उदयपुर. कॉलगर्ल रेशमा की हत्या प्रकरण में पुलिस के शिंकजे में आई रेखा छाबड़ा जिस्मफरोशी के काले कारोबार से करोड़ों रुपए की कमाई करने वाली अकेली नहीं है। लेकसिटी में रेखा की तरह सफेद चोला पहने करीब आधा दर्जन महिलाओं ने देह व्यापार के अड्डे खोल रखे हैं। चौंकाने वाले तथ्य तो यह भी हैं कि ये धंधे शहर के उन रिहायशी इलाकों में चल रहे हैं, जिनको रहने के हिसाब से सबसे सुरक्षित और मुफीद माना जाता है। इसके बावजूद पुलिस-प्रशासन को इससे कोई सरोकार नहीं है।
हां मुंबई, कोलकाता के अलावा मध्यप्रदेश के मनासा और नीमच से सर्वाधिक युवतियां आती हैं। जिस्म के इस कारोबार की पिछले दो दिनों से पड़ताल में जुटी पत्रिका टीम ने सोमवार को कई युवतियों व दलालों ने सच का पता लगाया। इस धंधे में लिप्त लोगों ने बताया कि लेकसिटी में यह धंधा 60-40 के अनुपात में धड़ल्ले से चल रहा है। इसमें 40 फीसदी पैसा धंधे की सरगना लेती है और 60 फीसदी पैसा युवतियों को थमाया जाता है। इसमें भी उनसे 30 फीसदी रकम दलाल लेता है। युवती के पास सिर्फ उसके परिवार के गुजारे जितना हिस्सा पहुंचता है। इसके चलते फिर फाफे होने पर वह दलाल के जरिए नई जगह पहुंच जाती है। इस धंधे का एक पहलू यह भी है कि इन युवतियों को ग्राहक के पास भेजने से पहले उनकी फोटो और दाम की सूचना वाट्स-एप पर भेजी जाती है। इसके बाद ग्राहक सौदेबाजी कर रकम देते हैं।
लाचारी के चलते कूदना पड़ा दलदल में
देहव्यापार से जुडे़ गिरोह की कुछ युवतियों ने बताया, बचपन गुजरने के बाद होश संभाला तो आंखें इसी बाजार में खुलीं। यहां दलालों व दंबग महिला सरगनाओं का बोलबाला है। कई बार लाचारी के चलते इस दलदल में पड़ा रहना पड़ता है। कभी बाहर निकलने का साहस भी जुटाया तो सबने ठुकरा दिया। अब तो ठिकाने भी निश्चित नहीं हैं। कुछ युवतियां शौक से इस धंधे में जल्द पैसा कमाने भी आती हैं।कई तो बॉर्डर पार कर आ गई
देहव्यापार से जुडे़ गिरोह की कुछ युवतियों ने बताया, बचपन गुजरने के बाद होश संभाला तो आंखें इसी बाजार में खुलीं। यहां दलालों व दंबग महिला सरगनाओं का बोलबाला है। कई बार लाचारी के चलते इस दलदल में पड़ा रहना पड़ता है। कभी बाहर निकलने का साहस भी जुटाया तो सबने ठुकरा दिया। अब तो ठिकाने भी निश्चित नहीं हैं। कुछ युवतियां शौक से इस धंधे में जल्द पैसा कमाने भी आती हैं।कई तो बॉर्डर पार कर आ गई
पुलिस की अब तक कि पड़ताल में सामने आया कि कई युवतियां बांग्लादेश की हैं, जो बॉर्डर पार कर पश्चिम बंगाल से घुसी और यहां तक आ गईं। वहीं कुछ सीमावर्ती इलाकों से आकर दलालों के मार्फत महानगरों में पहुंचीं। वहां कम पैसा मिला तो ऑन कॉल बुकिंग के जरिए आने-जाने लगीं। कुछ युवतियों तो सीधे सरगना महिलाओं के सम्पर्क में हैं।
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