शुक्रवार, 3 मई 2013

रिश्वत लेते कैंसर विभागाध्यक्ष गिरफ्तार

रिश्वत लेते कैंसर विभागाध्यक्ष गिरफ्तार

-जयपुर एसएमएस मेडिकल कॉलेज से किया था एमबीबीएस व एमडी
-पंद्रह वर्ष से उदयपुर में है सेवारत

उदयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने संभाग मु यालय के महाराणा भूपाल चिकित्सालय के कैंसर विभागाध्यक्ष को शुक्रवार सुबह एक महिला रोगी के इलाज के लिए पांच सौ रूपए रिश्वत लेते उनके कक्ष से रंगे हाथ गिर तार किया। ब्यूरो की एक टीम उसके सरकारी आवास पर तलाशी ले रही है।


ब्यूरो चित्तौड़गढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भूपालसिंह चुण्डावत ने बताया कि कांकरोली राजसमंद निवासी श्यामसुंदर सुथार ने एक मई को शिकायत की कि उसकी रिश्तेदार एमड़ी निवासी कंकूबाई पत्नी स्व. रूपलाल सुथार के स्तन कैंसर के उपचार के लिए गत 29 मार्च को उदयपुर के महाराणा भूपाल चिकित्सालय में डॉ. सुरेश कुमार डंगायच को दिखाया। तब डॉ. डंगायच ने उनसे दो सौ रूपए फीस ली।


इसके बाद नौ अप्रेल को दुबारा दिखाकर भर्ती कराने पर डॉ. डंगायच ने पांच सौ रूपए ले लिये। एक मई को दिखाने जाने पर उन्होंने और पांच सौ रूपए की मांग की। वह यह राशि नहीं देना चाहता। इस पर ब्यूरो की टीम ने शिकायत का सत्यापन किया, जिसमें रिश्वत राशि मांग की पुष्टि हुई।


ब्यूरो दल ने शुक्रवार सुबह करीब सवा नौ बजे पीडित का इशारा मिलते ही डॉ. डंगायच के चिकित्सालय स्थित कक्ष में दबिश दी और उनके कमीज की जेब से रिश्वत के 500 रूपए का नोट बरामद किया। उनके हाथ धुलवाने पर लाल रंग आ गया। मूलत: जयपुर जिले में चौमू निवासी डॉ. डंगायच ने एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर से एमबीबीएस व एमडी किया। वे पिछले पंद्रह वर्ष से उदयपुर में सेवारत हैं और वर्ष 2010 से यहां कैंसर विभागाध्यक्ष के रूप में नियुक्त हैं।


एएसपी चुण्डावत ने बताया कि रिश्वत लेने के आरोप में गिर तार डॉ. डंगायत के चिकित्सालय परिसर स्थित सरकारी आवास पर निरीक्षक दिनेश सुखवाल के नेतृत्व में टीम तलाश ले रही है।


उधर,डॉ. डंगायच का कहना है कि उन्हें रंजिश के चलते फंसाया गया है। शिकायतकर्ता ने पिछले दिनों भी चिकित्सालय में पहले उपचार पाने के लिए हंगामा किया था। उन्होंने रिश्वत की राशि नहीं ली बल्कि शिकायतकर्ता ने जबरन उनकी जेब में रूपए रखे, जो निकालकर वापस उसे देते समय उनके हाथ पर रंग आ गया।

जम्मू में पाक कैदी पर हमला,कोमा में गया

जम्मू में पाक कैदी पर हमला,कोमा में गया
जम्मू। पाकिस्तान में भारतीय कैदी सरबजीत सिंह पर लाहौर के कोट लखपत जेल में हमले से मौत के बाद जम्मू की कड़ी सुरक्षा वाली कोट बलवाल जेल में एक साथी कैदी ने एक पाकिस्तानी कैदी पर हमला कर दिया। सिर में गंभीर चोट आने से पाकिस्तानी कैदी कोमा में चला गया।



हमले के शिकार हुए पाकिस्तानी कैदी को फ्लाइट से चंडीगढ़ के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया है। इसी बीच भारत और पाकिस्तान के बीच इस मामले को लेकर तनाव बढ़ने लगा है। जेल में हत्या के मामले में सजा काट रहे एक पूर्व भारतीय सैनिक ने शुक्रवार को सनाउल्लाह के सिर में हथौडे से वार किया था। दोनों में किसी बात पर झगड़ा हुआ था। पाकिस्तान में सियालकोट के रहने वाले सनाउल्लाह को पहले जम्मू के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल ले जाया गया। डाक्टरों ने बताया कि वह कोमा में चला गया है।


भारत ने इस हमले को दुखद बताया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने कहा, मामले की जांच की जा रही है तथा दोषी को सजा मिलेगी। वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा,"यह यकीनन भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की मौत का बदला लिया गया है।"


इसी बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह सुझाव दिया है कि दोनों देशों के अधिकारियों को मिलकर भारतीय और पाकिस्तानी कैदियों की सुरक्षा और मानवीय व्यवहार को सुनिश्चित करना चाहिए।


जम्मू कश्मीर सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं और जेल अधीक्षक को निलंबित भी कर दिया है। इसके अलावा भारत में पाकिस्तान के राजनयिकों को सनाउल्लाह से मिलने दिया जाएगा।


17 साल से जेल में है -

यह पाकिस्तानी कैदी पिछले 17 साल से कोट बलवाल जेल में है। उसके खिलाफ हत्या सहित आठ मामले दर्ज हैं। दो मामलों में उसे उम्रकैद की सजा हो चुकी है। वहीं विनोद पिछले छह साल से जेल में है। वह हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है।

पाक घुसपैठिए "बिलाल" से पूछताछ शुरू

पाक घुसपैठिए "बिलाल" से पूछताछ शुरू
बीकानेर। गंगानगर जिले के रावला थाना क्षेत्र में अवैध रूप से भारतीय सीमा में प्र्रवेश करते पकड़े गए पाकिस्तानी घुसपैठिए से भारतीय खुफिया एजेंंसियों ने शुक्रवार को पूछताछ शुरू कर दी है।


उल्लेखनीय है कि गुरूवार को खुफिया सूत्रों के मुताबिक सीमा सुरक्षा बल(बीएसएफ) ने पाकिस्तानी नागरिक बिलाल हुसैन(50) को पूछताछ के बाद पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने जरूरी कागजी कार्रवाई के बाद पुलिस ने उसे खुफिया एजेंसियों के सुपुर्द करने के आदेश जारी कर दिए।


सूत्रोंं के मुताबिक शुरूआती पूछताछ में बिलाल ने रास्ता भटककर गलती से भारतीय सीमा में आना बताया है। उसके पास आपत्तिजनक वस्तु नहीं मिली।


ज्ञात हो कि गत एक मई को वर्षा सीमा चौकी के पिलर नं.390 के पास बिलाल को बीएसएफ के जवानोंं ने भारतीय सीमा में अवैध रूप से प्रवेश करते पकडा था। उसने खुद को पाकिस्तान के भाकर जिले के कुंंदरावाली गांव का निवासी बताया है।


किशोर और युवती को लौटाया

हाल ही में जिले की अनूपगढ क्षेत्र में पाकिस्तान से भारतीय क्षेत्र में गलती से घुस आए एक किशोर और पंजाब के फाजिल्का क्षेत्र में रास्ता भटककर भारतीय सीमा में आई एक युवती को बीएसएफ ने मानवीय नजरिया अपनाते हुए एक दिन बाद ही पाकिस्तानी रेंजर के सुपुर्द कर दिया था।

राजकीय सम्मान के साथ हुआ सरबजीत का अंतिम संस्कार



नई दिल्ली। पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में बर्बर तरीके से मारे गए सरबजीत सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। सरबजीत सिंह का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव भिखीविंड में शुक्रवार को दो बजे राजकीय सम्मान के साथ किया गया। सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने सरबजीत को मुखाग्नि दी। अंतिम रस्म के वक्त सरबजीत की बेटियों समेत परिजनों को अधिकारी संभाल रहे थे। सरबजीत के अंतिम दर्शन को लेकर लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। प्रकाश सिंह बादल, सुखवीर सिंह कई नेता मौजूद थे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे।
live: Sarabjit's funeral, rahul reaches
जिस शहर के बाशिंदे आज भी इस जुमले पर गुमान करते हैं कि जिसने लाहौर नहीं देखा वह जन्मा ही नहीं, उसने भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को तिल-तिल करते मरते हुए देखा भी और दुनिया को दिखाया भी। 49 साल के सरबजीत को कभी साझा रही सरहद को लांघने की गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। बीते शुक्रवार को लाहौर की कोट लखपत जेल में नफरत से भरे खूंखार कैदियों के सुनियोजित हमले में मरणासन्न हुए सरबजीत ने जिन्ना अस्पताल में बुधवार आधी रात के बाद भारतीय समयानुसार डेढ़ बजे इस बेरहम दुनिया से विदा ले ली। तरनतारन के भिखीविंड गांव के सिख दलित परिवार के किसान सरबजीत को पाकिस्तान ने जीते जी तो रहम की भीख देने से इन्कार किया, लेकिन उनके शव की सुरक्षा में तमाम तामझाम दिखाया। पाकिस्तान ने उन्हें सुरक्षा तब दी जब उनके प्राण पखेरू हो चुके थे।

पूरे देश में गम और गुस्से की लहर के बीच सरबजीत सिंह का अंतिम संस्कार हुआ।

अगस्त, 1990 की एक रात वह भटकर मुल्क की सीमा लांघकर पाकिस्तान पहुंच गए। इसके बाद 1991 में उन्हें जासूसी और लाहौर व फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुना दी गई। तमाम अपील, अनुरोध और इस पुख्ता दलील के बाद भी उन्हें माफी नहीं दी गई कि वह गलत पहचान का शिकार हुए हैं।

मई, 2008 में पाकिस्तान सरकार ने सरबजीत को फांसी दिए जाने पर अनिश्चितकालीन रोक लगा दी थी। लगता है भारत के दुश्मनों ने तभी सरबजीत को मौत की सजा देने का वैकल्पिक रास्ता खोज लिया था। उसी के तहत पिछले शुक्रवार को कोट लखपत जेल में छह कैदियों ने उन पर जानलेवा हमला किया, जिसकी परिणति आज पूरे देश के सामने है। शुक्रवार को राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पाकिस्तानी जेल में अमानवीय व्यवहार का शिकार हुए सरबजीत सिंह की नृशंस हत्या की कड़ी निंदा की है। सरबजीत को शहीद घोषित करते हुए बादल ने उनके परिवार को एक करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने की बात कही। प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक रहेगा। इसके अलावा सरकार सरबजीत की दोनों बेटियों को सरकारी नौकरी भी देगी।

अंतिम संस्कार के मौके पर हजारों लोगों की आमद को लेकर चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस जवान तैनात किए गए थे। पूरा गांव पुलिस छावनी में तब्दील हो गया था।

पाकिस्‍तान ने दिल और किडनी निकाल कर भेजा सरबजीत का शव

लाहौर/नई दिल्ली। पाकिस्‍तान की जेलों में 22 साल गुजराने के बाद लाहौर के जिन्‍ना अस्‍पताल में आखिरी सांस लेने वाले सरबजीत सिंह का शव गुरुवार रात उनके पैतृक गांव भिखीविंड ले जाया गया। इससे पहले लाहौर से शव लेकर एयर इंडिया का विशेष विमान जब अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा तो वहां विदेश राज्‍य मंत्री परनीत कौर, पंजाब के डिप्‍टी सीएम सुखबीर सिंह बादल और पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष प्रताप सिंह बाजवा समेत कई नेता मौजूद रहे। लेकिन सरबजीत का शव लेकर लाहौर एयरपोर्ट से इस विमान के उड़ान भरने में वहां के अधिकारियों की वजह से देरी हुई। सरबजीत की लाश को भारत भेजते समय आखिरी वक्‍त में पाकिस्‍तान की लालफीताशाही आड़े आई। पहले पाकिस्‍तान के कस्‍टम अधिकारियों ने सरबजीत का शव भारत भेजने से रोका, फिर वहां की एंटी नारकोटिक्‍स फोर्स ने अड़ंगा डाला।
पाकिस्‍तान ने दिल और किडनी निकाल कर भेजा सरबजीत का शव
कस्‍टम अधिकारी शव को भारत भेजने से पहले एनओसी, पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट और पुलिस रिपोर्ट मांग रहे थे। पाकिस्‍तानी अधिकारी विदेश मंत्रालय से भी क्लियरेंस मांग रहे थे। इसके बाद एंटी नारकोटिक्‍स टीम ने सरबजीत का शव भारत भेजने की मंजूरी देने से पहले हॉस्पिटल की तरफ से क्लियरेंस की मांग की। इस तरह सरबजीत का शव लेने गया एयर इंडिया का विशेष विमान एयरबस 319 लाहौर एयरपोर्ट पर करीब तीन घंटे से अधिक समय तक खड़ा रहा। कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद शव को भारतीय विमान में रखा जा सका

सरबजीत को शव को पोस्‍टमॉर्टम के लिए पहले पट्टी ले जाया जाएगा। इसके बाद शव को परिजनों को सौंप दिया जाएगा। सरबजीत का परिवार दिल्‍ली से विमान के जरिये अमृतसर और फिर वहां से हेलिकॉप्‍टर के जरिये भिखीविंड पहुंचा जहां कल दोपहर दो बजे सरबजीत का अंतिम संस्कार होगा। लाहौर के जिन्‍ना अस्‍पताल में सरबजीत के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सरबजीत की मौत का कारण टॉर्चर को बताया गया है। पोस्टमार्टम के बाद शव भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया। गत 26 अप्रैल को कोट लखपत जेल में पाकिस्‍तानी कैदियों के हमले में सरबजीत को गंभीर चोट आई थी जिसके बाद उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराना पड़ा था। गुरुवार आधी रात के बाद करीब डेढ़ बजे सरबजीत के मौत की खबर आई।

इस बीच, जीते जी सुध नहीं लेने वाली सरकार मरने के बाद सरबजीत और उनके परिवार वालों पर कृपा बरसा रही है। मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री राहत कोष से सरबजीत के परि‍वार वालों को 25 लाख रुपये देने की घोषणा की तो पंजाब सरकार ने एक करोड़ रुपये देने का ऐलान कर दिया। पंजाब सरकार सरबजीत को शहीद का दर्जा देने के साथ सरबजीत की बेटियों को सरकारी नौकरी भी देगी। सरबजीत का अंतिम संस्‍कार भी पूरे राजकीय सम्‍मान के साथ किया जाएगा। पंजाब में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है।