शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

बाड़मेर में प्रस्तावित रिफाइनरी का मार्ग प्रशस्त















केयर्न इंडिया व वेदांता के बीच डील को आर्थिक मामलों की केबिनेट कमेटी से हरी झंडी मिलने से बाड़मेर में प्रस्तावित रिफाइनरी का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इसके अलावा ओएनजीसी के बाड़मेर में तेल दोहन पर 18 हजार करोड़ रुपए की रॉयल्टी का मसला भी निपटने से तेल उत्पादन बढ़ाने में आ रही अड़चनें खत्म होने की संभावना है।

गौरतलब है कि बाड़मेर बेसिन में पिछले दस महीने से रोजाना सवा लाख बैरल तेल का उत्पादन अटका हुआ है। वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल पिछले साल बाड़मेर में प्रस्तावित रिफाइनरी में भागीदारी का ऐलान कर चुके हैं, इसलिए केयर्न-वेदांता के बीच डील होते ही राजस्थान में औद्योगिक निवेश के साथ ही रिफाइनरी के मार्ग में आ रही अड़चनें भी खत्म होने की उम्मीद है।

रिफाइनरी में उत्पादित होने वाले प्रोडक्ट की मार्केटिंग का अनुबंध हो चुका है, लेकिन उसमें भागीदारी को लेकर मसला अटका हुआ था। संभवतया अब डील होते ही पेट्रोलियम मंत्रालय के रिफाइनरी का ऐलान करने की उम्मीद है। रिफाइनरी में ओएनजीसी के अलावा राजस्थान सरकार 26 प्रतिशत इक्विटी शेयर और इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड कंपनी पांच प्रतिशत भागीदारी की सहमति दे चुकी है।

सरकार को तीन सौ करोड़ का नुकसान: रॉयल्टी विवाद की वजह से पेट्रोलियम मंत्रालय ने बाड़मेर में तेल उत्पादन बढ़ाने की अनुमति अटका रखी थी, अब विवाद सुलझते ही उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। बाड़मेर बेसिन में पिछले दस महीने से तेल उत्पादन रोजाना सवा लाख बैरल पर अटका हुआ है जबकि अभी तक पौने दो लाख बैरल उत्पादन का लक्ष्य था। उत्पादन बढ़ने पर देश में रोजाना 50 हजार बैरल तेल कम आयात करना पड़ता और प्रतिदिन 50 से 55 लाख डॉलर की बचत होने से तेल की कीमत में इतनी बढ़ोतरी नहीं होती। साथ ही राज्य सरकार को लगभग 300 करोड़ रु. का नुकसान नहीं होता।

क्या है मामला: देश में रोजाना करीब 31 लाख बैरल पेट्रोलियम उत्पादों की खपत होती है। सरकार इसमें से करीब 24 लाख बैरल कच्चा तेल आयात कर रही है, जबकि देश भर में कुल सात लाख बैरल तेल का उत्पादन हो रहा है। पिछले पौने दो सालों में बाड़मेर बेसिन में करीब सवा तीन करोड़ बैरल तेल का दोहन हो चुका है।

यहां उत्पादित होने वाले तेल की लागत 7 से 8 डॉलर प्रति बैरल पड़ रही है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की औसत कीमत करीब 102 डॉलर प्रति बैरल है। तेल पर आयात व परिवहन शुल्क 7 से 8 डॉलर प्रति बैरल अदा करना पड़ रहा है। बाड़मेर बेसिन में तेल उत्पादन बढ़ाने की अनुमति मिलते ही रोजाना डेढ़ लाख बैरल और अगले तीन महीनों में पौने दो लाख बैरल तेल का उत्पादन होने लगेगा। अगले साल दो लाख चालीस हजार बैरल तेल का उत्पादन होगा।
 

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