शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

सरहद पर जवानों के साथ ग्रामीणों के हौसले बुलंद, बोले - तैयार हैं युद्ध के लिए



सरहद पर जवानों के साथ ग्रामीणों के हौसले बुलंद, बोले - तैयार हैं युद्ध के लिए

पश्चिमी सीमा क्षेत्र से (बाड़मेर/जैसलमेर)।

मासूम आंखें, तुतलाती जुबां और हाथों में तिरंगा। जोश से भारत मां के जयकारे। वन्दे मातरम का जयघोष इतना बुलन्द कि चंद कदमों पर सरहद पार के दुश्मन के भी कान खड़े हो जाए। शुक्रवार को यह नजारा था भारत-पाकिस्तान सरहद पर बसे सेहलाऊ मदरसे का। उरी हमले और फिर भारत के सर्जिकल अटैक के बाद जवानों और सरहदी बाड़मेर के युवा और उम्रदराज लोगों के साथ साथ मासूमों का जोश भी देखने लायक है। यहां पढऩे वाले तबरेज ने बताया कि पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारत ने हमला करके बहुत अच्छा कदम उठाया है। बोला- यदि युद्ध हुआ तो हमारे बड़े और हम बच्चे भी सेना के साथ खड़े होकर पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देंगे। तबरेज जैसे ही जज्बात उसके साथी जमील खान के भी थे। वह 8 कक्षा में पढ़ता है लेकिन हौसले किसी युवा से कम नही है। वह बताता है कि हम भले ही बॉर्डर के पास बैठे हैं लेकिन खोफ जैसा कोई माहौल तक नही है। अभी सेना या प्रशासन ने गांव खाली करवाने का नहीं कहा है, लेकिन अगर ऐसा कुछ होता है तो वह अपने मुल्क के लिए सब कुछ कुर्बान करने को तैयार है। सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा... से दिन की शुरुआत करने वाले इस मदरसे के बच्चों का जज्बा देखने लायक था। कक्षा दस के मुनव्वर बताते है कि पाकिस्तान ने हमारे मुल्क में जिस तरह से दहशतगर्दी बढ़ाई है, उसका मुंहतोड़ जवाब देना जरूरी था। मदरसे के मौलवी युनुस बताते है कि करगिल हमले के वक्त भी यहां के लोगों ने सेना को अपना सब कुछ दे दिया था। लोगों ने अपने घरों में ही बंकर बना दिए थे।




बुलंद हौसला, माता पर भरोसा

सरहदी तनोट क्षेत्र से (जैसलमेर). अश्विनी कृष्ण अमावस्या का दिन, आम दिनों की तरह चहल-पहल, एक दिन बाद शुरू हो रहे नवरात्रा मेले की तैयारियों में जुटे बीएसएफ के जवान और पूजा-अर्चना व दर्शन करने का दौर। उरी हमले का सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए धमाकेदार जवाब देकर पाक के हौसलों को पस्त करने के बाद इस बार यहां नवरात्रा पर्व हर बार की तुलना में अलग ही देखने को मिल रहा है। पाक सीमा से सटे तनोटमाता मंदिर में बीएसएफ के जवान मंदिर को सजाने-संवारने व अन्य तैयारियों में जुटे दिखाई दिए। यहां सीसुब ने नवरात्रा मेले पर कड़े सुरक्षा प्रबंध किए हैं। भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद नवरात्रा मेले की तैयारियों में जुटे सीसुब के जवान फूले नहीं समा रहे हैं। यहां मौजूद जवानों ने बताया कि तनोट माता के आश्रय में दुश्मन न तो उनका बाल बांका कर सकता है और ना ही प्राकृतिक आपदा ही उनका अहित कर सकती है। गौरतलब है कि इस मन्दिर में पूजा-अर्चना बीएसएफ के जवान ही करते हैं। मंदिर में 1965 व 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की ओर से गिराए गए बमों में से एक भी बम यहां नहीं फटा। ये बम आज भी यहां सुरक्षित रखे हैं। तनोट क्षेत्र सामरिक दृष्टिï से काफी महत्वपूर्ण है। यहां पहुंचे 75 वर्षीय बुजुर्ग श्रवणसिंह ने कहा कि सरहद पर माता सबकी रक्षा कर रही है।

लोग बोले-हम तैयार

चौहटन . यहां लोग विभिन्न हालातों तथा पल-पल की खबरों से अपडेट हैं। हर नागरिक बुलंद हौंसले और बिना किसी डर के अपने रोजमर्रा के कार्यों में लगा हुआ है। सीमावर्ती गांवों में धारा 144 लागू है तथा प्रशासन ने सरहदी गांवों के लोगों को हर संभावित स्थिति के प्रति सचेत रहने को कहा है। सरहदी गांव आरबी की गफन निवासी उपप्रधान शैतानसिंह सोढ़ा ने बताया कि दुश्मन आए दिन आतंक के सहारे हमारी आंतरिक सुरक्षा को चुनौती दे रहा है। जिसका मुंहतोड़ जवाब जरूरी था। उपखंड अधिकारी जितेंद्रसिंह नरूका व पुलिस उप अधीक्षक प्रभातीलाल ने बताया कि उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्र के गांवों का दौरा कर ग्रामीणों को सतर्क तथा बेखौफ रहने को कहा है। यहां केलनोर, नवातला जेतमाल, मिठड़ाऊ, सरूपे का तला, गौहड़ का तला, तालसर, जानपालिया, एकल, नावतला बाखासर, सारला, हाथला, बावरवाला, भलगांव आदि ग्राम पंचायतों के सैकड़ों गांव पाक सीमा से सटे हैं।

बेखौफ ग्रामीण कर रहे चर्चाएं

गडरारोड.सर्जिकल स्ट्राइक के बाद क्षेत्र के ग्रामीणों में कई तरह की अटकलें चल रही है। सीमा क्षेत्र में हाई अलर्ट के बाद सीमा सुरक्षाबल, पुलिस व गुप्तचर एजेंसियों के जवान और अधिकारी पूरी तरह मुस्तैद हैं। सीमा के करीब खेतों में जुटे किसान बिना किसी दहशत के काम कर रहे हैं। किसान चेतनराम भील बताते हैं कि वे परिवार सहित खेती के काम में लगे हुए हैं। शाम होने से पहले घर चले जाते हैं, सुना है लड़ाई होने वाली है, ऐसे में बीएसएफ जो कहेगी वही करेंगे। पंजाब में सीमा के 10 किमी तक गांव खाली करवाने के समाचार से स्थानीय ग्रामीण अपने गांव खाली करवाने संबंधी अफवाहों से परेशान हैं।

बॉर्डर के पास खेत में काम कर रहे किसान

सेड़वा.सीमावर्ती गांवों में ग्रामीणों के बीच 1965 और 1971 के युद्ध की चर्चाएं चल रही हैं। ग्रामीणों को लगता है कि अभी भी युद्ध जैसे हालात बन रहे हैं। इसके बावजूद ग्रामीण खेतों में मशगूल रहे। दिपला गांव बिल्कुल अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटा है। यहां दिनभर बीएसएफ के जवान तैनात रहते हैं। यहां रात में विचरण पर रोक लगी हुई है। लोग दिन में खेतों में काम करते हैं और शाम होते ही घर की ओर प्रस्थान कर जाते हैं। ग्रामीण भारूराम का कहना है कि अब तक यहां शान्ति का माहौल है। सेड़वा थानाधिकारी शिपपालसिंह ने बताया कि सीमावर्ती गांवों में सतर्कता के तौर पर नाकाबंदी की जा रही है। पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।

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