाही करते थे।

अधिकारी ने कहा कि पूरा गंडा सिंह गांव अपराध के बारे में जानता था, लेकिन वे आरोपियों के डर और ब्लैकमेलिंग की वजह से चुप थे। एक शिकायतकर्ता ने कहा कि संदिग्धों ने सैकड़ों लड़के और लड़कियों का शोषण किया है। पंजाब के मुख्यमंत्री ने सुल्तान को कल आदेश दिया था कि वह 24 घंटे के अंदर प्राथमिक रिपोर्ट उन्हें देंगे।

बरसलपुर बैंक डकैतों को पुछताछ के लिए बज्जु लाए



बीकानेर/बज्जू बज्जू पुलिस थाना के ग्राम बरसलपुर में गत गुरूवार को पांच डकैतों द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा से करीब 5 लाख की लूट के बाद कुछ घंटों में पकड़े गये पांचों डकैतों से बीकानेर जेल में शिनाख्त परेड के बाद फिर से बज्जू पुलिस थाना में पुछताछ के लिए आज बुधवार को लाया गया।

बज्जू थाना प्रभारी अमरजीतसिंह चावला ने बताया कि मंगलवार को बीकानेर जेल में बैंक ऑफ बड़ौदा के कर्मचारियों द्वारा शिनाख्त परेड में डकैतों की शिनाख्त करवाई गई

जिसके बाद से अन्य वारदातों की पुछताछ व करीब 1.50 लाख लूट की बकाया राशि के बारे में पुछताछ की जाएगी।विदित रहे 2 जुलाई को बरसलपुर बैंक लूट के बाद पुलिस ने ग्रामीणों के सहयोग से पांचों बैंक डकैत हरविन्द्र,अमन्दीप,पवन,लक्ष्मीनारायण व गुरदीपसिंह को कुछ ही घंटों में पकड़ लिया गया था

जिनकों न्यायालय में बार्पदा पेश करने पर बज्जू पुलिस को सात दिन के लिए रिमाण्ड पर सौंपा गया था

वही इनकों शरण देने वाला बज्जू थाना के जग्गासर निवासी धर्मपाल बिश्नोई को 3 जुलाई को गिरफ्तार करने के बाद जेल भेजा जा चुका है।

पांचों डकैतों हरविन्द्र,अमन्दीप,पवन,लक्ष्मीनारायण व गुरदीपसिंह को 10 जुलाई को सात दिन का रिमाण्ड पुरा होने पर न्यायालय में पेश किया जाएगा।