जोधपुर जोधपुर में हुआ प्रदेश का पहला दुर्लभ ऑपरेशन, सफलतापूर्वक अलग किए पैरासाइटिक ट्विन्स
उम्मेद अस्पताल में दस दिन पहले जन्मे पैरासाइटिक ट्विन्स बच्चों का मंगलवार को विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया। प्रदेश में पैरासाइटिक ट्विन्स के ऑपरेशन का यह अपनी तरह का पहला मामला है। तीन घंटे तक चले ऑपरेशन में दिल व लीवर को अलग कर और अविकसित बच्चे को अलग कर दिया गया। ऑपरेशन के बाद बच्चे को आईसीयू में रखा गया है।
अस्पताल अधीक्षक डॉ. रंजना देसाई ने बताया कि जो बच्चे से दिल से जुड़े होते हैं उनमें से 80 फीसदी बच्चों की ऑपरेशन के दौरान ही मौत हो जाती है। लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम की बदौलत यह ऑपरेशन सफलतापूर्वक हो गया। हालांकि अभी करीब एक सप्ताह तक का समय बच्चे के लिए मुश्किलभरा है। विशेषज्ञों की टीम के निर्देशन में बच्चे का उपचार जारी रहेगा। ऑपरेशन करने वाली टीम में कार्डियक सर्जन डॉ. सुभाष बलारा, पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. सुनील कोठारी, एनेस्थेटिक डॉ. राकेश कर्णावट व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. दिलीप गर्ग के निर्देशन में अन्य चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ शामिल थे।
गौरतलब है कि 12 नवम्बर की मध्यरात्रि को बाड़मेर निवासी हेमलता ने उम्मेद अस्पताल में इन पैरासाइटिक ट्विन्स बच्चों को जन्म दिया था। ऑपरेशन से पहले कई दिन तक चिकित्सकों ने सीटी स्कैन, एमआरआई समेत तमाम जांचें कराकर यह पता लगाया था कि दोनों बच्चे के कौन-कौन से अंग आपस में जुड़े हुए हैं।
दूसरे बच्चे का नहीं हुआ था पूर्ण विकास
पैरासाइटिक बच्चों में से एक तो पूरी तरह विकसित था लेकिन दूसरे का पूर्ण विकास नहीं हुआ था। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग सिंह ने बताया कि दूसरे बच्चे का दिल आधा जुड़ा था और स्वस्थ बच्चे के दिल से ही उसके शरीर में रक्त संचार हो रहा था। इसी तरह से दूसरे बच्चे में लीवर भी नहीं था, आंत, मस्तिष्क, हाथ-पैर का विकास भी पूरा नहीं हुआ था।
ये होते हैं पैरासाइटिक ट्विन्स
ये बच्चे एक-दूसरे से जुड़े होते हैं लेकिन इनमें एक बच्चे का विकास तो सही होता है लेकिन दूसरे बच्चे का विकास पूरा नहीं हो पाता है। अर्धविकसित या अविकसित बच्चे के शरीर के कई अंगों का विकास पूरा नहीं हो पाता। ऐसे में अर्धविकसित या अविकसित बच्चे के जीवित रहने की सम्भावना कम रहती है।
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