मंगलवार, 12 सितंबर 2017

बाड़मेर पिता ने कर्ज लेकर पढ़ाया, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट सलाहकार बनकर पूरा किया मां का सपना

बाड़मेर  पिता ने कर्ज लेकर पढ़ाया, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट सलाहकार बनकर पूरा किया मां का सपना


जापान रेलवे ने भारतीय आईआईटीयन को सौंपी जिम्मेदारी

सरकारी स्कूलों में पढ़े संजीव, कोचिंग तक नहीं ली

संजीव ने जापान की युवति से रचाई शादी

जापान के टोक्यो में टाटा के फॉर्मर एग्जिक्यूटिव संजीव सिन्हा है बाड़मेर निवासी,1989 में जिले के पहले आईआईटीयन बनकर जापान गए

  बाड़मेर

देशकी पहली बुलेट ट्रेन परियोजना के सलाहकार बने आईआईटीयन संजीव सिन्हा बाड़मेर के रहने वाले हैं। बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद पहले ही प्रयास में आईआईटी में चयन हो गया। पिता वीरेंद्र सिन्हा ग्रिफ में नौकरी करते थे, लेकिन वेतन कम होने से बैंक से कर्ज लेकर बेटे की आईआईटी की पढ़ाई पूरी करवाई। जिले के पहले आईआईटीयन बने संजीव ने मां उषा रानी से 25 साल पहले किए वादे को पूरा कर दिखाया। अभावों में जीने को अभ्यस्थ संजीव ने मेहनत के बूते सफलता की नई इबारत लिख डाली। इस खुशी के मौके पर पिता वीरेंद्र सिन्हा ने भास्कर से बातचीत में कहा कि उनके बेटे की कामयाबी पर पूरे देश को फख्र है। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बेटा संजीव देश की पहली बुलेट ट्रेन का सलाहकार बनेगा। वीरेंद्र कहते हैं कि संजीव शुरू से ही जिद्दी था। प्रारंभिक पढ़ाई से प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन किया। दसवीं बोर्ड में टॉपर रहा और बारहवीं बोर्ड में स्टेट मेरिट में 8 वें नंबर पर रहा। इसके बाद आईआईटी में पहले ही प्रयास में चयन हो गया। कानपुर में पांच साल की मेहनत के बाद आईआईटीयन बन गया। वहां से जापान के टोक्यो चले गए। वहां पर कई कंपनियां में काम करने के बाद टाटा की फॉर्मर एग्जिक्यूटिव बने।

देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना पर 1 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसका जिम्मा जापान रेलवे ने बाड़मेर निवासी आईआईटीयन संजीव सिन्हा को सौंपा है। टोक्यो में टाटा के फॉर्मर एग्जिक्यूटिव और राजस्थान के बाड़मेर से पहले आईआईटीयन संजीव सिन्हा को जापान रेलवे द्वारा अहमदाबाद-मुंबई हाई स्पीड रेल परियोजना के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया है। इस बहुप्रतीक्षित परियोजना का भूमि-पूजन कार्यक्रम अहमदाबाद में 14 सितंबर को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में होना है। यह प्रोजेक्ट वर्ष 2023 तक पूरा होना प्रस्तावित है।

बाड़मेर जिले से पहले आईआईटीयन बनने का रिकार्ड संजीव के नाम दर्ज है। उनका जन्म 21 जनवरी 1973 को बाड़मेर में हुआ। आठवीं तक की पढ़ाई बाल मंदिर स्कूल में की। इसके बाद सीनियर सैकंडरी स्कूल गांधी चौक से बारहवीं की पढ़ाई पूरी की। वर्ष 1989 में आईआईटी में चयन हो गया। खास बात यह है कि संजीव ने पढ़ाई के दौरान कोचिंग नहीं ली। सेल्फ स्टडी के माध्यम से सफलता प्राप्त की।

बाड़मेर शहर की अंबेडकर कॉलोनी निवासी वीरेंद्र सिन्हा के दो बेटे संजीव राजीव है। राजीव सिन्हा सूरत के एक बैंक में एजीएम है। मां उषा रानी का 14 साल पूर्व निधन हो गया। पिता वीरेंद्र सिन्हा अकेले रहते हैं। वे जून में ही संजीव से मिलने टोक्यो गए थे। वहां पर बेटे बहू के साथ एक माह तक रहने के बाद बाड़मेर लौट आए। आईआईटीयन संजीव ने जापान में शादी की थी। उसके एक बेटी है।

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