सोमवार, 18 अप्रैल 2016

भीनमाल।त्याग का पर्याय ही साधु जीवन है



भीनमाल।त्याग का पर्याय ही साधु जीवन है



गच्छाधिपति जयन्तसेन सूरीष्वर म. सा. ने नवपद ओली आराधना के पांचवे दिन सोमवार को प्रवचन में साधु जीवन पर प्रकाष डालते हुए कहा कि त्याग का पर्याय ही साधु जीवन है। घर, पैसा, परिवार, साधन का त्याग तथा पैदल विहार ही साधु जीवन की पहचान है। साधु अपना घर, पैसा, परिवार तथा साधन का त्याग कर ही आगे बढता है। जैन धर्म में साधु को पैदल विहार करना आवष्यक है, जिससे अनेक जीवो की हिंसा बच सकती है। इसी प्रकार साधु को कैष लोचन भी करना पडता है। संसार में जितना पैसा अधिक होगा, उतना ही पाप कार्य अधिक होगा। साधु पद उपाध्याय, आचार्य, अरिहंत एवं सिद्ध की जन्म भूमि है। साधु बने बिना कोई भी पद प्राप्त नही हो सकता। हमें अपने जीवन में साधु तथा अगले जन्म में सिद्ध बनने का लक्ष्य रखना चाहिए। श्रीपाल रास का वर्णन करते हुए आचार्य ने सिद्ध चक्र आराधना के प्रभाव पर विस्तृत प्रकाष डाला।

मीडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने बताया कि नवपद ओली आराधना के पांचवे दिन सोमवार को साधु पद की आराधना के तहत साधु पद के जाप किये गए तथा साधु के गुणो को याद कर विभिन्न धार्मिक आयोजन हुए। इस प्रकार प्रति दिन की तरह साधु पद का जाप किया जाकर एक ही धान उड़द का प्रयोग करते हुए आयम्बिल किये गये। दोपहर में सिद्ध चक्र महा पूजन का आयोजन किया गया। जिसमे बडी संख्या में नगरवासियो ने भाग लिया। दोपहर में ही विभिन्न्ा कलाकारो द्वारा श्रीपाल रास का मंचन भी किया गया। शाम को संध्या भक्ति के तहत प्रभु के गुण गान करते हुए गुरू महिमा के गीत गाये गए। 72 जिनालय में गच्छाधिपति जयन्तसेन सूरीष्वर म.सा. की निश्रा में नवपद ओली आराधना के आराधक प्रतिदिन की क्रिया कर नौ दिन तक आयम्बिल के साथ तपस्या कर रहे हैं। नवपद ओली आराधना में नौ दिन तक एक समय बिना नमक, मिर्च तथा घी, तेल रहित भोजन आराधक करते है तथा गर्म किया हुआ पानी का ही उपयोग करते है। ओली आराधना में प्रति दिन दो वक्त प्रतिक्रमण, तीन समय देव वंदन, पूजा, प्रवचन श्रवण करना, संघ्या भक्ति सहित संपूर्ण विधि आराधक करते है। इस अवसर पर नवपद ओली आयोजन में 72 जिनालय ट्रस्ट के मैनेजर पारसमल, अरविंद भाई, बाबुलाल, पन्नालाल, दिलीप, अजित, विजय कंसारा सहित कई जैन समाज के सैंकडो बंधु उपस्थित थे।

साधु एवं श्रावको ने किया कैष लोचन
मीडिया प्रभारी माणकमल भंडारी ने बताया कि साधु पद की आराधना के तहत बाल मुनि प्रसिद्ध रत्न विजय म. सा. ने जैन मुनि चारित्र रत्न विजय म. सा. का कैष लोचन किया । इसी से प्रेरणा लेकर अनेक ओली आराधको ने भी कैष लोचन करवाया।

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