जयपुर। राजस्थान में संपन्न हुए चुनावों में राज्य की जनता ने भारी संख्या में मतदान कर एक बार फिर राजनितिक पार्टियों के अनुमानों को ध्वस्त कर दिया। प्रदेश में औसतन 74.38 प्रतिशत मतदान होने की खबर है।
राजस्थान विधानसभा की 200 में से 199 सीटों के लिए सुबह 8 बजे शुरू हुआ मतदान 5 बजे खत्म हो गया। मतदान खत्म होने के साथ ही 2096 उम्मीदवारों के भाग्य ईवीएम में कैद हो गया। इनके भाग्य का फैसला वोटों की गिनते के साथ 8 दिसंबर को होगा।
कुछ घटनाओं को छोड़ मतदान शांतिपूर्ण रहा है। साल 2008 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कुल 66.25 प्रतिशत मतदान हुआ था और कांग्रेस सत्ता में आई थी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश अध्यक्ष वसुंधरा राजे सिंधिया, भाजपा नेता गुलाब चंद कटारिया और विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह सबसे पहले मतदान करने वाले मतदाताओं में शामिल रहे।
कुछ मतदान केंद्रों में इलेक्ट्रिक वोटिंग मशीनों के खराब होने की खबरें आई, लेकिन उन्हें तत्काल बदला गया या ठीक किया गया।
चुरू विधानसभा सीट के लिए 13 दिसंबर को वोट पड़ेंगे। बसपा उम्मीदवार की मौत की वजह से चुरू में वोटिंग की तारीख बढ़ाई गई है।
दो प्रमुख पार्टियों के बीच मुकाबला
प्रदेश की अधिकांश सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला है। वहीं करीब दो दर्जन सीटों पर निर्दलीय, अन्य दल व पार्टी के बागियों की स्थिति मजबूत दिख रही है।
पिछली बार कांग्रेस को 96, भाजपा को 78 और निर्दलीय व अन्य दलों को 26 सीटें मिली थी। अन्य और बसपा से जीते विधायकों से कांग्रेस की सरकार बनी थी।
प्रदेश की करीब एक चौथाई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को त्रिकोणीय संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है और यही सीटें सत्ता की चाबी बनेंगी।
राजस्थान विधानसभा की 200 में से 199 सीटों के लिए सुबह 8 बजे शुरू हुआ मतदान 5 बजे खत्म हो गया। मतदान खत्म होने के साथ ही 2096 उम्मीदवारों के भाग्य ईवीएम में कैद हो गया। इनके भाग्य का फैसला वोटों की गिनते के साथ 8 दिसंबर को होगा।
कुछ घटनाओं को छोड़ मतदान शांतिपूर्ण रहा है। साल 2008 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कुल 66.25 प्रतिशत मतदान हुआ था और कांग्रेस सत्ता में आई थी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश अध्यक्ष वसुंधरा राजे सिंधिया, भाजपा नेता गुलाब चंद कटारिया और विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह सबसे पहले मतदान करने वाले मतदाताओं में शामिल रहे।
कुछ मतदान केंद्रों में इलेक्ट्रिक वोटिंग मशीनों के खराब होने की खबरें आई, लेकिन उन्हें तत्काल बदला गया या ठीक किया गया।
चुरू विधानसभा सीट के लिए 13 दिसंबर को वोट पड़ेंगे। बसपा उम्मीदवार की मौत की वजह से चुरू में वोटिंग की तारीख बढ़ाई गई है।
दो प्रमुख पार्टियों के बीच मुकाबला
प्रदेश की अधिकांश सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला है। वहीं करीब दो दर्जन सीटों पर निर्दलीय, अन्य दल व पार्टी के बागियों की स्थिति मजबूत दिख रही है।
पिछली बार कांग्रेस को 96, भाजपा को 78 और निर्दलीय व अन्य दलों को 26 सीटें मिली थी। अन्य और बसपा से जीते विधायकों से कांग्रेस की सरकार बनी थी।
प्रदेश की करीब एक चौथाई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को त्रिकोणीय संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है और यही सीटें सत्ता की चाबी बनेंगी।