रेप-गैंगरेप फिर एसिड अटैक...जुल्म सहते-सहते सूख गए महिला के आंसू
सवाल: कब और कैसे शुरू हुआ दर्द का ये सफर ?
जवाब:मेरा नाम अंजलि (बदला नाम) है। मैं यूपी के रायबरेली की रहने वाली हूं। पति और 2 बच्चों के साथ एक अच्छी जिंदगी गुजार रही थी। जेठानी के घर शराब बनाने का काम किया जाता है। गांव के दबंग भोंदू सिंह का वहां आना-जाना था। उसकी हरकतों की वजह से मैं उससे बात नहीं करती थी। 11 दिसंबर 2008 को मैं घर में अकेली थी। भोंदू पीछे की दीवार फांदकर आया और मुंह दबाकर मेरे साथ रेप किया। 19 दिन पहले ही मैंने नसंबदी का ऑपरेशन कराया था। घटना के बाद मेरी हालत और नाजुक हो गई थी।
पेट में घोंपी गई थी सलाई
अंजलि कहती है, रेप की घटना के बाद मैं इंसाफ के लिए थानों के चक्कर काटती रही, लेकिन आरोपी के दबंग होने की वजह से कोई सुनवाई नहीं हुई। करीब 1 साल में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की। इसके बाद भोंदू के घर से केस वापस लेने का दबाव बनने लगा। 19 फरवरी 2011 को भोंदू की बहन घर आई, मुझपर दबाव बनाने लगी। जब मैंने मना कर दिया, तो उसने मेरे पेट में स्वेटर बुनने वाली सलाई घोंप दी। बहुत ब्लीडिंग हुई। अस्पताल में इलाज के बाद मैंने भोंदू की बहन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई।
ब शरीर पर डाला गया था तेजाब
अंजलि कहती है, बहन के खिलाफ केस दर्ज होने से भोंदू और बौखला गया। 8 जून, 2011 को मैं सब्जी लेने मार्केट गई थी। भोंदू अपने भाई गुड्डू और अज्ञात लोगों के साथ आया और मेरे ऊपर तेजाब डाल दिया। मेरा पूरा शरीर तेजाब में झुलस गया। इसके बाद काफी दिनों तक मैं हॉस्पिटल में एडमिट रही।
जब प्राइवेट पार्ट में डाल दी थी रॉड
वह कहती है, इतने जुल्म के बाद भी मैं अपने फैसले पर टिकी थी। लेकिन पुलिस लगातार भोंदू को ही सपोर्ट कर रही थी। जब मैंने अपनी आवाज बुलंद करनी चाही, तो आरोपी ने एक और दर्द दे दिया। 24 अप्रैल 2012 को मैं घर पर अकेली थी, तभी भोंदू अंदर घुस आया और मारपीट करने लगा। जब मैंने उसकी बात मानने से इनकार कर दिया तो उसने पास में रखी रॉड मेरे प्राइवेट पार्ट में डाल दी। साथ ही मुझे जान से मारने की भी कोशिश की। इस बार भी पुलिसवाले रिपोर्ट दर्ज करने में कतराते रहे। काफी दौड़-भाग के बाद केस दर्ज हुआ और भोंदू जेल गया, लेकिन एक महीने बाद ही बाहर आ गया।
जब सुनसान जगह ले जाकर किया था गैंगरेप
अंजलि ने कहा, जेल से बाहर आने के बाद भोंदू ने बदला लेने के लिए 25 अक्टूबर 2012 को मुझे रास्ते से अगवा कर लिया। सुनसान जगह ले जाकर अपने साथियों के साथ मिलकर गैंगरेप किया। उस घटना की अब तक जांच चल रही है। इसके बाद भोंदू ने अपनी दबंगई दिखाते हुए मुझे गांव से बाहर भी निकलवा दिया। मेरे पति, बच्ची और सास अभी भी गांव में रहते हैं। घरवालों की सलामति के लिए मैं गांव से निकल गई और लखनऊ आ गई। यहां आलमबाग में घरों में झाड़ू-पोछा करने लगी। लेकिन भोंदू ने यहां भी मेरा पीछा नहीं छोड़ा। 15 फरवरी 2013 को उसने अज्ञात लोगों के जरिये मेरे ऊपर दोबारा से तेजाब फेंकवा दिया।
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