मंगलवार, 23 जनवरी 2018

बाड़मेर थार के इस धोरे की मिट्टी से निकलता है संगीत, अाज तक कोई जान नहीं पाया इसका रहस्य

बाड़मेर थार के इस धोरे की मिट्टी से निकलता है संगीत, अाज तक कोई जान नहीं पाया इसका रहस्यथार के इस धोरे की मिट्टी से निकलता है संगीत, अाज तक कोई जान नहीं पाया इसका रहस्य
सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन थार के रेगिस्तान में स्थित एक रेतीले धोरे(सेंड ड्यून) की मिट्टी से संगीत की स्वर लहरिया निकलती है। मौसम के साथ-साथ आवाज तेज-धीमी होती रहती है। यह धोरा बाड़मेर से अस्सी किलोमीटर दूर स्थित सेतराऊ गांव में स्थित है। खासियत की बात यह है कि आसपास के अन्य धोरों से किसी प्रकार की अावाज नहीं निकलती। एक बार वैज्ञाानिक भी इस धोरे की मिट्टी का परीक्षण कर गए, लेकिन संगीत निकलने की तह तक नहीं पहुंच पाए।जानिए कैसे निकलती है धोरे से आवाज...
बाड़मेर से अस्सी किलोमीटर दूर स्थित सेतराऊ गांव में पहाड़ों के निकट यह धोरा स्थित है। इसकी मिट्टी को खिसकाने या इस पर फिसलने के समय अलग-अलग तरह की आवाज निकलती है। मिट्टी हवा में उछालने के बाद वापस हाथ पर गिरने के समय भी आवाज निकलती है।
- सैकड़ों फीट लम्बे चौड़े इस धोरे के कुछ हिस्से में ही यह आवाज निकलती है। सर्दी के दिनों में आवाज कम हो जाती है। वहीं गर्मी बढ़ने के साथ आवाज तेज होती जाती है। एक बार दिल्ली से आए वैज्ञानिकों के दल ने इसकी जांच की। वे इसकी मिट्टी भी अपने साथ ले गए। यह टीम भी इसका खुलासा नहीं कर सकी कि आवाज कैसे आती है।


पर्यटक पहुंचते ही संगीत सुनने


- इस धोरे की जमीन के मालिक जितेन्द्र सिंह का कहना है कि बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पर इसकी आवाज सुनने के लिए आते है। कुछ साल पहले क्षेत्र के लोगों ने इस धोरे की मिट्टी को पर्यटकों के बीच बेचना शुरू कर दिया था। उन्होंने अब इस पर रोक लगा दी। गांव वालों का कहना है कि यह इस धोरे से आवाज करीब पचास वर्ष से सुन रहे है। उनका कहना है कि गर्मी के दिनों में इसकी आवाज काफी दूरी तक सुनाई देती है।


अवैध खनन से है खतरा


- जितेन्द्र सिंह का कहना है कि संगीत निकालने वाले इस धोरे के बगल में पहाड़ी क्षेत्र है। ऐसे में वहां खनन माफिया ने अपने पांव पसार लिए है। बढ़ते खनन के कारण इस धोरे का अस्तित्व खतरे में है। उनका कहना है कि सरकार को इसके संरक्षण के लिए प्रयास करने चाहिये।

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