बाड़मेर। विभाग की नाक के नीचे शहर में पनपा जलमाफिया?
बाड़मेर। शहर में जलदाय विभाग की नाक के नीचे जलमाफिया पनप गए, जिसकी विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को हवा भी नहीं लगी। दस दिन पहले नगर परिषद की बैठक में सांसद व विधायक की मौजूदगी में जलमाफिया का मुद्दा जोर-शोर से उठा तो इसकी पोल खुली।
सांसद ने इसे गंभीरता लिया तो विभागीय अधिकारियों के पास कार्रवाई के सिवाय कोई रास्ता ही नहीं बचा। विभाग ने शनिवार को बलदेव नगर, शास्त्री नगर व शिव नगर में 17 अवैध कनेक्शन काट इसकी शुरुआत की, लेकिन जो कार्रवाई हुई, वह ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है। अवैध कनेक्शन का मकडज़ाल शहर की कच्ची बस्तियों में इस कदर है कि जलदाय विभाग एक महीना तक निरंतर कार्रवाई करे, तब भी पूरे अवैध कनेक्शन शायद ही साफ हो पाएं।
विभागीय कारिंदों से कुछ नहीं छुपा
अंदेशा है कि ट्रैक्टर टंकियों के जरिए शहर में पानी की आपूर्ति करने वाले जलमाफिया व विभागीय कारिंदों के बीच मिलीभगत के चलते पानी का अवैध कारोबार फल-फूल गया है। पानी का अवैध कारोबार करने वालों ने अपने खाली भूखण्डों में बड़े-बड़े टांके बना रखे हैं।
इन टांकों में उन्होंने अवैध कनेक्शन कर रखे हैं। ये कनेक्शन करीब ढाई इंच के हैं। जबकि जलदाय विभाग की ओर से किए जाने वाले विधिवत कनेक्शन आधा इंच के होते हैं। जानकारों की मानें तो ये कनेक्शन विभागीय कारिंदों से छिपे हुए नहीं हैं। अधिकांश कनेक्शन कारिंदों की शह पर ही हो रखे हैं।
कनेक्शन गिरोह सक्रिय
पानी का अवैध कारोबार करने वालों को जलदाय विभाग की लाइनों से चोरी-छुपे कनेक्शन देने के मामले में एक गिरोह सक्रिय है। गिरोह से जुड़े 7-8 जने महज 2 हजार रुपए लेकर विभागीय लाइनों से अवैध कनेक्शन कर देते हैं। हालांकि निचले स्तर के विभागीय कारिंदों से न तो ऐसे कनेक्शन छुपे हुए हैं, ना ही कनेक्शन करने वाले अपरिचित हैं। लेकिन उनकी मौन सहमति व मिलीभगत से ये खेल धड़ल्ले से लम्बे अरसे से चल रहा है।
रातभर पानी की आपूर्ति
शहर में असमान जल वितरण की शिकायत लम्बे अरसे से है। जिन बस्तियों से अवैध कारोबार होता है, वहां पर जलदाय विभाग का जल वितरण का तरीका संदेह के दायरे में है। इन बस्तियों में आमतौर पर 10 दिन में एक बार जलापूर्ति होती है, जो रात बारह-एक बजे से लेकर सुबह छह-सात बजे तक जारी रहती है।
घरेलू उपभोक्ताओं के सोने के बाद रात भर होने वाली इस जलापूर्ति का नतीजा यह रहता है कि सभी उपभोक्ता आपूर्ति से लाभान्वित नहीं हो पाते और जलमाफियों के टांके भर जाते हैं। फिर उन्हीं टांकों से ट्रैक्टर टंकियां भरकर चांदी कूटी जाती है।
300 से 400 रुपए में टंकी
ट्रैक्टर की एक टंकी 300 से 400 रुपए में बेची जाती है। जलमाफियों के यहां बने एक टांके में 60 टंकी पानी आ जाता है। इन्होंने ऐसे तीन-तीन टांके बना रखे हैं। दस दिन में बड़े जलमाफिया आसानी से सरकारी पानी से डेढ़ से दो लाख रुपए कमा लेते हैं।
बाड़मेर में नहरी पानी की आपूर्ति शुरू होने के बाद से शुरू हुआ यह गोरखधंधा इन दिनों चरम पर है। इस गोरखधंधे में कुछ छुटभैये जनप्रतिनिधियों से लेकर मोहल्ला स्तर पर प्रभाव रखने वाले लोग भी शामिल हैं। सीधे तौर पर इनकी शिकायत करने वाला कोई नहीं है, लेकिन दबी जुबान में भेद खोलने वाले कई हैं।
पत्रिका व्यू: जिम्मेदारों के खिलाफ हो कार्रवाई
पानी का गोरखधंधा करने वालों के खिलाफ सीधी कार्रवाई के साथ-साथ जिम्मेदारों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। जिस क्षेत्र से पानी का अवैध कारोबार हो रहा है, उस क्षेत्र की जिम्मेदारी संभालने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ जब तक कार्रवाई नहीं होगी, इस गोरखधंधे पर अंकुश नहीं लगेगा।
जलदाय विभाग के अधिकारियों के भरोसे इस कार्य को छोडऩे की बजाय जिला प्रशासन को इसमें सक्रिय भूमिका निभानी होगी। जिला कलक्टर की निगरानी में होने वाली साप्ताहिक समीक्षा बैठक में इस विषय पर गंभीरता से मंथन कर प्रभावी कार्ययोजना बनाकर आम जनता को पीने का पानी व जलमाफिया के चंगुल से मुक्ति दिलाई जा सकती है।
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