जैसलमेर चौदह सौ साल पुराण चमत्कारिक चुंधि गणेश मन्दिर
जैसलमेर से 12 किलोमीटर दूर उस स्थान पर जिसे लोग चूंधी गणेश जी का स्थान कहते हैं। जैसलमेर की स्थापना से भी पुराने इस मंदिर के इतिहास के बारे में अगर बात करें तो पता लगता है कि करीब 14 सौ वर्ष से भी पुराना है यह मंदिर और उस काल में चंवद ऋषि द्वारा यहां 5 सौ वर्ष तक तप किया था इस लिये इस स्थान का नाम चूंधी पडा था इतना ही नहीं विभिन्न समय काल में विभिन्न ऋषि मुनियों ने यहां तपस्या कर इस स्थान के तप को बढाया है और इसी का परिणाम है कि आज यहां आने वाले दर्शनार्थियों को यहां आने के बाद शांति व सकून प्राप्त होता है और प्राप्त होती है उन मनोकामनाओं की पूर्ती जो वे लोग मन में लेकर आते हैं।
आज के वैज्ञानिक युग में इस प्रकार की बातें बेमानी सी लगती है लेकिन आस्था व श्रद्धा के आगे विज्ञान में घुटने टेकता है जहां पर विज्ञान के शोध समाप्त होते हैं वहां से आरम्भ होते भगवान की चमत्कारए और इसी का परिणाम है कि आज भी आस्था व श्रद्धा के वशीभूत भगवान भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा भी करते हैं और ऐसा ही कुछ हो रहा है जैसलमेर के चूंधी गणेश जी के मंदिर में जहां मंदिर परिसर के पास बने सैकडों की संख्या में छोटे छोटे मकान यह गवाही दे रहे हैं कि भगवान है और वे भक्तों की मनोकामना पूर्ती के लिये हरपल तैयार रहते हैं। चूंधीगणेशजी के भक्तों की माने तो यहां आने वाले दर्शनार्थी अपनी विभिन्न मनोकामनाओं के साथ यहां आते हैं और गजानन्द जी उनकी मनोकामनाओं को निश्चित ही पूरा करते हैंए मान्यता है कि मन में सच्ची श्रद्धा के साथ अगर यहां दर्शन कर गणेश जी से कुछ मांगा जाये तो मनोकामना कभी निष्फल नहीं जाती है। भक्तो का मनाना है की हमने जितने घर बनाये भगवान गणेश ने उतनी घर हमें दिए है।
आज के वैज्ञानिक युग में इस प्रकार की बातें बेमानी सी लगती है लेकिन आस्था व श्रद्धा के आगे विज्ञान में घुटने टेकता है जहां पर विज्ञान के शोध समाप्त होते हैं वहां से आरम्भ होते भगवान की चमत्कारए और इसी का परिणाम है कि आज भी आस्था व श्रद्धा के वशीभूत भगवान भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा भी करते हैं और ऐसा ही कुछ हो रहा है जैसलमेर के चूंधी गणेश जी के मंदिर में जहां मंदिर परिसर के पास बने सैकडों की संख्या में छोटे छोटे मकान यह गवाही दे रहे हैं कि भगवान है और वे भक्तों की मनोकामना पूर्ती के लिये हरपल तैयार रहते हैं। चूंधीगणेशजी के भक्तों की माने तो यहां आने वाले दर्शनार्थी अपनी विभिन्न मनोकामनाओं के साथ यहां आते हैं और गजानन्द जी उनकी मनोकामनाओं को निश्चित ही पूरा करते हैंए मान्यता है कि मन में सच्ची श्रद्धा के साथ अगर यहां दर्शन कर गणेश जी से कुछ मांगा जाये तो मनोकामना कभी निष्फल नहीं जाती है। भक्तो का मनाना है की हमने जितने घर बनाये भगवान गणेश ने उतनी घर हमें दिए है।
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