सोमवार, 25 अप्रैल 2016

झालावाड़ बाल विवाह की रोकथाम समाज के सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक - कार्यकारी जिला एवं सत्रा न्यायाधीश



झालावाड़ बाल विवाह की रोकथाम समाज के सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक

- कार्यकारी जिला एवं सत्रा न्यायाधीश


झालावाड़ 25 अप्रेल। कार्यकारी जिला एवं सेशन न्यायाधीश तिरूपति कुमार गुप्ता ने कहा है कि बाल विवाह की रोकथाम समाज के सर्वांगीण विकास के लिये आवश्यक है।

श्री गुप्ता आज जिला कलेक्ट्रट सभागार मंे बाल विवाह की रोकथाम के लिए किये जाने वाले उपायों की तैयारियों हेतु जिला प्रशासन द्वारा आयोजित बैैठक को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बाल विवाह करवाने के दोषी व्यक्ति को 2 साल तक की कैद तथा 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि नाबालिग लड़की के विवाह के कन्ज्यूम होने के मामले मंे पोक्सो एक्ट के तहत न्यूनतम 10 साल की कैद का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह प्रतिशेध अधिनियम 2006 हर जाति, धर्म, समाज एवं व्यक्ति पर लागू है। इस एक्ट के अन्तर्गत अपराध करने वाला तथा अपराध को होते हुए देखकर मौन रहने वाला दोनों ही कानून की निगाह मंे अपराधी हैं। अतः माता-पिता के साथ-साथ परिवार के सदस्य, रिश्तेदार, पास पडौस के व्यक्ति, गांव मंे रहने वाले अन्य मुख्य व्यक्ति, सरकारी कर्मचारी, जनप्रतिनिधि आदि भी इस एक्ट के दायरे मंे आते हैं। इनके साथ शादी का काम करवाने वाले नाई, बैण्ड बाजे वाले, पण्डित, मौलवी, काजी, हलवाई, सजावट वाले, परिवहन सेवा उपलब्ध कराने वाले, वैवाहिक निमन्त्राण छापने वाले, फोटोग्राफर, शादी मंे सम्मिलित होने वाले सभी व्यक्ति इस एक्ट के प्रावधानों के अन्तर्गत आते हैं।

श्री गुप्ता ने कहा कि बाल विवाह शून्यीकरण विवाह है यदि अल्प व्यस्क का विवाह हुआ है तो दो वर्ष तक की अवधि मंे उस विवाह को किसी भी कोर्ट से नल एण्ड व्हाईट घोषित कराया जा सकता है तथा नाबालिग के व्यस्क होने पर उसके विवाह का खर्चा वर द्वारा एवं वर के अवयस्क होने पर उसके माता-पिता द्वारा वहन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम मंे किशोर की आयु निर्धारण का क्रम निश्चित है। सबसे पहला प्रमाण बालक के प्रथम बार स्कूल मंे प्रवेश के समय अंकित तिथि को माना जाता है। उसके बाद मेट्रीकुलेशन के प्रमाण पत्रा मंे दर्ज आयु को दूसरा प्रमाण माना जाता है। तीसरे प्रमाण के रूप मंे अधिकृत संस्था द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्रा को माना जाता है तथा चौथे प्रमाण के रूप मंे चिकित्सक द्वारा जांच के बाद जारी प्रमाण पत्रा को माना जाता है। अतः कोई भी चिकित्सक किसी भी नाबालिग को आयु प्रमाण पत्रा जारी करके बाल विवाह करवाने मंे सहायक बनने का अपराध न करे।

बैठक को सम्बोधित करते हुए मुख्य न्यायिक अधिकारी एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्णकालिक सचिव दीपक दुबे ने कहा कि बाल विवाह कच्चे घड़े मंे पानी भरने जैसा है। छोटे बच्चे कच्चे घड़े के समान है यदि उनका विवाह किया जायेगा तो वे शारीरिक, बौद्धिक, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से प्रगति नहीं कर पायेंगे। किसी भी समाज मंे सामाजिक स्वीकार्यता के बिना विवाह होना सम्भव नहीं है। अतः यदि किसी परिवार मंे या गांव मंे बाल विवाह होता है तो केवल नाबालिग के माता-पिता को दोषी ठहराया जाना उचित नहीं है। समाज के बहुत से लोगों का उसमंे योगदान होता है। सामुहिक विवाह सम्मेलनों मंे भी प्रायः कुछ बाल विवाह होते हुए देखे गए हैं। उन्होंने कहा कि पण्डित, काजी तथा अन्य धार्मिक व्यक्ति नाबालिग की शादी न करायें। उन्होंने कहा कि जिले मंे 17 अप्रेल से 24 मई तक बाल विवाह के दुष्परिणामों एवं कानूनी प्रावधानों की जानकारी देने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा एक वैन जिले के समस्त गांवों एवं ढाणियों मंे धुमायी जा रही है। उन्होंने प्रिन्टिंग प्रेस के मालिकों से कहा कि वे वैवाहिक निमन्त्राण पत्रा पर दुल्हा-दुल्हन की आयु अवश्य अंकित करें।

जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने कहा कि यदि किसी गांव मंे बाल विवाह सम्पन्न हो जाता है तो उस गांव के पटवारी, ग्राम सेवक, कृषि पर्यवेक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी, साथिन, प्रचेता, एएनएम एवं अन्य सरकारी कर्मचारियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जायेगी एवं उस क्षेत्रा के तहसीलदार, उपखण्ड अधिकारी तथा पुलिस अधिकारी को लापरवाही का दोषी माना जायेगा। जिला कलक्टर ने कहा कि उपखण्ड अधिकारी को बाल विवाह प्रतिशेंध अधिकारी नियुक्त किया हुआ है

उन्होंने कहा कि प्रिन्टिंग प्रेस वैवाहिक निमंत्राण पत्रों की एक प्रति संबंधित उपखण्ड अधिकारी के कार्यालय में अनिर्वाय रूप से प्रस्तुत करें। बाल विवाह के आयोजन किये जाने की स्थिति में बाल विवाह प्रतिशेध अधिनियम 2006 की धारा 16 के तहत नियुक्त बाल विवाह प्रतिशेध अधिकारियों (उपखण्ड मजिस्ट्रेट) की जवावदेही नियत की गई है। जिले में होने वाले सामूहिक विवाह सम्मेलनों के आयोजन सामूहिक विवाह में पंजीबद्ध होने वाले जोड़ो (वर-वधू) की जन्म तिथि बाबत रिकार्ड लेंगे, संधारण करेंगे एवं समस्त संकलित सूचना संबंधित उपखण्ड अधिकारी को सामूहिक विवाह के आयोजन की तिथि से 7 दिवस पूर्व दिया जाना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि 9 मई को अक्षय तृतीया तथा 21 मई को पीपल पूर्णिमा के अवसर पर अबूझ सावे होने से बाल विवाह के आयोजन की आशंका रहती है जो कि बालक-बालिकाओं के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है तथा बाल विवाह प्रतिशेध अधिनियम 2006 के अनुसार विवाह योग्य लड़के की आयु 21 वर्ष एवं लड़की की आयु 18 वर्ष होना अनिर्वाय है। बाल विवाह को रोकने के लिए उप निदेशक महिला एवं बाल विकास झालावाड़ को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा चौबीसों घण्टे कार्यरत रहने वाला नियन्त्राण कक्ष आरम्भ किया गया है। जिसमंे कोई भी व्यक्ति 07432-230645 एवं 230646 पर बाल विवाह के आयोजन की आशंका सम्बन्धी शिकायत किसी भी समय दर्ज करा सकता है। उसकी पहचान गुप्त रखी जायेगी। जिला कलक्टर ने बैठक मंे उपस्थित उपखण्ड अधिकारियों, तहसीलदारों तथा विकास अधिकारियों से कहा कि रात्रि के समय मंे भी यदि बाल विवाह की सूचना मिलती तो तत्काल उसी समय कार्यवाही करें तथा वर अथवा वधू एवं उनके परिजनों द्वारा अनुकम्पा करने की गुहार लगाई जाती है तो भी किसी भी हालत मंे बाल विवाह न होने दें। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसी भी देखने मंे आया है कि अधिकारियों द्वारा बाल विवाह रूकवा दिये जाने पर परिजनों द्वारा किसी मंदिर अथव खेजड़ी के पास बाल विवाह करवा दिया जाता है। अतः हर स्थिति के लिये सावधान रहें।

जिला कलक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे स्कूलों मंे 1 से 10 मई तक बाल विवाह के दुष्परिणामों एवं कानूनी प्रावधानों की जानकारी विद्यार्थियों को दें तथा गांवों मंे प्रभात फेरियों के माध्यम से जन जागरूकता उत्पन्न करें। उन्होंने कहा कि सरपंच तथा वार्ड पंच आदि ने धारा 38 मंे शपथ पत्रा दिया हुआ है अतः सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ प्रत्येक जनप्रतिनिधि की यह जिम्मेदारी है कि वह बाल विवाह न होने दे। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे अपने क्षेत्रा के फोटोग्राफर, वीडियोग्राफर, हलवाई, बैण्ड बाजे वाले, टेण्ट वाले तथा शादी मंे सेवाएं देने वाले विभिन्न व्यवसायियों की सूची तैयार करें तथा उनसे सम्पर्क कर उन्हें कानून की पालना के लिए पाबन्द करें।

बैठक मंे उप पुलिस अधीक्षक खुशाल सिंह राजपुरोहित ने कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने क्षेत्रा के पुलिस थाने मंे अथवा पुलिस चौकी पर बाल विवाह की सूचना दे सकता है जिसका नाम गुप्त रखा जायेगा। उन्होंने कहा कि पुलिस नियन्त्राण कक्ष मंे 230465, 231565 पर दूरभाष से सूचना दी जा सकती है।

बैठक मंे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. साजिद खान ने बाल विवाह से बच्चों के शरीर पर होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी दी तथा उपखण्ड अधिकारी खानपुर हनुमान सिंह गुर्जर ने बाल विवाह से होने वाले सामाजिक दुष्परिणामों की जानकारी दी।

बैठक का संचालन जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामपाल शर्मा ने किया। पब्लिक प्रोसिक्यूटर द्वारा कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी गई। बैठक मंे समस्त उपखण्ड अधिकारी, विकास अधिकारी, तहसीलदार, जिला स्तरीय अधिकारी, हलवाई, बैण्ड बाजे वाले, टेण्ट वाले, पण्डित, काजी, सजावट वाले, परिवहन सेवा उपलब्ध कराने वाले, प्रिन्टिंग प्रेस वाले, फोटोग्राफर तथा शादी मंे सेवाएं देने वाले विभिन्न व्यवसायी उपस्थित थे।

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बेटियों को बेबी किट के साथ आपणी बेटी पुस्तिका भी मिलेगी
झालावाड़ 25 अप्रेल। जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश दिये हैं कि संस्थागत प्रसव के समय शिशुओं को दी जाने वाली बेबी किट के साथ-साथ बेटियों को जिला प्रशासन की ओर से आपणी बेटी पुस्तिका भी दी जाये।

ज्ञातव्य है कि जिला प्रशासन एवं चिकित्सा तथा स्वास्थ्य विभाग मिलकर आपणी बेटी पुस्तिका का प्रकाशन करवा रहे हैं जिसमंे राजस्थान सरकार द्वारा बेटियों के पालन पोषण, शिक्षा, सुरक्षा एवं सम्पूर्ण विकास के लिए चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं, स्कॉलरशिप, कानूनी प्रावधानों आदि की जानकारी दी जायेगी।

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राजकीय चिकित्सालय मंे टेली मेडिसिन सेवा आरम्भ करें - जिला कलक्टर
झालावाड़ 25 अप्रेल। जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने मेडिकल कॉलेज तथा एसआरजी हॉस्पिटल को निर्देश दिये हैं कि मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुंधरा राजे द्वारा प्रदत्त निर्देशानुसार राजकीय चिकित्सालय मंे टेली मेडिसिन सेवा शीघ्र आरम्भ करें।

जिला कलक्टर आज जिला कलेक्ट्रट सभागार मंे मेडिकल कॉलेज एवं एसआरजी हॉस्पिटल सोसायटी की एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक मंे निर्णय लिया गया कि फोरेन्सिक मेडिकल विभाग हेतु डीप फ्रीजर क्रय करें तथा मरीजों हेतु बडे़ आकार का वाटर कूलर खरीदें। शिशु रोग विभाग मंे पीआईसीयू हेतु 6 बेड एवं 6 कार्डियेटर स्थापित करने का निर्णय लिया गया। सोसायटी के अध्यक्ष एवं जिला कलक्टर डॉ. सोनी ने चिकित्सालय के चिकित्सकों एवं कार्मिकों के लिए मोबाइल फोन हेतु सीयूजी सेवा लगवाने की सम्भावनाएं पता लगवाकर प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये। उन्होंने महिला चिकित्सालय मंे अनइन्स्टाल आरओ फिल्टर के मामले बरती गई लापरवाही के लिये सम्बन्धित एएओ को चार्ज शीट देने के निर्देश दिये। उन्होंने सोसायटी की राशि बचत बैंक मंे रखने की बजाए स्थाई जमा रसीद के रूप मंे रखने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि कुपोषित बच्चों को उपचार के लिये स्वास्थ्य केन्द्र तक लाने के कार्य मंे आशा सहयोगिनी एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सहायता ली जाये। कुपोषित बच्चों के उपचार वाले वार्ड मंे दीवारों पर हल्के आर्कषक रंग किये जायें तथा उन्हें बाल मनोविज्ञान के अनुरूप सजाया जाये। उनके वार्ड मंे एयरकण्डीशनर, रंगीन चद्दरें, बटर फलाई, प्लेनेटोरियम जैसे आकाश वाली छत लगवाई जाये। बैठक मंे अस्थि रोग विभाग के अपग्रेडेशन तथा सम्पूर्ण महिला चिकित्सालय मंे एयर कूलिंग सिस्टम लगाने के सम्बन्ध मंे भी निर्णय लिया गया।

आज की बैठक मंे मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. आर.के. आसेरी, हॉस्पिटल अधीक्षक कर्नल के.के. शर्मा, जिला कोषाधिकारी सतीश कुमार गुप्ता सहित विभिन्न अधिकारी उपस्थित थे।

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