जीरे में आ सकता है तेजी का छौंक विदेशों में मांग बढऩे से इस महीने जीरे में आ सकती है तेज उछाल |
हाजिर बाजारों में उंझा (गुजरात) देश का सबसे बड़ा बाजार है। यहां जीरे की कीमतों में मंगलवार को 100 रुपये तक की नरमी आई और यह 2600 रुपये प्रति 60 किलो रहा। ऊंझा स्थित एक कारोबारी प्रवीण पटेल ने बताया, 'कारोबारी नया कारोबार शुरू करने के लिए जीरे की बिक्री कर रहे हैं। अभी तक पारंपरिक मौसमी मांग भी शुरू नहीं हुई है। इस सप्ताह के अंत तक त्योहारों का मौसम शुरू हो रहा है जिससे कीमतों में कुछ इजाफा होगा।
एनसीडीईएक्स पर इस महीने की शुरुआती गिरावट के बाद जीरा वायदा की सितंबर डिलीवरी में 4.41 फीसदी की तेजी आई और यह 13822 रुपये प्रति क्विंटल रहा। गत 22 जुलाई को सीरिया में फसल खराब होने की खबर के बाद इसकी कीमतें 15048 रुपये प्रति क्विंटल के उच्चतम स्तर तक पहुंच गई थीं।
देश में जीरे का सालाना उत्पादन 1.5 से दो लाख टन के बीच होता है। देश में इसकी खपत करीब एक लाख टन है। शेष जीरे का निर्यात कर दिया जाता है। दुनिया के कुल जीरा उत्पादन में भारत का योगदान 70 फीसदी है। सीरिया 25000 टन उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है जबकि इरान और तुर्की दोनों 15,000 टन जीरे का उत्पादन करते हैं। सीरिया और तुर्की में जुलाई से सितंबर के दरमियान नई फसल की खेती की जाती है। इसलिए अमेरिका व यूरोपीय देशों समेत विकसित देशों के कारोबारी वहीं से जीरे की खरीद करते हैं हालांकि भारतीय जीरे की गुणवत्ता उनसे बेहतर होती है। जाहिर है जब तक वहां का स्टॉक खत्म नहीं हो जाता भारत से आपूर्ति शुरू नहीं होगी। पटेल के मुताबिक एक बार यहां से निर्यात शुरू हो जाने के बाद कीमतों में इजाफा होने लगेगा।
रेलिगेयर कमोडिटीज रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और यूरोपीय संघ की मांग के कारण हाल के वर्षों से देश से होने वाले निर्यात में जबरदस्त इजाफा देखा गया है। भारतीय जीरे की बढिय़ा गुणवत्ता और कम उत्पादन ने ज्यादा कीमतों के बावजूद इसकी मांग में इजाफा ही किया है।
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