पष्चिमी सरहद से लेकर देष भर में फैला जासूसों का जाल
-पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई जासूसों के माध्यम से हमारे देष की सामरिक जानकारी, गोपनीय दस्तावेज जुटा रही है। देष में बाकायदा इसका नेटवर्क फैला हुआ है। इसमें राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं की संलिप्तता भी सामने आई है। पष्चिमी राजस्थान के थार मरुस्थल से लगी भारत-पाक सीमा क्षेत्र से पिछले पांच महीनों में पांच जासूस पकड़े जा चुके हैं वहीं मध्यप्रदेश एटीएस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सतना, ग्वालियर, भोपाल और जबलपुर से गिरफ्तारियां की है। इससे एक बात साफ हो गई है कि पाकिस्तान अभी अपनी फितरत से बाज नहीं आ रहा है और उसकी आंख अभी भी भारत पर है और वह यदा-कदा मौकों की तलाष में रहता है। हाल ही में पकड़े गए जासूसों के बाद भारत को कड़े कदम उठाने होंगे।
-आनन्द एम. वासु-
जैसलमेर । 38 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला जैसलमेर। 470 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा। यहां दो सेक्टर बीएसएफ के हैं। आठ पुलिस थाने सीमावर्ती क्षेत्र में अवस्थित है। सीमा के अधिकतर हिस्से में तारबंदी हो चुकी है। ऐसे में आतंकवादी घुसपैठ, हेरोइन व हथियारों व गोला-बारुद की तस्करी पर कुछ लगाम लग चुकी है, लेकिन इसके बाद भी सीमा पर तनाव व दबाव कम नहीं हुआ है। अब पाकिस्तान की आईएसआई एजेंसी जासूसों के माध्यम से भारत की सामरिक तैयारियों पर नजर रखे हुए हैं। पिछले पांच महीनों में आधा दर्जन जासूस पकड़े जा चुके हैं। यह तो अकेले जैसलमेर जिले की स्थिति है। मध्यप्रदेश एटीएस ने बड़ी कार्रवाईकरते हुए सतना, ग्वालियर, भोपाल और जबलपुर से गिरफ्तारियां की है। मप्रएटीएस ने आईएसआई के जासूसों के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। प्रदेश के चार प्रमुख जिलों से 11 जासूसों की गिरफ्तारी की गई है। इनमें एक भाजपा पार्षद का रिश्तेदार भी शामिल है। इनके पास भारी संख्या में अत्याधुनिक उपकरण, सिमकार्ड, लैपटॉप, मोबाइल फोन आदि सामान बरामद हुआ है। इनपर सेना की गोपनीय जानकारियां पाकिस्तान भेजने का आरोप है। एमपी एटीएस चीफ संजीव शमी ने बताया कि पिछले साल नवंबर में जम्मू-कश्मीर के आरएस पुरा से सतविंदर सिंह और दादू नामक दो आतंकियों की गिरफ्तारी हुई थी। इन्होंने कबूल किया था कि मप्र से इन्हें सेना से जुड़ी तमाम जानकारियां और मदद मिला करती थी। इसपर एजेंसियों ने तफ्तीश शुरू की और कई जिलों में जाल बिछा दिया।
गिरफ्तार जासूसों ने पाक और देश के अन्य हिस्सों में बैठे अपने साथियों से संपर्क करने के लिए अवैध टेलीफोन एक्सचेंज बना रखा था। इसके लिए वह अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते थे। उनके पास कई कंपनियों के सिमकार्ड, चाइनीज बॉक्स, लैपटॉप, मोबाइल फोन समेत अन्य सामान बरामद हुआ है। एटीएस की मानें तो पाकिस्तान और अन्य देशों से आने वाली कॉल को भारतीय नंबरों पर रूट कर लिया जाता था ताकि यह सर्विलांस की पकड़ में सकें। एटीएस की जांच के दायरे में कुछ निजी मोबाइल कंपनियों के अधिकारी भी हैं।
भाजपा पार्षद का रिश्तेदार भी आरोपी
गिरफ्तार जासूसों में सतना से गिरफ्तार बलराम का नाम बताया गया है। शेष 10 के नाम बताने से उन्होंने इनकार कर दिया। शमी के मुताबिक, बलराम समेत अन्य जासूसों को आईएसआई हवाला के जरिए रुपए भेजती थी। साथ ही इनके बैंक खातों में विदेशों से काफी रुपए आए हैं। गिरफ्तार आरोपियों में बलराम के अलावा ग्वालियर से 5, भोपाल से 3 और जबलपुर से दो पकड़े गए हैं। ग्वालियर से पकड़ा गया एक आरोपी भाजपा पार्षद का रिश्तेदार बताया गया है। शमी ने बताया कि इस ऑपरेशन पर कई एजेंसियां काम कर रही हैं। जल्द ही देश के विभिन्न हिस्सों से कुछ और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं। एटीएसकी प्रारंभिक जांच में यह भी पता चला कि जासूस सैन्य अफसर बनकर सेना से जुड़ी जानकारियां जुटाते थे। इसके लिए वह नौकरी देने वाले काउंसिलिंग और कॉल सेंटरों की भी मदद लेते थे।
थार से 5 माह में पकड़े जा चुके 5 जासूस
इंटेलिजेंस ब्यूरो की टीम ने गत 28 जनवरी को भगत की कोठी रेलवे स्टेशन पर पाक जाने के लिए टिकट बनवाने आए पाक जासूस चंगानियों की ढाणी सम जैसलमेर निवासी सद्दीक खान उसके एक साथी को पकड़ा था। इनके पास सेना के दस्तावेज और फोटोग्राफ मिले हैं। ये लोग काफी समय से जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर के आर्मी एयरफोर्स एरिया के आसपास घूमकर सैन्य सूचनाएं एकत्रित कर रहे थे। इससे पहले गत वर्ष अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह में क्राइम ब्रांच दिल्ली की टीम ने बाड़मेर में जासूसी के आरोप में नागौर निवासी मौलाना रमजान उसके साथी सुभाष जांगिड़ के अलावा जोधपुर निवासी शोएब को पकड़ा था। इधर, 11 फरवरी की रात सीआईडी की विषेष टीम ने किषनगढ़ क्षेत्र से एक और जासूस को पकड़ने में सफलता हासिल की है। सीआईडी बीआई की स्थानीय शाखा के साथ मिलकर की गई इस कार्रवाई में हाजी खान पुत्र रोजे खान निवासी किषनगढ़ के पास से पाकिस्तानी मोबाइल, सिम तथा कुछ अन्य दस्तावेज भी बरामद हुए हैं। वहीं इस टीम ने जिले के धनाना क्षेत्र से एक और संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ा है।
हाजी का ससुर है आईएसआई एजेंट:
जानकारी के अनुसार सीआईडी के हत्थे चढ़े हाजी खान का ससुराल पाकिस्तान में है और उसका ससुर पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट बताया गया है। यह जानकारी भी मिली है कि हाजी खान का पाकिस्तान आना जाना लगा रहता है। उसके घर की तलाषी लेने पर सीआईडी को पाकिस्तानी मोबाइल व सिम के अलावा कुछ अहम दस्तावेज भी मिले हैं। इधर पिछले साल पाकिस्तान निवासी नंदलाल गर्ग के जैसलमेर में रहते हुए आईएसआई के लिए जासूसी करते हुए धरे जाने के बाद से सीआईडी और अन्य एजेंसियों को एक के बाद एक जासूसी में लिप्त तत्वों अथवा आईएसआई के स्लीपर सेल के तौर पर कार्यरत लोगों के खिलाफ सफलता मिल रही है। खुफिया तंत्र से जुड़े जानकार बताते हैं कि नंदलाल की गिरफ्तारी बड़ी सफलता थी। उससे पूछताछ के आधार पर जिले के कई लोगों पर एजेंसियों ने करीबी निगाह रखना शुरू कर दिया। इसके फलस्वरूप सम क्षेत्र के चंगानियों की बस्ती के बाषिंदे सद्दीक खान को पाकिस्तान के लिए ट्रेन पकड़ने से पहले जोधपुर रेलवे स्टेषन पर पकड़ा गया था। सद्दीक की निषानदेही पर पिछले दिनों कुरिया क्षेत्र से बरियम खान और अब किषनगढ़ इलाके से हाजी खान को दबोचा गया है।
पष्चिमी सीमा के पार संदिग्ध गतिविधियां शुरू
खुफिया सूत्रों के अनुसार जैसलमेर से लगती भारत-पाक सीमा पार पड़ोसी देष संदिग्ध गतिविधियों को प्रश्रय दे रहा है। बताया जा रहा है कि युवाओं की मानसिकता बदलने के लिए कैंप चलाए जा रहे हैं और उन्हें भारत के खिलाफ अघोषित युद्ध छेड़ने के लिए विषेष ट्रेनिंग दी जा रही है। भारत पाक की पष्चिमी सीमा पर दबाव बढ़ गया है। पिछले दिनों होम मिनिस्टर ने जैसलमेर दौरे के दौरान यहां जवानों को सतर्क रहने की हिदायत दी थी और सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों से अवांछित तत्वों पर नजर रखने का आग्रह किया था। इधर पाकिस्तान की तरफ से पक्षियों का उपयोग भी जासूसी के लिए किया जा रहा है। बाज को विषेष रूप से खुफिया कैमरे लगाकर सीमा पार भेजा जाता है। पिछले कुछ समय में ऐसे कई मामले सामने आए हैं। यही नहीं सीमा पार से घुसपैठ भी यदाकदा होती रहती है। पूर्व में जैसलमेर के एसपी रहे अनिल पालीवाल ने अपने दौर में आतंकवादियों और तस्करों के खिलाफ जमकर कार्रवाई की थी। पालीवाल अभी बीएसएफ में अधिकारी है। पालीवाल के बाद जैसलमेर में भगवानलाल सोनी ने अपने पुलिस अधीक्षक के रूप में लंबे कार्यकाल में तस्करों को अपना निषाना बनाया। कई को रासूका में बंद करवाया। उनके कार्यकाल में तस्करों ने अपराध की राह छोड़कर होटल व्यवसाय और पर्यटन व्यवसाय में ध्यान लगाया। बताया जा रहा है कि पुराने तस्कर एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। पुलिस और अन्य खुफिया एजेंसियां इन पर निरंतर नजर रख रही है।