सोमवार, 11 सितंबर 2017

ये हैं रिटायर IAS अफसर, इस वजह रोज सब्जी मंडी में बीनते हैं सब्जियां

ये हैं रिटायर IAS अफसर, इस वजह रोज सब्जी मंडी में बीनते हैं सब्जियां गायो के लिए 
ये हैं रिटायर IAS अफसर, इस वजह रोज सब्जी मंडी में बीनते हैं सब्जियां
शिमला.शिमला सब्जी मंडी में शाम को राेजाना एक व्यक्ति दुकानों के बाहर लगे वेस्ट सब्जी के ढेरों से सब्जी चुनते दिखता है, यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि लोक निर्माण विभाग से रिटायर्ड सुपरिंटेंडेट क्लास वन अधिकारी अशोक कुमार हैं। जी हां अशोक कुमार जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद गौ सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। पूरी पेंशन को भी इसी में खर्च करते हैं...




- पिछले तीन वर्षों से लोअर बाजार शिमला निवासी अशोक कुमार रोजाना गंदगी में उतरकर गायों के खाने योग्य सब्जियां एकत्रित करते हैं और इन्हें रोजाना शहर के बाहर बनी गौशालाओं तक पहुंचाते हैं।

- शाम के पांच बजे बोरियां उठाकर अशाेक कुमार अपने घर से निकलते हैं और सब्जी मंडी में दुकानदारों की ओर से वेस्ट सब्जियों और फलों को एकत्रित करके बोरियों में भरते हैं।

- उम्र ज्यादा होने की वजह से अब इन्हें बोरियों को पिकअप में चढ़ाने और उस तक पहुंचाने के लिए कुली की मदद लेनी पड़ती है।

- अशाेक कुमार रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पूरी पेंशन को भी इसी काम में खर्च कर रहे हैं।

पहले लोग उड़ाते थे मजाक




- अशोक कुमार बताते हैं कि तीन वर्ष पहले जब उन्होंने गायों की सेवा करने के लिए यह काम शुरू किया तो आस पड़ोस, दुकानदारों और सब्जीवालों तक ने उनका मजाक उड़ाया।

- उनके घरवालों और सगे संबंधियों ने घर में रहकर आराम करने की सलाह दी।

- उनके परिवारजनों को भी गंदे कपड़े और उनसे आने वाली बदबू से परेशानी थी लेकिन वे इन सबकी परवाह किए बिना इस काम में लगे रहे और अब उनके काम की सभी सराहना करते हैं।

ऐसे मिली प्रेरणा




- धर्मकर्म में विश्वास रखने वाले अशोक कुमार बताते हैं कि वे मंदिरों के साथ भी जुड़े हैं और मंदिरों के पुजारियों से उनकी जान पहचान भी है।

- ऐसे में एक पुजारी ने कहा कि गायों को सूखे चारे के साथ हरा चारा भी जरूरी होता है इसलिए उन्हें हरा चारा भी भेजा करो।

- इसके बाद मैंने सब्जी मंडी में सब्जियों को चुनकर गौसदन भेजना शुरू किया।

रोजाना 35 बोरियां




- अशोक कुमार रोजाना सब्जी मंडी से वेस्ट सब्जियों को 35 बोरियों एकत्रित करते हैं और जीप में में कुलियों की सहायता से भरते हैं।

- हर माह इस काम के लिए 40 हजार रुपए तक का खर्च आता है।

- वे रोजाना बालूगंज, टुटू, घणाहट्टी, ढांडा, ममलीग, जाठिया देवी, ढुमैहर, चौरी और अन्य गौशालाओं तक गायों के लिए चारा भेज रहे हैं।

अब सबका साथ




- अशोक कुमार के काम को अब दुकानदारों ने हल्का आसान कर दिया है।

- विक्रेता अब खुद वेस्ट सब्जियों को कूड़े में न डालकर इन्हें एक कोने में अलग रख देते हैं और जैसे ही अशोक कुमार आते हैं वे इसे बोरियों में भर देते हैं।

- भुट्टे बेचने वाले भी भुट्टे के छिलकों को एकत्रित करके रखते हैं और जब अशोक आते हैं तो उन्हें सौंप देते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें