इन दिनों पाकिस्तान में जश्न का माहौल है। भई चुनाव जो होने हैं। पिछले पांच साल देश के लिए इसलिए अहम थे क्योंकि जरदारी ने रोते-पड़ते सरकार चला ली और इतिहास बना दिया। हालांकि इस दौरान वे खुद अपनी कुर्सी बड़ी मुश्किल से बचा पाए।
पाकिस्तान के लिए सबसे बुरा दौर फौजी शासन का माना जाता है। उस दौर में भ्रष्टाचार ने सिर उठाया। सत्ता पर काबिज लोग निरंकुश हो जाते थे और पूरा देश मार्शल लॉ में जीता था। आज हम आपको ऐसे ही दौर की कहानी सुनाने जा रहे हैं।
जिसमें एक आम महिला पाकिस्तान की सबसे शक्तिशाली महिला बनती है। 'जनरल रानी' नाम से मशहूर इस महिला का नाम अकलीम अख्तर था। यह पाकिस्तान की सबसे पावरफुल महिला, वेश्यालय की मालकिन और फौजी जनरल तानाशाह याहया खान के बेहद खास दोस्त थी।
उसे जनरल की रखैल तक कहा जाता था। वह याहया खान, पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो और मुस्तफा खार के लिए लड़कियों की डांस पार्टी आयोजित करती थी और लड़कियां सप्लाय करती थीं। इसके साथ ही लिजेंड्री सिंगर नूरजहां से भी फौजी तानाशाह के बड़े खास रिश्ते रहे, जिसके लिए जनरल रानी जिम्मेदार थी।
अकलीम अख्तर बचपन में टॉम ब्वॉय किस्म की लड़की थी। उसने पर्दे में रहना और मर्दजात की जूती बनना कभी पसंद नहीं किया। मूलत: पाकिस्तान के गुजरात में 1931 या 1932 में जन्म लेने वाली अकलीम की शादी अपने से कही अधिक उम्र के व्यक्ति से करा दी गई।
वह पुलिस ऑफिसर था। 2001 में एक इंटरव्यू में उसने बताया था कि अपने पति को पावरफुल लोगों से मिलते हुए देख कर उन्हें कुछ-कुछ होता था। उन्हें खुद भी बड़े पोजीशन लेने की चाह होती थी। लेकिन यह चाहत ऐसे पूरी होने वाली नहीं थी।
छह बच्चों की मां अकलीम मशहूर गायक अदनान सामी की मां (नौहिर खान) की मामी थीं. एक बार पति के साथ घूमने गई अकलीम पति के नाराज होने के बाद भी भरे बाजार में अपना बुर्का उतार फेंका। उसके पति के साथ यह आखिरी दिन था। इसके बाद कानूनी कार्रवाई के बाद दोनों ने तलाक ले लिया। इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी जिंदगी में सिर्फ एक ही वाक्य सीखा था "मियां की जूती मियां के सिर।"ज्यादा पढ़ी-लिखी न होने के कारण उनके पास कोई नौकरी नहीं थी। इस दौरान उसने अमीर और पावरफुल लोगों से संबंध बनाने शुरू किए. वे रोज कराची, लाहौर और रावलपिंडी के नाइट क्लब जाती. वे ऐसे लोगों के लड़कियां सप्लाय करने लगी जो अपने बीवियों से उकता गए थे. वह उनके लिए डांस पार्टी रखती. वह इसके लिए ऐसी सुंदर लड़कियों को चुनती, जो पैसे की तंगी झेल रही थीं. इसके बाद वह वेश्यावृत्ति के धंधे (कराची ने नेपियर रोड और लाहौर के हीरामंडी रेड लाइट एरिया) को उतर गई। वह इसका कामकाज रावलपिंडी के घर से देखती थी. वह अपने पति से सरकार में होने वाले कामकाज के बारे सुन चुकी थी। उसे मालूम था कि देश में आपसदारी से काम किए जाते हैं। उनका धंधा इस तरह के काम के लिए कुख्यात था।
इन सबके बावजूद उसने महिला के तौर पर अपना आत्मसम्मान बनाए रखा। जनरल यायाह खान से उसकी पहली मुलाकात खैरियां में पार्टी के दौरान हुई। उन्होंने बताया कि याहया खान से मिलने पर उन्होंने गुजरात आने का न्यौता दिया. बस यहीं से याहया और उनके बीच एक जादुई सा रिश्ता बन गया. दोनों के बीच गहरे रिश्ते होने के कारण लोग अकलीम को उसकी रखैल कहने लगे थे. इस नजदीकी के लिए उसे जनरल रानी के नाम से पुकारने लगे.
बाद में याहया खान ने पाक सरकार का तख्ता पलटा दिया और मार्शल लॉ (1969-1971) लगा दिया. यही दौर था जब जनरल रानी पाकिस्तान की सबसे ताकतवर महिला बन कर उभरी. उसका दखल सरकार के कामकाज में भी था. वह बताती थी कि याहया की सबसे बड़ी कमजोरी शराब, लड़कियां और वह खुद हैं. उन्होंने उसे एक्ट्रेसेस तराना, मशहूर गायक नूरजहां और नील कमल से मिलवाया. याहया नूरजहां का दीवाना था.
एक बार जनरल ने उनके बर्थडे पर सिंगर लाने की फरमाइश कर दी. तब जनरल रानी के कहने पर नूरजहां ने पार्टी में गाना गया और डांस भी किया. भले नूरजहां याहया के साथ रिश्ते से इनकार करें, लेकिन अकलीम जानती थी कि उनके रिश्ते किस तरह के थे. दरअसल टैक्स इंस्पेक्टर्स उन्हें परेशान कर रहे थे. इसीलिए मैंने बस उनकी मदद की थी. जनरल रानी पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो और मुस्तफा खर के बारे में भी चौंकाने वाले खुलासे करती हैं. उन्होंने बताया था कि दोनों नेता उनके सामने भीख मांगते थे कि वे याहया खान से उनकी मुलाकात करवा दें. अकलीम कहती थीं कि जितनी पार्टी उन्होंने भुट्टो और खर के लिए दी थीं उतनी शायद जनरल याहया के लिए भी न दी हों. जुल्फिकार बेनजीर भुट्टो के पिता थे, जबकि पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर मुस्तफा खर भतीजी हैं.
1971 में चुनाव होने के बाद भुट्टो सत्ता में आए. उसके बाद जनरल रानी के दिन बदल गए. भुट्टो ने रानी को घर में नजरबंद करवा दिया. उसके फोन कनेक्शन काट दिए गए. 1977 में जिया उल हक के तख्ता पलटने के बाद उन्हें आजाद कराया गया. लेकिन तब तक वह अपनी सारी जायदाद और रुतबा खो चुकी थी.
कभी एक इशारे और ट्रांसफर रुकवाने वाली, प्रमोशन करवाने वाली महिला के आखिरी दिन बड़ो हि मुफलिसी में बीते. यहां तक कि उसके परिवार में उसके बारे में बात नहीं करना चाहता है. उसकी पोती लोकप्रिय पॉपस्टार फखरे आलम है और वह अदनान सामी ममेरी दादी थीं. 2002 में 70 साल की उम्र में ब्रेस्ट कैंसर से उनकी लाहौर में मौत हो गई.
रूपए किलो कैंसरसाभार ...राजस्थान पत्रिका ...जनहित में जारी सत्ता प्राप्ति का जो नया फण्डा चल रहा है, वह है एक रूपए किलो गेहूं/चावल। देश के अनेक राज्यों में ऎसी घोषणाओं का सिलसिला चल रहा है। हाल ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी एक रूपए किलो गेहूं देने की घोषणा कर दी है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी कौन से पीछे रहने वाले थे। गुजरात का उदाहरण उनके सामने था। उन्होंने भी दो की जगह एक रूपए किलो गेहूं की घोषणा कर दी। उत्तरप्रदेश, हरियाणा, बिहार, महाराष्ट्र आदि कई राज्यों में ऎसी योजनाएं चल रही हैं। घोषणाएं सबने कर दीं, लेकिन किसी ने भी शायद इसके भावी प्रभावों पर चिन्तन ही नहीं किया। क्या अधिकारियों से भी घोषणा करने से पहले राय ली जाती है? यदि उन्होंने भी यही राय स्वीकृत कर दी, तब तो उन्हें भी भ्रष्ट मति ही कहना पड़ेगा।एक रूपए किलो में खाद्यान्न देने की शुरूआती घोषणाएं आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से हुई थीं। ऎसी चुनावी घोषणाओं में यह भी देखा जाना चाहिए कि जो खाद्यान्न दिया जा रहा है, वह स्वास्थ्यवर्द्धक भी है या नहीं। कई खाद्यान्नों खासतौर पर जैविक खाद्य की उपज में नुकसान पहुंचाने वाले तत्व नहीं होते। इसके विपरीत गेहूं कीटनाशकों, रासायनिक खाद तथा उन्नत किन्तु कमजोर बीजों का संग्रहालय माना जाता है, यानी एक रूपए किलो कैंसर बेचेंगी सरकारें। उन गरीबों को, बी.पी.एल. परिवारों को, जिनके पास न अच्छा स्वास्थ्य है, न ही रोग निरोधक क्षमता है तथा न ही इलाज के लिए (यदि कैंसर हो गया तो) पैसे ही हैं। उनके लिए तो यह जहर इस भाव भी महंगा है।राजस्थान में बी.पी.एल. परिवारों में आबादी डेढ़ करोड़ भी मानते हैं और 25 किलो प्रतिमाह प्रति परिवार गेहंू देते हैं तो गेहूं कितना चाहिए? सरकार ने प्रदेश की सम्पूर्ण आबादी को भी (ए.पी.एल.) दो रूपए किलो गेहूं प्रति परिवार देने की घोषणा करके एक बड़ा लालच पैदा कर दिया है। यानी की सभी जगह गेहंू खाने का आकर्षण।हमारी जलवायु में गेहंू वैसे भी स्वास्थ्यप्रद नहीं कहा जाता। राजस्थान में पश्चिम के रेगिस्तानी क्षेत्र में एकमात्र बाजरा ही स्वस्थ भोजन है। क्यों नहीं सरकार इस क्षेत्र में रूपए किलो बाजरा देती? देशी बीज में कीड़ा भी नहीं लगता। इसी प्रकार मेवाड़ संभाग में मक्का और हाड़ौती में ज्वार को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। मध्यप्रदेश में यही बी.पी.एल. आबादी साढे तीन करोड़ और गुजरात में करीब सवा करोड़ है। मध्यप्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में ज्वार, बाजरा, कोदो, कुटकी और मक्का बहुतायत से खाया जाता है। यही हाल दक्षिण गुजरात में मक्का और सौराष्ट में बाजरे का है, पर किसी भी राज्य में इनको जगह नहीं है। इन्हें जगह मिले तो राज्यों की बड़ी आबादी को काफी हद तक रोग मुक्त रखा जा सकता है। आज बाजरा भी उन्नत तो आया, "इरगिट" रोग लेकर आया। देशी गेहूं (काठा, बाज्या) बाजार से उठ गए। तब उन्नत गेहूं के अलावा विकल्प कहां है? उन्नत गेहूं और मात्रा का लालच ही रासायनिक खाद तथा कीटनाशक के प्रयोग को बढ़ावा देता है। दूसरा कारण यह भी है कि जब बीकानेर, जैसलमेर के बाजरा क्षेत्र में पानी के दम पर गेहूं पैदा करेंगे तो उसे भी भौगोलिक परिस्थितियों की मार झेलनी पड़ेगी। पोषक तत्व भी घट जाएंगे।अत: एक रूपए किलो गेहूं परोसकर सरकारों ने सम्पूर्ण आबादी को कैंसर ही परोसा है। अधमरी जनता को पूरी तरह मारने का पुख्ता इन्तजाम राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात जैसे बडे-बडे राज्यों ने कर डाला। दस-पन्द्रह साल बाद चारों ओर कैंसर अस्पताल और कैंसर ट्रेनों का नया जाल बिछा होगा। सरकार चलाने वाले भी इससे बच सकेंगे, कहना थोड़ा मुश्किल ही है। इसी श्रेणी की सर्वाधिक महिलाएं पहले ही स्तन-कैंसर से पीडित हैं।इधर, गुजरात, उधर मध्यप्रदेश पहले ही अपनी-अपनी घोषणाएं कर चुके हैं। तब गेहूं कहां से आएगा? पंजाब-हरियाणा से अथवा श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ से! अथवा राज्यों की मक्का-बाजरा-जौ-ज्वार आदि सभी किस्म के अनाजों को बन्द करके गेहूं बोया जाएगा? है क्या इतना पानी खेती के लिए राज्य के पास? क्या ये सारे अनाज गरीबों के परम्परागत भोजन से बाहर गेहूं खिलाने का कोई षड्यंत्र है? इन परम्परागत धानों में कभी किसी रोग की शिकायत नहीं आई। गेहूं तो सिंचाई आधारित फसल रही है।नहरी सिंचाई ने खेतों को पानी से भरने की छूट दे दी। इसने रासायनिक खाद को आमंत्रित किया। कुछ जमीनें खार से पथरा गई, कुछ सेम से बेकार हो गई। कमजोर ऊर्वरकता होते ही कीट बढ़ने लगे। कीटनाशक स्प्रे करने में ही सैकड़ों मौतें होने लगी। समय के साथ कीटनाशक बढ़ते गए। खेती, साग-सब्जियां, चारा सब कुछ कीटनाशक दवाओं से आक्रान्त हो गया। इन सारे माध्यमों का प्रभाव पशुओं के दूध पर तो सीधा-सीधा पड़ गया। महिला के दूध में भी कीटनाशक नवजात शिशु का प्रथम पान बन गए।क्या इन सरकारों को मालूम है कि पंजाब और हरियाणा ने सन् 2001 में 7005 टन और 5025 टन कीटनाशक दवाओं का प्रयोग किया था। दोनों ही प्रदेश आज कैंसर की भयंकर चपेट में हैं। बठिण्डा से बीकानेर आने वाली एक दैनिक ट्रेन का नाम ही ""कैंसर ट्रेन"" है। प्रतिदिन 600 रोगी इलाज के लिए आते हैं। माटी के कण-कण में कैंसर है। पत्रिका श्रीगंगानगर का कीटनाशक सम्बन्धी एक सर्वे छाप चुका है, जो कैंसर के इस स्तर का प्रमाण है।एक अन्य तथ्य यह भी है कि सरकार ने कुछ कीटनाशक दवाओं के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा रखा है, जो कैंसर पैदा करती हैं, किन्तु आज इनमें से कई का धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। चण्डीगढ़ के एक अस्पताल ने सन् 2005 में अध्ययन रिपोर्ट जारी की थी कि लोगों के खून में कीटनाशक दिख रहे थे। यह कैंसर की अग्रिम चेतावनी ही थी। उसके बाद एक अन्य रिपोर्ट में भी यही पुष्ट हुआ।आज घर-घर में कैंसर हाजिर है। एक ओर गर्भनिरोधक गोलियों ने महिलाओं के स्तन एवं गर्भाशय के कैंसर की गारण्टी दे दी है। दूसरी ओर, एक रूपए प्रति किलो कैंसर बेचकर गरीब के जीने का अधिकार भी, सत्ता प्राप्ति के लिए, छीनने में कोई संकोच नहीं रह गया। तब गेहूं का दानव परम्परागत फसलों को भी लील जाएगा। और गेहूं खाने वालो को भी। इतनी हत्याओं के ढेर पर बैठे सत्ताधीश अपने अट्टहास से ईश्वर के कान भी फोड़ देंगे। गुलाब कोठारी
बाड़मेर में आसमान से आग बरसा रही गर्मी तापमान 45 डिग्री बाड़मेर पिछले एक सप्ताह से तापमान में उतार-चढ़ाव के बाद बुधवार को एकबार फिर तापमान 45 डिग्री के करीब पहुंच गया। सूर्योदय के साथ ही शहर दिनभर भट्टी की तरह तपने लगा, गर्म हवा चलने से लोग बेहाल रहे। दोपहर में सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा जिससे कफ्र्यू सा माहौल दिखाई दिया। चिलचिलाती धूप के चलते लोग घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। सुबह से ही धूप तेज होने से सड़कें तवे की भांति तपने लगी,दोपहर में तो आलम यह रहा मानो आसमान से अंगारे बरस रहे हो।मंगलवार को बाड़मेर का तापमान 44.5 डिग्री दर्ज किया मौसम विभाग ने . जहां एक ओर सूर्यदेव के तीखे तेवर के चलते गर्मी ने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए। वहीं कूलर व पंखों की हवा बेअसर साबित हो रही हें । बर्तनों में भरा पानी गर्म होकर उबलने लगा था। करने लगे जतन : गर्मी और लू के थपेड़ों से बचने के लिए घरों में इमली पानी और छाछ का सेवन बढ़ गया हैं। भोजन में भी कच्चे प्याज और टमाटर व तरबूज के सलाद को प्राथमिकता दे रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी गर्मी में खूब पानी पीएं। दिन में कम से कम चार-पांच बार नींबू पानी व ग्लूकोज का सेवन जरूर करें।
जयपुर। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से 12वीं कॉमर्स का परिणाम मंगलवार को जारी किया गया। इस परिणाम में टॉप टेन में बेटियां अव्वल रही। टॉप टेन में 25 छात्रों ने जगह बनाई। इनमें बेटियों की संख्या 15 रही। नंबर 1 पर जयपुर की पारुल गहलोत और नागौर के मुकेश जांगिड़ रहे। इन दोनों ने 94.60 प्रतिशत अंक हासिल किए।
शिक्षा मंत्री बृजकिशोर शर्मा और बोर्ड अध्यक्ष प्रो.पी.एस वर्मा ने बताया कि इस रिजल्ट में टॉप टेन में जयपुर के 5 छात्र-छात्राएं हैं। इनमें पारुल गहलोत, लक्ष्मी कुमावत, सौरभ गुप्ता, पूजा नायल और विकास कुमार सैनी शामिल हैं।सिटी वाइज देखिए राजस्थान 12वीं (कॉमर्स) का पूरा रिजल्ट।ये है सूची.......रैंक 1, पारुल गहलोत (जयपुर) मुकेश जांगीड़ (नागौर )रैंक 2 तृप्ता शर्मा, चूरूरैंक 3 कविता चौधरी, चूरूरैंक 3 सौरभ पंसारी, झुंझुनूंरैंक 4 राधिका सोमानी कपासनरैंक 4 वर्षा बजाज, जोधपुररैंक 5 लक्ष्मी कुमावत गोविंदपुरारैंक 5 श्रुति अग्रवाल, करौलीरैंक 6 दीपिका अग्रवाल (चूरू), रेनू पारीक (चूरू), सौरभ गुप्ता (जयपुर), सुधीर जैन (जोधपुर), कविता टेलर (रींगस)रैंक 7 दीपिका शर्मा बीकानेर और मधू चंदेलिया कपासनरैंक 8 विकास कुमार सैनी (जयपुर), श्रीपाल जैन (जोधपुर), आशिष कुमार जांगिड़,रैंक 9 उपांशु कुमार अग्रवाल (चूरू), अंकित मोदी (झुंझुनूं) अंजलि राठौड़ (जोधपुर) अंजलि राठौड़रैंक 10 भारती हरजावनी (डिग्गी) राकेश चंद्र खंडेलवाल (भरतपुर), पूजा नायल अंबाबाड़ी
आईआईटी-जेईई मेन्स का रिजल्ट घोषित नई दिल्ली। प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के परिणाम मंगलवार को घोषित कर दिए गए। परीक्षा परिणाम www.myresult.coपर देखा जा सकता है।जेईई मुख्य परीक्षा में पास होने वालों (देशभर में सभी श्रेणियों में टॉप 1.50 लाख स्टूडेंट्स) को जेईई एडवान्स्ड देने का मौका मिलेगा। यह परीक्षा दो जून को होगी। इस साल पहली बार संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) दो भागों में आयोजित की गई है - जेईई मेन और जेईई एडवान्स्ड।ये हैं 15 आईआईटी -आईआईटी भुवनेश्वर,आईआईटी -बाम्बे,आईआईटी-दिल्ली,आईआईटी - गांधीनगर,आईआईटी -गुवाहाटी,आईआईटी-हैदराबाद,आईआईटी-इंदौर,आईआईटी -कानपुर,आईआईटी-खड़गपुर,आईआईटी -मद्रास,आईआईटी- मंडी,आईआईटी-पटना,आईआईटी -राजस्थान,आईआईटी -रूड़की,आईआईटी -रोपर।