नवीन पहचान के साथ अन्तर्राष्ट्रीय बाजारमेंउतरेगी थार की पारम्परिक रली
थार की पारम्परिक गुदड़ी (रली) के लिए एक दिवसीय आयोजन ग्रामीण विकास एवम चेतना संस्थान बाड़मेर व वनविभाग जैसलमेर-इन्दिरागांधी नहरपरियोजनास्टेज-द्वितीय द्वारा बलदेवनगर स्थित ।जिसकेलिए 40 सदस्यीय भ्रमणदलजैसलमेरसेबाड़मेरपहूॅचा।इसआयोजनमेंरली के रंगसयोजन, डिजायन, कच्चामाल, मार्केटआदिपरविचारविमर्षहुआ।बाड़मेर की महिलादस्तकारों द्वारा खुबसुरतकषीदाकारीउत्पादोंऔरजैसलमेरसे पधारेदस्तकारों द्वारापारम्परिकरलीकाप्रर्दषनकरक्राफ्टकाआदान-प्रदानकियागया।कार्यक्रमकोसंबोधितकरतेहुए जैसलमेरउपवनसंरक्षकसुदीपकौर ने बतायाकिबाड़मेर के दस्तकारोंकोजोपहचानग्रामीणविकास एवमचेतनासंस्थान द्वारादीगयीहैवहीपहचानहमजैसलमेर की दस्तकारों के लिए भीचाहतेहैै।इनमहिलादस्तकारों के पास स्वंय काआय काकोईजरियानहींहै। स्वंय द्वाराप्राप्त की गयीछोटीआय भीकाफीमहत्वपूर्णहोतीहै।रोजगार के अन्य साधनों के अभावमें ये दस्तकारसिर्फक्राफ्ट के माध्यम सेकुछकरसकतीहै।
ग्रामीणविकास एवमचेतनासंस्थान अध्यक्ष रूमादेवी ने बतायाकिआर्थिक रूप सेहमेषापुरूषोंपरनिर्भररहनेवालीमहिलाऐंक्राफ्टकार्य के माध्यम सेआत्मनिर्भर बन सकतीहै।संस्थानसेजुड़ीकईमहिलादस्तकारइसकार्य के माध्यम सेअपनीपरिवारकीआर्थिकउन्नतिमेंसहयोगकररहीहै।संस्थानसचिवविक्रमसिंह ने बतायाकिथार की पारम्परिकरलीकाबड़ेपैमानेपरव्यवसायिकउत्पादननहींहुआहै। यह कार्यकरनेवालीदस्तकारोंकोरोजगारप्रदानकरनेहेतुसंस्थानप्रयासरत् है।पहलेसंस्थान द्वाराजर्मनी, सिंगापुरऔर एक्सपोर्टफेयरइंडियामेंइसरलीकाप्रर्दषनकियागया।संस्थानइनदस्तकारोंकोकच्चामालऔरमार्केटउपलब्ध करानेकाकार्यकरेगा।
(यह हैरलीकाइतिहास-रलीपाकिस्तान के ंिसंध प्रांतऔरभारत के थारप्रांतकीसंस्कृतिकाअहमहिस्सारहीहै, कपड़े के अलग-अलगरंगो के पैचजोड़करबननेवालीरली यहांपरओढने व बिछाने के लिए प्रयुक्तहोतीहै।इसपारम्परिकरलीकोअन्तर्राष्ट्रीय बाजार के अनुरूपबनाने के लिए इसकीसाईजमेंपरिवर्तनकियाजारहाहै।जिसमेंज्यामेट्रिकडिजायनकाप्रयोगकियाजायेगा।जिसकेउपरकषीदाकारी एप्लिक व रंनिगस्टीचकाप्रयोगकरइसे खुबसुरत रूप दियाजायेगा।रंगसंयोजन यूरोपीय टेस्ट के हिसाबसेकियाजायेगा।)
जैसलमेर के वनविभाग द्वाराप्रषिक्षित स्वंय सहायतासमूहों द्वारा रूडा के एप्लिक एम्ब्रोडरीकलस्टरकाविजिटकर एम्ब्रोडरीक्राफ्ट के बारेमेंजानकारीप्राप्त की गयी।कार्यक्रम के दौरानमानवप्रगतिसंस्थान, नागौर के अधिकारीप्रदीपजीपूनिया, वनविभाग के क्ष्¨त्रीय वनअधिकारीवीरेन्दसिंह व महेन्द्रसिंहसोनी,दस्तकारसतबाई, छोटीबाई, मूमलबाई, कमलादेवी, पुष्पादेवीजनक, रहिषातथासंस्थानकार्यक्रमअधिकारीगणेषकुमारबोसिया, कार्यकर्ताकेवलारामहींगड़ा, खेताराम, देरारामजोगाराम, अजय चैधरी, गौरवचैधरी, खीमाराम, धर्माराम, गीता, रमाआदिकासक्रिय योगदानरहा।
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