शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

अभियुक्त सास को सात साल का कारावास

अभियुक्त सास को सात साल का कारावास
 

भीनमाल (जालोर)। अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश ओमकुमार व्यास ने गुरूवार को दहेज हत्या के मामले में अभियुक्त सास को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है।

प्रकरण के अनुसार नवम्बर 09 को बाड़मेर जिले के गणेशणियों की ढाणी धोरीमन्ना निवासी लक्ष्मणराम मेघवाल की पुत्री जमना की उसके ससुराल में मौत हो गई थी। लक्ष्मणराम ने सांचौर थाने में जमना के पति, हरियाली सांचौर निवासी सास सूकी देवी, फूलाराम के खिलाफ दहेज हत्या का मामला दर्ज कराया था। इस मामले में न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया गया। न्यायालय ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए अभियुक्त सास सूकी देवी को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। सरकार की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक हुकमसिंह गहलोत ने की।

चार आरोपियो को तीन वर्ष के कारावास की सजा

चार आरोपियो को तीन वर्ष के कारावास की सजा
 

बालोतरा। जिला एवं सेशन न्यायाधीश सुखपाल बुंदेल ने हमला कर मारपीट करने व अजा जजा एक्ट के एक मामले में चार आरोपियो को तीन-तीन वर्ष के साधारण कारावास की सजा व जुर्माने से दंडित करने के आदेश दिए हैं। प्रकरण के अनुसार 13 जुलाई 08 को परिवादी तेजाराम ने पुलिस थाना सिवाना में लिखित रिपोर्ट पेश कर बताया था कि शाम करीब साढ़े चार बजे वह और उसका भाई रसाराम घर में बैठे थे।

इसी दौरान अमरसिंह पुत्र कल्याणसिंह, जसवंतसिंह पुत्र रामसिंह, भैरूसिंह पुत्र पर्वतसिंह, शैतानसिंह पुत्र दौलतसिंह, पप्पुसिंह पुत्र गुमानसिंह व पर्वतसिंह पुत्र मंगलसिंह निवासी गूंगरोट एकराय होकर हाथों मे धारिये व लाठियां लेकर हमले की नीयत से उनके घर आए। गाली गलोच कर जातिगत शब्दों से अपमानित किया।

अमरसिंह व शैतानसिंह ने लाठी से मारपीट की। रसाराम ने बीच बचाव किया तो सभी ने मिलकर उसे कॉलर से पकड़ा और बाहर ले गए। धारिए व लाठियों से उस पर वार कर दिए। खेत से आ रहे लच्छूराम व हस्ताराम ने रसाराम को छुड़वाया। मारपीट मे रसाराम की पसलियों व पीठ में चोटें आई तथा बाएं हाथ की कोहनी के नीचे धारिए की चोट लगी। रिपोर्ट के आधार पर सिवाना पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट पेश की।

केस डायरी का अवलोकन करने तथा दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद न्यायाधीश बुंदेल ने आरोपी अमरसिंह, भैरूसिंह, जसवंतसिंह व पप्पूसिंह को भादंसं की धारा 452 के आरोप में दो-दो वर्ष के साधारण कारावास की सजा व एक-एक हजार रूपए के जुर्माने से दंडित करने के आदेश दिए। प्रत्येक आरोपी को भादंसं की धारा 323/34 के आरोप मे छह-छह माह के साधारण कारावास व सौ सौ रूपए के जुर्माने से दंडित किया।

भादंसं की धारा 325/34 के आरोप में प्रत्येक अभियुक्त को तीन-तीन वर्ष के साधारण कारावास की सजा व दो-दो हजार रूपए के जुर्माने से दंडित करने के आदेश दिए। आरोपी पप्पूसिंह को भादंसं की धारा 324 के आरोप में एक वर्ष के साधारण कारावास व पांच सौ रूपए जुर्माने से दंडित किया। आरोपियों को अजा-जजा अत्याचार निवारण अधिनियम के आरोप में दो-दो वर्ष के साधारण कारावास की सजा व एक-एक हजार रूपए के जुर्माने से तथा धारा 3(1)(10) अजा-जजा अत्याचार निवारण अधिनियम के आरोप मे प्रत्येक आरोपी को दो-दो वर्ष के साधारण कारावास की सजा व एक-एक हजार रूपए के जुर्माने से दंडित करने के आदेश दिए हैं।

पत्रकारिता ना जाने क्यों अपनी असली ताकत, हेसियत को भुलाने पर आमादा हैं

"रोम जलता रहा, नीरो बांसुरी बजाता रहा"  
पत्रकारिता ना जाने क्यों अपनी असली ताकत, हेसियत को भुलाने पर आमादा हैं | क्या कारण हैं की जनता की समस्याओं से ज्यादा नेताओ और दूसरी ताकतों को सज़दा करने का भूत दिल्ली के बड़े मिडिया हाउस से लगा कर मेरे जिले बाड़मेर तक के पत्रकारो को चढ़ा हुआ हैं | बड़ी कोफ़्त महसूस होती हैं जब कुछ पत्रकार अपने निजी स्वार्थो की पूर्ती के लिए सांसद से विधायक तक के प्रवक्ता बन बैठ जाते हैं | थोड़े दिन पहले भड़ास फॉर मिडिया नामक एक न्यूज़ पोर्टल पर ही एक आर्टिकल पढ़ा था 'मिडिया मंडी,ख़बरें रंडी ' तब दूसरे लोगो की तरह मैंने भी सोचा था की ये क्या हेडिंग हुआ | लेकिन हालत ऐसे बने की मुझे खुद पर ही तरस आने लगा की क्यों उस भले पत्रकार को अपनी बात इस तरह से लिखनी पड़ी होगी | चलो बात मुद्दे की करता हूँ , क्यूंकि आजकल पाठक भी ज्यादा भूमिकाये देखना और पढना नहीं चाहते खैर मैं बाड़मेर का रहने वाला हूँ जहाँ पर रेत का समन्दर हैं , जो यहाँ की कई बातें खासकर पत्रकारों की असलियतो को अपने स्वभाव की तरह समेटता और उड़ाता हैं | राजस्थान के अंतिम छोर पर भारत और पाकिस्तान के 'बोर्डर' पर मैं भी पिछले करीब एक दशक से पत्रकारिता के महान पेशे से सम्बन्ध रखता हूँ यहाँ के हालत इन दिनों कुछ पत्रकारों की एकाएक बढ़ी स्वार्थ की नीतियों के कारण खराब हो गए हैं | दरअसल यहाँ पर पांच-छह बरस पहले तेल खोज कंपनी ने अपना डेरा डाला और तभी से प्रेस कांफ्रेस में मिलने वाले मोटे तगड़े उपहारों और कंपनी के द्वारा पांचवी पास पत्रकारों को अपने तेल क्षेत्र दिखने के लिए किंगफिशर एयर वेज , पांच सितारा होटलों के मजे और कंपनी के 'पर्सनल' हेलिकोप्टर से सुवाली (गुजरात का समुद्री रिफायनरी क्षेत्र) तक का सफ़र कुछ पत्रकारों को पागल किये हुए हैं  ! हालाँकि कुछ लोग जो अच्छे मिडिया ग्रुप प्रतिनिधि थे वे तो अभी भी अपनी पुरानी पत्रकारिता पर कायम हैं लेकिन कुछ पत्रकार अब भी मृगमरीचिका को मन में पाले हुए हैं  , उदाहरण भी देख लीजिये क्युकि अब उस कंपनी के कारण भले ही सरकार किसानो की लाखो बीघा जमीने बल पूर्वक छीन लें , बाड़मेर के पत्रकार ख़बर नहीं मानेंगे| इन्हें इंतज़ार हैं वापस कंपनी के उस पैकेज का जो सात सितारा भी बनेगा | यहाँ पर जो कुछ हो रहा हैं वो किसी बड़ी विध्वंसता से कम नहीं आँका जा सकता यहाँ पर कुछ साल पहले पत्रकार आमजनता के मुद्दों को लेकर इतना जोखीम उठा लेते थे की उनको नेताओ,प्रशासन की दुश्मनी का सामना भी करना पड़ता था लेकिन अब वो दिन नहीं रहे ! क्यूंकि रोम जलता रहे और नीरो बांसुरी बजता रहे की विचारधारा पत्रकारों के ज़ेहन में समा चुकी हैं | अब छोटी मोटी पत्रकार वार्ताएं बाड़मेर के पत्रकारों को नहीं भाती, जहाँ लज़ीज़ पांच सितारा होटलों का खाना हो वो पत्रकार वार्ताएं विथ फोटो छपनी तय हैं | दरअसल आलोक तोमर जैसा बेबाक़ हर कोई बन नहीं सकता और ऐसे मैं पत्रकारिता के बुरे दिन तो आने हैं ही ,  यही नहीं बड़ी से बड़ी खबरें अब यहाँ 'मोल-भाव' माफ़ करें नाप-तोल के बाद ही प्रकाशित और प्रसारित होती हैं अब अंदाज़ा लगाना शायद आसान हो जायेगा कि क्या हश्र पत्रकार और पत्रकारिता का हो चुका है | इस प्रकार से मिडिया का निस्तेज़ होना यहाँ के पत्रकारों को अमीर तो बना रहा है साथ ही गुटबाजी भी हावी हैं ! आये दिन पत्रकार बाड़मेर की पुलिस , असामाजिक तत्वों से अपमानित होते है तो कई बार पिट भी जाते हैं | और उसके बाद यहाँ पर होता हैं पुलिस का पत्रकारों को उनकी 'औकात' दिखाने का दौर शुरू | मामले दर्ज़ तक नहीं होते और जो होते हैं वो नेताओं की सिफारिश के बाद होते हैं | बाड़मेर में ऐसे कई पत्रकार हैं जो बेवजह राजकार्य में बाधा और मारपीट के झूठे मामलो में पुलिस के द्वारा फसाए जाने के बाद अब पेशियों पर कौर्ट के चक्कर काट रहे है और पत्रकार उनका साथ देने की बजाय उनके मज़े लूटते नज़र आते हैं | ऐसी स्थिति के बाद कभी-कभी कोई मामला निपट भी जाए तो वो भी नेताओं के आशीर्वाद से | अब आप ही सोचिये की क्या असली पत्रकारिता का यही चेहरा हैं जिसे बड़े गर्व से हम 'संविधान का चौथा स्तम्भ ' कहा करते हैं !

दुर्ग सिंह राजपुरोहित
जिला प्रभारी
न्यूज़ एक्सप्रेस एवं एचबीसी न्यूज़ राजस्थान
बाड़मेर (राजस्थान)

बाड़मेर में प्रस्तावित रिफाइनरी का मार्ग प्रशस्त















केयर्न इंडिया व वेदांता के बीच डील को आर्थिक मामलों की केबिनेट कमेटी से हरी झंडी मिलने से बाड़मेर में प्रस्तावित रिफाइनरी का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इसके अलावा ओएनजीसी के बाड़मेर में तेल दोहन पर 18 हजार करोड़ रुपए की रॉयल्टी का मसला भी निपटने से तेल उत्पादन बढ़ाने में आ रही अड़चनें खत्म होने की संभावना है।

गौरतलब है कि बाड़मेर बेसिन में पिछले दस महीने से रोजाना सवा लाख बैरल तेल का उत्पादन अटका हुआ है। वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल पिछले साल बाड़मेर में प्रस्तावित रिफाइनरी में भागीदारी का ऐलान कर चुके हैं, इसलिए केयर्न-वेदांता के बीच डील होते ही राजस्थान में औद्योगिक निवेश के साथ ही रिफाइनरी के मार्ग में आ रही अड़चनें भी खत्म होने की उम्मीद है।

रिफाइनरी में उत्पादित होने वाले प्रोडक्ट की मार्केटिंग का अनुबंध हो चुका है, लेकिन उसमें भागीदारी को लेकर मसला अटका हुआ था। संभवतया अब डील होते ही पेट्रोलियम मंत्रालय के रिफाइनरी का ऐलान करने की उम्मीद है। रिफाइनरी में ओएनजीसी के अलावा राजस्थान सरकार 26 प्रतिशत इक्विटी शेयर और इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड कंपनी पांच प्रतिशत भागीदारी की सहमति दे चुकी है।

सरकार को तीन सौ करोड़ का नुकसान: रॉयल्टी विवाद की वजह से पेट्रोलियम मंत्रालय ने बाड़मेर में तेल उत्पादन बढ़ाने की अनुमति अटका रखी थी, अब विवाद सुलझते ही उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। बाड़मेर बेसिन में पिछले दस महीने से तेल उत्पादन रोजाना सवा लाख बैरल पर अटका हुआ है जबकि अभी तक पौने दो लाख बैरल उत्पादन का लक्ष्य था। उत्पादन बढ़ने पर देश में रोजाना 50 हजार बैरल तेल कम आयात करना पड़ता और प्रतिदिन 50 से 55 लाख डॉलर की बचत होने से तेल की कीमत में इतनी बढ़ोतरी नहीं होती। साथ ही राज्य सरकार को लगभग 300 करोड़ रु. का नुकसान नहीं होता।

क्या है मामला: देश में रोजाना करीब 31 लाख बैरल पेट्रोलियम उत्पादों की खपत होती है। सरकार इसमें से करीब 24 लाख बैरल कच्चा तेल आयात कर रही है, जबकि देश भर में कुल सात लाख बैरल तेल का उत्पादन हो रहा है। पिछले पौने दो सालों में बाड़मेर बेसिन में करीब सवा तीन करोड़ बैरल तेल का दोहन हो चुका है।

यहां उत्पादित होने वाले तेल की लागत 7 से 8 डॉलर प्रति बैरल पड़ रही है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की औसत कीमत करीब 102 डॉलर प्रति बैरल है। तेल पर आयात व परिवहन शुल्क 7 से 8 डॉलर प्रति बैरल अदा करना पड़ रहा है। बाड़मेर बेसिन में तेल उत्पादन बढ़ाने की अनुमति मिलते ही रोजाना डेढ़ लाख बैरल और अगले तीन महीनों में पौने दो लाख बैरल तेल का उत्पादन होने लगेगा। अगले साल दो लाख चालीस हजार बैरल तेल का उत्पादन होगा।
 

‘दायरे’ से बाहर प्रेम पर बवाल लेकिन हो गया 'न्याय'


जयपुर.शादी के बारह दिन बाद घर से गायब होकर कथित प्रेमी से शादी करके परिजनों का विरोध झेल रही युवती को हाई कोर्ट ने राहत दी है। न्यायाधीश आरएस राठौड़ व बेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ ने गुरुवार को आदेश दिया कि युवती बालिग है और फिलहाल अपनी मर्जी से जहां चाहे रह सकती है।
मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी। हालांकि विवाद के मद्देनजर उसे पुलिस की मौजूदगी में नारी निकेतन भेज दिया गया। जयपुर में एसटीसी की छात्रा और गुर्जर की थड़ी इलाके में किराये के मकान में रह रही मधु (काल्पनिक नाम) की हिंदू रीति-रिवाज से शादी पांच मई को सागवाड़ा (डूंगरपुर) में भावेश पाटीदार के साथ हुई थी। वह 17 मई को घर से गायब हो गई और 25 मई को कांशीराम नगर (उत्तर प्रदेश) में उसका कथित प्रेमी अजमत अली से निकाह हुआ।
शक के आधार पर परिजनों ने 21 मई को सागवाड़ा थाने में अजमत, उसके भाई रहमत और छह अन्य लोगों के खिलाफ मधु के अपहरण का मामला दर्ज करवाया। कुछ दिन बाद मधु व अजमत की ओर से पुलिस व कोर्ट में प्रोटेक्शन की अर्जी दाखिल करवाई गई, जिसमें उल्लेख था कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में निकाह कर लिया है। इस पर मधु के परिजनों ने राजस्थान हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, जिसकी सुनवाई के दौरान मधु कोर्ट में पेश हुई।
कोर्ट व थाने के बाहर हंगामा:गुरुवार दोपहर 3 बजे करीब जब मधु हाई कोर्ट से बाहर आई तो परिजनों ने उसे समझाया। नहीं मानी तो उसे जबर्दस्ती ले जाने का प्रयास किया। मधु के शोर मचाने पर पुलिस उसे अशोक नगर थाने ले आई। मामले का विरोध करते हुए एबीवीपी, विहिप, बजरंग दल आदि के कार्यकर्ताओं ने थाने के बाहर चार घंटे तक नारेबाजी की।
उनका आरोप था कि मधु को बहला-फुसलाकर जबरन उसकी शादी करवाई गई है, इसलिए उसे माता-पिता को सौंपा जाए। इधर, दूसरे पक्ष के लोग भी थाने के बाहर पहुंच गए और एक पक्ष ने दूसरे पक्ष के तीन-चार लोगों से मारपीट भी की। डीसीपी जोस मोहन भी अशोक नगर थाने पहुंच गए। बाद में हाई कोर्ट के आदेश को देखते हुए मधु की सहमति से उसे नारी निकेतन भेजा गया। जैसे ही मधु पुलिस की गाड़ी से थाने से बाहर निकली वहां मौजूद सैकड़ों आंदोलनकारियों ने गाड़ी घेर ली। पुलिस को हल्का बल प्रयोग कर उन्हें खदेड़ना पड़ा।
जबरन शादी करवाई: परिजन
मधु के परिजनों ने बताया कि सागवाड़ा से आरोपी मधु को नशीली वस्तु खिलाकर उसे गाड़ी में डालकर ले गए और जबरन उसकी शादी करवाई है। आरोपियों ने मधु पर दबाव बना रखा है।
कानूनी पेंच क्या:मधु की यह दूसरी शादी है और पहले पति से तलाक नहीं हुआ है। हाई कोर्ट के वकील अनूप ढंड के मुताबिक कोई विवाहित बिना तलाक दूसरी शादी करता है तो वह भादसं 494 का दोषी माना जाता है। सात वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। हालांकि यह साबित करना होता है कि दो शादियां हुई हैं।

एक पुजारी की घिनौनी करतूत से थर्रा गए लोग!

मुजफ्फरनगर। शहर में भनोत कस्बे के स्थानीय मंदिर के पुजारी ने एक नाबालिग लड़की को कथित रूप से अगवा करके उसके साथ बलात्कार किया। पुलिस ने आज कहा कि 35 वर्षीय पुजारी को गिरफ्तार कर लिया गया और एक स्थानीय अदालत ने उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया ।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, बालकृष्ण ने 17 वर्षीय लड़की का पहले तो अपहरण किया और फिर उसके साथ आठ महीने तक बलात्कार किया जिससे वह गर्भवती हो गई।

लड़की के पिता की तरफ से दायर की गई शिकायत पर पुलिस ने इस पुजारी को गुड़गांव से गिरफ्तार किया, जहां वह अपहृत लड़की के साथ रह रहा था। पुलिस ने उसके कब्जे से लड़की को मुक्त कराके उसे चिकित्सकीय जांच के लिए भेजा है।

बारह साल की दलित लड़की से बलात्कार

देवरिया जिले के खामपार इलाके में 12 वर्षीय एक दलित लड़की से उसके पड़ोसी द्वारा बलात्कार किए जाने का मामला सामने आया है।

पुलिस ने बताया कि खामपार बाजार में मंगलवार की रात मनोज नाम के एक व्यक्ति ने दलित लड़की को घर में अकेले देख उससे बलात्कार किया। इस संबंध में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मनोज को गिरफ्तार कर लिया गया है।

हादसों में महिला समेत तीन की मौत

हादसों में महिला समेत तीन की मौत




बालोतरा। जोधपुर बाड़मेर मार्ग पर अराबा सरहद मे अज्ञात ट्रक की टक्कर से मोटरसाइकिल सवार एक युवक की मौत हो गई। पुलिस के अनुसार गणेशाराम(25) पुत्र मालाराम निवासी मूढ़ों की ढाणी बाटाडू बुधवार रात करीब साढ़े दस बजे जोधपुर से मोटरसाइकिल लेकर गांव की ओर लौट रहा था।






अराबा सरहद में सामने से तेज गति से आ रहे अज्ञात ट्रक ने उसे चपेट में ले लिया। गंभीर हालत में उसे कल्याणपुर के राजकीय अस्पताल लाया गया। जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनो को सुपुर्द किया। अज्ञात ट्रक चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर तलाश शुरू की।






गुड़ामालानी. क्षेत्र के आलपुरा गांव मेगा हाइवे पर बने स्पीड ब्रेकर पर हुई दो ट्रेलर की भिड़न्त में एक ट्रेलर खलासी की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस के अनुसार मेगा स्टेट हाइवे पर आलपुरा गांव बस स्टेण्ड के पास बने स्पीड ब्रेकर पर एक ट्रेलर ब्रेकर पार कर जोधपुर की ओर जा रहा था।






इस दौरान पीछे से आ रहे एक अन्य ट्रेलर के चालक ने तेज गति से चलाते ब्रेक न कर आगे चल रहे ट्रेलर को टक्कर मार दी। टक्कर में पीछे से ट्रेलर में सवार खलासी गुरप्रीत सिंह (22) पुत्र कौरसिंह निवासी ठिकरी (बरनाला) पंजाब की मौके पर ही मौत हो गई। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची एवं शव का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सुपुर्द किया।






चौहटन. उपखण्ड के बाखासर पुलिस थाना क्षेत्र के फकीरों का निवाण गांव की एक महिला की टांके में गिरने से मौत हो गई। महिला का मानसिक संतुलन ठीक नहीं होना बताया गया है तथा पुलिस ने मर्ग दर्ज कर अनुसंधान प्रारम्भ किया है। थानाधिकारी मोहनसिंह ने बताया कि फकीरों का निवाण निवासी पूर्व सरपंच अचलाराम ने मामला दर्ज करवाया कि उसके चचेरे भाई पारिया की पत्नी उमादेवी अपने घर के पास खेत में बने टांके में कूदकर अपनी ईहलीला समाप्त कर दी। उन्होंने बतया कि मृतका उमादेवी का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था। पुलिस ने शव को टांके से बाहर निकलवाकर उसका पोस्टमार्टम करवा कर परिजनों को सुपुर्द कर दिया।

गुरुवार, 30 जून 2011

ॐ सांई राम……… … साईबाबा की दिव्यशक्ति से महातीर्थ बनी शिरडी~~~ ……


ॐ सांई राम………
… साईबाबा की दिव्यशक्ति से महातीर्थ बनी शिरडी~~~


……

शिरडी के साईबाबा आज असंख्य लोगों के आराध्यदेव बन चुके है। उनकी कीर्ति दिन दोगुनी-रात चौगुनी बढ़ती जा रही है। यद्यपि बाबा के द्वारा नश्वर शरीर को त्यागे हुए अनेक वर्ष बीत चुके है, परंतु वे अपने भक्तों का मार्गदर्शन करने के लिए आज भी सूक्ष्म रूप से विद्यमान है। शिरडी में बाबा की समाधि से भक्तों को अपनी शंका और समस्या का समाधान मिलता है। बाबा की दिव्य शक्ति के प्रताप से शिरडी अब महातीर्थ बन गई है। 

कहा जाता है कि सन् 1854 ई.में पहली बार बाबा जब शिरडी में देखे गए, तब वे लगभग सोलह वर्ष के थे। शिरडी के नाना चोपदार की वृद्ध माता ने उनका वर्णन इस प्रकार किया है- एक तरुण, स्वस्थ, फुर्तीला तथा अति सुंदर बालक सर्वप्रथम नीम के वृक्ष के नीचे समाधि में लीन दिखाई पड़ा। उसे सर्दी-गर्मी की जरा भी चिंता नहीं थी। इतनी कम उम्र में उस बालयोगी को अति कठिन तपस्या करते देखकर लोगों को बड़ा आश्चर्य हुआ। दिन में वह साधक किसी से भेंट नहीं करता था और रात में निर्भय होकर एकांत में घूमता था। गांव के लोग जिज्ञासावश उससे पूछते थे कि वह कौन है और उसका कहां से आगमन हुआ है? उस नवयुवक के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर लोग उसकी तरफ सहज ही आकर्षित हो जाते थे। वह सदा नीम के पेड़ के नीचे बैठा रहता था और किसी के भी घर नहीं जाता था। यद्यपि वह देखने में नवयुवक लगता था तथापि उसका आचरण महात्माओं के सदृश था। वह त्याग और वैराग्य का साक्षात् मूर्तिमान स्वरूप था। 

कुछ समय शिरडी में रहकर वह तरुण योगी किसी से कुछ कहे बिना वहां से चला गया। कई वर्ष बाद चांद पाटिल की बारात के साथ वह योगी पुन: शिरडी पहुंचा। खंडोबा के मंदिर के पुजारी म्हालसापति ने उस फकीर का जब 'आओ साई' कहकर स्वागत किया, तब से उनका नाम 'साईबाबा' पड़ गया। शादी हो जाने के बाद वे चांद पाटिल की बारात के साथ वापस नहीं लौटे और सदा-सदा के लिए शिरडी में बस गये। वे कौन थे? उनका जन्म कहां हुआ था? उनके माता-पिता का नाम क्या था? ये सब प्रश्न अनुत्तरित ही है। बाबा ने अपना परिचय कभी दिया नहीं। अपने चमत्कारों से उनकी प्रसिद्धि चारों ओर फैल गई और वे कहलाने लगे 'शिरडी के साईबाबा'। 

साईबाबा ने अनगिनत लोगों के कष्टों का निवारण किया। जो भी उनके पास आया, वह कभी निराश होकर नहीं लौटा। वे सबके प्रति समभाव रखते थे। उनके यहां अमीर-गरीब, ऊंच-नीच, जाति-पाति, धर्म-मजहब का कोई भेदभाव नहीं था। समाज के सभी वर्ग के लोग उनके पास आते थे। बाबा ने एक हिंदू द्वारा बनवाई गई पुरानी मसजिद को अपना ठिकाना बनाया और उसको नाम दिया 'द्वारकामाई'। बाबा नित्य भिक्षा लेने जाते थे और बड़ी सादगी के साथ रहते थे। भक्तों को उनमें सब देवताओं के दर्शन होते थे। कुछ दुष्ट लोग बाबा की ख्याति के कारण उनसे ईष्र्या-द्वेष रखते थे और उन्होंने कई षड्यंत्र भी रचे। बाबा सत्य, प्रेम, दया, करुणा की प्रतिमूर्ति थे। साईबाबा के बारे में अधिकांश जानकारी श्रीगोविंदराव रघुनाथ दाभोलकर द्वारा लिखित 'श्री साई सच्चरित्र' से मिलती है। मराठी में लिखित इस मूल ग्रंथ का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। साईनाथ के भक्त इस ग्रंथ का पाठ अनुष्ठान के रूप में करके मनोवांछित फल प्राप्त करते है। 

साईबाबा के निर्वाण के कुछ समय पूर्व एक विशेष शकुन हुआ, जो उनके महासमाधि लेने की पूर्व सूचना थी। साईबाबा के पास एक ईट थी, जिसे वे हमेशा अपने साथ रखते थे। बाबा उस पर हाथ टिकाकर बैठते थे और रात में सोते समय उस ईट को तकिये की तरह अपने सिर के नीचे रखते थे। सन् 1918 ई.के सितंबर माह में दशहरे से कुछ दिन पूर्व मसजिद की सफाई करते समय एक भक्त के हाथ से गिरकर वह ईट टूट गई। द्वारकामाई में उपस्थित भक्तगण स्तब्ध रह गए। साईबाबा ने भिक्षा से लौटकर जब उस टूटी हुई ईट को देखा तो वे मुस्कुराकर बोले- 'यह ईट मेरी जीवनसंगिनी थी। अब यह टूट गई है तो समझ लो कि मेरा समय भी पूरा हो गया।' बाबा तब से अपनी महासमाधि की तैयारी करने लगे। 

नागपुर के प्रसिद्ध धनी बाबू साहिब बूटी साईबाबा के बड़े भक्त थे। उनके मन में बाबा के आराम से निवास करने हेतु शिरडी में एक अच्छा भवन बनाने की इच्छा उत्पन्न हुई। बाबा ने बूटी साहिब को स्वप्न में एक मंदिर सहित वाड़ा बनाने का आदेश दिया तो उन्होंने तत्काल उसे बनवाना शुरू कर दिया। मंदिर में द्वारकाधीश श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करने की योजना थी। 

15 अक्टूबर सन् 1918 ई. को विजयादशमी महापर्व के दिन जब बाबा ने सीमोल्लंघन करने की घोषणा की तब भी लोग समझ नहीं पाए कि वे अपने महाप्रयाण का संकेत कर रहे है। महासमाधि के पूर्व साईबाबा ने अपनी अनन्य भक्त श्रीमती लक्ष्मीबाई शिंदे को आशीर्वाद के साथ 9 सिक्के देने के पश्चात कहा- 'मुझे मसजिद में अब अच्छा नहीं लगता है, इसलिए तुम लोग मुझे बूटी के पत्थर वाड़े में ले चलो, जहां मैं आगे सुखपूर्वक रहूंगा।' बाबा ने महानिर्वाण से पूर्व अपने अनन्य भक्त शामा से भी कहा था- 'मैं द्वारकामाई और चावड़ी में रहते-रहते उकता गया हूं। मैं बूटी के वाड़े में जाऊंगा जहां ऊंचे लोग मेरी देखभाल करेगे।' विक्रम संवत् 1975 की विजयादशमी के दिन अपराह्न 2.30 बजे साईबाबा ने महासमाधि ले ली और तब बूटी साहिब द्वारा बनवाया गया वाड़ा (भवन) बन गया उनका समाधि-स्थल। मुरलीधर श्रीकृष्ण के विग्रह की जगह कालांतर में साईबाबा की मूर्ति स्थापित हुई। 

महासमाधि लेने से पूर्व साईबाबा ने अपने भक्तों को यह आश्वासन दिया था कि पंचतत्वों से निर्मित उनका शरीर जब इस धरती पर नहीं रहेगा, तब उनकी समाधि भक्तों को संरक्षण प्रदान करेगी। आज तक सभी भक्तजन बाबा के इस कथन की सत्यता का निरंतर अनुभव करते चले आ रहे है। साईबाबा ने प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अपने भक्तों को सदा अपनी उपस्थिति का बोध कराया है। उनकी समाधि अत्यन्त जागृत शक्ति-स्थल है। 

साईबाबा सदा यह कहते थे- 'सबका मालिक एक'। उन्होंने साम्प्रदायिक सद्भावना का संदेश देकर सबको प्रेम के साथ मिल-जुल कर रहने को कहा। बाबा ने अपने भक्तों को श्रद्धा और सबूरी (संयम) का पाठ सिखाया। जो भी उनकी शरण में गया उसको उन्होंने अवश्य अपनाया। विजयादशमी उनकी पुण्यतिथि बनकर हमें अपनी बुराइयों (दुर्गुणों) पर विजय पाने के लिए प्रेरित करती है। नित्यलीलालीन साईबाबा आज भी सद्गुरु के रूप में भक्तों को सही राह दिखाते है और उनके कष्टों को दूर करते है। साईनाथ के उपदेशों में संसार के सी धर्मो का सार है। अध्यात्म की ऐसी महान विभूति के बारे में जितना भी लिखा जाए, कम ही होगा। उनकी यश-पताका आज चारों तरफ फहरा रही है। बाबा का 'साई' नाम मुक्ति का महामंत्र बन गया है और शिरडी महातीर्थ~~


बुधवार, 29 जून 2011

सात आतंककारियों के मामले में फैसला 11 को

सात आतंककारियों के मामले में फैसला 11 को 
 

जोधपुर। जम्मू कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ करते हुए पकडे गए 11 आतंककारियों में से सात अफगानिस्तान नागरिकों के मामले में फैसला आगामी 11 जुलाई को सुनाया जाएगा। अनुसूचित जाति एवं जनजाति मामलात की विशिष्टि न्यायालय के न्यायाधीश अनूप कुमार सक्सेना ने बुधवार को सुरक्षा दृष्टि को ध्यान में रखते हुए इन आतंककारियों की सुनवाई केन्द्रीय कारागृह परिसर में बनी अदालत में की।

सात आतंककारियों के मामले की अंतिम बहस पूरी हो जाने पर अदालत ने फैसला 11 जुलाई तक सुरक्षित रख लिया। अदालत ने पाकिस्तानी आतंककारियों के मामले में करीब एक दर्जन गवाहों को बार-.बार तलब करने पर भी न्यायालय नहीं आने पर सभी को जमानती वारंट से तलब करने के आदेश दिए हैं।

इनके मामले में सुनवाई की अगली तारीख 26 जुलाई तय की गई है। उ“तम न्यायालय के आदेश से एक अफगानिस्तान नागरिक को पहले ही रिहा किया जा चुका है और सात के संबंध में 11 जुलाई को निर्णय सुनाया जाएगा। इसके अलावा चार आतंकी पाकिस्तान एवं पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर के हैं और इनकी सुनवाई न्यायालय में लंबित है। 

दुनिया ने माना बापू के सत्याग्रह का लोहा

दुनिया ने माना बापू के सत्याग्रह का लोहा 
 

न्यूयॉर्क। एक तरफ भारत सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शनों को कुचलने में लगी है वहीं आजादी की लड़ाई के दौरान महात्मा गांधी की ओर से चलाए गए नमक सत्याग्रह को दुनिया सलाम कर रही है। मशहूर पत्रिका टाइम ने बापू के नमक सत्याग्रह को दुनिया को बदलने वाले 10 प्रभावी आंदोलनों की सूची में दूसरे स्थान पर रखा है।

मार्च 1930 में बापू ने अहमदाबाद के नजदीक साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिन का मार्च निकाला था। बापू के इस मार्च से लाखों लोग जुड़ गए थे। बापू ने यह मार्च नमक पर ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ निकाला था। टाइम मैगजीन ने लिखा है कि ब्रिटिश राज चाय, कपड़ा और नमक पर एकाधिकार करने में लगी थी। औपनेविशक हुकूमत के तहत भारतीय न तो नमक का उत्पादन कर सकते थे और न ही बेच सकते थे। भारतीयों को ब्रिटेन में बना नमक ऊंचे दामों पर खरीदना पड़ता था। इसके खिलाफ बापू ने दांडी मार्च निकाला। 

लड़की की हत्या कर मांस नोचकर खाया और पी डाला खून



फ्रैंकफर्ट. एक 26 वर्षीय युवक को दो किशोरों की हत्या करने, उनके शरीर के अंगों को चबाने और उनका खून पीने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई है.
जन ओ नामक इस व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है जिससे कि यह फिर कभी खुला न घूम सके. कोर्ट ने उसे मनोवैज्ञानिक की देख-रेख में रखने का आदेश दिया है.

इस व्यक्ति ने कोर्ट में स्वीकार किया कि उसने 14 साल की एक लड़की की गला दबाकर हत्या की थी, उसके गले के मांस को नोच कर खाया था और उसका खून भी पीया था. घटना के ठीक तीन दिन बाद उसने एक 13 साल के लड़के की भी हत्या कर दी. उसने कहा चूँकि उसके बाल लबे थे इसलिए उसे लगा कि वह भी लड़की है. इसी भ्रम में उसने उसकी हत्या कर दी.

 
कोर्ट ने कहा कि यह अपने आप में बेहद जघन्य और असामान्य मामला है और यह व्यक्ति समाज ले लिए खतरा है. ऐसे में इसे फिर से समाज में जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती.

दूध पिलाने वाली महिला




वाशिंगटन. यहाँ एक महिला को बेहद अजीब अपराध के लिए गिरफ्तार किया गया है. इस महिला को पुलिसवालों पर ब्रेस्ट मिल्क फेकने के आरोप में पकड़ा गया है.

30 वर्षीय स्टेफनी रोबिनेटी पर घरेलू हिंसा, मारपीट, अपमानजनक व्यवहार और पुलिस के साथ बदसलूकी करने का भी आरोप है. डेलावेयर काउंटी कोर्ट में पुलिस ने बताया कि यह महिला एक पार्टी में गई हुई थी जहाँ इसने एक व्यक्ति के साथ अभद्रता की. जब उसने विरोध किया तो रोबिनेटी ने उसे भला-बुरा कहना शुरू कर दिया. मामला बिगड़ता देख उस व्यक्ति ने पुलिस को सूचित किया.

पुलिस में आने पर उसका व्यवहार और भी बिगड़ गया. उसने धमकी दी कि वह दूध पिलाने वाली महिला है और इतना कहते ही उसने अपना दाहिना ब्रेस्ट निकाला और पुलिस वालों पर दूध छिड़कने लगी. मामला बिगड़ता देख पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

जिसने भी यह मातृप्रेम देखा, उसकी आंखें भर आईं




वढवाण। गुजरात में सुरेंद्रनगर जिले के वढवाण शहर में एक बंदर के बच्चे को बीते रविवार को कुत्तों ने मार दिया। इसी बात से गुस्साए बंदरों के झुंड ने पूरे इलाके में जमकर उत्पात मचा दिया और सैकड़ों बंदर सड़क पर उतर आए, जिससे इलाके में घंटों जाम की स्थिति बनी रही। इसके साथ ही बच्चे की मां उसे दो दिनों से सीने से लगाए घूम रही है। इस घटना की शहर भर में चर्चा है और जिसने भी यह मातृप्रेम देखा, उसकी आंखें भर आईं।

वढवाण शहर में दीवान साहब की दहली क्षेत्र में रविवार को छत पर से खेलते-खेलते यह बंदर का बच्चा नीचे गिर गया और इसी बीच वहां उपस्थित कुत्तों के झुंड ने उस पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया।

कुछ ही देर में बंदरों का झुंड भी यहां आ गया और उसने यह दृश्य देखकर उत्पात मचा दिया। बताया जाता है कि बच्चे की मौत से सारे बंदर इतने गुस्से में आ गए कि वे घंटों तक सड़क से हटे ही नहीं और इलाके में जाम की स्थिति बन गई।

इसी बीच मृत बच्चे की मां उसे सीने से लगाकर एक मकान की छत पर चढ़ गई। लोग बताते हैं कि वह पूरे समय बच्चे को सीने से लगाए रखती है और जहां भी जाती है बच्चे को साथ लेकर जाती है और अब वह बच्चे को अपने से अलग नहीं होने देना चाहती। बताते हैं कि शहर में जिसने भी यह दृश्य देखा, वह दुखी हुए बिना नहीं रह सका।

इलाके के लोग बताते हैं कि बच्चे की मौत के बाद से ही मां भूखी-प्यासी घूम रही है। उसे खाने की कई चीजें दी गईं लेकिन उसने कुछ भी नहीं खाया, बस हर थोड़ी-थोड़ी देर में वह अपने मृत बच्चे को निहारती रहती है।

प्रेमी संग मिलकर की बहन की हत्या

टीकमगढ़ ।। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में प्रेमी के साथ संदिग्धावस्था में पकड़ी गई एक युवती ने अपनी बहन की हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपी युवती और उसके प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस के अनुसार ओरछा थाने की राजघाट कॉलोनी में रहने वाली अमृता नाम की किशोरी की 27-28 जून की मध्यरात्रि में हत्या कर दी गई थी। पुलिस को संदिग्ध हालात में हुई इस हत्या का शक परिवार के ही किसी सदस्य पर था।

ओरछा थाने के प्रभारी संजीव नयन शर्मा के मुताबिक पुलिस को पूछताछ करने पर पता चला कि अमृता की हत्या उसकी विवाहित बहन अर्चना ने की है। अर्चना ने पुलिस को दिए बयान में बताया है कि अमृता ने उसे (अर्चना) प्रेमी प्रदीप के साथ संदिग्ध हालत में देख लिया था और वह परिजनों से इसकी शिकायत करने की बात कह रही थी। इसी के चलते उसने अपने प्रेमी के साथ मिलकर सोते समय अमृता के सिर पर हथौड़ा मारकर उसकी हत्या कर दी। ओरछा पुलिस ने दोनों आरोपियों अर्चना व उसके प्रेमी प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया है।

अब आपकी चव्वनी नहीं चलेगी

अब आपकी चव्वनी नहीं चलेगी 


मुम्बई। गुरुवार यानी 30 जून के बाद बाजार में 25 पैसे का सिक्का 'चवन्नी' नहीं दिखेगी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक-दो महीने पहले एक वक्तव्य जारी कर लोगों को सूचना दी थी कि 30 जून के बाद 25 पैसे और उससे कम मूल्य के सिक्कों का बाजार में प्रचलन कानूनी रूप से प्रतिबंधित होगा।
आरबीआई ने एक वक्तव्य में कहा है कि 30 जून के बाद 25 पैसे और उससे कम मूल्य के सिक्के वैध निविदा नहीं रहेंगे। एक जुलाई 2011 और इसके बाद से बैंकों में इन्हें देकर इनके स्थान पर अधिक मूल्य के सिक्के नहीं लिए जा सकेंगे। केंद्र सरकार ने सिक्का अधिनियम, 1906 की धारा 15ए का इस्तेमाल करते हुए 25 पैसे और उससे कम मूल्य के सिक्कों को बाजार से वापस लेने का निर्णय लिया है।
लंबे समय पहले ही सरकार ने 25 पैसे से कम मूल्य के सिक्कों को बाजार से वापस ले लिया था। इसकी वजह यह थी कि उनकी ढलाई में उन पर अंकित मूल्य से कहीं अधिक का खर्चा आता था। वैसे चवन्नी के इतने बुरे दिन कभी नहीं आए। बल्कि एक जमाने में तो जब चार आने हुआ करते थे तब चवन्नी की बाजार में बड़ी ताकत होती थी।
देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की तो सदस्यता भी मिल जाया करती थी। चवन्नी पर एक जमाने में अंग्रेजी हुकूमत की छाप हुआ करती थी। चवन्नी चांदी से बनती थी। अंग्रेजों के जाने के बाद भी बरसों तक ये छाप बनी रही। 1957 में 'इंडियन क्वाइंज एक्ट-1906' में बदलाव के बाद चवन्नी का देसीकरण हुआ। 25 पैसे के सिक्के ने चार आने की जगह ले ली। 1982 में एशियाड गेम्स हुए तो चवन्नी को उसका प्रतीक भी बनाया गया।