यहां होती है किन्नरों की शादी, एक रात के लिए बनती हैं दुल्हन
किन्नर पूर्णरुप से न तो पुरुष होते हैं अौर न ही स्त्री। माना जाता है कि किन्नर भी शादी करते हैं अौर एक दिन के लिए दुल्हन बनती हैं। इनकी शादी इनके भगवान से होती है। तमिलनाडु के कूवगाम में किन्नरों की शादी होती हैं। यहां हर साल तमिल नव वर्ष की पहली पूर्णिमा से हिजरों के विवाह का उत्सव शुरु होता है जो 18 दिनों तक चलता है। 17 वें दिन हिजरों की शादी होती है। किन्नर सोलह श्रृंगार करते हैं अौर पुरोहित उनको मंगलसूत्र पहनाते हैं और इनका विवाह हो जाता है। विवाह के अगले दिन अरावन देवता की प्रतिमा को शहर में घुमाकर तोड़ दिया जाता है। इसके साथ ही किन्नर अपना श्रृंगार उतारकर एक विधवा की तरह विलाप करने लगती हैं।
कहा जाता है कि अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान इरावन जिन्हें अरावन के नाम से भी जाना जाता है। महाभारत युद्ध के समय पांडवों ने मां काली का पूजन किया फिर एक राजकुमार की बलि देनी थी। इरावन बलि के लिए आगे आए लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि वह विवाह उपरांत ही बलि पर चढ़ेंगे। अरवण से कोई भी कन्या विवाह करने को राजी न हुई क्योंकि उसकी मृत्यु अटल थी।
श्री कृष्ण ने अरवण की अंतिम इच्छा पूर्ण करने के लिए पुन: मोहिनी रूप लिया और उसके साथ विवाह सूत्र में बंध गए। विवाह से अगले दिन मोहिनी रूपी श्री कृष्ण विधवा हो गए तो उन्होंने विलाप किया और विधवा रूप में सभी रीति-रिवाजों का पालन भी किया। आज भी तमिलनाडु में प्रसिद्ध कथा के अनुसार प्रत्येक वर्ष अरवणी पर्व पर जनमानस एकत्रित होता है और अरवण नामक किन्नर की बरसी पर शोक मनाते हैं। उसी घटना को याद करके किन्नर इरावन को अपना भगवान मानते हैं और एक रात के लिए विवाह करते हैं।