बाड़मेर में उडी शारदा एक्ट की धजिया ,ग्रामीण अंचलो में संपन्न हुए बाल विवाह
आठ शिकायते हुई प्राप्त
बाड़मेर जिले में आखा तीज पर परंपरागत रूप से होने वाले बाल विवाहों पर जिला प्रशासन के कड़े क़ानून अंकुश नहीं लगा सके जिला प्रशासन द्वारा स्थापित कंट्रोल रूम पर बाल विवाह की आठ शिकायते प्राप्त हुई जिस पर जिला कलेक्टर ने सम्बंधित एस डी ओ तथा तहसीलदार को शिकायतों के निवारण के लिए भेजा .अधिकारियो द्वारा परिजनों को पाबंद किर अपने फर्ज की आईटीआई श्री कर ली उधर प्रशासन की पाबंद करने के बावजूद परिजनों ने एक दिन पहले ही शादिया करा दी तो कुछ परिजनों अल सुबह शादिया करा दी ,प्रशासनिक जागरूकता का असर नहीं दिखा हां इस बार दर्ज होने वाली शिकायतों में जरूर कमी आई गत साल जन्हा सत्रह शिकायते प्राप्त हुई थी इस बार मात्र आठ शिकायते ही प्राप्त हुई ,इसके बावजूद धड़ल्ले से बाल विवाह संपन्न हुए ग्रामीण अंचलों में ‘शारदा एक्ट’ कानून) की धजिजयां उड़ाते हुए सैकड़ों की तादाद में बाल विवाह पाकिस्तान की सीमा से लगे राजस्थान के बाड़मेर जिले में सोमवार रात को ग्रामीण अंचलों में ‘शारदा एक्ट’ (बाल विवाह को हतोत्साहित करने के लिए बनाया गया कानून) की धजिजयां उड़ाते हुए सैकड़ों की तादाद में बाल विवाह सम्पन्न हुए। जिला प्रशासन को इसकी सूचना होने के बावजूद वह इन बाल विवाहों को रोकने में नाकाम रहा। अब प्रशासन कानूनी कार्रवाई की बात कर रहा है। जिले के एक थाने में बाल विवाह रोकने के लिऐं आठ स़ह शिकायते प्रापत होने के बावजूद रक भी बाल विवाह नही रोका गया।गा्रमीणों नें आाखा तीज के एक दिन पहले सोमवार की रात ही विवाह सम्पन्न कराऐ वही कई गांवों में सोमवार और मंगलवार को भी बाल विवाह सम्पन्न हुऐ।आष्चर्य की बात हैं कि जिला प्रशासन तथा पुलिस विभाग के पास बाल विवाह की सूचनाऐं होने के बाद भी बाल विवाह नही रूक पाऐं।
सुत्रों के मुताबिक बाड़मेर जिले के एक दर्जन गांवों में वाल विवाह बेरोकटोक संपन्न हुए।धोरीमन्ना ,गुडा,बायतु ,चौहटन और बाटाडू गांवों में बड़ी तादाद में बाल विवाह हुए। इन विवाहों में कई राजनीतिज्ञ भी शामिल हुए। जिन बच्चों/बच्चियों का विवाह हो रहा था, उनमें कई इतने कम उम्र के थे कि अपनी शादी के वक्त सो रहे थे। एक मासूम बालिका को तो थाली में बिठाकर परिजनों ने फेरे लगवाए। जिले में बाल विवाहों की कुरीति निरन्तर बढ़ रही है, लेकिन इस पर रोक लगाने के लिए प्रशासन की ओर से कोई सार्थक कदम नहीं उठाया जा रहा है।