गुरुवार, 2 मई 2013
जवानों को गर्मी से बचाव के लिए 'कूलवेस्ट' : डीजी
जवानों को गर्मी से बचाव के लिए 'कूलवेस्ट' : डीजी
बीएसएफ डीजी सुभाष जोशी पहुंचे बाड़मेर, सीमा क्षेत्र का लेंगे जायजा
बाड़मेर 'बीएसएफ के जवान रेगिस्तानी इलाकों में 50 डिग्री तापमान होने के बावजूद देश की सुरक्षा का कार्य कर रहे हैं। जवानों को भीषण गर्मी में किसी प्रकार की तकलीफ ना हो इसके लिए डीआरडीओ को 'कूलवेस्ट' नामक ड्रेस तैयार करने को कहा गया है। कूलवेस्ट से सामान्य तापमान 15 डिग्री तक कम हो जाएगा।' यह बात सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक सुभाष जोशी नेे बुधवार को बाड़मेर में कही। जोशी बीएसएफ के क्षेत्रीय मुख्यालय पर आयोजित संयुक्त सैनिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। जोशी दो दिन तक सीमा क्षेत्र का भ्रमण करने के साथ ही बॉर्डर की सुरक्षा व्यवस्था तथा जवानों के कल्याण के लिए किए जा रहे कार्यों का जायजा लेंगे।
जवानों से हुए रूबरू
बीएसएफ डीजी विशेष विमान से सुबह 10:30 बजे उत्तरलाई वायुसेना स्टेशन पहुंचे। जहां पर उनका गुजरात फ्रंटियर के आईजी ए.के. सिन्हा, डीआईजी माधोसिंह चौहान व यू.के. नियाल सहित अन्य अधिकारियों ने अगवानी कर स्वागत किया। डीजी के साथ स्पेशल डीजी (वेस्ट) राजदीपसिंह तथा डीआईजी हरमिंदरपाल भी विशेष विमान से बाड़मेर पहुंचे। यहां से सभी अधिकारी बीएसएफ के क्षेत्रीय मुख्यालय पहुंचे। यहां पर उन्होंने सैनिकों को संबोधित किया तथा जवानों की समस्याओं से रूबरू होकर उनके निराकरण के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए।
मौजूदा वर्ष 'जवानों का वर्ष'
डीजी ने सैनिक सम्मेलन में जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि यह वर्ष 'जवानों का वर्ष' के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान ही सभी सीमा चौकियों पर भोजनालय, बैरक तथा शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही वे स्वयं सीमांत मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर जवानों के लिए अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करेंगे।
सतर्कता घुसपैठ पर लगाम
उन्होंने कहा कि बाड़मेर सेक्टर में पिछले तीन वर्षों से तस्करी व घुसपैठ की कोई भी घटना सामने नहीं आई है, कभी घुसपैठ की कोशिश भी नहीं हुई। यह सब बीएसएफ के जवानों की चौकसी और सतर्कता के कारण संभव हो पाया है। जवानों ने घुसपैठियों को दबोचा भी है। जवानों से फायरिंग और शारीरिक दृढ़ता के क्षेत्र में अधिक से अधिक दक्षता प्राप्त करने के लिए डीजी ने जवानों को प्रेरित किया। साथ ही उन्होंने जवानों से अपने स्वास्थ्य का भी बराबर ख्याल रखने की बात कही।
केमिकल फैक्ट्री में आग
केमिकल फैक्ट्री में आग
जोधपुर। बासनी द्वितीय फेज बंगाली कॉलोनी के पास बुधवार शाम एक कलर केमिकल फैक्ट्री में आग लग गई। आग से फैक्ट्री में पड़ा लाखों रूपए का माल स्वाह हो गया। निगम की 12 और रीको की दो दमकलों ने डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। फैक्ट्री में आग की ऊंची-ऊंची लपटे देख वहां बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो गए थे।
मुख्य अग्निशमन अधिकारी सुरेश थानवी ने बताया कि यह फैक्ट्री रातानाडा सुनारों की बगेची निवासी अजय चांडक की है। फैक्ट्री में पैकिंग मेटेरियल, चाइना ट्रे, रेगजीन, ड्रम केमिकल और अकाउंट्स से जुड़ा सामान जलकर खाक हो गया। यह आग ग्राउंड व प्रथम मंजिल वाले हिस्से में लगी थी। इसमें करीब 50 से 60 लाख रूपए का माल जलने की पुष्टि हुई है।
थानवी ने बताया कि इस आग पर काबू पाने के लिए नगर निगम अग्निशमन विभाग की 4 शास्त्रीनगर, 4 बासनी, 2 नागौरी गेट, 2 मंडोर और 2 दमकलें रीको से मंगाई गई। विभाग से प्रशांतसिंह चौहान, हेमराज, जितेन्द्रसिंह मनीष पुरोहित, रामचंद्र मोहनलाल और देवेन्द्र सहित कई दमकलकर्मियों ने मौके पर पहुंच आग को नियंत्रण में लिया।
जोधपुर। बासनी द्वितीय फेज बंगाली कॉलोनी के पास बुधवार शाम एक कलर केमिकल फैक्ट्री में आग लग गई। आग से फैक्ट्री में पड़ा लाखों रूपए का माल स्वाह हो गया। निगम की 12 और रीको की दो दमकलों ने डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। फैक्ट्री में आग की ऊंची-ऊंची लपटे देख वहां बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो गए थे।
मुख्य अग्निशमन अधिकारी सुरेश थानवी ने बताया कि यह फैक्ट्री रातानाडा सुनारों की बगेची निवासी अजय चांडक की है। फैक्ट्री में पैकिंग मेटेरियल, चाइना ट्रे, रेगजीन, ड्रम केमिकल और अकाउंट्स से जुड़ा सामान जलकर खाक हो गया। यह आग ग्राउंड व प्रथम मंजिल वाले हिस्से में लगी थी। इसमें करीब 50 से 60 लाख रूपए का माल जलने की पुष्टि हुई है।
थानवी ने बताया कि इस आग पर काबू पाने के लिए नगर निगम अग्निशमन विभाग की 4 शास्त्रीनगर, 4 बासनी, 2 नागौरी गेट, 2 मंडोर और 2 दमकलें रीको से मंगाई गई। विभाग से प्रशांतसिंह चौहान, हेमराज, जितेन्द्रसिंह मनीष पुरोहित, रामचंद्र मोहनलाल और देवेन्द्र सहित कई दमकलकर्मियों ने मौके पर पहुंच आग को नियंत्रण में लिया।
मां-बेटे आग में जिंदा जले
मां-बेटे आग में जिंदा जले
जोधपुर-भोपालगढ़। जिले की भोपालगढ़ तहसील में पालड़ी राणावता ग्राम पंचायत में बुधवार दोपहर रायड़ी के कचरे में आग लगने से मां-बेटे जिंदा जल गए। भोपालगढ़ थाना पुलिस से मिली जानकारी अनुसार हस्तुदेवी (27) पत्नी हुकमाराम व सुनील (9) पुत्र हुकमाराम निवासी बाघोरिया, हाल पालड़ी राणावता अपने कृषि कुएं पर कुछ कार्य कर रहे थे।
इस दौरान रायड़ी के कचरे में अचानक आग लग गई। इसकी चपेट में आकर दोनों मां-बेटे झुलस गए। इलाज के लिए परिजन उन्हें भोपालगढ़ अस्पताल ले आए, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने दोनों का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों के सुपुर्द कर दिए। मृतक महिला के देवर ने थाने में मामला दर्ज कराया।
जोधपुर-भोपालगढ़। जिले की भोपालगढ़ तहसील में पालड़ी राणावता ग्राम पंचायत में बुधवार दोपहर रायड़ी के कचरे में आग लगने से मां-बेटे जिंदा जल गए। भोपालगढ़ थाना पुलिस से मिली जानकारी अनुसार हस्तुदेवी (27) पत्नी हुकमाराम व सुनील (9) पुत्र हुकमाराम निवासी बाघोरिया, हाल पालड़ी राणावता अपने कृषि कुएं पर कुछ कार्य कर रहे थे।
इस दौरान रायड़ी के कचरे में अचानक आग लग गई। इसकी चपेट में आकर दोनों मां-बेटे झुलस गए। इलाज के लिए परिजन उन्हें भोपालगढ़ अस्पताल ले आए, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने दोनों का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों के सुपुर्द कर दिए। मृतक महिला के देवर ने थाने में मामला दर्ज कराया।
बंदूक की जगह पिस्टल पहली पसंद
बंदूक की जगह पिस्टल पहली पसंद
बाड़मेर। रेगिस्तान मे तेल उत्खनन से आई आर्थिक उन्नति के बाद शौक भी परवान चढ़ने लगे हंै। लग्जरी गाडियो के साथ अब हथियार लाइसेस लेने वालों में "पिस्टल" रखने की चाह बढ़ी है। पहले हथियार के नाम पर अधिकांश लोगों के पास बारह बोर बंदूक ही थी और कुछ के पास रिवाल्वर। बीते आठ साल में बीस से ज्यादा लोगों ने रिवाल्वर और पिस्टल खरीदे हंै।
बंदूकें हजारों में
जिले में बंदूक के लाइसेंस हजारो में है। 1965 व 1971 के युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में लाइसेस जारी हुए। इसके बाद भी लगातार बंदूक के लिए लाइसेंस जारी होते रहे हैं।
कीमत डेढ़ से दस लाख तक
रिवाल्वर की कीमत डेढ़ लाख के करीब है लेकिन नए पिस्टल खरीदने वालों ने साढ़े पांच से दस लाख तक के अत्याधुनिक विदेशी पिस्टल खरीदे हैं।
उद्योगपति और नेता भी
रिवाल्वर और पिस्टल खरीदने वालों में उद्योगपति और राजनेता हैं, जिन्होंने नए लाइसेंस लिए हैं और सुरक्षा के तौर पर अत्याधुनिक पिस्टल खरीदे है।
लाइसेंस के बाद कोई भी हथियार
शस्त्र लाइसेंस जारी होने के एक साल के भीतर हथियार खरीदना जरूरी होता है। इस हथियार को लाइसेंस जारीकर्ता यानि जिला कलक्टर के यहां रजिस्टर्ड करवाना पड़ता है। जिसमें हथियार का प्रकार और उनकी अन्य जानकारी दर्ज होती है।
समृद्धि व प्रतिष्ठा वजह
समय बदला है, साथ ही आर्थिक समृद्धि आई है। इस कारण सुरक्षा व सामाजिक प्रतिष्ठा के लिहाज से महंगे हथियार खरीदे जा रहे हैं। पिस्टल की सार-संभाल आसान है।
एडवोकेट किरण मंगल
बाड़मेर। रेगिस्तान मे तेल उत्खनन से आई आर्थिक उन्नति के बाद शौक भी परवान चढ़ने लगे हंै। लग्जरी गाडियो के साथ अब हथियार लाइसेस लेने वालों में "पिस्टल" रखने की चाह बढ़ी है। पहले हथियार के नाम पर अधिकांश लोगों के पास बारह बोर बंदूक ही थी और कुछ के पास रिवाल्वर। बीते आठ साल में बीस से ज्यादा लोगों ने रिवाल्वर और पिस्टल खरीदे हंै।
बंदूकें हजारों में
जिले में बंदूक के लाइसेंस हजारो में है। 1965 व 1971 के युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में लाइसेस जारी हुए। इसके बाद भी लगातार बंदूक के लिए लाइसेंस जारी होते रहे हैं।
कीमत डेढ़ से दस लाख तक
रिवाल्वर की कीमत डेढ़ लाख के करीब है लेकिन नए पिस्टल खरीदने वालों ने साढ़े पांच से दस लाख तक के अत्याधुनिक विदेशी पिस्टल खरीदे हैं।
उद्योगपति और नेता भी
रिवाल्वर और पिस्टल खरीदने वालों में उद्योगपति और राजनेता हैं, जिन्होंने नए लाइसेंस लिए हैं और सुरक्षा के तौर पर अत्याधुनिक पिस्टल खरीदे है।
लाइसेंस के बाद कोई भी हथियार
शस्त्र लाइसेंस जारी होने के एक साल के भीतर हथियार खरीदना जरूरी होता है। इस हथियार को लाइसेंस जारीकर्ता यानि जिला कलक्टर के यहां रजिस्टर्ड करवाना पड़ता है। जिसमें हथियार का प्रकार और उनकी अन्य जानकारी दर्ज होती है।
समृद्धि व प्रतिष्ठा वजह
समय बदला है, साथ ही आर्थिक समृद्धि आई है। इस कारण सुरक्षा व सामाजिक प्रतिष्ठा के लिहाज से महंगे हथियार खरीदे जा रहे हैं। पिस्टल की सार-संभाल आसान है।
एडवोकेट किरण मंगल
एक योजना में गरीब, दूसरी में अमीर!
एक योजना में गरीब, दूसरी में अमीर!
बाड़मेर। गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए डिस्कॉम में दोहरे मापदण्ड चल रहे हैं। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में विद्युतीकृत होने वाले बी पी एल परिवारों को नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन दिए जा रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री विद्युतीकरण योजना सबके लिए में बी पी एल परिवारों से डिमाण्ड राशि वसूली जा रही है। योजनाओं के मकड़जाल में उलझे बी पी एल परिवारों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि एक योजना में वह गरीब है तो दूसरी योजना में अमीर कैसे हो गए?
बाड़मेर जिले में करीब एक लाख अठाइस हजार बीपीएल परिवार हैं। इनमें से करीब साठ हजार परिवार राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत विद्युतीकृत हो चुके हैं। इन्हे नि:शुल्क घरेलू विद्युत कनेक्शन दिए गए हैं। इसके अलावा पच्चीस हजार बी पी एल परिवार अन्य योजनाओं में विद्युतीकृत हो चुके हैं। चालीस हजार से अधिक बीपीएल परिवारों का जीवन अभी भी अंधेरे में ही गुजर रहा है। अंधेरे से निकलकर रोशनी में आने का सपना देखने वाले इन बीपीएल परिवारों को बस इतनी-सी जानकारी है कि सरकार उन्हें नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन देती है। विद्युत कनेक्शन के लिए उन्होंने जो आवेदन जमा किए हैं, वह किस योजना में किए हंै, इसकी उन्हें समझ नहीं है।
राजीव गांधी में बजट नहीं
केन्द्र सरकार की राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में फिलहाल बजट ही नहीं है। केन्द्र सरकार से जब बजट आएगा, तब ही यह योजना आगे बढ़ेगी। स्थिति एकदम साफ है कि जब तक केन्द्र से बजट नहीं आता, तब तक बीपीएल परिवारों को नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन दिया जाना संभव नहीं है।
बीपीएल को डिमाण्ड नोटिस
नए वित्तीय वर्ष में मुख्यमंत्री विद्युतीकरण योजना सबके लिए में प्राप्त आवेदनों में डिस्कॉम की ओर से डिमाण्ड नोटिस भिजवाए जा रहे हैं। बीपीएल परिवारों को भी 3700 रूपए का डिमाण्ड नोटिस मिल रहा है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि बीपीएल को नि:शुल्क कनेक्शन दिए जाने का प्रावधान है तो फिर डिमाण्ड नोटिस क्यों दिया जा रहा है? इन हालात में बीपीएल परिवार अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। वे यह नहीं जानते कि सरकार की एक योजना में गरीब तो दूसरी में अमीर हैं।
दोनों अलग-अलग
राजीव गांधी विद्युतीकरण व मुख्यमंत्री विद्युतीकरण दोनों योजनाएं अलग-अलग हैं। मुख्यमंत्री विद्युतीकरण योजना सबके लिए में नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन का प्रावधान नहीं है। इसलिए डिमाण्ड नोटिस भिजवाए हैं।
प्रेमजीत धोबी अधीक्षण अभियंता, डिस्कॉम
बाड़मेर। गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए डिस्कॉम में दोहरे मापदण्ड चल रहे हैं। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में विद्युतीकृत होने वाले बी पी एल परिवारों को नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन दिए जा रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री विद्युतीकरण योजना सबके लिए में बी पी एल परिवारों से डिमाण्ड राशि वसूली जा रही है। योजनाओं के मकड़जाल में उलझे बी पी एल परिवारों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि एक योजना में वह गरीब है तो दूसरी योजना में अमीर कैसे हो गए?
बाड़मेर जिले में करीब एक लाख अठाइस हजार बीपीएल परिवार हैं। इनमें से करीब साठ हजार परिवार राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत विद्युतीकृत हो चुके हैं। इन्हे नि:शुल्क घरेलू विद्युत कनेक्शन दिए गए हैं। इसके अलावा पच्चीस हजार बी पी एल परिवार अन्य योजनाओं में विद्युतीकृत हो चुके हैं। चालीस हजार से अधिक बीपीएल परिवारों का जीवन अभी भी अंधेरे में ही गुजर रहा है। अंधेरे से निकलकर रोशनी में आने का सपना देखने वाले इन बीपीएल परिवारों को बस इतनी-सी जानकारी है कि सरकार उन्हें नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन देती है। विद्युत कनेक्शन के लिए उन्होंने जो आवेदन जमा किए हैं, वह किस योजना में किए हंै, इसकी उन्हें समझ नहीं है।
राजीव गांधी में बजट नहीं
केन्द्र सरकार की राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में फिलहाल बजट ही नहीं है। केन्द्र सरकार से जब बजट आएगा, तब ही यह योजना आगे बढ़ेगी। स्थिति एकदम साफ है कि जब तक केन्द्र से बजट नहीं आता, तब तक बीपीएल परिवारों को नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन दिया जाना संभव नहीं है।
बीपीएल को डिमाण्ड नोटिस
नए वित्तीय वर्ष में मुख्यमंत्री विद्युतीकरण योजना सबके लिए में प्राप्त आवेदनों में डिस्कॉम की ओर से डिमाण्ड नोटिस भिजवाए जा रहे हैं। बीपीएल परिवारों को भी 3700 रूपए का डिमाण्ड नोटिस मिल रहा है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि बीपीएल को नि:शुल्क कनेक्शन दिए जाने का प्रावधान है तो फिर डिमाण्ड नोटिस क्यों दिया जा रहा है? इन हालात में बीपीएल परिवार अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। वे यह नहीं जानते कि सरकार की एक योजना में गरीब तो दूसरी में अमीर हैं।
दोनों अलग-अलग
राजीव गांधी विद्युतीकरण व मुख्यमंत्री विद्युतीकरण दोनों योजनाएं अलग-अलग हैं। मुख्यमंत्री विद्युतीकरण योजना सबके लिए में नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन का प्रावधान नहीं है। इसलिए डिमाण्ड नोटिस भिजवाए हैं।
प्रेमजीत धोबी अधीक्षण अभियंता, डिस्कॉम
सदस्यता लें
संदेश (Atom)