पत्नी व उसका प्रेमी गिरफ्तार
कुचेरा। कुचेरा पुलिस ने प्रेमी संग मिलकर पति को मारने की नीयत से हौद में धकेलने की आरोपी महिला और उसके प्रेमी को आकेली गांव की ढाणियों से दबोच लिया। थानाधिकारी रामेश्वर भाटी ने बताया कि कॉल डिटेल मिलने के बाद मंगलवार दोपहर किशोर सिंह की ढाणी पर दबिश दी गई। जहां रेखा व उसका प्रेमी सुखराम छिपे हुए थे। पुलिस को देखकर सुखराम भाग गया। रेखा को पुलिस ने ढाणी से ही गिरफ्तार कर लिया। सुखराम का पीछा किया, जिसे करीब दो घण्टे की मशक्कत के बाद सात किलोमीटर दूर से पकड़ लिया। मंगलवार शाम को दोनों को थाने लाया गया। आरोपियों से पूछताछ जारी है। कार्रवाई में एएसआई अल्लानूर खां, सहदेव राम, बेणीराम, कैलाश साथ थे।
यह था मामला
आरोपी रेखा व उसके प्रेमी कुचेरा निवासी सुखराम माली ने 25 अप्रेल को दिन दहाड़े गागूड़ा निवासी रामदयाल पुत्र श्रवणराम नाई (रेखा के पति) के साथ मारपीट की। गले में फंदा लगाकर कस्बे के आकेली बी रोड स्थित गोचर के पास बने पानी के हौद में मारने की नीयत से धकेल दिया। हौद में पानी कम होने के कारण रामदयाल 24 घण्टे तक उसमें तड़फता रहा। चरवाह ने उसे देखकर बाहर निकाला और अस्पताल पहंुचाया। पुलिस ने शुक्रवार को घायल रामदयाल का पर्चा बयान लेकर रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू की।
बुधवार, 1 मई 2013
देर रात तक सजती है शराब की महफिलें
देर रात तक सजती है शराब की महफिलें
जैसलमेर। एक तरफ जहां पुलिस शराबियों के विरूद्ध अभियान चला रही है, वहीं दूसरी तरफ जैसलमेर शहर के पर्यटन व सार्वजनिक स्थलों पर शराबी शाम ढलने के साथ ही मौज मना रहे है। शहर में रात नौ बजे के बाद पटवा हवेली, गीता आश्रम के पास, गडीसर तालाब के किनारे शराबियों की महफिलें सजने लगती है, जो देर रात तक चलती हंै। ये महफिलें शांति से चले तब तक तो कोई नहीं, लेकिन नशा चढ़ने पर ये आसपास के लोगों के लिए आफत बन जाती है। शहर के भीतरी भाग के सार्वजनिक स्थल हो या फिर पर्यटन स्थलों पर बैठने की जगह हो, हर जगह सवेरे शराब की बोतलें पड़ी नजर आती हंै।
अंधेरे का सहारा
शराबियों को शराब की महफिल सजाने के लिए केवल अंधेरे की तलाश और साफ सुथरी जगह की आवश्यकता होती है। ये जगह चाहे गली मोहल्ले में हो या फिर किसी पर्यटन स्थल और सरकारी विभागों के सूने भवन व खेल मैदान ही क्यों न हो। शराबी यहां अंधेरा होते ही शराब की बोतलों के साथ धमक जाते हैं और फिर पैग पर पैग लगा कर शराब की पार्टियां करते है।
आठ बजे बाद भी मिलती है शराब
राज्य सरकार ने भले ही शराब की दुकानों पर रात आठ बजे शराब बेचने पर पाबंदी लगाई हो, लेकिन जैसलमेर में शराब की दुकानों पर देर रात तक खुलेआम शराब की बोतलें बेची जाती है। शराब की दुकानें कहने को तो बंद रहती हैं, लेकिन ग्राहक के आने पर दुकान का शटर ऊपर होता है और शराब की बोतलें पकड़ाने के बाद वापस बंद हो जाता है। कई दुकानदार शटर के पास बनी खिड़की खुली रखते हैं और वहां से शराब बेचते हैं। ये सब होता है पुलिस व आबकारी विभाग की अनदेखी के चलते।
दस से बीस रूपए की अधिक वसूली
शराब की दुकान बंद होने के बाद शराब धड़ल्ले से मिलती है, लेकिन इसकी कीमत बोतल की प्रिंट रेट से दस से बीस रूपए बढ़ जाती है।
फायदे का सौदा
सरकार द्वारा रात आठ बजे के बाद शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाने का निर्णय शराब विक्रेताओं के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। शराब की काफी बिक्री रात आठ बजे के बाद ही शुरू होती है, ऎसे में दुकानदार उपभोक्ता से अतिरिक्त राशि वसूली कर काली कमाई बटोरने में जुटा रहता है।
यहां होती है शराब पार्टी
पटवा हवेली के पास।
गड़ीसर सरोवर के किनारे।
डेडानसर स्टेडियम खेल मैदान।
पूनम स्टेडियम मैदान।
रेलवे स्टेशन के पास।
नई कटी कॉलोनियां।
महाराणा प्रताप मैदान।
सार्वजनिक उद्यान, बगीचे।
ग्रामीण हाट आदि एकांत स्थान।
इनके अलावा भी अन्य कई क्षेत्र हैं जहां रात के समय आवागमन कम रहता है और अंधेरा पसरा रहता है, वहां शराब की महफिलें जमना अब आम बात बनती जा रही है।
जैसलमेर। एक तरफ जहां पुलिस शराबियों के विरूद्ध अभियान चला रही है, वहीं दूसरी तरफ जैसलमेर शहर के पर्यटन व सार्वजनिक स्थलों पर शराबी शाम ढलने के साथ ही मौज मना रहे है। शहर में रात नौ बजे के बाद पटवा हवेली, गीता आश्रम के पास, गडीसर तालाब के किनारे शराबियों की महफिलें सजने लगती है, जो देर रात तक चलती हंै। ये महफिलें शांति से चले तब तक तो कोई नहीं, लेकिन नशा चढ़ने पर ये आसपास के लोगों के लिए आफत बन जाती है। शहर के भीतरी भाग के सार्वजनिक स्थल हो या फिर पर्यटन स्थलों पर बैठने की जगह हो, हर जगह सवेरे शराब की बोतलें पड़ी नजर आती हंै।
अंधेरे का सहारा
शराबियों को शराब की महफिल सजाने के लिए केवल अंधेरे की तलाश और साफ सुथरी जगह की आवश्यकता होती है। ये जगह चाहे गली मोहल्ले में हो या फिर किसी पर्यटन स्थल और सरकारी विभागों के सूने भवन व खेल मैदान ही क्यों न हो। शराबी यहां अंधेरा होते ही शराब की बोतलों के साथ धमक जाते हैं और फिर पैग पर पैग लगा कर शराब की पार्टियां करते है।
आठ बजे बाद भी मिलती है शराब
राज्य सरकार ने भले ही शराब की दुकानों पर रात आठ बजे शराब बेचने पर पाबंदी लगाई हो, लेकिन जैसलमेर में शराब की दुकानों पर देर रात तक खुलेआम शराब की बोतलें बेची जाती है। शराब की दुकानें कहने को तो बंद रहती हैं, लेकिन ग्राहक के आने पर दुकान का शटर ऊपर होता है और शराब की बोतलें पकड़ाने के बाद वापस बंद हो जाता है। कई दुकानदार शटर के पास बनी खिड़की खुली रखते हैं और वहां से शराब बेचते हैं। ये सब होता है पुलिस व आबकारी विभाग की अनदेखी के चलते।
दस से बीस रूपए की अधिक वसूली
शराब की दुकान बंद होने के बाद शराब धड़ल्ले से मिलती है, लेकिन इसकी कीमत बोतल की प्रिंट रेट से दस से बीस रूपए बढ़ जाती है।
फायदे का सौदा
सरकार द्वारा रात आठ बजे के बाद शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाने का निर्णय शराब विक्रेताओं के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। शराब की काफी बिक्री रात आठ बजे के बाद ही शुरू होती है, ऎसे में दुकानदार उपभोक्ता से अतिरिक्त राशि वसूली कर काली कमाई बटोरने में जुटा रहता है।
यहां होती है शराब पार्टी
पटवा हवेली के पास।
गड़ीसर सरोवर के किनारे।
डेडानसर स्टेडियम खेल मैदान।
पूनम स्टेडियम मैदान।
रेलवे स्टेशन के पास।
नई कटी कॉलोनियां।
महाराणा प्रताप मैदान।
सार्वजनिक उद्यान, बगीचे।
ग्रामीण हाट आदि एकांत स्थान।
इनके अलावा भी अन्य कई क्षेत्र हैं जहां रात के समय आवागमन कम रहता है और अंधेरा पसरा रहता है, वहां शराब की महफिलें जमना अब आम बात बनती जा रही है।
घर में रहेगी कैमरे की नजर
घर में रहेगी कैमरे की नजर
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक वृद्धा की याचिका पर उसके पुत्र व पुत्रवधु द्वारा की जा रही घरेलू हिंसा रोकने के लिए उसके घर में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने महामंदिर थानाधिकारी को कैमरों की निगरानी करने और अदालत में रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है। महामंदिर निवासी 72 वर्षीया वृद्धा विमला धारीवाल की ओर से अधिवक्ता नदीश सिंघवी के जरिए पेश फौजदारी निगरानी याचिका पर न्यायाधीश संदीप मेहता ने यह आदेश पारित किया।
अधिवक्ता सिंघवी ने हाईकोर्ट में दलील दी कि विमला के पति शांतिलाल धारीवाल ने अपना व्यावसायिक प्रतिषान व रहवासीय मकान की वसीयत विमला के हक में कर रखी है। उसके बावजूद उसके पुत्र अरूण धारीवाल जबरन कब्जा कर उसमें व्यवसाय कर रहा है।
विमला धारीवाल को बेदखल करने के आशय से उसके साथ मारपीट कर घरेलू हिंसा की जा रही है। न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए अरूण धारीवाल व उसके परिवार को विमला को भरण पोषण के लिए आठ हजार रूपए मासिक भत्ता देने और उसके घर में पुत्र के खर्चे पर चार सप्ताह में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने महामंदिर थानाधिकारी को कैमरों की निगरानी करने और अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट (आर्थिक अपराध) को रिपोर्ट पेश करने के भी आदेश दिए हैं।
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक वृद्धा की याचिका पर उसके पुत्र व पुत्रवधु द्वारा की जा रही घरेलू हिंसा रोकने के लिए उसके घर में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने महामंदिर थानाधिकारी को कैमरों की निगरानी करने और अदालत में रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है। महामंदिर निवासी 72 वर्षीया वृद्धा विमला धारीवाल की ओर से अधिवक्ता नदीश सिंघवी के जरिए पेश फौजदारी निगरानी याचिका पर न्यायाधीश संदीप मेहता ने यह आदेश पारित किया।
अधिवक्ता सिंघवी ने हाईकोर्ट में दलील दी कि विमला के पति शांतिलाल धारीवाल ने अपना व्यावसायिक प्रतिषान व रहवासीय मकान की वसीयत विमला के हक में कर रखी है। उसके बावजूद उसके पुत्र अरूण धारीवाल जबरन कब्जा कर उसमें व्यवसाय कर रहा है।
विमला धारीवाल को बेदखल करने के आशय से उसके साथ मारपीट कर घरेलू हिंसा की जा रही है। न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए अरूण धारीवाल व उसके परिवार को विमला को भरण पोषण के लिए आठ हजार रूपए मासिक भत्ता देने और उसके घर में पुत्र के खर्चे पर चार सप्ताह में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने महामंदिर थानाधिकारी को कैमरों की निगरानी करने और अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट (आर्थिक अपराध) को रिपोर्ट पेश करने के भी आदेश दिए हैं।
ट्रोलर ने अधेड़ को कुचला
ट्रोलर ने अधेड़ को कुचला
बालोतरा। फलोदी-पचपदरा-रामजी का गोल मेगा स्टेट हाइवे पर कालुड़ी गांव में मंगलवार दोपहर बाद तेज रफ्तार ट्रोलर की टक्कर से एक जने की मौत हो गई। ट्रोलर उसे सड़क पर करीब पैंतीस फीट तक घसीट कर साथ ले गया। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने शव सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन किया और हाइवे पर जाम लगा दिया। तकरीबन डेढ़ घंटे तक जाम के दौरान सड़क के दोनो तरफ वाहनों की लम्बी कतारें लग गई। बाद में समझाइश कर पुलिस ने जाम खुलवाया तब जाकर मामला शांत हुआ।
मेगा स्टेट हाइवे पर कालुड़ी गांव में मंगलवार दोपहर बाद शंकरसिंह (55) पुत्र रामसिंह निवासी कालुड़ी सड़क पार कर रहा था। इसी दौरान सिणधरी से बालोतरा की तरफ जा रहे तेज रफ्तार ट्रोलर के चालक ने लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाकर शंकरसिंह को टक्कर मारी। पहियों में फंसा शंकरसिंह तकरीबन पैंतीस फीट तक ट्रोलर के साथ सड़क पर घिसटता रहा।
मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद गुस्साए कालुड़ी गांव के ग्रामीणों ने मेगा हाइवे पर जमा लगा दिया। पत्थर, कंटीली झाडियां आदि डालकर व मानव श्रृंखला बनाकर रास्ते को अवरूद्ध कर दिया। सड़क के दोनो तरफ वाहनो की लम्बी कतारें लग गई। तकरीबन डेढ़ घंटे तक जाम रहा। शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की।
सूचना मिलने पर सीओ रामेश्वरलाल मेघवाल, थानाधिकारी कैलाशचंद्र मीणा मय जाप्ता मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से वार्ता कर समझाइश की। बाद में प्रदर्शनकारियों ने शव उठाकर जाम हटाया। तब जाकर यातायात सामान्य हो पाया।
बालोतरा। फलोदी-पचपदरा-रामजी का गोल मेगा स्टेट हाइवे पर कालुड़ी गांव में मंगलवार दोपहर बाद तेज रफ्तार ट्रोलर की टक्कर से एक जने की मौत हो गई। ट्रोलर उसे सड़क पर करीब पैंतीस फीट तक घसीट कर साथ ले गया। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने शव सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन किया और हाइवे पर जाम लगा दिया। तकरीबन डेढ़ घंटे तक जाम के दौरान सड़क के दोनो तरफ वाहनों की लम्बी कतारें लग गई। बाद में समझाइश कर पुलिस ने जाम खुलवाया तब जाकर मामला शांत हुआ।
मेगा स्टेट हाइवे पर कालुड़ी गांव में मंगलवार दोपहर बाद शंकरसिंह (55) पुत्र रामसिंह निवासी कालुड़ी सड़क पार कर रहा था। इसी दौरान सिणधरी से बालोतरा की तरफ जा रहे तेज रफ्तार ट्रोलर के चालक ने लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाकर शंकरसिंह को टक्कर मारी। पहियों में फंसा शंकरसिंह तकरीबन पैंतीस फीट तक ट्रोलर के साथ सड़क पर घिसटता रहा।
मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद गुस्साए कालुड़ी गांव के ग्रामीणों ने मेगा हाइवे पर जमा लगा दिया। पत्थर, कंटीली झाडियां आदि डालकर व मानव श्रृंखला बनाकर रास्ते को अवरूद्ध कर दिया। सड़क के दोनो तरफ वाहनो की लम्बी कतारें लग गई। तकरीबन डेढ़ घंटे तक जाम रहा। शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की।
सूचना मिलने पर सीओ रामेश्वरलाल मेघवाल, थानाधिकारी कैलाशचंद्र मीणा मय जाप्ता मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से वार्ता कर समझाइश की। बाद में प्रदर्शनकारियों ने शव उठाकर जाम हटाया। तब जाकर यातायात सामान्य हो पाया।
विकास की उल्टी गंगा? 24 गांव हटा देने से यूआईटी को लेकर संशय की स्थिति
विकास की उल्टी गंगा?
बाड़मेर। रिफाइनरी की हकीकत व इससे जुड़े सपनों के बीच नगरीय विकास विभाग बाड़मेर में विकास की उल्टी गंगा बहा रहा है। शहर के भावी विस्तार व भावी विकास योजनाओं को लेकर बनाया गया मास्टर प्लान छियालीस गांवों से सिकुड़कर केवल बाइस गांवों तक सिमट गया है। नगरीय विकास विभाग के एक आदेश के तहत बाड़मेर के नगरीय क्षेत्र (मास्टर प्लान) में सम्मिलित किए गए चौबीस गांव हटा दिए गए हैं।
एक दशक से विकास की पटरी पर तेज गति से दौड़ रहे जिला मुख्यालय के सुनियोजित विकास की भावी योजना के तहत नगरीय विकास विभाग ने 23 नवम्बर 2011 को बाड़मेर शहर के इर्द-गिर्द स्थित छियालीस राजस्व गांवों को मास्टर प्लान में अधिसूचित किया। करीब आठ माह पहले अधिसूचित गांवों को मास्टर प्लान में शामिल कर इस पर अंतिम मुहर लगाई गई। इससे ये सभी गांव नगरपरिषद के मास्टर प्लान में आ गए। नए मास्टर प्लान के अनुरूप आवासीय क्षेत्र, संस्थानिक क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, ग्रीन बेल्ट इत्यादि को लेकर कार्ययोजना बनाने का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है। चौबीस गांवों को मास्टर प्लान से बाहर करने के बाद अब नए सिरे से कार्ययोजना बनानी होगी।
ये गांव मास्टर प्लान से बाहर
राजस्व गांव बांदरा, अलाणियों की ढाणी, जालीपा आगोर, वीरमनगर, चक धोलका, सांसियों की बस्ती, उण्डखा, धांधुपुरा, मुरटाला गाला, पीथलपुरा, उदे का तला, जादाणियों का वास, महाबार पीथल, कुर्जा, महाबार, वांकलपुरा, विशनपुरा, करणपुरा, मगने की ढाणी, नैनवा, पिण्डियों का तला, मारूड़ी, गोरधनपुरा, पाबूपुरा मास्टर प्लान से बाहर कर दिए गए हैं।
यू आई टी पर होगा असर
मास्टर प्लान का दायरा सिकुड़ने का सर्वाधिक असर नगर विकास न्यास (यूआईटी) पर पड़ेगा। हालिया बजट में राज्य सरकार ने बाड़मेर में यूआईटी की घोषणा की है। बाड़मेर शहर के इर्द-गिर्द स्थित छियालीस राजस्व गांवों को मास्टर प्लान में शामिल करने के बाद ही यूआईटी घोषित करने का आधार बना, लेकिन अब 24 गांव हटा देने से यूआईटी को लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
विकास पर विपरीत असर नहीं
मास्टर प्लान में ज्यादा गांव हो गए थे। इसलिए कुछ कम कर दिए। अभी भी 22 गांव मास्टर प्लान में है, जो पर्याप्त हैं। गांवों की संख्या कम करने से विकास पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मेवाराम जैन, विधायक, बाड़मेर
बाड़मेर। रिफाइनरी की हकीकत व इससे जुड़े सपनों के बीच नगरीय विकास विभाग बाड़मेर में विकास की उल्टी गंगा बहा रहा है। शहर के भावी विस्तार व भावी विकास योजनाओं को लेकर बनाया गया मास्टर प्लान छियालीस गांवों से सिकुड़कर केवल बाइस गांवों तक सिमट गया है। नगरीय विकास विभाग के एक आदेश के तहत बाड़मेर के नगरीय क्षेत्र (मास्टर प्लान) में सम्मिलित किए गए चौबीस गांव हटा दिए गए हैं।
एक दशक से विकास की पटरी पर तेज गति से दौड़ रहे जिला मुख्यालय के सुनियोजित विकास की भावी योजना के तहत नगरीय विकास विभाग ने 23 नवम्बर 2011 को बाड़मेर शहर के इर्द-गिर्द स्थित छियालीस राजस्व गांवों को मास्टर प्लान में अधिसूचित किया। करीब आठ माह पहले अधिसूचित गांवों को मास्टर प्लान में शामिल कर इस पर अंतिम मुहर लगाई गई। इससे ये सभी गांव नगरपरिषद के मास्टर प्लान में आ गए। नए मास्टर प्लान के अनुरूप आवासीय क्षेत्र, संस्थानिक क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, ग्रीन बेल्ट इत्यादि को लेकर कार्ययोजना बनाने का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है। चौबीस गांवों को मास्टर प्लान से बाहर करने के बाद अब नए सिरे से कार्ययोजना बनानी होगी।
ये गांव मास्टर प्लान से बाहर
राजस्व गांव बांदरा, अलाणियों की ढाणी, जालीपा आगोर, वीरमनगर, चक धोलका, सांसियों की बस्ती, उण्डखा, धांधुपुरा, मुरटाला गाला, पीथलपुरा, उदे का तला, जादाणियों का वास, महाबार पीथल, कुर्जा, महाबार, वांकलपुरा, विशनपुरा, करणपुरा, मगने की ढाणी, नैनवा, पिण्डियों का तला, मारूड़ी, गोरधनपुरा, पाबूपुरा मास्टर प्लान से बाहर कर दिए गए हैं।
यू आई टी पर होगा असर
मास्टर प्लान का दायरा सिकुड़ने का सर्वाधिक असर नगर विकास न्यास (यूआईटी) पर पड़ेगा। हालिया बजट में राज्य सरकार ने बाड़मेर में यूआईटी की घोषणा की है। बाड़मेर शहर के इर्द-गिर्द स्थित छियालीस राजस्व गांवों को मास्टर प्लान में शामिल करने के बाद ही यूआईटी घोषित करने का आधार बना, लेकिन अब 24 गांव हटा देने से यूआईटी को लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
विकास पर विपरीत असर नहीं
मास्टर प्लान में ज्यादा गांव हो गए थे। इसलिए कुछ कम कर दिए। अभी भी 22 गांव मास्टर प्लान में है, जो पर्याप्त हैं। गांवों की संख्या कम करने से विकास पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मेवाराम जैन, विधायक, बाड़मेर
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