सोमवार, 9 मई 2016

जोधपुर पंचों की दादागिरी ने रौंदे जोधपुर की इस बालिका वधु के सपने



जोधपुर पंचों की दादागिरी ने रौंदे जोधपुर की इस बालिका वधु के सपनेVIDEO: पंचों की दादागिरी ने रौंदे जोधपुर की इस बालिका वधु के सपने
बाल विवाह मुक्ति में जातीय पंचों की दादागिरी और उनकी जिद एक बालिका वधु के सपनों को पूरा करने में बाधक बन चुकी है। जोधपुर जिले के पीपाड़ तहसील क्षेत्र निवासी सत्रह वर्षीय बालिका 'प्रीति' (नाम परिवर्तित ) का विवाह नानी के मौसर पर वर्ष 2007 में मात्र 8 साल की उम्र में डांगियावास थाने के खेड़ी सलवा मच्छरों की ढाणी निवासी माधु से कर दिया गया। तीसरी कक्षा की छात्रा उस समय भी वह खूब रोई लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी।


इस वर्ष 12 वीं की परीक्षा दे चुकी है। वर्ष 1999 में 11 जून को जन्मी 'प्रीति' आगे अध्ययन जारी रखते हुए टीचर बनना चाहती है लेकिन पिछले दो साल से उसे ससुराल भेजने का दबाव बढ़ता जा रहा है। जातीय पंचों की जिद और ससुराल पक्ष व निकटतम परिजनों का निरंतर दबाव उसके सुनहरे भविष्य में बाधक बनता जा रहा है।

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पिछले माह एक अप्रेल को 50 से अधिक जाति पंचों ने प्रीति के पिता को बुलाकर कहा कि या तो 'प्रीति' को ससुराल भेज दो या 9 लाख का जुर्माना भर दो। मजदूर पापा और मां पर लगातार मामा का दबाव देखते हुए प्रीति ने तय किया कि ससुराल चली जाएगी। आखिरकार 16 अप्रेल को ससुराल पक्ष के लोग प्रीति को लेने घर पहुंचे। पिता ने 'प्रीति' के ससुराल पक्ष के लोगों से विनती की कि प्रीति आगे पढऩा चाहती है।

लेकिन ससुराल वालों ने कहा कि हमें इससे नौकरी थोड़ी करवानी है। हम तो सिर्फ घर और खेत का ही काम करवाएंगे। यह सुनकर पिता को अहसास हुआ कि बेटी को ले जाने से पहले ही एेसी बातें कर रहे है तो उसके भविष्य का क्या होगा। यह सोच कर उन्होंने 'प्रीति' को भेजने से इन्कार किया तो ससुराल वाले नाराज होकर चले गए।

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बेटी को उठाकर ले जाने की धमकियां

प्रीति के ससुराल पक्ष के लोग प्रीति के पिता को करीब एक माह से लगातार धमकियां दे रहे है कि बेटी को ससुराल भेज दो नहीं तो हम उठाकर ले जाएंगे। अन्यथा 9 लाख का जुर्माना भरने की धमकियों से पूरा परिवार खौफ में है।




अब शादी के शून्यकरण की अर्जी

प्रीति ने तय किया कि 8 साल की उम्र में हुई शादी को वह नहीं मानती है। वह अपनी बचपन की शादी का शून्यकरण करवाने के लिए अप्रेल में न्यायालय में दरख्वास्त लगा चुकी है। तनाव से निजात पाने के लिए जिला कलक्टर व महिला अधिकारिता कमिश्नर जयपुर को प्रार्थना पत्र दिया है।

परिणामस्वरूप प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई कर माता पिता को पाबंद किया कि वे किसी भी हालत में बेटी को ससुराल नहीं भेजे। परेशानी होने पर पुलिस को फोन करे। प्रशासनिक कार्रवाई के बाद ससुराल पक्ष वालों की लगातार धमकियों के कारण प्रीति ने सोमवार को पुन: जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर परिवार एवं खुद की सुरक्षा की गुहार तथा बाल विवाह को शुन्यकरण करने की मांग की है।

जरूरी सुरक्षा मुहैया मिले

विकल्प संस्थान की कार्यक्रम निदेशक उषा ने सोमवार को प्रेस वार्ता में कहा बाल विवाह कानूनन अपराध होने के बावजूद बड़ी तादाद में बाल विवाह होने का प्रमुख कारण प्रथा को सामाजिक स्वीकारोक्ति और दूसरा जाति पंचों का दबाव भी है।

यदि कोई परिवार अपने बच्चों के निर्णयों को मानकर उस विवाह को शुन्यकरण करवाना चाहे तो जाति पंच उस परिवार को जाति से बाहर करने और लाखों का जुर्माना भरने के लिए प्रताडित करते है।

नतीजन अधिकतर परिवार और लड़कियां जीवन भर बेमेल रिश्ते को घुट घुटकर निभाने को मजबूर हो जाती है। उन्होंने बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने वाली लड़कियों को जरूरी सुरक्षा और सरकारी सुविधा देने की आवश्यकता बताई।

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