शुक्रवार, 3 मई 2013

उपेक्षित बेरियां,लाचार ग्रामीण

उपेक्षित बेरियां,लाचार ग्रामीण

शिव। दशकों से अकाल की मार झेल रहे क्षेत्र में पारम्परिक पेयजल स्त्रोत संरक्षण के अभाव में अस्तित्व खोते जा रहे हैं। मनरेगा में नाडी खुदाई पर बड़ा बजट खर्च किया जा रहा है वहीं सीमावर्ती गांवों में पेयजल का एक मात्र साधन बेरियां ग्राम पंचायतों एवं प्रशासनिक उदासीनता के चलते उपेक्षित हैं। क्षेत्र में एक तरफ बड़ी संख्या में बेरियां विलुप्त होती जा रही हैं। वहीं बड़े तालाब अतिक्रमण की भेंट चढ़ रहे है।

ऊंट के मुंह में जीरा
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारन्टी योजना ब्लाक में वर्ष 2007 से प्रारम्भ की गई। इस योजना में अभी तक लगभग 5000 कार्य स्वीकृत हुए हैं। जिसमें बेरियों के रख रखाव महज 20-25 कार्य सीमावर्ती रोहीड़ी व बिजावल ग्राम पंचायतों में ही पूर्ण हुए हैं। इस कार्य में स्वीकृत राशि 15 से 20 हजार रूपए होने के कारण पंचायतें इसे नजरअंदाज कर रही हंै।

क्षेत्र के लिए वरदान
डीएनपी क्षेत्र के दुरूह गांवों के रेत के धोरो में जहां पानी की कल्पना ही नहीं की जा सकती वहां पुरातन बेरियों से मीठा पानी निकल रहा है। हजारों की संख्या में बनी ये बेरियां लोगों के पेयजल का एक मात्र सहारा बनी हुई हैं। गर्मी के चार माह में तालाबों का पानी सूख जाता है। सरकारी पेयजल योजनाएं ठप हो जाती हंै। ऎसे में इस क्षेत्र के वाशिन्दों व पशुओं के लिए यह बेरियां मददगार साबित होती हैं।


क्या है बेरी
रेगिस्तानी इलाके में धोरों के निकट ही समतल जमीन होती है जहां पानी का बहाव या भराव रहता है। इसे पानी का सेजा कहते हैं। यहां जमीन की खुदाई करने पर भूगर्भ से पानी निकल आता है। छोटे कुएं की खुदाई ग्रामीण अपने स्तर पर करते है तीस से पचास फीट पर पानी निकल आता है। रहट से इसको निकाला जाता है। इस छोटे कुएं को बेरी कहते हैं।

रिपोर्ट बनी रोड़ा
पारम्परिक पेयजल स्त्रोतों को प्रशासन ने कार्य योजना में शामिल किया, लेकिन जिला परिषद ने पंचायतों के लिए भू-जल विभाग की ओर से जारी पानी की उपलब्धता की रिपोर्ट को अनिवार्य करने पर यह रिपोर्ट रोड़ा बनी हुई थी लेकिन अब यह रिपोर्ट नई बेरी खुदाई के लिए अनिवार्य करने से इस कार्य में कुछ राहत के आसार हैं। इससे पहले बेरियों के संरक्षण को लेकर ब्लाक में नरेगा का कार्य नगण्य था।

तो जिन्दा नहीं रहते
विकट भौगोलिक परिस्थितियों वाले गांव द्राभा के ग्रामीण हरिसिंह सोढ़ा एवं खंगारसिंह सोढ़ा कहते है कि गांव के पास बेरियां होने से हमारा बचाव हुआ है। यहां मीलों तक पानी का कोई अन्य माध्यम नहीं है। इन बेरियों का दशकों से पानी पी रहे हैं तभी जिन्दा है।

राहत मिलेगी
मेरी पंचायत के दस गांवों में कुल चार सौ बेरियां हैं। इनके रख रखाव को लेकर पंचायत समिति में प्रस्ताव दिए थे। लेकिन लम्बे इन्तजार के बाद भी स्वीकृति नहीं हुई है। यदि इनको पर्याप्त संरक्षण मिलता है तो निश्चित तौर पर यहां के वाशिन्दों को राहत मिलेगी।
सरादीन,सरपंच, शहदाद का पार

गुरुवार, 2 मई 2013

पुत्र देने के नाम पर तांत्रिक बना हैवान

पुत्र देने के नाम पर तांत्रिक बना हैवान

नाथद्वारा। तंत्रमंत्र से गढ़ा धन खोजने में एक दिन पहले ही जहां राजधानी में एक व्यक्ति को जान गंवानी पड़ी,वहीं नाथद्वारा में गुरूवार को तंत्र के जरिए पुत्र देने के नाम पर एक तांत्रिक ने महिला से दुष्कर्म कर डाला।

पुलिस ने तांत्रिक पाली निवासी गणपतलाल को गिरफ्तार कर लिया है। बंद कमरे में पीडित विवाहिता के साथ इस कु कर्म का पता जब घरवालों को चला तो उन्होंने तांत्रिक की जम कर धुनाई कर डाली।

पुलिस ने विवाहिता का मेडिकल करवाने के बाद मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अभियुक्त तांत्रिक को शुक्रवार को अदालत में पेश करेगी।

चढ़ा ली "तंत्र" की शराब

पुलिस के अनुसार गणपतलाल पिछले दो तीन दिन से ऎसे किसी शिकार की तलाश में मोगाणा गांव में ही घूम रहा था। दावा कर रहा था कि वह गृह क्लेश, पुत्र न होना जैसी समस्याओं के तांत्रिक विद्या से ईलाज करता है।

झांसे में आए महिला के परिजनों ने भी उनके यहां पुत्र नहीं होने की बात बताई तो तांत्रिक ने महिला पर भूत-प्रेत का चक्कर बता कर उन्हें इस विश्वास में ले लिया कि वह ईलाज कर देगा।

तंत्र क्रिया के लिए ग्वारपाटा, तेल के साथ दो बोतल शराब आदि सामग्री के साथ दो शराब की बोतल मंगवा ली। बंद कमरे में विवाहिता को बुला कर कपड़े उतरवाए। फिर शराब पीकर उसके साथ दुष्कर्म किया।

चिल्लाई तो पता चला
तांत्रिक क्रिया के दौरान गणपतलाल ने परिजनों को कमरे से बाहर निकाल दिया और फिर विवाहिता अस्मत से खेलने लगा। हैवान तांत्रिक का यह रूप देखा तो महिला जोर से चिल्ला उठी। आवाज सुन कर बाहर बैठे परिजन भीतर आए और तांत्रिक को आपत्तिजनक अवस्था में पाया। इसे देख परिजनों ने मिल कर तांत्रिक की जमकर धुनाई की।

अमृतसर पहुंचा सरबजीत का शव

अमृतसर पहुंचा सरबजीत का शव

अमृतसर/लाहौर। भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह का शव गुरूवार शाम अमृतसर पहुंचा। अमृतसर से हेलीकॉप्टर के जरिए शव सरबजीत के पैतृक गांव भिखीविंड ले जाया जाएगा। जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार होगा।

पंजाब सरकार ने घोषणा की है कि शव का फिर से पोस्टमार्टम कराया जाएगा,ताकि वास्तविकता सामने आ सके। पंजाब सरकार ने सरबजीत के परिजनों को एक करोड़ रूपए का मुआवजा देने की घोषणा की है। पंजाब सरकार ने सरबजीत को शहीद का दर्जा दिया है। पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि सरबजीत की दोनों बेटियों को सरकारी नौकरी दी जाएगी।

उन्होंने केन्द्र सरकार से सरबजीत की हत्या का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने की मांग की है। प्रधानमंत्री सहायता कोष से सरबजीत के परिजनों को 25 लाख रूपए की आर्थिक मदद दी जाएगी। करीब एक हफ्ते से लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती सरबजीत ने बुधवार देर रात अस्पताल में दम तोड़ दिया था। अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम किया गया।

पाक अधिकारियों ने लगाया अड़ंगा

शव को भारत लाने के लिए एक विशेष विमान पाकिस्तान भेजा गया था। पाकिस्तान के अधिकारियों की वजह से प्लेन लाहौर एयरपोर्ट से काफी देरी से रवाना हुआ।

नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों ने शव को प्लेन में चढ़ाने से रोक लिया था। विभाग का कहना था कि शव को भारत भेजने के लिए जरूरी अस्पताल का क्लीयरेंस सर्टिफिकेट नहीं दिया गया है।

जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी होने पर शव को प्लेन में चढ़ाने की अनुमति दे दी गई। इससे पहले कस्टम विभाग के अधिकारियों ने भी कागजी कार्रवाई के नाम पर अड़ंगा लगा दिया था।

कस्टम विभाग के अधिकारियों ने शव को प्लेन में चढ़ाने से पहले विदेश विभाग का नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट और पुलिस रिपोर्ट मांगी। जरूरी दस्तावेज मुहैया कराने के बाद अधिकारियों ने शव को भारत ले जाने की अनुमति दी।

जरदारी के पुतले फूंके -

सरबजीत की मौत से गुस्साए लोगों ने कोलकाता में विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के पुतले फूंके। पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नजम सेठी ने कोट लखपत जेल में कैद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।

सरबजीत पर 26 अप्रैल को लाहौर की कोटलखपत जेल में कुछ कै दियों ने ईटो और धारदार हथियारों से प्राणघातक हमला किया था जिसके बाद उसे मरणासन्न हालत में लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सरबजीत को डाक्टरों ने बुधवार देर रात मृत घोषित किया। सेठी ने गुरूवार को यहां जारी अपने आदेश में सरबजीत की मौत से जुड़े प्रत्येक पहलू की जांच के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि सरबजीत सिंह की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई है।

स्वतंत्रता सेनानी नहीं क्रांतिकारी

स्वतंत्रता सेनानी नहीं क्रांतिकारी

लखनऊ।सारा देश भले ही देश को आजाद कराने में महान क्रांतिकारियों द्वारा दी गई आहुतियों को अपने दिल में संजो कर रखता हो लेकिन लगता है कि सरकार की नजरों में इसका कोई मायने नहीं है।


लखनऊ में कक्षा सात की 11 वर्षीय छात्रा और देश की सबसे कम उम्र की बाल आरटीआई कार्यकर्ता ऎश्वर्या पाराशर के इस संबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगे जवाब पर सरकार ने कोई साफ उत्तर न देकर गोलमोल जानकारी दी है।


ऎश्वर्या ने प्रधानमंत्री कार्यालय से 25 मार्च 13 को भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, चंद्र शेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और मंगल पांडेय को स्वतंत्रता सेनानी घोषित करने के भारत सरकार के आदेशों की फोटो कॉपी मांगी थी।

आरसी नायक, निदेशक (स्वतंत्रता सेनानी) एवं गृह मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी द्वारा ऎश्वर्या को भेजे गए जवाब में केवल यह लिखा गया है कि
राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम में इन क्रांतिकारियों की शहादत एक ऎतिहासिक तथ्य है।

याचिकाकर्ता ने की प्रथम अपील


स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन स्कीम 1980 के तहत गृह मंत्रालय की स्वतंत्रता सेनानी शाखा उन स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन देता है, जो स्वतंत्रता सेनानी सम्मान पेंशन स्कीम 1980 में निर्धारित मापदंड और प्रमाणिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। क्रांतिकारियों को स्वतंत्रता सेनानी घोषित करने के भारत सरकार के आदेशों की फोटो कॉपी देने के बारे में यह पत्र मौन है।


जनसूचना अधिकारी द्वारा दी गई भ्रमपूर्ण जानकारी प्राप्त होने पर ऎश्वर्या दुखी और हताश है। ऎश्वर्या ने कहा कि उसे तो भारत सरकार के आदेशों की फोटो कॉपी चाहिए थी जो उसे नहीं मिलीं। अब उसने इस मामले में प्रथम अपील की है।

भारत को सौंपा सरबजीत का शव

भारत को सौंपा सरबजीत का शव

नई दिल्ली। पाकिस्तान ने गुरूवार को सरबजीत का शव भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया। जिन्ना अस्पताल में सरबजीत का पोस्टमार्टम किया गया। करीब एक हफ्ते से लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती सरबजीत ने बुधवार देर रात अस्पताल में दम तोड़ दिया था।


गौरतलब है कि दिल्ली से एक विशेष विमान लाहौर के लिए भेजा जा रहा है। यह विमान उनके पार्थिव शरीर को अमृतसर लेकर आएगा,उसके बाद सरबजीत के पैतृक गांव भिखीविंड ले जाया जाएगा जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार होगा। इधर,पंजाब सरकार ने घोषणा की है कि सरबजीत के शव का फिर से पोस्टमार्टम कराया जाएगा,ताकि वास्तविकता सामने आ सके।


पाक ने दिए न्यायिक जांच के आदेश-

पाकिस्तान में पंजाब प्रांत के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नजम सेठी ने कोट लखपत जेल में कैद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की मौत की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। सरबजीत पर 26 अप्रैल को लाहौर की कोटलखपत जेल में कुछ कै दियों ने ईटो और धारदार हथियारों से प्राणघातक हमला किया था जिसके बाद उसे मरणासन्न हालत में लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सरबजीत को डाक्टरों ने बुधवार देर रात मृत घोषित किया। सेठी ने गुरूवार को यहां जारी अपने आदेश में सरबजीत की मौत से जुड़े प्रत्येक पहलू की जांच के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि सरबजीत सिंह की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई है।


सरबजीत नॉन रिवर्सिबल कोमा में चले गए थे। सरबजीत की तबीयत में जब सुधार नहीं हो रहा था तो परिजन और भारत सरकार लगातार पाकिस्तान से अपील करते रहे कि उसे इलाज के लिए भारत या किसी अन्य देश भेज दिया जाए लेकिन उसने एक नहीं सुनी। पाकिस्तान इस बात पर अड़ा रहा कि इलाज वहीं होगा। पाकिस्तान की इसी जिद ने उनकी जान ले ली।


आरोपी रिजवान और आमिर के खिलाफ हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया गया था। सरबजीत सिंह को 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का दोषी करार दिया गया था। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी।


28 अगस्त 1990 को सरबजीत गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के आठ दिन बाद पुलिस ने उन पर लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का आरोप लगाया। 1990 से ही वह लाहौर की कोट लखपत जेल में कैद थे। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। कई बार उनकी फांसी टल गई। उनकी ओर से पांच दया याचिकाएं दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरबजीत की फांसी की सजा को बरकरार रखा।


मार्च 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा पर पुर्नविचार के लिए दाखिल याचिका खारिज कर दी थी। मामले पर सुनवाई के दौरान उनके वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए इसलिए याचिका खारिज कर दी गई। 3 मार्च 2008 को तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उनकी दया याचिका खारिज कर दी। 26 जून 2012 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने सरबजीत को रिहा करने का फैसला किया लेकिन कुछ घंटे बाद ही अपना फैसला बदल लिया क्योंकि जमात ए इस्लामी और जमात उद दावा ने कड़ा एतराज जताया था। पाकिस्तान की सरकार ने सफाई दी कि सरबजीत नहीं बल्कि सुरजीत सिंह को रिहा किया जा रहा है।