प्रदेश में कितने हैं लापता बच्चे, कितने फीसदी मामलों में हुई बरामदगी : हाईकोर्ट
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि प्रदेश में कितने बच्चे लापता चल रहे हैं। इसके अलावा अदालत ने यह भी बताने को कहा है कि कितने फीसदी मामलों में लापता बच्चों की बरामदगी हो रही है।
मुख्य न्यायाधीश नवीन सिन्हा और न्यायाधीश अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने यह आदेश कोटा शहर से पिछले दस सालों में लापता हुए बच्चों के मामले में प्रहलाद सिंह चड्डा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने सरकार से पूछा है कि लापता बच्चों की बरामदगी के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और बरामदगी के लिए भविष्य में क्या कदम प्रस्तावित हैं।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला केवल कोटा के तीन पुलिस थानों का ही नहीं है, बल्कि प्रदेश के हर थानों से जुडा हुआ है। इसके साथ ही अदालत ने महाधिवक्ता को जवाब पेश करने के लिए सितंबर माह के पहले सप्ताह तक का समय दिया है।
याचिका में कहा गया कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी के अनुसार कोटा के जवाहरनगर, गुमानपुरा और दादाबाडी पुलिस थाना इलाके से 2005 से 2015 की अवधि में आठ सौ से अधिक लोग लापता हुए हैं, जिसमें अधिकांश नाबालिग लडकियां हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस की शह पर संगठित गिरोह मानव तस्करी में लगा हुआ है। गिरोह की ओर से नाबालिगों को तस्करी के जरिए खास तौर पर खाडी देशों में भेजा जा रहा है। पुलिस को इसकी जानकारी होने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार से शपथ पत्र पेश कर प्रदेश स्तर पर लापता बच्चों के संबंध में जानकारी पेश करने को कहा है।
जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि प्रदेश में कितने बच्चे लापता चल रहे हैं। इसके अलावा अदालत ने यह भी बताने को कहा है कि कितने फीसदी मामलों में लापता बच्चों की बरामदगी हो रही है।
मुख्य न्यायाधीश नवीन सिन्हा और न्यायाधीश अजय रस्तोगी की खंडपीठ ने यह आदेश कोटा शहर से पिछले दस सालों में लापता हुए बच्चों के मामले में प्रहलाद सिंह चड्डा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने सरकार से पूछा है कि लापता बच्चों की बरामदगी के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और बरामदगी के लिए भविष्य में क्या कदम प्रस्तावित हैं।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला केवल कोटा के तीन पुलिस थानों का ही नहीं है, बल्कि प्रदेश के हर थानों से जुडा हुआ है। इसके साथ ही अदालत ने महाधिवक्ता को जवाब पेश करने के लिए सितंबर माह के पहले सप्ताह तक का समय दिया है।
याचिका में कहा गया कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी के अनुसार कोटा के जवाहरनगर, गुमानपुरा और दादाबाडी पुलिस थाना इलाके से 2005 से 2015 की अवधि में आठ सौ से अधिक लोग लापता हुए हैं, जिसमें अधिकांश नाबालिग लडकियां हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस की शह पर संगठित गिरोह मानव तस्करी में लगा हुआ है। गिरोह की ओर से नाबालिगों को तस्करी के जरिए खास तौर पर खाडी देशों में भेजा जा रहा है। पुलिस को इसकी जानकारी होने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार से शपथ पत्र पेश कर प्रदेश स्तर पर लापता बच्चों के संबंध में जानकारी पेश करने को कहा है।
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