पाकिस्तान के लिए सबसे बुरा दौर फौजी शासन का माना जाता है। उस दौर में भ्रष्टाचार ने सिर उठाया। सत्ता पर काबिज लोग निरंकुश हो जाते थे और पूरा देश मार्शल लॉ में जीता था। आज हम आपको ऐसे ही दौर की कहानी सुनाने जा रहे हैं।
जिसमें एक आम महिला पाकिस्तान की सबसे शक्तिशाली महिला बनती है। 'जनरल रानी' नाम से मशहूर इस महिला का नाम अकलीम अख्तर था। यह पाकिस्तान की सबसे पावरफुल महिला, वेश्यालय की मालकिन और फौजी जनरल तानाशाह याहया खान के बेहद खास दोस्त थी।
उसे जनरल की रखैल तक कहा जाता था। वह याहया खान, पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो और मुस्तफा खार के लिए लड़कियों की डांस पार्टी आयोजित करती थी और लड़कियां सप्लाय करती थीं। इसके साथ ही लिजेंड्री सिंगर नूरजहां से भी फौजी तानाशाह के बड़े खास रिश्ते रहे, जिसके लिए जनरल रानी जिम्मेदार थी।
अकलीम अख्तर बचपन में टॉम ब्वॉय किस्म की लड़की थी। उसने पर्दे में रहना और मर्दजात की जूती बनना कभी पसंद नहीं किया। मूलत: पाकिस्तान के गुजरात में 1931 या 1932 में जन्म लेने वाली अकलीम की शादी अपने से कही अधिक उम्र के व्यक्ति से करा दी गई।
वह पुलिस ऑफिसर था। 2001 में एक इंटरव्यू में उसने बताया था कि अपने पति को पावरफुल लोगों से मिलते हुए देख कर उन्हें कुछ-कुछ होता था। उन्हें खुद भी बड़े पोजीशन लेने की चाह होती थी। लेकिन यह चाहत ऐसे पूरी होने वाली नहीं थी।
बाद में याहया खान ने पाक सरकार का तख्ता पलटा दिया और मार्शल लॉ (1969-1971) लगा दिया. यही दौर था जब जनरल रानी पाकिस्तान की सबसे ताकतवर महिला बन कर उभरी. उसका दखल सरकार के कामकाज में भी था. वह बताती थी कि याहया की सबसे बड़ी कमजोरी शराब, लड़कियां और वह खुद हैं. उन्होंने उसे एक्ट्रेसेस तराना, मशहूर गायक नूरजहां और नील कमल से मिलवाया. याहया नूरजहां का दीवाना था.
एक बार जनरल ने उनके बर्थडे पर सिंगर लाने की फरमाइश कर दी. तब जनरल रानी के कहने पर नूरजहां ने पार्टी में गाना गया और डांस भी किया. भले नूरजहां याहया के साथ रिश्ते से इनकार करें, लेकिन अकलीम जानती थी कि उनके रिश्ते किस तरह के थे. दरअसल टैक्स इंस्पेक्टर्स उन्हें परेशान कर रहे थे. इसीलिए मैंने बस उनकी मदद की थी. जनरल रानी पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो और मुस्तफा खर के बारे में भी चौंकाने वाले खुलासे करती हैं. उन्होंने बताया था कि दोनों नेता उनके सामने भीख मांगते थे कि वे याहया खान से उनकी मुलाकात करवा दें. अकलीम कहती थीं कि जितनी पार्टी उन्होंने भुट्टो और खर के लिए दी थीं उतनी शायद जनरल याहया के लिए भी न दी हों. जुल्फिकार बेनजीर भुट्टो के पिता थे, जबकि पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर मुस्तफा खर भतीजी हैं.
1971 में चुनाव होने के बाद भुट्टो सत्ता में आए. उसके बाद जनरल रानी के दिन बदल गए. भुट्टो ने रानी को घर में नजरबंद करवा दिया. उसके फोन कनेक्शन काट दिए गए. 1977 में जिया उल हक के तख्ता पलटने के बाद उन्हें आजाद कराया गया. लेकिन तब तक वह अपनी सारी जायदाद और रुतबा खो चुकी थी.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें