अजमेर।स्कूलों पर डंडा.. फीस बढ़ाई तो सीबीएसई खत्म कर देगा मान्यता, लग जाएंगे ताले
हर साल फीस बढ़ाकर अभिभावकों की जेब ढीली करने वाले स्कूलों के खिलाफ सीबीएसई कार्रवाई करेगा। नियमों की अवहेलना पर बोर्ड ऐसे स्कूलों की सम्बद्धता समाप्त करेगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश बोर्ड की सम्बद्धता शाखा ने निर्देश जारी किए हैं।
देशभर में प्राइवेट और पब्लिक स्कूल हर साल महंगाई और खर्चों के नाम मनमानी फीस बढ़ोतरी कर रहे हैं। फीस के अलावा कई स्कूल अभिभावकों को किताबें-कॉपियां, ड्रेस खरीदने को भी बाध्य कर रहे हैं। स्कूलों की फीस बढ़ोतरी को लेकर विभिन्न शहरों में अभिभावकों ने कई बार विरोध जताया, पर संबंधित प्रदेशों की सरकार और शिक्षा विभाग ने कार्रवाई नहीं की। राजस्थान में बीते दिनों सरकार ने फीस निर्धारण समिति का गठन जरूर किया। स्कूलों की मनमानी फीस वसूली की शिकायतों को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने गंभीरता से लिया। मंत्रालय ने सीबीएसई को तत्काल स्कूलों को निर्देश जारी करने को कहा है।
...तो तुरन्त खत्म होगी सम्बद्धता
सीबीएसई के निदेशक सम्बद्धता ने स्कूलों को निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है, कि सम्बद्धता नियम 11.3 के तहत स्कूलों को फीस बढ़ोतरी से पहले समिति में शामिल अभिभावकों व प्रतिनिधियों से बातचीत करनी जरूरी होगी। सत्र के बीच में कोई स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकेगा। इसकी शिकायत मिलने पर बोर्ड नियम 13.10 के तहत स्कूलों की ऑडिट रिपोर्ट देखकर तत्काल स्कूलों की सम्बद्धता समाप्त करेगा।
वसूला जाएगा जुर्माना
नियम 11.1 के तहत सीबीएसई जुर्माना भी वसूलेगा। इसके तहत उपनियम (1) में किसी स्कूल प्रबंधन/व्यक्ति द्वारा कैपिटेशन फीस वसूलने पर कैपिटशन फीस का दस गुना जुर्माना लिया जाएगा। उपनियम (2) में विद्यार्थियों की स्क्रीनिंग करने पर जुर्माना लिया जाएगा। इसमें पहली बार में 25 हजार और दूसरी बार में 50 हजार जुर्माना वसूला जाएगा। इस नियम में स्कूलों द्वारा विद्यार्थियों के प्रवेश अथवा अन्य किसी मद में कैपिटेशन फीस और डोनेशन लेने पर भी सख्त कार्रवाई होगी।
व्यवसाय नहीं है शिक्षा
मानव संसाधन विकास मंत्रालय और सीबीएसई ने स्कूलों को जारी निर्देश में कहा कि शिक्षा सामाजिक विकास के लिए है। विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण और सर्व संसाधन युक्त शिक्षा मुहैया कराना स्कूलों की जिम्मेदारी है। शिक्षा कोई यह व्यवसाय नहीं है।
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