बुधवार, 17 जनवरी 2018

प्रधानमंत्री को बाड़मेर के बुनकरों द्वारा निर्मित पट्टू भेंट करने से बढा हमारा गौरव

प्रधानमंत्री को बाड़मेर के बुनकरों द्वारा निर्मित पट्टू भेंट करने से बढा हमारा गौरव


(ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान के क्राफ्ट डवलपमेंट में आयोजित कार्यक्रम में बुनकरों ने रखे अपने विचार )
पचपदरा में रिफाईनरी शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान के बुनकरों द्वारा निर्मित पट्टू भेंट कर स्वागत किया गया | जिससे बाड़मेर जिले का गौरव बढ़ा है और बुनकरों हौसला अफजाई हुई है| इस हेतु ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान के बलदेव नगर स्थित क्राफ्ट डवलपमेंट सेन्टर बाड़मेर में बुनकरों एवं हस्तशिल्पियों के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्थान सचिव विक्रम सिंह ने बताया की बाड़मेर में पहले गाँव - गाँव में बुनकर मौजूद थे जो हेंडलूम पर बुनाई का कार्य करते थे | लेकिन पॉवर लूम पर बुनाई कार्य होने से बुनकरों ने अपने पारम्परिक व्यवसाय को छोडकर अन्य व्यवसाय अपना लिया और वर्तमान में इनकी संख्या में काफी गिरावट आई है लेकिन आज भी कई गांवों में बुनाई का कार्य होता है जिनमें, धनाऊ, साता, चौहटन, भाडखा, बाटाडू आदी प्रमुख है | रिफाईनरी जैसे आधुनिक विकास के साथ पारम्परिक उद्योग धंधों का विकास भी अत्यावश्यक है | राजस्थान सरकार के ट्विटर पेज जनसंपर्क राज. सरकार पर भी ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान के इस कार्य की सराहना की गई | 
संस्थान द्वारा किये गये है विशेष प्रयास 
कार्यक्रम में उपस्थित संस्थान अध्यक्ष रुमा देवी ने बताया की बाड़मेर के हस्तशिल्पी हमारा गौरव है और बुनाई कार्य करने वाले हस्तशिल्पियों ने हमारा गौरव बढ़ाया है | ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान बुनकरों को नवीन तकनीकी के बारे में जानकारी देकर इस पारम्परिक रोजगार को मजबूत करने का कार्य कर रहा है | संस्थान द्वारा बाड़मेर के बुनाई उत्पादों का प्रदर्शन जर्मनी के प्रसिद्ध हेम टेक्सटाइल फेयर में किया गया और विभिन्न फेशन शो में भी संस्थान द्वारा बुनाई उत्पादों को प्रमोट किया गया है |
संस्थान ने अंतर्राष्ट्रीय  डिजाइनर बीबी रशेल के बाड़मेर विजिट के दौरान भी बुनकर परिवारों की समस्याओं से अवगत कराया था |संस्थान बुनकरों के लिए नवीन मार्केटिंग लिंक बनाने हेतु निरंतर प्रयासरत है | संस्थान बुनकरों द्वारा निर्मित साड़ी के प्रमोशन हेतु विशेष रुप से प्रयासरत है | इसी साड़ी पर धनाऊ के बुनकर गोविन्द को बुनकर दिवस पर राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है | 
इस तरह से होती है पर बुनाई 
पारम्परिक रूप से बुनाई कार्य में सिर्फ ऊन का प्रयोग किया जाता था वहीं आधुनिक उत्पादों में ऊन के साथ उच्च क्वालिटी के कोटन धागे का भी प्रयोग किया जाता है | बुनाई के लिए धागे को डबल करके ताना किया जाता है | फिर पाण देके धागे को सुखाया जाता है | अलग अलग रंगों से नली भरकर बुनाई में डिजाइन का निर्माण किया जाता है | बुनाई में धागे को रंगने के लिए प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है | पट्टू, बरडी, लूँकार, धाबला आदि पारम्परिक बुनाई उत्पाद है | अभी बुनकरों द्वारा आधुनिक स्टाइल के कुरते, जैकेट, साड़ी, बैग, कुशन कवर आदि विभिन्न उत्पादों का निर्माण किया जाता है |    
ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान के क्राफ्ट डवलपमेंट सेन्टर पर युवाओं ने बुनाई उत्पादों के साथ किया वांक 
इस दौरान ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान के क्राफ्ट डवलपमेंट सेन्टर पर युवाओं द्वारा बुनाई जैकेट(कोटि), पट्टू, शाल आदि उत्पादों के साथ वांक किया गया | आधुनिक फैशन के दौर में ये उत्पाद युवाओं पर खूब जंच रहे थे | पारम्परिक परिधानों की ये वांक आने वाले समय में इस क्राफ्ट के सुनहरे दौर की उम्मीद जगा गई |   
युवाओं में बढ़ रहा है बुनाई उत्पादों का क्रेज 
संस्थान के कार्यक्रम अधिकारी गणेश बोसिया ने बताया की पहले जहाँ बुनाई कार्य पट्टू बनाने तक ही सीमित था वही आज आधुनिक जरूरत के अनुसार बुनाई से कई प्रकार के उत्पादों का निर्माण बुनकर हैंडलूम पर कर रहे है जिनमें साड़ी, कुरते, दुप्पटे, शांल, जैकेट आदि प्रमुख है | बुनकरों द्वारा इन उत्पादों के निर्माण से युवाओं में बुनाई के परिधानों को लेके क्रेज बढ़ा है और आज विभिन्न शहरों में इन उत्पादों को पसंद किया जा रहा है | 


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