बाड़मेर। महंगाई की मार, सब्जी की जगह कढ़ी, नहीं तो दे दाल में पानी
बाड़मेर। बारिश नहीं होने और सब्जियों के दाम आसमान छूने से जिले के विद्यालयों में मिड डे मील के तहत पोषाहार के मैन्यू की पालना करना मुश्किल हो गया है। अब दाल की जगह कढ़ी बनने लगी है और दाल में दाल कम और पानी ज्यादा डालना पड़ रहा है। सब्जियों के 30 से 60 रुपए प्रति किलो के दाम हैं और बरसात नहीं होने से देसी सब्जियां भी नहीं हुई है। एेसे में पोषाहार के लिए दी जा रही राशि में पोषाहार पकाना मुश्किल हो रहा है।
यह है मैन्यूसोमवार : रोटी, सब्जी व फल
मंगलवार : चावल, दाल या नमकीन चावल
बुधवार : रोटी दाल
गुरुवार : चावल, दाल या नमकीन चावल
शुक्रवार : रोटी, दाल
शनिवार : रोटी, सब्जी
यह पालना जरूरीप्रति विद्यार्थी प्राथमिक कक्षा में 10 ग्राम और उच्च प्राथमिक में 12 ग्राम तेल, प्राथमिक में 50 और उच्च प्राथमिक में 75 ग्राम सब्जी तथा प्राथमिक में 30 और उच्च प्राथमिक में 50 ग्राम दाल प्रति विद्यार्थी।
मुश्किल से हो रहे हैं पूरे प्राथमिक कक्षाओं के लिए 4.48 रुपए प्रति विद्यार्थी और उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए 6.18 रुपए प्रति विद्यार्थी दिए जाते हैं। इस राशि में गैस का खर्च, मसाले, सब्जियों का व्यय शामिल है।
बनाने वाली भी परेशान पोषाहार पकाने वाली महिलाओं को 1000 रुपए मासिक दिए जा रहे हैं। मनरेगा से भी कम मजदूरी में कार्य करने वाली इन महिलाओं को प्रतिदिन 50 से अधिक बच्चों का खाना बनाना पड़ता है। इतनी मेहनत के बावजूद इन्हें मेहनताना नाममात्र ही मिल रही है।
मैन्यू की पालना मुश्किलबारिश नहीं होने से देसी सब्जियां नहीं हुई है। बाजार की सब्जियों के दाम ज्यादा है। इस कारण मैन्यू की पालना मुश्किल हो गई है। शिक्षक इससे परेशान हैं।
शेरसिंह भुरटिया, जिलाध्यक्ष, शिक्षक संघ प्राथमिक-माध्यमिक
यह है मैन्यूसोमवार : रोटी, सब्जी व फल
मंगलवार : चावल, दाल या नमकीन चावल
बुधवार : रोटी दाल
गुरुवार : चावल, दाल या नमकीन चावल
शुक्रवार : रोटी, दाल
शनिवार : रोटी, सब्जी
यह पालना जरूरीप्रति विद्यार्थी प्राथमिक कक्षा में 10 ग्राम और उच्च प्राथमिक में 12 ग्राम तेल, प्राथमिक में 50 और उच्च प्राथमिक में 75 ग्राम सब्जी तथा प्राथमिक में 30 और उच्च प्राथमिक में 50 ग्राम दाल प्रति विद्यार्थी।
मुश्किल से हो रहे हैं पूरे प्राथमिक कक्षाओं के लिए 4.48 रुपए प्रति विद्यार्थी और उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए 6.18 रुपए प्रति विद्यार्थी दिए जाते हैं। इस राशि में गैस का खर्च, मसाले, सब्जियों का व्यय शामिल है।
बनाने वाली भी परेशान पोषाहार पकाने वाली महिलाओं को 1000 रुपए मासिक दिए जा रहे हैं। मनरेगा से भी कम मजदूरी में कार्य करने वाली इन महिलाओं को प्रतिदिन 50 से अधिक बच्चों का खाना बनाना पड़ता है। इतनी मेहनत के बावजूद इन्हें मेहनताना नाममात्र ही मिल रही है।
कढ़ी बनाने पर जोरग्रामीण क्षेत्रों में अमूमन इन दिनों में बारिश हो जाती है। बारिश में स्थानीय सब्जियां पनपने पर शिक्षकों को इसके ज्यादा दाम नहीं चुकाने पड़ते। अभी बारिश नहीं होने से यह सब्जियां नहीं हुई है। बाजार में लगभग सारी सब्जियां 30 से 60 रुपए प्रति किलोग्राम आ रही है।
लिहाजा इन सब्जियों को मैन्यू में शामिल करने पर खर्चा ज्यादा हो जाता है। इस कारण ग्रामीण कढ़ी बनाने पर जोर दे रहे हैं। गांवों में छाछ पांच-दस रुपए किलोग्राम में मिल जाती है। कई बार इससे सस्ते में भी सुलभ होने पर दाल की जगह अब कढ़ी मैन्यू का हिस्सा बन रही है। इसके अलाव दाल में पानी डालने पर जोर दिया जा रहा है।
लिहाजा इन सब्जियों को मैन्यू में शामिल करने पर खर्चा ज्यादा हो जाता है। इस कारण ग्रामीण कढ़ी बनाने पर जोर दे रहे हैं। गांवों में छाछ पांच-दस रुपए किलोग्राम में मिल जाती है। कई बार इससे सस्ते में भी सुलभ होने पर दाल की जगह अब कढ़ी मैन्यू का हिस्सा बन रही है। इसके अलाव दाल में पानी डालने पर जोर दिया जा रहा है।
मैन्यू की पालना मुश्किलबारिश नहीं होने से देसी सब्जियां नहीं हुई है। बाजार की सब्जियों के दाम ज्यादा है। इस कारण मैन्यू की पालना मुश्किल हो गई है। शिक्षक इससे परेशान हैं।
शेरसिंह भुरटिया, जिलाध्यक्ष, शिक्षक संघ प्राथमिक-माध्यमिक
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