बाड़मेर। 36 साल का बाबू, 2.5 फीट कद और पहाड़ जैसी मुश्किलें
बाड़मेर.पहली बार देखते ही आंखें विस्मित हो जाती हैं, महज ढाई फीट के बच्चे जैसा नजर आने वाला बाबू चेहरे से तो बड़ी उम्र का लगता है। पूछा तो बताया कि 36 साल का है। बड़े भाई ने उसे गोद में उठा रखा था और वह कुछ भी नहीं बोल रहा था। उसकी जीभ पर चोट लगी है और शारीरिक दुर्बलता से निढाल हो रहा था। 41 वर्षीय बड़े भाई ने 36 साल के अपने छोटे भाई को गोद में उठा रखा था और वह कह रहा था कि मैं मजदूर हूं और इसका इलाज करवाने की मेरी हैसियत नहीं है। कुछ सरकारी-गैर सरकारी मदद हो, इसलिए आया हूं।
खुडासा गांव का बाबू पुत्र शंभूराम जाट संभवत: जिले में सबसे बौना है। अक्सर बौने लोग हंसते-खेलते नजर आते हैं, लेकिन बाबू के साथ एेसा नहीं है। वह बौना होने के साथ बीमार भी है। उसके पेट में कोई रोग है। बड़ा भाई सुजानाराम कहता है कि आंतें बाहर आ जाती हैं। वह अपने भाई के साथ उसकी गोद में ही रहता है या फिर घर पहुंचते ही अपनी बूढ़ी मां के साथ।
भाई सुजानाराम मजदूर है। मां बूढ़ी हो गई है। सुजानाराम का अपना परिवार भी है। वह छोटे भाई के उपचार और उसके जीवन यापन के लिए कुछ एेसा प्रबंध चाहता है कि उसकी चिंता न रहे। उसकी मां भी यही चाहती है, इसलिए सुजानाराम बार-बार जिला कलक्टर के दर पर पहुंच अर्जियां दे रहा है। कई बार मदद की गुहार कर चुके सुजानाराम का कहना है कि 500 रुपए की पेंशन मासिक मिलती है। इससे थोड़ा सहारा मिलता है, लेकिन उसके उपचार के लिए बड़े अस्पताल जाना है। प्रतिदिन बाबू आंतें बाहर आने और पेट की बीमारियों से परेशान रहता है। यह इतना मासूम है कि तकलीफ देखते ही नहीं बनती, लेकिन क्या करें? हमारी इतनी हैसियत नहीं कि इसके इलाज को बड़े अस्पताल जाएं।
बाबू की हंसी लौटानी है
सुजानाराम बताता है कि बाबू कम उम्र में काफी चंचल और नटखट था, लेकिन उम्र बढऩे के साथ उसका कद नहीं बढ़ा। इसके बाद वह बीमारियों से परेशान होने लगा। एेसे में उसे गोद में उठाकर साथ-साथ रखना पड़ता है। उसका उपचार हो जाए तो हो सकता है उसकी हंसी लौट आए।
अर्जियों पर कोई ध्यान नहीं देता
सुजानाराम सोमवार को 5वीं बार कलक्ट्रेट आया। उसका कहना है कि हर बार यहां दो-ढाई घंटे इंतजार करता हूं। अर्जी लेकर साहब आगे दूसरे विभाग जाने को कहते हैं। वहां पहुंचने पर भी कोई सही जवाब नहीं मिलता। परेशान हो रहा हूं।
मदद के लिए प्रयास करेंगे
अपने भाई के साथ सुजानाराम मुझसे मिला था। बीमार है, उपचार के लिए मदद मांगी है। साथ ही वह आर्थिक सहायता चाह रहा था। बीपीएल कार्ड नहीं बना है। इसके लिए प्रयास किए जाएंगे और सहायता दिलवाई जाएगी।
- सुधीरकुमार शर्मा, जिला कलक्टर, बाड़मेर
बाड़मेर.पहली बार देखते ही आंखें विस्मित हो जाती हैं, महज ढाई फीट के बच्चे जैसा नजर आने वाला बाबू चेहरे से तो बड़ी उम्र का लगता है। पूछा तो बताया कि 36 साल का है। बड़े भाई ने उसे गोद में उठा रखा था और वह कुछ भी नहीं बोल रहा था। उसकी जीभ पर चोट लगी है और शारीरिक दुर्बलता से निढाल हो रहा था। 41 वर्षीय बड़े भाई ने 36 साल के अपने छोटे भाई को गोद में उठा रखा था और वह कह रहा था कि मैं मजदूर हूं और इसका इलाज करवाने की मेरी हैसियत नहीं है। कुछ सरकारी-गैर सरकारी मदद हो, इसलिए आया हूं।
खुडासा गांव का बाबू पुत्र शंभूराम जाट संभवत: जिले में सबसे बौना है। अक्सर बौने लोग हंसते-खेलते नजर आते हैं, लेकिन बाबू के साथ एेसा नहीं है। वह बौना होने के साथ बीमार भी है। उसके पेट में कोई रोग है। बड़ा भाई सुजानाराम कहता है कि आंतें बाहर आ जाती हैं। वह अपने भाई के साथ उसकी गोद में ही रहता है या फिर घर पहुंचते ही अपनी बूढ़ी मां के साथ।
भाई सुजानाराम मजदूर है। मां बूढ़ी हो गई है। सुजानाराम का अपना परिवार भी है। वह छोटे भाई के उपचार और उसके जीवन यापन के लिए कुछ एेसा प्रबंध चाहता है कि उसकी चिंता न रहे। उसकी मां भी यही चाहती है, इसलिए सुजानाराम बार-बार जिला कलक्टर के दर पर पहुंच अर्जियां दे रहा है। कई बार मदद की गुहार कर चुके सुजानाराम का कहना है कि 500 रुपए की पेंशन मासिक मिलती है। इससे थोड़ा सहारा मिलता है, लेकिन उसके उपचार के लिए बड़े अस्पताल जाना है। प्रतिदिन बाबू आंतें बाहर आने और पेट की बीमारियों से परेशान रहता है। यह इतना मासूम है कि तकलीफ देखते ही नहीं बनती, लेकिन क्या करें? हमारी इतनी हैसियत नहीं कि इसके इलाज को बड़े अस्पताल जाएं।
बाबू की हंसी लौटानी है
सुजानाराम बताता है कि बाबू कम उम्र में काफी चंचल और नटखट था, लेकिन उम्र बढऩे के साथ उसका कद नहीं बढ़ा। इसके बाद वह बीमारियों से परेशान होने लगा। एेसे में उसे गोद में उठाकर साथ-साथ रखना पड़ता है। उसका उपचार हो जाए तो हो सकता है उसकी हंसी लौट आए।
अर्जियों पर कोई ध्यान नहीं देता
सुजानाराम सोमवार को 5वीं बार कलक्ट्रेट आया। उसका कहना है कि हर बार यहां दो-ढाई घंटे इंतजार करता हूं। अर्जी लेकर साहब आगे दूसरे विभाग जाने को कहते हैं। वहां पहुंचने पर भी कोई सही जवाब नहीं मिलता। परेशान हो रहा हूं।
मदद के लिए प्रयास करेंगे
अपने भाई के साथ सुजानाराम मुझसे मिला था। बीमार है, उपचार के लिए मदद मांगी है। साथ ही वह आर्थिक सहायता चाह रहा था। बीपीएल कार्ड नहीं बना है। इसके लिए प्रयास किए जाएंगे और सहायता दिलवाई जाएगी।
- सुधीरकुमार शर्मा, जिला कलक्टर, बाड़मेर
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