शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

*18 ऐसे उम्मीदवार जिनको टिकट तो मिली,कार्यकर्ताओ ने बनाई दूरी,पार्टीयां टेंशन में*

*18 ऐसे उम्मीदवार जिनको टिकट तो मिली,कार्यकर्ताओ ने बनाई दूरी,पार्टीयां टेंशन में*


जयपुर . चुनाव के रण में सर्द मौसम में भी सियासी गर्माहट बराबर बनी हुई है. खास तौर पर उन सीटों पर ये गर्माहट ज्यादा ही दिखाई दे रही है, जहां मैदान में उतरे नेता अपने लिए टिकट तो लेकर आ गए. लेकिन, सियासी जमीन पर उन्हें अपनों का साथ नहीं मिल पा रहा है. ये हालात कांग्रेस और भाजपा दोनों में ही बने हुए हैं. अपनों की दूरी ने इन नेताओं की माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. जीत को पक्की करने के लिए जरूरी पार्टी कार्यकर्ता और नेताओं का साथ लेने के लिए हर कोशिश जारी है. लेकिन, राजस्थान में करीब 12 से अधिक सीटें ऐसी भी हैं जहां पर मैदान में उतरे नेताओं को अभी भी अपनों का पूरा साथ नहीं मिल पाया है.

खास बात यह है कि जिन सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों को संबंधित विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं का साथ नहीं मिल रहा है. उनमें दोनों दलों के बड़े नेताओं की सीट भी शामिल है. कई सीटों पर जहां भाजपा-कांग्रेस से बागी होकर चुनाव लड़ रहे नेताओं का साइड इफेक्ट साफतौर पर दिखाई दे रहा है. वहीं, कई सीटों पर टिकट नहीं मिलने से नाराज नेताओं के समर्थकों का रोष अभी तक शांत होता नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में इन सीटों पर चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ी हुई है. हालांकि, जीत के लिए सियासी गोटियों को बिठाने हुए ये प्रत्याशी हर दांव भी चल रहे हैं. लेकिन, कार्यकर्ताओं और संगठन के नेताओं की अंदरखाने बनी दूरी ने सांसे भी फुला रखी है. हम आपको आज उन सीटों और वहां के गणित के बारे में बताते हैं जहां कार्यकर्ताओं और नाराज नेताओं राजनीतिक पारे को चढ़ा रखा है.

राजस्थान की इन 12 सीटों का यह है गणित
सिवाणा बाडमेर जिले की सियान सीट से कांग्रेस ने अनचाहे उम्मीदवार पंकज प्रताप सिंह को टिकट देकर मुसीबत मोल ले ली।।यहां से स्थानीय दावेदारों को टिकट न देकर नाराज कर दिया कार्यकर्ताओ को।।कार्यकर्ताओ ने कांग्रेस नेता बालाराम को बागी खड़ा कर दिया।पंकज प्रताप स्व कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दूरी  बना रखी हैं।।।

टोंक राजस्थान की हॉट सीट में से एक टोंक विधानसभा क्षेत्र पर हर किसी की नजर गड़ी हुई है. इस सीट पर कांग्रेस के पीसीसी चीफ सचिन पायलट के सामने भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री यूनुस खान चुनाव लड़ रहे हैं. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खास मंत्री यूनुस को यहां सियासी रूप से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल, इस सीट से पहले विधायक अजीत सिंह मेहता का टिकट काटकर भाजपा ने यूनुस खान को उतारा है. जिसके बाद अजीत नाराज हो गए. वसुंधरा राजे की ओर से मनाने पर अजीत तो मान गए, लेकिन, उनके समर्थकों की दूरी अभी भी बरकार बनी हुई है. यूनुस के साथ प्रचार-प्रसार में अजीत के समर्थक पूरी तरह से नहीं जुड़ पाए हैं.

बामनवास सवाईमाधोपुर जिले की बामनवास विधानसभा सीट से कांग्रेस ने इंद्रा मीणा को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है. जबकि, भाजपा ने राजेंद्र मीणा को टिकट देकर सियासी मैदान में उतारा है. कांग्रेस से पूर्व मंत्री नंदलाल मीणा के भाई नवलकिशोर मीणा टिकट मांग रहे थे. लेकिन, टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय ही चुनावी ताल ठोक दी है. सूत्रों ने बताया कि नवल किशोर मीणा के चुनाव लड़ने के कारण कांग्रेस के कई कार्यकर्ता अंदरखाने नवल के समर्थन में दिखाई दे रहे हैं.

पीपल्दा टिकट बंटवारे के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई ममता शर्मा को भाजपा ने पिपल्दा से टिकट देकर मैदान में उतारा है. ममता शर्मा को टिकट देने के लिए पार्टी ने विद्याशंकर नंदवाना का टिकट काटा था. जिसके चलते उनके समर्थकों में रोष बना हुआ है. सूत्रों का कहना है कि ममता शर्मा के साथ पार्टी के कई मूल कार्यकर्ता अभी भी नहीं जुड़ पाए हैं. वहीं, कांग्रेस ने यहां पर रामनारायण शर्मा को मैदान में उतारा है.

खंडेला सीकर जिले के खंडेला विधानसभा सीट से कांग्रेस ने इस बार सुभाष मील को प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा है. जबकि, पार्टी ने पांच बार के विधायक महादेव सिंह खंडेला को टिकट नहीं दिया. इससे नाराज होकर महादेव सिंह निर्दलीय ही मैदान में उतर गए. महादेव सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण कांग्रेस कई पुराने कार्यकर्ताओं का साथ सुभाष मील को नहीं मिल पा रहा है. कई कार्यकर्ता खंडेला के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं. वहीं, इस सीट पर भाजपा ने बंशीधर खंडेला को चुनाव मैदान में उतार रखा है.

थानागाजी अलवर जिले के थानागाजी विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा ने रोहिताश्व शर्मा को टिकट देकर मैदान में उतारा है. इस सीट से पहले मंत्री हेमसिंह भड़ाना पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते रहे हैं. लेकिन, इस बार पार्टी ने भड़ाना का टिकट काटकर रोहिताश्व को चुनाव मैदान में उतार दिया. खुद का टिकट कटने से नाराज भड़ाना ने निर्दलीय ही चुनावी ताल ठोक दी है. भड़ाना के निर्दलीय उतरने के चलते यहां कई कार्यकर्ता उन्हीं के साथ दिखाई दे रहे हैं. जबकि, इस सीट पर कांग्रेस ने सुनील कुमार को टिकट देकर मैदान में उतारा है.

लाडपुरा कोटा की लाडपुरा विधानसभा सीट से इस बार पूर्व सांसद इज्यराज सिंह की पत्नी कल्पना सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. लाडपुरा से तीन बार से विधायक भवानी सिंह राजावत का टिकट भाजपा ने काट दिया था. जिससे नाराज होकर भवानी सिंह ने पहले निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया था. लेकिन, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के मनाने के बाद भवानी सिंह मान गए और नामांकन पत्र वापस ले लिया. इसके बाद वे सीने में दर्द के कारण राजस्थान से बाहर इलाज कराने चले गए. सूत्रों ने बताया कि टिकट वितरण से असंतोष के कारण पार्टी के कई कार्यकर्ता दूरी बनाए हुए हैं.

नागौर नागौर विधानसभा सीट पर इस बार बदले समीकरण के बाद यहां कार्यकर्ताओं की नाराजगी देखने को मिल रही है. भाजपा में टिकट नहीं मिलने पर नाराज हबीबुर्रहमान इस बार कांग्रेस में शामिल हो गए. जिसके बाद कांग्रेस ने हबीबुर्रहमान को नागौर से टिकट देकर मैदान में उतार दिया. जबकि, इस सीट से कांग्रेस की तरफ से विजयपाल मिर्धा टिकट मांग रहे थे. सूत्रों ने बताया कि टिकट नहीं मिलन उनके समर्थकों में नाराजगी बनी हुई है. जिसके बाद ये कार्यकर्ता चुनाव से दूरी बना रखी है.

विद्याधर नगर जयपुर की विद्याधर नगर सीट पर इस बार कांग्रेस विक्रम सिंह शेखावत का टिकट काटकर सीताराम अग्रवाल को मैदान में उतारा है. जिसके बाद नाराज विक्रम सिंह शेखावत ने निर्दलीय ही चुनाव मैदान में ताल ठोक दी है. सूत्रों ने बताया कि विक्रम सिंह के निर्दलीय खड़ा होने के कारण उनके समर्थकों के साथ ही पार्टी के कई निचले स्तर के पदाधिकारियों ने सीताराम अग्रवाल से अंदरखाने दूरी बना रखी है. उनका झुकाव पार्टी के सामने बागी होकर चुनाव लड़ रहे विक्रम सिंह की तरफ बना हुआ दिखाई दे रहा है. इस सीट पर भाजपा की तरफ से नरपत सिंह राजवी मैदान में हैं.

केशवरायपाटन केशवरायपाटन विधानसभा सीट से कांग्रेस ने राकेश बोयत को चुनाव मैदान में उतारा है. इनका टिकट सीएल प्रेमी के बदले दिया गया है. बताया जाता है कि कांग्रेस की ओर से पहले सीएल प्रेमी का टिकट पक्का माना जा रहा था. लेकिन, अंतिम समय में राकेश बोयत को टिकट देकर मैदान में उतार दिया गया. इससे नाराज होकर सीएल प्रेमी में निर्दलीय ही चुनावी ताल ठोक दी है. जिसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी बोयत के लिए सभी कार्यकर्ताओं को साथ लेना चुनौती बन गया है. इस सीट पर भाजपा की तरफ से चंद्रकांता मेघवाल को चुनावी मैदान में उतारा है.

बारां-अटरू मंत्री बाबूलाल वर्मा को भाजपा ने इस बार बारां-अटरू सीट से मैदान में उतारा है. उनकी अपनी सीट केशवरायपाटन से उन्हें टिकट नहीं दिया गया था. पार्टी की ओर से टिकट मिलने पर बाबूलाल वर्मा बारां-अटरू में प्रचार में जुटे हैं. लेकिन, उन्हें कार्यकर्ताओं का पूरा साथ अभी पूरा नहीं मिल पाया है. इस सीट पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सभा भी कर चुकी हैं. लेकिन, कार्यकर्ताओं पूरे मन से एकजुट नहीं हो पाए हैं. वहीं, कांग्रेस ने इस सीट पर पानाचंद मेघवाल को चुनाव मैदान में उतारा है.

फुलेरा फुलेरा विधानसभा सीट से भाजपा ने इस बार निर्मल कुमावत को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है. इससे नाराज होकर यहां से टिकट की दावेदारी कर रहे डीडी कुमावत ने निर्दलीय ही चुनावी ताल ठोक रखी है. टिकट की घोषणा से नाराज कई मंडल अध्यक्ष इस्तीफा देकर चले गए. सूत्रों का कहना है कि कई कार्यकर्ताओं ने दूरी बना रखी है. इस सीट पर कांग्रेस ने विद्याधर चुनाव मैदान में उतारा है.

टोडाभीम टोडाभीम विधानसभा सीट से कांग्रेस ने पीआर मीणा को चुनाव मैदान में उतारा है. वे पिछली बार राजपा प्रत्याशी थे. सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस की ओर से टिकट मिलने के बाद भी पार्टी के स्थानीय संगठन के जुड़े कार्यकर्ता पूरे मन के साथ चुनाव प्रचार में नहीं जुड़ रहे हैं. इस सीट पर भाजपा ने रमेशचंद को चुनाव मैदान में उतारा है.

इनके साथ ही मुंडावर और कुशलगढ़ की दो सीटें शरद यादव की लोकतांत्रिक जनता दल, भरतपुर और मालपुरा सीटें राष्ट्रीय लोकदल, पाली की बाली सीट एनसीपी को दी गई थी. लेकिन गठबंधन के प्रत्याशियों को प्रचार में अकेले ही जूझना पड़ रहा है. सूत्रों की माने तो कांग्रेस स्थानीय कार्यकर्ता और पार्टी का स्थानीय संगठन टिकट की घोषणा के बाद से ही खुलकर गठबंधन के प्रत्याशियों के प्रचार में नहीं आया है. हालांकि गठबंधन के प्रत्याशियों ने कांग्रेस के स्थानीय संगठन और अन्य नेताओं को मनाने के प्रयास भी किए. बताया जाता है कि कि कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता जरूर दिखावे के लिए साथ लगे हैं लेकिन वे भी अंदरखाने गठबंधन प्रत्याशियों के पक्ष में नहीं हैं. कुल मिलाकर गठबंधन के प्रत्याशियों को अपने-अपने दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के भरोसे ही प्रचार करना पड़ रहा है.

*दिल्ली पहुंची शिकायत*

वहीं गठबंधन की सीटों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से गठबंधन के प्रत्याशियों को सहयोग नहीं मिलने की शिकायतें गठबंधन के नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से की है. जिसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रदेश प्रभारी और प्रदेश नेतृत्व को निर्देश भी दिए हैं. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के कई बड़े नेता अब गठबंधन के प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार भी करते नजर आएंगे. बता दें कि अगले साल होने वाले आम चुनावों के मद्देनजर राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से समान विचारधारा वाले दलों का महागठबंधन बनाने के चलते प्रदेश में पांच सीटें गठबंधन को दी गई थी.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें